शनिवार, 11 दिसंबर 2021

चमकता इक सितारा

चमकता इक सितारा टूटकर फिर खो गया देखो |
समय यह घाव कैसा फिर दिलों में बों गया देखो |
भरोसा चैन से सोने की जो देता रहा हमको,
तिरंगा ओढ़कर वह नींद गहरी सो गया देखो ||

बुधवार, 1 दिसंबर 2021

मेहनत कर (रूपमाला छंद)

रूपमाला छंद 
प्रयास- दूसरैया
विषय- मेहनत कर
सुधार के बाद


शोर होही तोर जग मा, धीर मन मा राख |
मेहनत कर तैं कलेचुप, बाढ़ही तब साख ||
*रोक पाये हे भला कब*, कोन प्रतिभा यार |
काट देथे डोंगरी ला, जब *गिरत* जलधार ||

कवि सुनिल शर्मा "नील"

मंगलवार, 30 नवंबर 2021

सदगुरू घासीदास(कुंडलियां)

आय दिसम्बर मास हे, पावन पबरित खास |
इही माह जन्मे रहिस, सद्गुरु घासीदास ||
सद्गुरु घासीदास, करिस जे जग उजियारा |
अँधियारा ला मेट, बनाइस जग ला प्यारा ||
मनखे सबो समान, कहिस छोड़व आडंबर |
जुरमिल खुशी मनाव, मास हे आय दिसम्बर ||

सुनिल शर्मा नील

गुरुवार, 25 नवंबर 2021

रूपमाला छंद पहला

मदन(रूपमाला) छंद
पहिली प्रयास
विषय -हार झन मान

मदन(रूपमाला) छंद
पहिली प्रयास
विषय -हार झन मान
(सुधार के बाद)

जीतना हे जंग मोला, आज मन मा ठान |
हार झन तैं मान संगी, कर्म हर भगवान |
होय नइ हासिल लड़े बिन, लक्ष्य कोनो जान |
भाग के बल बैठ झन तैं, कर्म कर इंसान ||
सुनिल शर्मा नील

सुनिल शर्मा नील

सोमवार, 22 नवंबर 2021

बीजाबैरागी में हुआ शानदार कवि सम्मेलन

बीजाबैरागी में आयोजित हास्यकवि सम्मेलन हुआ सफल आयोजन

बीजाबैरागी--समीपस्थ ग्राम बीजबैरागी में 17 नवम्बर की रात्रि विराट हास्यकवि सम्मेलन का शानदार आयोजन युवा मित्र मंडल बीजाबैरागी के तत्वाधान में आयोजित हुआ | 
        इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि युवा मित्र मंडल के प्रमुख सुधीर सिंह राजपूत तथा विशिष्ट अतिथि सर्व श्री डॉक्टर सम्पतदास वैष्णव, सुखनन्दन साहू(जनपद सदस्य),हेमराज पटेल(सरपंच बीजाबैरागी),सौरभ वैष्णव,ऋषभ वर्मा व गामेश्वर प्रजापति रहें | इस कवि सम्मेलन में राष्ट्रीय स्तर के तथा अंचल के ख्यातिलब्ध कवियों ने अपनी कविताएँ पढ़कर तालियाँ बटोरी | जहाँ हास्यव्यंग्य की कविताओं
 पर गुलाबी ठंड में श्रोता रातभर लोटपोट होते रहें वहीं वीररस की कविताओं पर भारतामाता की जय के नारे लगातें रहें, प्रेम की कविताओं से जहाँ हर हृदय प्रेम से सराबोर होता रहा वहीं, करुण रस की कविताओं से आँखें नम होती रही| नौ रसों की वर्षा में श्रोता रात डेढ़ बजे तक भींगते रहें| इस कार्यक्रम में कवियों नरेंद्र गुप्ता(वीररस ,रायगढ़),सुरेंद्र अग्निहोत्री आगी(हास्य,महासमुंद),मनोज श्रीवास्तव(हास्य, नवागढ़),सुनिल शर्मा नील(थान खम्हरिया),रविबाला राजपूत  सुधा(ओजरस,सहसपुर लोहारा),दिलीप पटेल दीप(हास्य,बेमेतरा),पवन नेताम श्रीबासु(श्रृंगार कवि,सिल्हाटी),आशीष वैष्णव व उत्तम साहू(दोनो बीजाबैरागी)मनीष वर्मा कटई, कमलेश शर्मा ने अपनी कविताएं पढ़कर सबका हृदय जीत लिया | कार्यक्रम का उत्कृष्ट संचालन वीररस कवि सुनिल शर्मा नील ने किया | कार्यक्रम को सफल बनाने में युवाकवि आशीष वैष्णव, उत्तम साहू, व युवाशक्ति तथा ग्रामीण जनों का भरपूर सहयोग रहा|इस कार्यक्रम में कवियों को सुनने बिरोड़ा,गंडई,थान खमहरिया,कवर्धा ,लोहारा,सिल्हाटी से सुनने श्रोता भारी संख्या में आये हुए थे| इस कार्यक्रम को हरवर्ष कराए जाने की बात सभी अतिथियों  ने कही|। सभी कवियों का स्वागत शाल,श्रीफल व मोमेंटो से अतिथियों ने किया |कार्यक्रम के अंत में आभारप्रदर्शन ऋषभ वर्मा द्वारा  किया गया|

रविवार, 31 अक्तूबर 2021

महँगाई

तेल बना गेल खेल रहा धुँआधार खेल
विनती है आपसे कि इसे बोल्ड कीजिए |

जनता लाचार कीजिये विचार सरकार
गर्मी जो इसकी है उसे कोल्ड कीजिए |

करिए उपाय ठोस मानिए हमारी राय
चैप्टर पढ़े बिना न पृष्ठ फोल्ड कीजिए |

रोम आप घूमें किंतु प्रथम सम्हालें होम
मँहगाई बढ़ रही इसे होल्ड कीजिए ||









शुक्रवार, 15 अक्तूबर 2021

राम सीता विरह(घनाक्षरी छंद)

सुख के प्रतीक सारे लगतें है दुःखकर
तुम बिन वसुधा ये लगती नाराज है |

चंद्रमा भी लगता है ग्रीष्म सम सूर्य अब
अमृत सी ओस लगे विष सम आज है |

तेरा मेरा प्रेम सिया किससे प्रकट करुँ
मात्र दोनों हृदय ही जानते ये राज है |

हृदय मेरा ये रहता सदा तुम्हारे पास
विरह गिराते प्रति पल एक गाज है ||

सुनिल शर्मा नील

गुरुवार, 14 अक्तूबर 2021

जयकारी छंद 1-- दुर्गा माता

जयकारी छंद
प्रथम प्रयास-1

जय हो माता दुर्गा तोर |
पापी मन के बाढ़त जोर ||
कलयुग आ गे हावय घोर |
बैरी मन के नसबल टोर ||

महिषासुर घर-घर मा आज |
बेटी मन के लूटत लाज ||
चीथत बेटी ला बन बाज |
वध कर ईंकर लाव सुराज ||

करत कोख मा हे चित्कार |
बेटी मन हर करत पुकार ||
लोभी होगे हे संसार |
आ जा दाई ले अवतार ||

बेटा-बेटी एक समान |
अंतर दूनो मा झन जान ||
समझव रे मनखे नादान |
कहलाबे तब तय ईंसान ||

सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया

मंगलवार, 5 अक्तूबर 2021

ऐसे खलनायकों को नायक न मानिए,,,,

रिल और रियल में, फर्क होता है बड़ा ही
अंतर दोनों के मध्य, आप पहचानिए |

गंदे नाले और गंगा को न कहेंगे समान 
निज मन में ये बात, आप सभी ठानिए |

देश धर्म सेवा हेतु, प्राण निज वारतें है
नायक वही है सच्चें, सत्य यह जानिए |

गुटखा शराब बेंच देश को बिगाड़ रहे
ऐसे खलनायकों को, नायक न मानिए ||

सुनिल शर्मा नील
छत्तीसगढ़

सोमवार, 20 सितंबर 2021

दोहा क्रमांक -7(दोहें देश पर)

दोहा क्रमांक-7

श्वानों की ललकार से, कब डरतें हैं शेर |
होता जब भी सामना, करतें पल में ढेर ||

सुनिल शर्मा नील
छत्तीसगढ़

रविवार, 19 सितंबर 2021

दोहा देश पर(06)

प्रणाम मंच
दोहा सृजन- 06

सिंहों की सुन गर्जना, भागे गीदड़ झुंड |
महाकाल सैनिक बने, काट रहे रिपुमुण्ड||

सुनिल शर्मा नील
छत्तीसगढ़

दोहा सैनिक पर-4



होकर छलनी देह से, लड़ते हैं 
ये लाल |
सैनिक रखतें है सदा, उन्नत भारत भाल ||

सुनिल शर्मा नील
छत्तीसगढ़

दोहा देश व सैनिक पर-5



माँ प्रण है निज देह यह ,भले साथ दे छोड़ |
पर दुश्मन के हौसले, आऊंँगा मैं तोड़ ||

सुनिल शर्मा नील
छत्तीसगढ़

दोहा देश पर -3



चौंकस रहतें रातदिन, सहकर लाखों पीर |
तब जाकर बनती कही, भारत की तस्वीर ||

सुनिल शर्मा "नील"
छत्तीसगढ़

सवैया

दोहा देश पर 2



समझा करते देश को, अपना निज परिवार |
जिनके दम से राष्ट्र है, सैनिक वह आधार ||

सुनिल शर्मा नील
छत्तीसगढ़

शुक्रवार, 17 सितंबर 2021

दोहा देश पर-1

जो शोणित के तेल से, देश करे उजियार |
नमन करें आओ उन्हें, शीश झुका शत बार ||

सुनिल शर्मा नील
छत्तीसगढ़

मंगलवार, 14 सितंबर 2021

सरल है मान पाना पर कठिन होता पचाना है(मुक्तक)

कमाना है सरल लेकिन कठिन होता बचाना है |
मिटाना है सरल लेकिन कठिन होता रचाना है |
शिखर पर जब कभी पहुँचों,नही इस बात को भूलो,
सरल है मान पाना पर,कठिन होता पचाना है ||

हिन्दी

हिन्दी

हमारी संस्कृति की पहचान है हिन्दी
भारतवासियों का अभिमान है हिन्दी

माता का लाड, पिता का अनुशासन है
शिष्टता का जगत में वितान है हिन्दी

बड़ी मनभावन,बड़ी मीठी,बड़ी सरल
ईश्वर का मनुज को वरदान है हिन्दी

वीरों का शौर्य,सनातन की गाथा है 
सभ्यता का सुंदर उपमान है हिन्दी

छन्द,कविता,गीत,कहानी,गजल, मुक्तक
भावों के प्रकटन का विधान है हिन्दी

तुलसी दिनकर सूर नीरज पंत कबीर
कवि को अमरत्व का वरदान है हिन्दी

मान का एकदिनी ढोंग करने वालों
सहती इससे अतिशय अपमान है हिन्दी

किंचित नारों में नही व्यवहार में लाएँ
ऐसा अब माँगती अभियान है हिन्दी ||

सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया(छत्तीसगढ़)
7828927284

शुक्रवार, 10 सितंबर 2021

मत्तगयंद सवैया(निज माथ धरे कर दोउ तुम्हारे)

मनहरण घनाक्षरी(जंग किया श्याम ने)

धरा धाम पर धरा जन्म जगपालक ने
द्वेष को मिटाने दिया प्रेम रंग श्याम ने |

वंचितों व पीड़ितों को गले से लगाया सदा
द्वापर में शोषितों का किया संग श्याम ने  |

कंस के नृशंस दंश से थी जगती जो त्रस्त
मान मिटा उसका था भंग किया श्याम ने |

धर्म ध्वज लहराने पाप जड़ से मिटाने
सत्य को सदा जिताने जंग किया श्याम ने ||

सुनिल शर्मा नील
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
8839740208

चौपाई छंद-1 (विषय-जनसँख्या)

चौपाई छंद प्रयास- 1
जनसँख्या

जनसँख्या विकराल बढ़त हे |
धरती ऊपर भार बढ़त हे ||

होत शहर मा भीड़-भाड़ हे |
गाँव सबो होवत उजाड़ हे ||

गायब होवत हावय जंगल |
पानी बर माचत हे दंगल ||

खेत-खार हावय नंदावत |
पाट-पाट उद्योग बसावत ||

तरिया नदिया कुँवा पटागे |
मनखे मा शैतान अमागे ||

चारागाह सबो छेकावत |
गौ माता मन जीव गँवावत ||

बेटी मन ला आप पढावव |
जागरूकता ला फैलावव |

जनसँख्या मा रोक लगावव |
खुद के संग मा देश बढा़वव ||

एक कड़ा कानून बनावव |
जनसँख्या मा रोक लगावव |

तभे नवा भारत बन पाही |
जब सब्बो ये धरम निभाही ||

सुनिल शर्मा "नील"
थान खम्हरिया

सोमवार, 30 अगस्त 2021

कुण्डलिया-हाकी

कुण्डलिया सप्ताह 
सृजन 1

हाकी के इस खेल ने, सदा बढाया मान |
तरस रहा है आज यह, ढूँढ़ रहा पहचान ||
ढूँढ़ रहा पहचान, कभी सिरमौर रहा था |
स्वर्ण दिए कितने, कभी जब दौर रहा था ||
माँगें सबका साथ, बहुत कुछ इसमें  बाकी |
भारत को यह मान ,दिलाएगा फिर हाकी |

सुनिल शर्मा नील

जन्माष्टमी मनहरण घनाक्षरी

धरा धाम पर धरा जन्म जगपालक ने
द्वेष को मिटाने दिया प्रेम रंग श्याम ने |

वंचितों व पीड़ितों को गले से लगाया सदा
द्वापर में शोषितों का किया संग श्याम ने  |

कंस के नृशंस दंश से थी जगती जो त्रस्त
मान मिटा उसका था भंग किया श्याम ने |

धर्म ध्वज लहराने पाप जड़ से मिटाने
सत्य को सदा जिताने जंग किया श्याम ने ||

सुनिल शर्मा नील
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
8839740208

गुरुवार, 26 अगस्त 2021

कज्जल छंद प्रयास -1 व 2

*कज्जल छंद*
*इरखा*
सुधार के बाद

इरखा के दव छोड़ संग |
करवाथे ये सदा जंग ||
सादा के अपनाव ढंग |
मया प्रीत के रँगव रंग ||

*सेना*

सेना आवय हमर शान   |
रहिथे मन मा सदा ठान ||
जावय भलकुन हमर जान|
माटी के झन जाय मान ||

सुनिल शर्मा "नील"

बुधवार, 11 अगस्त 2021

भाले से है स्वर्ण जीत(मनहरण घनाक्षरी)

सबने था पाल रखा सदियों से आँख में जो 
तुमने है पूरा किया आज वह आस  है |

खरे उतरे है दोनों कंधें मजबूत तेरे
चहुओर भारत में दिखता उल्लास है |

भाले से है स्वर्ण जीत लहरा दिया तिरँगा 
जीत लिया देश का "नीरज" विश्वास है  |

प्रेरणा बनेगा कल, सैंकड़ों युवाओं हेतु
काम वो महान कर रचा इतिहास है ||

सुनिल शर्मा "नील"

शुक्रवार, 6 अगस्त 2021

जलहरन घनाक्षरी(खेलभावना)

प्रीत की परंपरा ही ,   रही सदा भारत की
किसी से कभी भी बैर, ठानते नही है हम |

सत्य, अनुराग सदा , है  हमारी पहचान
बेगुनाहों पर शस्त्र, तानते नही है हम |

खेलभावना के संग ,खेलतें है खेल सदा
छल छिद्र द्वेष कोई ,जानतें नही है हम |

लाख मिले दर्द ,गम , घाव से भरा हो तन
मन से कभी भी हार, मानते नही है हम ||

सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)

शनिवार, 31 जुलाई 2021

गाँव छोंड़ के(कुकुभ छंद 1)

*कुकुभ छंद प्रयास-1*
       *गाँव*
*(सुधार के बाद)*

*गाँव छोड़ के जावत हावस*, *पाछू बड़ पछताबे गा*|
*दया मया अउ मेल गाँव कस*, *कहाँ शहर मा पाबे गा* ||

*धनहा डोली हवय गाँव मा*, *छाँव हवय अमराई के*|
*ग्वाला के बंशी के सुर हे*, *मया बाप अउ दाई के* ||
*देख गाँव मा हरियाली हे*, *अउ ममहावत माटी हे*|
*गिल्ली डंडा भटकउला हे, भौंरा खो-खो बाँटी हे*||
*सुआ ददरिया गीत भूल झन*,
*डिस्को मा भरमाबे गा*|
*गाँव छोंड़ के जावत हावस, पाछू बड़ पछताबे गा*||   |1|

*खेती बारी के बूता हर, लागत तोला भारी हे*|
*जे माटी मा खेले कूदे, लागत ओ बीमारी हे*||
*जब ले गे हस आन शहर मा, सुन्ना गाँव हवय भाई*|
*सुरता करके आँसू झरथे , बड़ रोवत रहिथे दाई* ||
*दाई के कोरा सुरता कर, जब तैं हा खो जाबे गा*|
*गाँव छोंड़ के जावत हावस, पाछू बड़ पछताबे गा*||  | 2|

*कचरा,धुआँ,प्रदूषण हावय, शहर मा झगरा दंगा हे*|
*जेवन सादा हवय गाँव मा, नदिया जइसे गंगा हे*||
*गाँव खड़े रहिथे सुख-दुख मा, काम सबो के आथे रे*|
*शहर हवय मतलब के साथी, गीत लोभ के गाथे रे* ||
*मर जाबे कोनो नइ पूछय, शहर कभू झन जाबे गा|*
*गाँव छोंड़ के जावत हावस, पाछू बड़ पछताबे गा*||  |3|



*भीड़ भाड़ के जंगल मा जब, रहि के मन जब थक जाही* |
*शोर-शराबा ला सुन के जब, माथा हा तोर पिराही*||
*दोसा पीजा चाउमीन मन, चारे दिन तोला भाही*|
*लोभ कपट अउ स्वारथ ले जब, दुख तोरे अंतस पाही*||
*भोलापन ला अपन गाँव के,*मन मा तैं सोरियाबे गा*|
*गाँव छोड़ के जावत हावस, पाछू बड़ पछताबे गा* || |4|


*सुनिल शर्मा नील*

शुक्रवार, 30 जुलाई 2021

भ्रष्टाचार(ताटंक छंद- 1)

*ताटंक प्रयास-1*
*विषय-भ्रष्टाचार*
*(सुधार के बाद*)

*मनखे मन के भेस बना के, बइठे गिद्ध शिकारी हे* |
*भारत माता ला नोंचत सब, पापी भ्रष्टाचारी हे* ||

*अत्याचार करत हे देखव , जेब अपन भर के भारी* |
*लालच के इन हावय रोगी, नइ तो जानय लाचारी* ||

*काम कराये पइसा होना, तब फाइल सरकाथे जी* |
*नैतिकता ले कोसो दुरिहा, रिश्वत इन ला भाथे जी* ||

*रिश्वत सेती अनुकम्पा बर, ठोकर ला विधवा पाथे* |
*पेंशन खातिर नत्थू -फत्तू , आफिस मा गारी खाथे* ||

*बगरे हावय हमर देश मा, लाइलाज ये बीमारी*  |
*गाँव शहर आफिस संसद मा, अमरबेल कस गद्दारी* ||
 
*लोभी मन हा नेता साहब, अउ नौकर सरकारी हे* |
*बाहिर दिखथे देशभक्त अउ, भीतर हिस्सेदारी हे* ||

*जल जमीन जंगल ला बेंचत, ईमन स्वारथ ला भाथे* |
*जुरमिल दानव मन जम्मों झन, गौ के चारा ला खाथे* ||

*संविधान ला कुछ नइ समझय, कभू कहाँ इन डर्राथे* |
*नेता मन के संरक्षण मा, बल जम्मों बैरी पाथे* |

*धन ला सब स्विसबैंक खुसेरत, जनसेवक कहलाथे गा* |
*जानत हे भारत के वोंटर, पइसा मा बिक जाथे गा* ||

*नैतिकता ला बेंच खाय हे, लाज कहाँ इन ला आही* |
*तभे सुधरही अइसन दुख जब , ईखर घर कोनो पाही* ||

*सड़क बाँध पुलिया भसके मा, कतको जीव गँवा जाथे* |
*तभो कहाँ ये पापी मन के, चिटकुन दुख मन मा आथे* ||

*बन्द करव अब लेन देन ला, भ्रष्टाचार मिटाना हे* |
*अपन काम करवाए खातिर, लाइन भले लगाना हे* ||

*उमर कैद के सजा मिलय जे, रिश्वत मा पकड़े जावै* |
* *देवइया लेवइया मन ले, डाँड़ इहाँ बड़का पावै* *  ||

*संसद मा सब दल के सुमता , होना बहुत जरूरी हे* |
*रिश्वत लोभी ला रोटी कस , पोना बहुत जरूरी हे* ||


*सुनिल शर्मा"नील"*
*थान खम्हरिया*
*8839740208*

गौ माता(लावणी छंद 1)

गौ माता
(लावणी छंद प्रयास-1)
सुधार के बाद

मनखे मन ले गउ माता हा, पूछत आज सवाल हवय |
सरबस दे के बेटा मोरे, काबर अइसन हाल हवय ||

नइ माँगव मैं कभू अपन बर, सब ला मैं देवत रहिथँव |
तभो इहाँ दुख ला जिनगी भर, काबर बोलव मैं सहिथँव ||

खेती बारी के बूता मा, काम तुँहर मैं हा आथँव |
दूध दही घी के बदला मा ,जूठा काठा ला पाथँव  ||

मोर देह के अंग-अंग मा, देवी-देव समाय हवय |
राम कृष्ण ज्ञानी मानी सब, मोरे महिमा गाय हवय ||

दूधमुहा जब दाई खोथे, जिनगी ओला दे देथँव |
साँसा के डोंगा ला ओखर, बन के माँझी मैं खेथँव ||

फेर आज भटकत हँव भूखे, गारी सब के खावत हँव |
रद्दा मा मोटर के नीचे ,आ के जीव गँवावत
हँव ||

मोर मया के करजा कइसन, सोंचव आज चुकावत हव |
मोला बेंचत हव लालच मा, कटवा के मुसकावत हव ||

दूध पिया  जे ला पोंसे हँव, ममता मोर भुलाये हे |
गौ माता ला बिसरा के सब, स्वारथ मा भरमाये हे ||

गौचर भुइयाँ हमर छेंक के, मनखे अब चंडाल बने |
दया धरम अउ नीत भुला के, देखव अब बेताल बने ||

गौ सेवा हा लगथे अब तो, एमन ला  लाचारी हे |
कुकुर पोंसना फैशन बन गे, घर रोवत महतारी हे ||

गंगा-गीता-गौ माता ले, जम्मों ये संसार हवय |
करलव तुमन इँकर सेवा ला, जग के इन आधार हवय ||

कहना मोर मान लव भाई, झन तुम अइसन काम करव |
माँ बेटा के पबरित नाता ,कभू नहीं बदनाम करव ||

गौ माता के जय होही तब, जब कुछ कदम उठाहू जी |
नारा बाजी छोंड़ असल जब, सेवा तुमन  बजाहू जी ||

अइताचार देख के कइसे, लहू तुँहर नइ खउलत हे |
काबर चुप हव लहू देख जब,  मोला काटत पउलत हे ||

मोर मान बर आघू आवव, दाई के तुम ढाल बनव |
धर के टँगिया कल्कि बन के, बैरी के 
अब काल बनव ||


माँग तुमन संसद ले करके, कानून पोठ बनावव अब|
पूजे जावय जिहाँ गाय हा,
अइसन दिन फिर लावव अब ||

सुनिल शर्मा"नील"
बेमेतरा

सोमवार, 19 जुलाई 2021

मत्तगयंद सवैया-7

सवैया प्रयास-7
(विश्वामित्र जी यज्ञ व ऋषियों के रक्षार्थ दशरथ जी से राम को मांगते है इस पर दशरथ जी कहतें है)

राम सुकोमल बाल अबोध कहाँ यह काज भला कर पाहिं |
रावण वेग न देव सहै सुत मोर प्रहार कहौ सहि जाहिं |
दानव के छल-छिद्र बलाबल तोड़ निषंग कहाँ वह लाहिं |
लेकर मैं निज सैन्य समूह चलूँ तव रक्षण
कानन माहीं ||

निषंग= तरकश

सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया

बुधवार, 14 जुलाई 2021

ताटंक छंद-1(विषय -भ्र्ष्टाचार)



मनखे मन के भेस बना के, बइठे गिद्ध शिकारी हे|
भारत माता ला चीथत सब, पापी भ्रष्टाचारी हे ||

अत्याचार करत हे देखव , जेब अपन भर के भारी|
लालच के इन आवय रोगी, नइ तो जानय लाचारी||

काम कराये पइसा होना, तब फाइल सरकाथे जी |
नैतिकता ले कोसो दुरिहा, रिश्वत इन ला भाथे जी* 
||

रिश्वत सेती अनुकम्पा बर, ठोकर ला विधवा पाथे |
पेंशन खातिर नत्थू -फत्तू , आफिस मा गारी खाथे||

बगरे हावय हमर देश मा, लाइलाज ये बीमारी  |
गाँव शहर आफिस संसद मा, अमरबेल कस गद्दारी||
 
रिशवतिहा मन नेता साहब, अउ नौकर सरकारी हे|
बाहिर दिखथे देशभक्त अउ, भीतर हिस्सेदारी हे ||

जल जमीन जंगल ला बेंचत, ईमन स्वारथ ला भाथे|
जुरमिल दानव मन जम्मों झन, गौ के चारा ला खाथे ||

संविधान ला कुछ नइ समझय, कभू कहाँ इन डर्राथे |
नेता मन के संरक्षण मा, बल जम्मों बैरी पाथे |

स्विसबैंक मा रूपया खरबो, जनसेवक कहलाथे गा|
जानत हे भारत के बोटर, पइसा मा बिक जाथे गा||

नैतिकता ला बेंच खाय हे, लाज कहाँ इन ला आही|
तभे सुधरही अइसन दुख जब , ईखर घर कोनो पाही ||

सड़क बाँध पुलिया भसके मा, कतको जीव गँवा जाथे |
तभो कहाँ ये पापी मन के, चिटकुन दुख मन मा आथे ||

बन्द करव अब लेन देन ला, भ्रष्टाचार मिटाना हे |
अपन काम करवाए खातिर, लाइन भले लगाना है||

उमर कैद के सजा मिलय जे, रिश्वत मा पकड़े जावै|
देवइया लेवइया मन ले, डाँड़ इहाँ बड़का पावै  ||

संसद मा सब दल के सुमता , होना बहुत जरूरी हे|
रिश्वत लोभी ला रोटी कस , पोना बहुत जरूरी हे||


*सुनिल शर्मा"नील"*
*थान खम्हरिया*
*8839740208*

सोमवार, 12 जुलाई 2021

मत्तगयंद सवैया-6(चारों भाइयों का नामकरण)

सवैया -6
(वशिष्ठ जी चारों भाइयों का नामकरण करते हुए दशरथ जी व रानियों से कहतें है)

*राम* जपै सुखधाम मिलै सुत तोर बड़े जग भार उठाहिं।
दूसर पूत बड़ा धरमी जगपालक *भारत* नाम धराहिं |
*लक्ष्मण* तीसर पुत्र तुम्हार नरेश सुनौ गुणग्राम जनाहिं |
काँपय शत्रु सुनै जब नाम कनिष्ठ *अरिंदम* नाम कहाहिं  ||

अरिंदम=शत्रुघ्न

सुनिल नील
(छत्तीसगढ़)

रविवार, 11 जुलाई 2021

कुकुभ छंद(गाँव छोंड़ के जावत हावस)

*कुकुभ छंद प्रयास-1*
       *गाँव*
*(सुधार के बाद)*

*गाँव छोड़ के जावत हावस*, *पाछू बड़ पछताबे गा*|
*दया मया अउ मेल गाँव कस*, *कहाँ शहर मा पाबे गा* ||

*धनहा डोली हवय गाँव मा*, *छाँव हवय अमराई के*|
*ग्वाला के बंशी के सुर हे*, *मया बाप अउ दाई के* ||
*देख गाँव मा हरियाली हे*, *अउ ममहावत माटी हे*|
*गिल्ली डंडा भटकउला हे, भौंरा खो-खो बाँटी हे*||
*सुआ ददरिया गीत भूल झन*,
*डिस्को मा भरमाबे गा*|
*गाँव छोंड़ के जावत हावस, पाछू बड़ पछताबे गा*||   |1|

*खेती बारी के बूता हर, लागत तोला भारी हे*|
*जे माटी मा खेले कूदे, लागत ओ बीमारी हे*||
*जब ले गे हस आन शहर मा, सुन्ना गाँव हवय भाई*|
*सुरता करके आँसू झरथे , बड़ रोवत रहिथे दाई* ||
*दाई के कोरा सुरता कर, जब तैं हा खो जाबे गा*|
*गाँव छोंड़ के जावत हावस, पाछू बड़ पछताबे गा*||  | 2|

*कचरा,धुआँ,प्रदूषण हावय, शहर मा झगरा दंगा हे*|
*जेवन सादा हवय गाँव मा, नदिया जइसे गंगा हे*||
*गाँव खड़े रहिथे सुख-दुख मा, काम सबो के आथे रे*|
*शहर हवय मतलब के साथी, गीत लोभ के गाथे रे* ||
*मर जाबे कोनो नइ पूछय, शहर कभू झन जाबे गा|*
*गाँव छोंड़ के जावत हावस, पाछू बड़ पछताबे गा*||  |3|



*भीड़ भाड़ के जंगल मा जब, रहि के मन जब थक जाही* |
*शोर-शराबा ला सुन के जब, माथा हा तोर पिराही*||
*दोसा पीजा चाउमीन मन, चारे दिन तोला भाही*|
*लोभ कपट अउ स्वारथ ले जब, दुख तोरे अंतस पाही*||
*भोलापन ला अपन गाँव के,*मन मा तैं सोरियाबे गा*|
*गाँव छोड़ के जावत हावस, पाछू बड़ पछताबे गा* || |4|


*सुनिल शर्मा नील*

मंगलवार, 6 जुलाई 2021

मत्तगयंद सवैया-5

सवैया -5
(राजा दशरथ जी अपने वंश दीपक न होने से निराश है और  ईश्वर से प्रार्थना करतें है)

राज मिला सुख साज मिला सिर ताज मिला तबहू सुख नाहीं |
पूत नही तव भार कहो सुरनायक मोर 
कहाँ उठ पाहीं |
सूर्य समान प्रदीप्त रहा रघुवंश भला अब
कोन चलाहीं |
हाथ खड़े करजोर कहे अवधेश कृपा करहू अब ताहीं ||

सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
8839740208

रविवार, 4 जुलाई 2021

मत्तगयंद सवैया-4



(अयोध्या वापसी पर लखन लाल से भरत जी  कहतें है)

छाँह बने तुम राघव के अरु त्याग दिए
सुख नींद तिहारो | 
राम-रमा पथ के सब कंकड़ कंटक बीन सदा तुम टारो |
राम सनेह सभी हम पाय नही पर तोर समान दुलारो |
लक्ष्मण भाग बड़े तुँहरे रघुनायक के नित पाँव पखारो ||

सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
8839740208

शुक्रवार, 2 जुलाई 2021

सवैया -3(राम जी भरत मिलाप)

सवैया-3

चौदह बर्ष बिता वनवास कहूँ तुरतै निज धाम न आहू |
मारग मध्य विलंब प्रभू करहूँ तव आप बड़ा पछताहू |
याद रहे प्रण मोर सियापति उक्ति कभू मत भ्रात भुलाहू |
दर्शन दूसर वार न देत प्रभू निज जीवन मोर गवाहूँ ||

*वार=दिन*

सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)

सवैया-3(राम भरत मिलाप)

सवैया-3

चौदह बर्ष बिता वनवास प्रभो तुरतै निज धाम न आहू |
मारग मध्य विलंब प्रभू करहूँ तव आप 
बड़ा पछताहू |
याद रहे प्रण मोर सियापति उक्ति कभू 
मत मोर भुलाहू |
दर्शन दूसर वार दिए न तो जीवित दर्शन मोर न पाहू ||

सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)

मंगलवार, 29 जून 2021

मत्तगयंद सवैया-2(माता सीता का हनुमान जी को आशीष)


मत्तगयंद सवैया-2

देवत हौं तव आज अशीष सदा उर राम रहो हनुमाना |
वीर न हो रणधीर न हो हनुमान लला सम कोउ समाना |
नाम रहे जग में गुणधाम कहावव ज्ञानउ 
शील निधाना |
भक्त शिरोमणि पुत्र कहावव होय सदा तुँहरे यशगाना ||


सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)

रविवार, 27 जून 2021

सवैया-1(राम सीता जी प्रथम मिलन)



राम सिया जब बाग मिले तब नैंनन बैन हुए बड़ नाना |
जन्म धरे धरनी हम दोउ रमा हरि देख लिए पहचाना |
धीरज खोय रही इत श्री हिय राघव हेत करे अकुलाना |
नीर बिना तड़पे जस मीन हुए हरि भी उस मीन समाना |

सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
8839740208
782892728

मंगलवार, 22 जून 2021

रघुवंश की पुनीत(मनहरण छंद)

नही कभी *काम* हेतु, नही कभी *दाम* हेतु
नही कभी *नाम* हेतु, काज कोई करतें |

नही नारियों के *लाज*, नही नृपों के ही *ताज*
नही किसी का ही *राज* कभी हम हरतें |

रघुवंश की *पुनीत*, *रीत* सदा रही *मीत*
वचन के मान हेतु जीते और मरतें |

देते जग को जो *दंश*, उन पापियों का *ध्वंस*
मेटने को दैत्य *वंश*, आयुध है धरतें ||

सुनिल शर्मा"नील"

बुधवार, 16 जून 2021

सार छंद-3(छन्न पकैया)

छन्न पकैया
सार छंद -3
छन्न पकैया-1
विषय-पर्यावरण

छन्न पकैया छन्न पकैया, आवव पेड़ लगाबो |
धरती दाई ला हरियर कर, जुरमिल चलव सजाबो ||

छन्न पकैया छन्न पकैया, हवय रूख उपकारी |
माँगय नइ बदला मा काँही, हरथे सब बीमारी ||

छन्न पकैया छन्न पकैया, मन ला ये हरसाथे |
इही गिरा के रिमझिम पानी, सब के प्यास बुझाथे ||

छन्न पकैया छन्न पकैया, तीपत भुँइया हे भारी |
आनी बानी के फैलत हे, दुनिया मा बीमारी ||

छन्न पकैया छन्न पकैया, जल थल हे जहरीला |
करत हवय मनखे धरती मा , रावण जइसे लीला ||

छन्न पकैया छन्न पकैया, जेन डार मा बइठे |
काटत हावय मानुष ओला, ताकत मा हे अइँठे ||

छन्न पकैया छन्न पकैया, पाटव झन तरिया ला |
जीव जंतु ला मत मारव अउ, घेरव झन परिया ला ||

छन्न पकैया छन्न पकैया, सब ला चलव जगाबो |
परदूषण के राक्षस ला चल, मिलके हमन भगाबो ||


सुनिल शर्मा
थान खम्हरिया

बुधवार, 2 जून 2021

पिताभक्त मेघनाद (विधाता 9)

सुनिश्चित हार है था जानता फिर भी खड़ा था वह |
पिता के आन की खातिर समर भू में अड़ा था वह |
मरण तय है दशानन पुत्र को यह ज्ञात था लेकिन,
निभाने धर्म बेटे का प्रभो से  जा लड़ा था वह ||

मंगलवार, 25 मई 2021

मुझे बेचैन जब(विधाता छंद 8)

विधाता छंद-8

मुझे बेचैन जब देखे सुकूँ अपना भी खोता है |
परेशाँ देखकर मुझको नही रातों में सोता 
है |
महज बेटा नही जानो हृदय का मीत है मेरा,
मुझे वह देखकर रोते स्वयं भी संग रोता 
है ||

सुनिल शर्मा"नील"

रविवार, 23 मई 2021

मुक्तक-7(विरहा के पावक में जलते)

मुक्तक-7
साँसों का घट तुम बिन मेरा देखो कैसे रीत रहा |
हार रहा आशा का दीपक दुख का तूफ़ा जीत रहा |
चाह मिलन की लिए अधूरी तुमसे ना मर जाऊँ मैं,
विरहा के पावक में जलते हरपल मेरा बीत रहा ||

सुनिल शर्मा"नील"

गुरुवार, 20 मई 2021

यार चार दे देना(विधाता छंद -6)

विधाता-7

भले जीवन में कष्टों का मुझे अंबार दे 
देना |
खुशी के खेत में दुःखों के खरपतवार दे देना |
गिला कोई नही ईश्वर न शिकवा ही 
करूँगा मैं,
भले कुछ भी न दे पर यार मुझको चार दे देना ||

सुनिल शर्मा"नील"

मंगलवार, 18 मई 2021

विधाता छंद-5(रोया नही हूँ मैं)

विधाता-5

बड़ी मुद्दत से रातों को सनम सोया नही हूँ मैं |
हुआ अरसा नयन में आपके खोया नही हूँ मैं"|
गई तुम जिंदगी से संग सबकुछ ही गया मेरा,
किया मन तो बहुत खुल के मगर रोया नही हूँ मैं ||

सुनिल शर्मा"नील"

शुक्रवार, 14 मई 2021

सभी कर्तव्य है भूला(विधाता 4)

मनुज तू लाँघकर सीमा बहुत था गर्व से फूला |
किया दूषित पवन-जल को, सदा ही स्वार्थ में झूला |
धरा पर हक सभी का है, दिया था मंत्र दाता ने,
विधाता मान कर खुद को, सभी कर्तव्य है भूला ||

सुनिल शर्मा "नील"

बुधवार, 12 मई 2021

विधाता खेल ये तेरे(विधाता छंद 2)

विधाता खेल ये तेरे समझ हमको नहीं आते।
चले जो सत्य के पथ पर सदा दुख है यहाँ पाते।
बड़े ही शान से जीते हैं अक्सर नीच-पापी जन,
मनुज सच्चे हमें क्यों छोंड़कर जल्दी चले जाते।।

सुनिल शर्मा "नील"

कोरोना टीका(सरसी छंद 2)

सरसी छंद-2
दूसर प्रयास
सुधार के बाद
(विषय- कोरोना टीका)


कोरोना के आये टीका, जा के सब लगवाव |
सब जवान अउ सब सियान मन, जिनगी अपन बचाव |

लीलत हवय प्राण ला लाखों, कोरोना बन काल |
उही बाँचही जे अपनाही, ये टीका के ढाल |

भारी मिहनत कर वैज्ञानिक, एला हवय बनाय |
फैलावव अफवाह आप झन, कहत हवय कविराय |

सर्दी खाँसी वाले मन सब, पहिली जाँच कराव |
आय निगेटिव जब रिपोर्ट हर, टीका तब लगवाव |

हफ्ता भर तक रखव ध्यान ला, भीड़-भाड़ झन जाव |
रहव सुरक्षित घर मा सब झन, गरम-गरम सब खाव |

लड़बो जब जुरमिल जम्मों झन, परबो नइ बीमार |
होही जीत हमर भारत के, कोरोना के हार ||

सुनिल शर्मा"नील"

मंगलवार, 11 मई 2021

सरस्वती वंदना( सरसी छंद 2)

सरसी छंद- 1
सरस्वती वंदना
(सुधार के बाद)

शारद मइया बंदत हावँव, तोला बारंबार |
अंधकार के नाश करव माँ, करव ज्ञान उजियार ||

गीत,-छंद -रस बर किरपा हो, पावँव शब्द बिधान |
तन-मन आवय काम देश के, अइसन दव वरदान || 

स्वर देवव माँ मोर कंठ ला, गावँव भारत गीत |
बनय मोर कबिता हा मरहम, बगरै सदा  पिरीत ||

जस ला गावँव मैं किसान के, लिखँव बीर के त्याग |
लिखँव मया के ढाई आखर, देशभक्ति के राग ||

नारी के सम्मान लिखँव मैं, अउ बैरी बर आग |
पबरित रहय मोर चोला हा, लगय कभू झन दाग ||

कफ़न तिरंगा मिलय देंह ला, जब छोडँव संसार |
बहै देश मा अमन चैन के, सुग्घर निरमल धार ||

सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया

सोमवार, 10 मई 2021

दिलों के साफ मानुष क्यों(विधाता छंद)

विधाता खेल ये तेरे समझ हमको नही आते |
चले जो सत्य के पथ पर यहाँ पर दुख सदा पातें |
बड़े ही शान से जीतें यहाँ पर नीच-पापी जन,
दिलों के साफ मानुष क्यों भला जल्दी चले जातें ||

सुनिल शर्मा"नील"

रविवार, 9 मई 2021

जो घूरतें बेटियाँ

जो घूरतें है बेटियाँ
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इंसानियत की बात अब, करना फिजूल है ।
हैवानियत ही बन गयी ,अब तो उसूल है ।

हर रोज लुट रही है ,बेटियों की अस्मतें
माँगने पे न्याय कहते है,तुम्हारी ही भूल है!

दरिंदों को नही डर कोई,कानून का यहाँ
शैतान को ये मानते,अपना रसूल है!

कितने बने कानून पर,यह धुल नही सकी
कबसे जमी हुई जो,वासना की धूल है!

जो घूरतें है बेटियाँ,औरों की वे सुनले
पाते नही वे आम जो,बोतें बबूल है!

सब बेटियों को पाठ यह,माँ बाप सीखा दें
बनना है उन्हें शूल,नही बनना फूल है !

