मंगलवार, 25 मई 2021

मुझे बेचैन जब(विधाता छंद 8)

विधाता छंद-8

मुझे बेचैन जब देखे सुकूँ अपना भी खोता है |
परेशाँ देखकर मुझको नही रातों में सोता 
है |
महज बेटा नही जानो हृदय का मीत है मेरा,
मुझे वह देखकर रोते स्वयं भी संग रोता 
है ||

सुनिल शर्मा"नील"

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें