मंगलवार, 7 जून 2022

नारी अस्मिता पे घात जो यहाँ लगाता है

कीचक रावण दुशासन जयद्रथ बाली
नारी अस्मिता पे घात जो यहाँ लगाता है |

करता शोणित से स्नान स्वयं के सदा वो
प्राण पद मान वंश स्वयं का गँवाता है |

नारी स्वाभिमान पर मौन रहकर भीष्म
अंत का समय बाण शैय्या पे बिताता है |

नारी लज्जा हेतु निज प्राण को गँवाता गिद्ध 
मृत्यु के समय गोद राम जी का पाता है ||


सुनिल शर्मा 'नील'
4 /06/2022

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