अपराध तो अपराध है,नही रंग दो इसको
क्यों मौन हो गीता पे औ असीफा पे तूल है!
------------------------
                         -सुनिल शर्मा"नील"
                            थानखम्हरिया(छ. ग.)
                            7828927284
                            सर्वाधिकार सुरक्षित

शुक्रवार, 7 मई 2021

बरस मुझ पर घटा बन प्यार का(विधाता श्रृंगार मुक्तक)

बिना तेरे पिया जीवन लगे मुझको जमीं बंजर |
सभी दुश्मन मुहब्बत के लिए है हाथ में खंजर |
कहीं लगता नही है दिल तुम्हारे बिन करुँ क्या मैं,
बरस मुझपर घटा बन प्यार का तू दे बदल मंजर ||

सुनिल शर्मा"नील"

लगे मन को मनोरम जो(श्रृंगार विधाता मुक्तक)

लगे मन को मनोरम जो सुखद श्रृंगार हो ऐसा |
निकलता है हृदय के कोर से उद्गार हो ऐसा |
लखन की उर्मिला सी प्रीत प्रियतम का लिए मन में, 
मिला जन्मों के तप से जो मुझे उपहार हो ऐसा ||

सुनिल शर्मा"नील"

शनिवार, 10 अप्रैल 2021

रामभक्त हनुमान(छप्पय छंद 4)

छप्पय प्रयास -3
*रामभक्त हनुमान*
*****
जा के सागर पार, खबर सीता के लाये |
झोंक आज वरदान, मोर मन हे हरसाये ||
सब ले बड़का भक्त, वत्स हनुमान कहाबे |
छू नइ पावय काल, अमर हो पूजे जाबे ||
पूजा करही तोर जे, अपन नवाही माथ ला |
रइही ओखर मूड़ मा, किरपा के मोर हाथ हा ||
******
सुनिल शर्मा

कोरोना (छप्पय छंद 4)

छप्पय छंद-४
*कोरोना*
सुधार के बाद
●●●●●
चीन देश ले आय, करोना नाम धराए |
बाँटत हावय मौत,जगत ला ये रोवाए ||
मरगे लाखो लोग, करोड़ों घर हे टूटे |
डर के हे माहौल, नौकरी मन हे छूटे ||
बीमारी ये हारही, लड़बो जुरमिल संग रे |
करबो हम कर्तव्य ला, खचित जीतबो जंग रे ||
●●●●●
सुनिल शर्मा"नील"

बुधवार, 7 अप्रैल 2021

छप्पय छंद(नक्सली समस्या)

छप्पय छंद प्रयास
*नक्सल समस्या -1*
सुधार के बाद
******
बेटा मन रणवीर, खून के खेलत होली |
होवत हवय शहीद, दिनोदिन खा के गोली ||
बाढ़त नक्सलवाद, हँसत पापी मन भारी |
होवय इँखरो नाश, होत बस निमगा चारी ||
मानवता के जेंन भी, दिखथे इहाँ खिलाफ हे |
खोज-खोज के मार के, उन ला करना साफ हे |
****
सुनिल शर्मा"नील"

छप्पय-2(गर्मी)

छप्पय -2
विषय-गर्मी
●●●●●
गरमी के दिन आय, घाम हर खूब 
जनावय |
सड़क दिखय सुनसान, ठहरना घर मा भावय ||
खोजय सबझन छाँव, पसीना बड़ चुचवावय |
खीरा ककड़ी संग, कलिंदर खूब 
खवावय ||
तरिया नदिया बोर सब, देवत हवय जवाब
अब |
मनखे तुँहर पाप के, होवत हवय हिसाब 
अब |
●●●●●
सुनिल शर्मा

गुरुवार, 1 अप्रैल 2021

गांधी नही भगत की नीति होनी चाहिए

देश है विशेष स्नेह इससे करे अशेष
वन्दे मातरम वाली,गीति होनी चाहिए |

माता भारती के स्नेह से करे गद्दारी कोई
उनसे न कोई कभी प्रीति होनी चाहिए |

आसुरी प्रवृत्तियों की वृत्तियों के नाश हेतु |
गांधी नही भगत की नीति होनी चाहिए |

कोई गाल झापड़ जो मारे तो उखाड़ो हाथ
शठे शाथयम वाली रीति होनी चाहिए ||

बुधवार, 24 मार्च 2021

सहते रहें है छल

सहते रहें है छल,जाफर व कासिमो के
सदियों से भारत की ,है यही व्यथा रही |

प्रेम और मान दे दुलारतें रहें हैं जिन्हें
उनकी सदैव डसने की ही प्रथा रही |

भाई कह हृदय लगाके छुरी खाते रहें
भाईचारे वाली बात उनकी वृथा रही |

कमलेश रणजीत,गगन,अंकित,रिंकू
निर्दोषों के हत्याओं की सैकड़ों कथा रही ||

सुनिल शर्मा"नील"



गुरुवार, 18 मार्च 2021

अमृत ध्वनि 1(भोलेनाथ)

*अमृत ध्वनि छंद*
*भोलेनाथ*
क्रमांक-1
********
गंगा हावय मूड़ मा, भसम लगाए अंग |
नरी बिराजे नाग हे, गौरी बइठे संग ||
गौरी बइठे ,संग माथ मा, चंदा हावय |
सुमिरव भोले, नाम जगत ले ,पार लगावय ||
जेंन नाव लय, होवय ओखर, तन-मन चंगा |
जय-जय भोले, धारे तैं हर, पावन गंगा ||
*********
सुनिल शर्मा

शनिवार, 13 मार्च 2021

विधाता छंद(मुक्तक -प्रतीक्षा)

हमारी जिंदगी हरपल यहाँ पर इक 
परीक्षा है |
समय के हाथ से होनी यहाँ सबकी 
समीक्षा है |
कठिन कुछ भी नहीं जग में अगर तुम 
ठान लोगे तो,
मगर हर लक्ष्य पहले माँगती हमसे 
प्रतीक्षा है ||

शुक्रवार, 12 मार्च 2021

विधाता छंद-जीवन

सदा जीवन हमारा यह परीक्षा माँगती 
हमसे |
किये हर कार्य की हर पल समीक्षा माँगती 
हमसे |
कठिन कुछ भी नही पौरुष से सबकुछ है सुलभ जग में ,
मगर हर लक्ष्य पहले इक प्रतीक्षा माँगती 
हमसे ||

शुक्रवार, 5 मार्च 2021

खून(कुण्डलिया 9)

कुण्डलिया सृजन 9
*खून*
(सुधार के बाद)
●●●●●
सबके नस मा एक हे, लाल लहू के रंग |
काबर होथे फिर इहाँ, जात-पात के जंग ||
जात-पात के जंग,भेद ला सबझन छोड़व |
टूटत हे परिवार, मया के नाता जोड़व ||
सब ला मिलय अगास, रहय झन कोनों दब के |
जुरमिल होय विकास, हमर भारत मा सब के ||
●●●●●
सुनिल शर्मा

आरक्षण(कुण्डलिया 8)

कुंडलिया-8
*आरक्षण*
सुधार के बाद
*****
बनथे सदा चुनाव मा, आरक्षण हथियार |
नेता मन के आय ये, जीते के आधार ||
जीते के आधार, जीभ ले जहर घोरथे |
जात-पात मा बाँट, देश ला हमर टोरथे ||
इरखा के बों बीज, भेद के गड्ढा खनथे |
स्वारथ बर सब आज, लोग मन नेता बनथे |
*****
सुनिल शर्मा

अगोरत हावव तोला(कुण्डलिया 7)

कुंडलिया-७
*अगोरत हावव तोला*
सुधार के बाद
●●●●●
तोला जब देखव नहीं, तरसत रहिथे नैन |
तड़फत रहिथँव तोर बिन,नइ पावँव मैं चैन ||
नइ पावँव मैं चैन, नहीं कुछु मोला भावय |
आँखी गोरी मोर, घटा सावन बन जावय ||
जिनगी आवस मोर, तोर बिन बिरथा चोला |
हवय दरस के आस, अगोरत हावँव तोला ||
●●●●●
सुनिल शर्मा

गुरुवार, 4 मार्च 2021

मँहगाई(कुण्डलिया)

मँहगाई
●●●●●
मँहगाई के मार से, जनता सारी त्रस्त |
सत्ता को चिंता नहीं, अपने में है मस्त ||
अपनें में है मस्त, गैस का दाम चढ़ा है |
तेल निकाले तेल, शतक की ओर बढ़ा है ||
देखे आलू प्याज ,याद नानी है आई |
कोई करो उपाय, रुलाए ये मँहगाई ||
●●●●
सुनिल शर्मा

मंगलवार, 23 फ़रवरी 2021

सगा(कुंडलियां 5)

कुंडलिया-5
*सगा*
सुधार के बाद
●●●●●
पहुना ये भगवान कस, देवव उनला मान |
सुग्घर स्वागत ला करव,करवावव जलपान ||
करवावव जलपान, शास्त्र सब इही सिखाथे |
धरे सगा के रूप, नरायण घर मा आथे |
सेवा करके आप,सफल जीवन कर लेवव|
सदा अतिथि ला मान,देवता जइसे देवव||
●●●●●
सुनिल शर्मा"नील"

शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2021

कुण्डलिय 4(बउरव देशी चीज)

कुंडलिया-4
*बउरव देशी चीज*
●●●●●
बउरव कोई आप झन, कोनो चीनी माल |
नइ तो बनही देश के, ओ जी के जंजाल ||
ओ जी के जंजाल, देश ले हमर कमाही |
ओखर ले बंदूक ,रार वो इहाँ मचाही ||
बउरव देशी चीज,देश के जय तब होही |
भारत होही पोठ, चीन माथा धर रोही ||
●●●●●
सुनिल शर्मा"नील"

गुरुवार, 18 फ़रवरी 2021

कुंडलिया छत्तीशगढ़ी 3(करजा)

