शनिवार, 12 नवंबर 2022

राम बोले शबरी के बेर जैसा

एक बार सीता जी ने प्रश्न किया राघव से
आचरण आपका ये समझ न आया है |

गृहभोज गुरु मुनि मात ने खिलाया किन्तु
श्रेष्ठ स्वाद शबरी के बेर का बताया है |

मायापति आपकी ये कौन सी है माया कहो
शिष्टाचार नाथ कैसा आपने निभाया है |

राम बोले प्रिये मैंने शबरी सा प्रेम भाव
व्यंजनों में किसी के न आजतक पाया है ||

सुनिल शर्मा 'नील'
छत्तीसगढ़
8839740208

शनिवार, 10 सितंबर 2022

हिन्दी दिवस पर मुक्तक


कही खोई हुई है जो उसे अब ढूँढ़
लाए हम |
चलो अब मान हिंदी का उसे फिर से 
दिलाए हम |
अधूरा है लगे श्रृंगार इस हिन्दी के बिंदी 
बिन |
चलो माथे पे भारत माँ के इसको फिर 
सजाए हम ||


सुनिल शर्मा "नील"



रविवार, 28 अगस्त 2022

बागीश्वरी सवैया-रिसाये हवै फुलकैना

वागीश्वरी सवैया
प्रयास-पहिली

हरौं दीयना मैं हरै तेल ओहा मया डोर मा हे बंँधे ये नता |
उही मोर आशा उही मोर साँसा उही मोर मुस्कान के ये पता |
लगै ना कुछू काम मा मोर जी हा करौ का समाधान देवौ बता |
रिसाये हवै फूलकैना सुबे ले भला मोर ले होय हे का खता ||

सुनिल शर्मा 'नील'

शुक्रवार, 19 अगस्त 2022

महाभारत के चित्र लगाइए

मात्र वेश कान्हा सा बनाओ नही बालकों का
हरि अवतारतें क्यों भेद भी बताइए |

कंश संग दैत्य वंश कैसे वधा माधव ने
कालिया के मर्दन के दृश्य भी दिखाइए |

दुविधा में बहनों के काम कैसे आए भाई
प्रेम-मित्रता हो कैसी पाठ भी पढ़ाइए |

लड्डू के गोपाल वाली छवियाँ लगाओ किंतु
संग महाभारत के चित्र भी लगाइए ||

  ©️सुनिल शर्मा नील
     छत्तीसगढ़
     8839740208

शनिवार, 6 अगस्त 2022

मंगलवार, 26 जुलाई 2022

रणवीर ऐसा क्यों

क्यों किया ऐसा रणवीर??
(रणवीर के न्यूड फोटोशूट पर त्वरित सृजन)

बेंच चित्र अश्लील, देश का नाम घटाया |
कला किया बदनाम, शर्म ना किंचित आया ||
तू लज्जा से हीन, किया भारत में ऐसा |
करना था क्या काम, किया रणवीर है कैसा ||

बच्चें इसको देख ,सोंच क्या ज्ञान पाएंगे |
मान तुम्हें आदर्श, छले सारे जाएंगे ||
भारत पावन देश, गुरु जो है कहलाया |
इसमें पाकर जन्म,ये कैसा कर्ज निभाया ||

नारी सीता रूप, यहाँ नर राम कहाते |
नौ कन्या नौ रूप, देश में पूजे जाते ||
नारी बच्चें आज, सभी तुझसे शर्मिंदा |
पढा लिखा तू मूर्ख, कृत्य तेरा यह गंदा ||

दुर्योधन से सीख, मातु ने जब बुलवाया |
दूँगी मैं आशीष, मगर जो अंग छुपाया ||
तू उससे है नीच, मानसिक कचरा पाले |
चमड़ी से है गौर, मगर भीतर से काले ||

करता है यह 'नील', क्रोध उनपर भी भारी |
पथ से जो हो भ्रष्ट, बढाते ये महामारी ||
जो 'सैनिक' को छोंड़, सरआखो इन्हें बिठाते |
चंदन को जो छोंड़, माथ पर पंक लगाते ||

कवि सुनिल शर्मा 'नील'
थान्खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
8839740208

बुधवार, 13 जुलाई 2022

मत्तगयन्द सवैया-परमारथ

मत्तगयन्द सवैया
प्रयास-1
विषय-परमारथ

पीयय ना जल ला नदिया अपने फल रूख कभू नइ खावै |
सूरज रोज उवै तबले गुनगान कभू अपने नइ गावै |
ताप हरे बरखा सबके खुद खातिर बादर हा नइ छावै |
सज्जन के धन लाख लगै परमारथ मा नइ नाम बतावै ||


सुनिल शर्मा'नील'
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)

रविवार, 26 जून 2022

मुक्तक-नारी

वही बहना,वही तो माँ,वही बिटिया 
दुलारी है |
उसी से है सभी रिश्तें उसी से सृष्टि 
सारी है |
सदा वह बाँटकर खुशियाँ,दुःखों को 
झेलती आई,
करे जो त्याग हर युग में उसी का नाम 
नारी है ||

कवि सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया

सोमवार, 13 जून 2022

कुंडलिया-बलवा जो करवा रहे हर जुम्मे के रोज

बलवा जो करवा रहें, हर जुम्मे के रोज |
घर-घर जाकर कीजिये, उन गुंडों की खोज ||
उन गुंडों की खोज, छीन सुविधा सरकारी |
पृष्ठ भाग कर लाल, दंड दो उनको भारी |
घर उनके दो तोड़, दिखा योगी सा जलवा |
बाबर की औलाद, बने जो करते बलवा ||

सुनिल शर्मा 'नील'
थानखम्हरिया
8839740208

शनिवार, 11 जून 2022

केवड़े को हेय से न देखिएगा

केवड़े को हेय से न देखिएगा यूँ जनाब
सोंचके कि देता नही गुल जैसा गंध है |

एक पलड़े में दोनों को ना तौलिएगा कभी 
दोनों है कुसुम मात्र एक ही सम्बन्ध है |

तुलना किसी की किसी से नही उचित कभी
दोनों है प्रभावी कविता हो या निबंध है |

अनुपम है सभी जगदीश्वर की सृष्टि में
परमपिता का श्रेष्ठ यही तो प्रबंध है ||

सुनिल शर्मा 'नील'
8839740208
(छत्तीसगढ़)
सर्वाधिकार सुरक्षित

मंगलवार, 7 जून 2022

नारी अस्मिता पे घात जो यहाँ लगाता है

कीचक रावण दुशासन जयद्रथ बाली
नारी अस्मिता पे घात जो यहाँ लगाता है |

करता शोणित से स्नान स्वयं के सदा वो
प्राण पद मान वंश स्वयं का गँवाता है |

नारी स्वाभिमान पर मौन रहकर भीष्म
अंत का समय बाण शैय्या पे बिताता है |

नारी लज्जा हेतु निज प्राण को गँवाता गिद्ध 
मृत्यु के समय गोद राम जी का पाता है ||


सुनिल शर्मा 'नील'
4 /06/2022

शनिवार, 4 जून 2022

इतिहास आदरेय है,,,,

इतिहास आदरेय है बड़ा ये मानो किन्तु
जैसे का तैसा न उसे कभी भी स्वीकारिये |

मान के आदर्श धर्मराज को न खेल द्युत
भाईयों के संग निज नार को न हारिये |

दृष्टांत द्रौपदी को मान कन्या ब्याह करे
होगा क्या उचित वर्तमान में विचारिये |

करके अतीत का मूल्यांकन चुनिए मार्ग
भूल क्या-क्या हमसे हुई थी वो सुधारिये ||

सुनिल शर्मा नील
4/6/2022

शुक्रवार, 13 मई 2022

कुण्डलिया-मानव


कुण्डलिया-मानव

मानव जीवन है वही, जिसमें हो परमार्थ |
पशु सम जीवन जानिए, जिसमें केवल स्वार्थ ||
जिसमें केवल स्वार्थ, न समझे पर की पीड़ा |
केवल खुद का ध्यान, जानिए उसको कीड़ा ||
धरती पर है बोझ, मनुज तन में है दानव |
आये सबके काम, वही है सच्चा मानव ||

सुनिल शर्मा नील

वो मलेच्छ नयनों का डर शिवराय था(शिवाजी पर मनहरण घनाक्षरी)

काँपे अरिदल जिन्हें देखकर थरथर
सिंह के समान ऐसा नर शिवराय था |

नर गरजन कर रण भू में हर-हर
जीत लेता आधा वो समर शिवराय था|

समर लड़ा जो भगवा को निज शीश धर
पीर भारती का लेने हर शिवराय था |

हरता था आत्मा चलाये बिना तलवार
वो मलेच्छ नयनों का डर शिवराय था ||







 




गुरुवार, 28 अप्रैल 2022

सुंदरी सवैया-एकता



अँगरी धरके सुख मा दुख मा हम संग सबो मिलके बढ़बो जी |
तजबो मन ले इरखा अउ भेद मया सदभाव 
चलो पढ़बो जी |
खँचवा डबरा सब पाट हमू यश के फुलगी मिलके चढ़बो जी |
सब ला अधिकार मिले अइसे हम भारत एक नवा गढ़बो जी ||

सुनिल शर्मा नील
थानखम्हरिया

शनिवार, 23 अप्रैल 2022

सुंदरी सवैया 1- जल




हर बूँद हवै अनमोल कहै कवि नील सुनौ जल हे जिनगानी |
बिरथा बरबाद करौ झन आप तजौ अभिमान तजौ मनमानी |
बिन एखर शून्य हवै धरती मिलके सब आप बचावव पानी |
तड़पे भुइयाँ कहिथे सुन लौ मनखे मत आप बनौ अगियानी ||

*सुनिल शर्मा*
*थान खम्हरिया*

गुरुवार, 21 अप्रैल 2022

कमलेश,नारंग

कमलेश नारंग के मौत पे रहेंगे मौन
अख़लाक़ पर किंतु आँसू ये बहाएँगे |

कभी सैनिकों के शौर्य का प्रमाण माँगेंगे तो
कभी कश्मीर को ये पाक का बताएँगे |

पंडितों के दर्द पर करेंगे ये अट्टहास
राम जी के मंदिर पे प्रश्न ये उठाएँगे |

नेताजी के चेहरे में पन्नू के ये मोहरे है 
स्वार्थ की सुनामी में ये देश डूबा जाएँगे ||

सुनिल शर्मा नील

रविवार, 10 अप्रैल 2022

दुर्मिल सवैया-1

दुर्मिल सवैया प्रयास-1



मनखे तन ला तँय पाय कभू, बिरथा करबे झन काम कका |
कुछ जाय नही परलोक कभू, पइसा गहना अउ चाम कका |
करथे जस तेखर हा रहिथे मरके जग मा बड़ नाम कका |
क्षणभंगुर देंह मिले जप ले, तँय सुग्घर पावन राम कका ||

सुनिल शर्मा 'नील'

गुरुवार, 31 मार्च 2022

कमलेश,नारंग

कमलेश नारंग के मौत पे रहेंगे मौन
अख़लाक़ पर किंतु आँसू ये बहाएँगे |

कभी सैनिकों के शौर्य का प्रमाण माँगेंगे तो
कभी कश्मीर को ये पाक का बताएँगे |

पंडितों के दर्द पर करेंगे ये अट्टहास
राम जी के मंदिर पे प्रश्न ये उठाएँगे |

नेताजी के चेहरे में पन्नू के ये मोहरे है 
स्वार्थ की सुनामी में ये देश डूबा जाएँगे ||