कुंडलिया-3
*करजा*
सुधार के बाद
●●●●●
चादर जतका बड़ हवय, वतके पाँव पसार |
नइ तो तोला बाद मा, मिलही कष्ट हजार ||
मिलही कष्ट हजार, मान ला अपन गँवाबे |
सरबस जाही तोर ,मूड़ ला धर पछताबे ||
*करजा* करना छोड़, सदा कर धन के आदर |
रख तैं खच्चित ध्यान,हवय कतका बड़ चादर ||
●●●●●
सुनिल शर्मा"नील"

कुंडलिया(बसंत)

कुण्डलिया-2
*बसंत*
●●●●●
गावत कोयल रूख मा, हवा सुघर ममहात |
झरगे जुन्ना पान सब, नवा पान हे आत ||
नवा पान हे आत, फूल हे आनी -बानी |
लहरावत हे खेत, चुनर ला पहिरे धानी ||
आमा मउरे देख, सबो के मन ला भावत |
आगे हवय बसंत, धरा के मन हर गावत ||
●●●●●
सुनिल शर्मा"नील"

कुंडलिया(गणराज)

कुण्डलिया- १
*गणराज*
●●●●●
पूजा पहिली आप के, करत हवव गणराज | 
सुग्घर कविता लिख सकव, अइसन वर दव आज || 
अइसन वर दव आज, देश के महिमा गाँवव |
मया दया आशीष, बड़े मन के मैं पाँवव ||
कलम लिखय सत मोर, नही कुछ माँगव दूजा | 
रखव मूड़ मा हाथ, करत हव पहिली पूजा ||
●●●●●
सुनिल शर्मा"नील"

बुधवार, 17 फ़रवरी 2021

भारत(रोला 15)

रोला 15
*भारत*
सुधार के बाद
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हिमगिरि हे रखवार,नदी गंगा हे पावन |
सुग्घर खेती खार,लागथे बड़ मनभावन | |
दया मया सहयोग,जिहाँ के हे परिपाटी |
धन्य धन्य हे धन्य,हमर भारत के माटी ||
■■■■
सुनिल शर्मा

मंगलवार, 16 फ़रवरी 2021

खेतिखार(रोला 14)

रोला-१४
*खेती खार*
******
बेटा पढ़ लिख आज , बाप के मान गिरावत |
पहिने टाई कोट, ज्ञान पा के अटियावत ||
बाबू मोर किसान, कहे बर आज लजावय |
बूता खेती खार ,नहीं अब ओ हर भावय ||
*******
सुनिल शर्मा

नदिया(रोला 13)

रोला -1३
विषय-*नदिया*
सुधार के बाद
●●●●●
नदिया तरिया पाट, बनावत हें घर जब ले |
झेलत विपदा लाख, जगत हर संगी तब ले ||
मचगे हाहाकार, कहाँ ले आही पानी |
तरसत जम्मों जीव,होत मुश्किल जिनगानी ||
●●●●●
सुनिल शर्मा"नील"

चौपाल(रोला 12)

रोला 12
*चौपाल*(गुड़ी)
*सुधार के बाद*
●●●●●
लगै नहीं चौपाल, हवय सब घर मा खुसरे |
मया पिरित के गोठ,नहीं कोनो ला उसरे ||
फ़िक़्क़ा लगत तिहार, गली हर हावय सुन्ना |
पूछत हे चौपाल, कभू आही दिन जुन्ना ||
●●●●●
सुनिल शर्मा"नील"

गाय(रोला 16)

रोला 16
*गाय*
*सुधार के बाद*
●●●●
दही-मही अउ दूध, गाय के हे गुणकारी |
करथे ये उद्धार, मनुज बर हे उपकारी ||
सबो देव के वास, गाय के अंतस करथे |
करथे जेन प्रणाम,सदा भव पार उतरथे ||
●●●●
सुनिल शर्मा"नील"

शनिवार, 13 फ़रवरी 2021

गुरुवार, 11 फ़रवरी 2021

नदिया(रोला 13)

रोला -1३
विषय-*नदिया*
सुधार के बाद
●●●●●
नदिया तरिया पाट,बनावत हें घर जब ले |
झेलत विपदा लाख,जगत हर संगी तबले ||
मचगे हाहाकार, कहाँ ले आही पानी |
तरसत जम्मों जीव,होत मुश्किल जिनगानी ||
●●●●●
सुनिल शर्मा"नील"

पागा(रोला 14)

रोला-14
*पागा*
******

बँधही पागा मूड़, कमर कस कर तैयारी |
आज नही ता काल, तोर  आही रे पारी ||
करय जेन संघर्ष ,मान तेने हर पाथे |
खाके पथरा चोंट, एकदिन पूजे जाथे ||

******
सुनिल शर्मा

सोमवार, 8 फ़रवरी 2021

मेला(कुंडलियां)

मेला
*****

आना जाना है लगा, जीवन मेला जान |
मृत्यु अंतिम सत्य है,क्यों करता अभिमान|
क्यों करता अभिमान, पालता द्वेष है मन में |
जीवन के दिन चार,प्रेम करले जीवन में |
कहे नील कविराय, अमर  मर कर  हो पाते |
कर के जो परमार्थ,यहां से जो भी जातें ||
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सुनिल शर्मा"नील"
छत्तीसगढ़

शनिवार, 6 फ़रवरी 2021

ददा के सूरता(रोला)

रोला-12
*ददा के सूरता*
सुधार के बाद
●●●●●
बेटी करके याद, बाप ला रोवत हावय |
जब ले गे परलोक, नही कुछु ओला भावय |
बीते जम्मों बात, बाप के सुरता आथे |
फोटू ओखर देख, बिकट बेटी पछताथे ||
●●●●●
सुनिल शर्मा

सोमवार, 1 फ़रवरी 2021

माया ला तैं छोड़(रोला 9)

रोला-९
*माया छोंड़*
सुधार के बाद
◆◆◆◆◆◆
आथे खाली हाथ, जनम जब कोनो पाथे |
नइ लेगय कुछ संग, जेन हर मर के जाथे ||
माया ला तैं छोंड़, हवस काबर भरमाये |
मीठा जग मा बोल, रहे कर झन अँटियाये  ||
◆◆◆◆◆◆
सुनिल शर्मा"नील"

कर लव शाकाहार(रोला ८)

*रोला-८*
*कर लव शाकाहार*
सुधार के बाद
◆◆◆◆◆◆
देंह अपन शमशान, बनाथव काबर बोलव |
जीए के अधिकार, बरोबर सब ला तोलव ||
कर लव शाकाहार, माँस अउ दारू त्यागव |
हाथ जोड़ के नील, कहत हे अब तो जागव ||
◆◆◆◆◆◆
सुनिल शर्मा"नील"

मीठ बानी(रोला ७)

*रोला ७*
*मीठा बानी*
●●●●●●
मीठा बानी बोल, सबो के मन ला भाथे |
सुनथे तेखर संग, कहइया हर सुख पाथे |
अमरित जइसे जान, बिपत मा काम बनावय|
बोलय जे हर मीठ, मान जग मा वो पावय ||
●●●●●●
सुनिल शर्मा"नील"

रविवार, 31 जनवरी 2021

हरा साग भाजी(रोला ६)

रोला-6
*हरा साग भाजी*
सुधार के बाद
●●●●●●
आवत हावय साग, शरद मा आनी-बानी |
खावव ताजा आप, सबो झन रे दिलजानी ||
काया होही पुष्ट,रोग सब दूर भगाही |
त्वचा दमकही तोर, रोग प्रतिरोध बढ़ाही ||
●●●●●●
सुनिल शर्मा"नील"

शनिवार, 30 जनवरी 2021

गौ माता(रोला 5)

*रोला ५*
*गौ माता
●●●●●
महिमा हवय अपार,हरय वो सुख के दाता |
देवता सबो समाय, कहाथे गौ हर माता ||
देवय ओला पोंस ,अपन जे दाई खोवय |
तभो इहाँ गौ वंश,कलप के हरदिन रोवय ||
●●●●●
सुनिल शर्मा

मैं किसान कह दूँ(घनाक्षरी)

अपने ही भाइयों का ,रक्त जो बहा *रहे* थे
कैसे ऐसे मूर्खों को,मैं सुजान कह दूँ ?

स्वयं के ही देश को जो,फूँकने को आतुर हो
कैसे ऐसे रावणों को ,हनुमान कह दूँ ?

हल वाले हाथों से जो, लहराए तलवार
कैसे उन्हें धरती का ,भगवान कह दूँ ?

निज स्वार्थ हेतु *करे*, तिरंगे का अपमान
कैसे ऐसे गद्दारों को, मैं किसान कह दूँ??