सुनिल शर्मा नील

शनिवार, 12 मार्च 2022

चुनाव के बाद

जीत जो मिलेगी तब बल्लियों उछलकर
स्वयं के चरित्र का प्रभाव ये बताएंगे |

लोकतंत्र और संविधान पे करेंगे गर्व
तोहमत किसी पे न कोई भी लगाएंगे |

हार जो मिलेगी तब देंगे व्यवस्था को दोष
चुनाव आयोग को भी खूब गरियाएंगे |

सरकार पर फोड़ ठीकरा पराजय का
दाग ईवीएम के चरित्र पे लगाएंगे ||


सुनिल शर्मा "नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)

मंगलवार, 1 मार्च 2022

सवैया-सदाशिव

शीश धरे तुम गंग प्रभो अरु मस्तक सुंदर चंद्र सजाते |
पीयत भंग शिवा गण संग भुजंग गले पर हो
लटकाते | 
हार कपाल गले पहिरे तन छाल सुशोभित भस्म रमाते | 
पर्वत बैठ धरे डमरू तिरशूल सदाशिव ध्यान लगाते ||

सुनिल शर्मा नील
थान खम्हरिया

रविवार, 27 फ़रवरी 2022

चंद्रशेखर आजाद -आल्हा

चंद्रशेखर आजाद

गाँव भाभरा के माटी ला, माथा सबझन अपन नवाव
तीरथ कस ये पावन भुइयाँ, एखर महिमा ला सब गाव |

धन्य-धन्य दाई जगरानी, बेटा अइसन तैं हर पाय
जे ला छू नइ पाइन गोरा, जग मा वो आजाद कहाय |

चौंड़ा छाती देख वीर के, बैरी मन के लहू अटाय
जब गरजय तब काँपय पापी, सुनय फिरंगी रहय लुकाय |

उघरा देंह जनेव खान्ध मा, रौबदार मूछा कर्राय
देश अपन आजाद करे के, किरिया ओ अंतस मा खाय |

भारत माँ के दुःख दरद के, चिंता ओला
सदा सताय
नान्हेंपन मा सोंटा खा के, जय-जय भारतमाता गाय |

वीर भगत बिस्मिल के संगी, भारत माता के वो लाल
देशभक्त जननायक जब्बर, दुश्मन मन बर सउहत काल |

काकोरी बमकांड करिस हे, लाला के लेइस प्रतिकार 
मुखबिर सात सैकड़ा मिल के, पा नइ पाइन येखर पार |

वीर भगत कइसे कर छूँटय, करत रहिस इकदिन जब बात
नाट नाव के कुकुर बाग मा, रहिस लगाए अपने घात |

छेंक शेर ला सबो फिरंगी, दल के दल बंदूक  चलाय 
एक अकेला हर बैरी बर, ताकत मा भारी पर जाय |

देख फिरंगी मन आजाद के, काल रूप ला बड़ थर्राय
कखरो माथा कखरो छाती, एक-एक कर छेदत जाय |

दूनो डाहर छूँटय गोली, दनदन दनदन दनदन धाँय 
पत्ता-पत्ता रूख राई सब, शेखर के जय जय जय गाय |

लड़िस वीर सौ-सौ बैरी ले, लहू सनाये जम्मों अंग
देख लगय अभिमन्यु जइसे, लड़त हवय कौरव के संग |

जाव छोंड़ के संगी मोला,आंदोलन ये रूक
झन पाय
कहिस सुनव आजाद राज ले, भले प्राण ये मोर गँवाय |

काया लथपथ रहय लहू ले, गोली मन सब रहय बढ़ाय
एक आखिरी गोली ओ हर, रहय जेब मा अपन लुकाय

माटी ला मूठा धर के ओ, कहिस भारती माता मोर
कर पायेंव अतके भर सेवा, जावत हे बेटा अब तोर |

जब-जब जनम धरँव धरती मा, तोर मया के पाँवव छाँव
फेर इही धरती मा खेलव, फेर मिलय ये सुग्घर गाँव |

कहि पिस्तोल अपन माथा मा, गोली ओहर दिस चलाय
गिरिस देह धम ले भुइयाँ मा, मानो परबत हर गिर जाय |

नइ आवव मैं कभू हाथ मा, जीते जी जे किरिया खाय
शेखर बेटा लड़े शेर कस, किरिया तै सच कर देखलाय |

तोर शहीदी के रद्दा ले ,ये आजादी भारत पाय
त्याग संग बलिदान तोर ला, सकय नहीं कोनो बिसराय ||

सुनिल शर्मा नील
बेमेतरा
7828927284






गुरुवार, 10 फ़रवरी 2022

त्रिभंगी छंद- हिजाब vs भगवा गमछा

मत रंग रँगों तुम, इन्हें मजहबी ,इनको शाला, रहने दो |

पावन पुनीत है, विद्यालय ये, यहाँ उजाला,
रहने दो |

मत इन्हें सिखाओ, कलुषित होना, नदिया कलकल, बहने दो |

नफरत मत बाँटो, मत तुम काटो, इनको निश्छल रहने दो ||

सुनिल शर्मा "नील"
थानखम्हरिया(छत्तीसगढ़)
8839740208

शनिवार, 5 फ़रवरी 2022

त्रिभंगी-सरस्वती वंदना

उर के मरुथल में, मेरे बरसो, बनो सहारा, माँ वाणी |
वर दो हर दो तम, कर दो अंतस, तुम उजियारा, माँ वाणी |
उज्ज्वल उज्ज्वल हो, चित्त विमल हो, चरित धवल हो माँ वाणी |
रिपुदल थरथर हो, अक्षर शर हो, वचन अटल हो, माँ वाणी ||

मंगलवार, 1 फ़रवरी 2022

हरिगीतिका


विषय-गणपति जी



गौरी हरय दाई प्रभू, भोला ददा ये तोर गा |
तैं नाश कर ये पाप के, चारो मुड़ा हे घोर गा |
शुभलाभ के बाबू हरस,शंकरसुवन महराज जी|
तोला जपे मा होय पूरन, भक्त मन के काज जी ||


सूपा असन दू कान हे, हाथी असन माथा हवय |
हे दाँत सुघ्घर एकठन, महिमा भरे गाथा हवय |
फरसा धरे हस हाथ मा, लड्डू बिकट तैं भाय गा |
बलबुद्धि के अस देंवता, जग तोर गुन ला गाय गा ||

बाधा कटय दुख हा मिटय, आशीष दे गणराज जी |
बुधवार आवय तोर दिन, तैं टेर सुन ले आज जी |
माता-पिता के गोड़ मा, तीरथ सबो बतलाय हस |
जे देय दुख इनला हवय, ओला कभू नइ भाय हस ||


गणपति कलम ला  धार दे, आशीष बारम्बार दे |
ये कंठ ला हुंकार दे, भूले कभू झन हार दे|
सत बर सदा बागी बनव, ये देश के रागी बनव |
विघ्नेश मैं त्यागी बनव, अन्याय बर आगी बनव ||

सुनिल शर्मा 'नील'

त्रिभंगी छंद-1

त्रिभंगी छंद 
प्रयास-1
विषय- मीठा बोलव

मीठा सब बोलव, अंतस खोलव, बैर भाव ला,त्यागव रे |
तारव  ये चोला, जप लौ भोला, सोवव झन अब जागव रे |
दू दिन जिनगानी, हवय परानी, मया पिरित ला,बाँटव रे |
सब अपन डाँड़ ला, सदा बढ़ावव, दूसर के झन काटव रे ||

सुनिल शर्मा "नील"