तिरँगा(रोला -४)


*तिरंगा*
●●●●●
खा भारत के अन्न, देश के गुन ना गावै |
दाई ला दुत्कार, पड़ोसी ला सहरावै  |
अइसन सब गद्दार, देश बर बोझा आवय |
खेदव उनला आज,तिरंगा जे नइ भावय ||
●●●●●
सुनिल शर्मा"नील"

गाँधी(रोला 3)

*रोला-३ गाँधी*
●●●●●●
बापू के ले नाम, सियासी रोटी सेंकय |
भाषण मा कर याद,वोंट कुरसी बर छेंकय||
गांधी तोर दिखाय, राह ना रेंगय कोनो |
रोवत हावय आज,देश अउ जनता दोनों ||
●●●●●●
सुनिल शर्मा"नील"

जन्मदिन आशीष(रोला 2)


*जन्मदिन आशीष*
●●●●●
जुग-जुग जीयव आप, मान-धन खूब कमावव |
कुलगौरव बन आप, देशके महिमा
गावव ||
इही हवय आशीष,जनमदिन मा जी
तोला |
परमारथ के काज,काम आवय ये 
चोला ||
●●●●●
सुनिल शर्मा"नील"

झंडा(रोला 1)

*रोला अभ्यास-१*
*झंडा*
(सुधार के बाद)
●●●●
ले के आड़ किसान, देश के मान गिरावय |
द्रोही ओला जान, सदा गद्दार कहावय ||
खालिस्तानी आय, जेन तलवार दिखावय |
धरती के भगवान , अन्न दे प्राण बचावय ||
●●●●
सुनिल शर्मा

गुरुवार, 28 जनवरी 2021

बुधवार, 27 जनवरी 2021

उल्लाला-21(दया धरम के भाव)

लिख पढके रोशन करव,हमर देश के नाव ला |
अंतस मा राखव सदा, दया धरम के भाव ला ||

उल्लाला 20(बेटी)

उल्लाला 20
*बेटी*
●●●●
जे बेटा मूड चढ़ाय हस, देही गारी मार रे |
जे बेटी ला पर तैं कहे ,ओ करही उद्धार रे ||
●●●●
सुनिल शर्मा

उल्लाला 19"तिरंगा"

उल्लाला-6
*तिरंगा*
●●●●

तैं कपड़ा भर झन जानबे ,  हमर हरय अभिमान रे |
ये झंडा खातिर होय हे, कतको झन कुर्बान रे ||
●●●●
सुनिल शर्मा

उल्लाला 18(संघर्ष)

उल्लाला-5
*संघर्ष*
●●●●
बिन कूटे चंदन हा कभू, नइ तो देवय रंग ला |
बिन मिहनत कोनो हा कभू , जीत सकय ना जंग ला ||
●●●●
सुनिल शर्मा"नील"

शनिवार, 16 जनवरी 2021

मया(उल्लाला 17)

बाँटव मया
●●●●
मया बिना संसार हा, हावय ये निस्सार जी |
कहिथे सब्बो ग्रंथ मन, बाँटव मया दुलार जी ||
●●●●
सुनिल शर्मा"नील"

इरखा(उल्लाला-16)


*इरखा*
●●●●
अँगना सबो खड़ाय हे, खड़े हवय दीवाल रे |
रिश्ता नाता मा चढ़त, इरखा के अब जाल रे ||
●●●●
सुनिल शर्मा"नील"

पीरा(उल्लाला-15)


*पीरा*
◆●●●
दुख पीरा कतका सहव, जिनगी हा जंजाल रे |
जीना अब बिरथा लगय, किरपा कर नंदलाल रे ||
◆●●●
सुनिल शर्मा"नील"

माँसाहार(उल्लाला-14)


*मांसाहार*
●●●●
जीव मार के खात हस, होके मानुष जात रे |
का दूसर के दरद हा, तोला नहीं जनात रे ||
●●●●
सुनिल शर्मा

शक(उल्लाला 13)

*शक*
●●●●
शक करथे घर नाश रे, बात मोर तै मान जा |
सुने सुनाए छोड़ अउ, सत ला पहिली जान जा ||
●●●●
सुनिल शर्मा"नील"

लइका के अंतस(उल्लाला-12)


*लइका के अंतस*
●●●●
कभू फूल के डोहरू, निरदय बन मत टोरबे |
लइका के अंतस कभू, जहर  कभू झन घोरबे ||
●●●●
सुनिल शर्मा"नील"

पाखंड(उल्लाला-10)

उल्लाला-८
*पाखंड*
●●●●

कलपत मरगे प्यास मा, दाई जब घर तोर रे |
बिरथा हावय बाँटना, शरबत पाछू घोर रे ||
●●●●
सुनिल शर्मा

विवेकानंद(उल्लाला-9)


*विवेकानंद*
●●●●
गीत गजल मुक्तक सजल, युवा बनव सब छंद कस |
देश नवा गढ़ना हवय, बनव विवेकानंद कस ||
●●●●
सुनिल शर्मा

*बात बहादुर*(उल्लाला-8)


*बात बहादुर*
●●●●
बात सदा करथे बड़े, लानय नइ ब्यवहार मा  |
अइसन मनखे थोक मा, मिलथे ये संसार मा ||
●●●●
सुनिल शर्मा"नील"

इंसान(उल्लाला 7)


*इंसान*
●●●●
सबके अंतस भीतरी, देखय जे भगवान रे |
ओला तैं हर जान ले, सिरतो मा इन्सान रे ||
●●●●
सुनिल शर्मा"नील"

परमारथ(उल्लाला-6)

उल्लाला-6
*परमारथ*
■■■■
जिनगी के दिन चार रे, झन खोवव बेकार रे |
आवय कखरो काम मा, परमारथ के नाम मा ||
■■■■
सुनिल शर्मा"नील"

लिख अइसन कुछ(उल्लाला 5)

उल्लाला-5
*लिख अइसन कुछ*
●●●●
लंदर-फंदर छोड़के, लिख अइसन कुछ बात ला |
सूरुज बनके चीर दय,  अंधेरी जे रात ला ||
●●●●
सुनिल शर्मा

आवव देश के काम(उल्लाला-4)

उल्लाला -१३
*आवव देश के काम*
●●●●
लंद-फंद ला छोड़के, करलव अइसन काम रे |
जेमा होवय तुँहर संग, हमर देश के नाव रे||
●●●●
सुनिल शर्मा

मन कोयल(उल्लाला 3)

उल्लाला-
●●●●
रुनझुन पैरी ला अपन, कोनो जब छनकाय वो |
फुलकैना मोला बिकट, सुरता तोरे आय वो ||
●●●●
सुनिल शर्मा

गुरुवार, 14 जनवरी 2021

इंसान(उल्लाला-2)

उल्लाला-१०
*इंसान*
("सुधार के बाद")
●●●●
सबके अंतस भीतरी, देखय जे भगवान रे |
ओला तैं हर जान ले, सिरतो मा इन्सान रे ||
●●●●
सुनिल शर्मा"नील"

शनिवार, 9 जनवरी 2021

उल्लाला -1 "मया"

उल्लाला प्रयास -१
(सादर समीक्षा बर)

●●●●
मया बिना संसार हा, हावय ये निस्सार जी |
कहिथे सब्बो ग्रंथ मन, बाँटव मया दुलार जी ||
●●●●
सुनिल शर्मा"नील"

गुरुवार, 7 जनवरी 2021

गरीबी(विधाता छंद)

नही वे जानते मस्जिद न जाने है शिवालें को |
न जाने रेशमी कपड़ें न जाने है दुशालें को |
महल की चाह ना उनको ,न दौलत और जेवर की,
गरीबी जानती है सिर्फ इक भाषा निवाले की ||

सुनिल शर्मा"नील"

रविवार, 3 जनवरी 2021

नील के 5 दोहें

नील के 5 दोहे

दोहा १
*स्वदेशी*
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देशी सबो समान के, करहू जब उपयोग |
होही पोठ स्वदेश हर, सुख पाहीं सब लोग ||
●●●●●
दोहा २
*संस्कार*
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बिगन ज्ञान संस्कार ला, धूर्रा कस तैं जान |
जइसे मनखे के बिना, कोनो महल विरान ||
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(३)दोहा -३
*पानी*
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जिनगी के आधार ए, पानी हर लव जान |
संरक्षण एखर करव, मिलके सब इंसान ||
●●●●●
(४)
दोहा-४
*अपर-डिपर*
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अपर-डिपर के करव रे, रतिहा मा उपयोग |
दुर्घटना मा मरत हे, रोज सैंकड़ो लोग ||
●●●●●
((5)
दोहा-५
*सियान के गोठ*
●●●●●
सुनके गोठ सियान के, करथे जे हर काम |
बूता ला ओखर सफल, करथे प्रभु श्रीराम
●●●●●
सुनिल शर्मा"नील"