बुधवार, 23 दिसंबर 2015

"त्याग में तू पृथ्वी"

आज फिर कुछ प्यारी "माँ" पर.. 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 त्याग में तू पृथ्वी,स्नेह में आसमाँ है तेरे गोद सा अहसास बोल माँ कहाँ है? 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 📝सुनिल शर्मा "नील" थान खम्हरिया,बेमेतरा CR 7828927284 24/12/2015

मंगलवार, 22 दिसंबर 2015

"ना लटकता जुवेनाइल"

नाबालिगों को भी जघन्य अपराधों में सजा दिए जाने के कानून बनने मे हुए इतनी देरी और नेताओं के लापरवाही पर एक "मुक्तक"
       """ना लटकता जुवेनाइल""""
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काश संसद मे हंगामेबाजी से नेता बाज
आ पाते
जनता के प्रति कर्तव्यों को सही ढंग से
निभाते
ना लटकता जुवेनाइल कानून 16 बार
संसद में
और ना 'अफरोज' जैसे शैतान खुली हवा में
साँस ले पाते|
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✒ सुनिल शर्मा 'नील'
थान खम्हरिया,बेमेतरा
7828927284 CR
23/12/2015

सोमवार, 21 दिसंबर 2015

सच्चा प्रेम

""सच्चा प्रेम""
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सच्चा प्रेम वही है जो साया बनकर
साथ निभाए
दुख के घने अंधेरों में भी दिनकर
बनकर राह दिखाए
कम हो जाए भले रोशनी इन आँखों
की वक़्त के साथ
पर न आए कभी वो पल जब ये
सामने तुझे न पाए|
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सुनिल शर्मा "नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा
7828927284
CR
22/12/2015

बुधवार, 9 दिसंबर 2015

जेन घर सियान तउन सरग कहाथे

कोचराय हे देहे ,पेचके हे गाल
निहरे हे कनिहा, पाका हे बाल
मइलहा हे पटकू,चिरहा हे धोती
बबा रिसायहे जाने काखर सेती
बड़ देर होगे आज बडबड़ात हे
कोंटा म बइठके आँसू बोहात हे
लागथे बेटा ह फेर खिसियाय हे
धुन बहु कुछु नाव ले बगियाय हे
पाछु पंदरही बहू कतका सुनाइसे
तसमा का टुटगे नगत झरराइसे
भूखे पियासे तालाबेली दे रहिसे
जुड़ म बपरा परछी म सोय रहिसे
बहू-बेटा कोनो दया नइ खाइस
बपरा सोगे भीतर नइ बलाइस
नाती ल खेला खुस हो लेत रहिसे
अपन छाती ल जुड़ो लेत रहिसे
नाती ल  खेलाय बर बरज दिस
जीए के ओखी म पथरा चपक दिस
रही-रही बबा ल बीते दिन सुरता आथे
डोकरी के सुरता म मन कलप जाथे
अपन भाग ऊपर बिचारा बड़ पछताथे
जब-जब रोथे तब डोकरी ल गोहराथे
काबर लईका आज सियान ल रोवाथे
जेन रुख छाव देथे उही ल काट गिराथे
जेन घर सियान तउन सरग कहाथे
एला दुःख देवइया कहाँ सुख पाथे|
रचना-
सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा
7828927284
दिनाँक-09/12/2015
CR

सोमवार, 7 दिसंबर 2015

""माटी बर जीबो""

       """"माटी बर जीबो"""
माटी बर जीबो हमन, मरबो माटी पार ।
माटी के महिमा गजब, कहिथे सबो अपार ।।

जे माटी जनमेस तै, मया जेखरे पाय ।
उडानूक तै होय के, ओही ला बिसराय ।।

दू आखर पढ़के भला ,गजब आज इतराय ।
बोले बर भाखा अपन, कइसे आज लजाय ।।

जेने भाख दिस मया, जेने दिस पहिचान ।
बेटा राहत ले उही ,सहत हवय अपमान ।।

दाई कस माटी हरे, पावन गंगा जान ।
राखव ऐखर लाज ला, बाते मोरे मान ।।

बीरनरायन अउ भगत ,फाँसी झूले हास ।
रानी झांसी के घला,माटी करे उजास ।।

माटी बर जीबो हमन,  रखबो एखर मान ।
ये माटी के नाव ला, करबो सबो जहांन ।।

सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
रचना-06/12/2015
7828927284
CR

बुधवार, 2 दिसंबर 2015

बेटी पढ़ाएँगे-बेटी बचाएँगे

   "बेटी पढ़ाएँगे-बेटी बचाएँगे"
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मिलकर बेटियों को उनका हक़
दिलाएँगे
भेद से रहित सुंदर वातावरण
बनाएँगे
साकार होगा विकास जब छुएंगी
ये आसमान
आओ मिलकर बेटी पढ़ाएँगे-बेटी
बचाएँगे|
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सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
02/12/2015
CR

मंगलवार, 1 दिसंबर 2015

मुक्तक

आलिंगन कर पीड़ा पाई हमने हरदम
खंजर की
अमन के बदले मिली वेदना कारगिलों
के मंजर की
क्यों शान्ति की पुनः अपेक्षा आतंकवाद
के पोषक से
जिसका सिर्फ हरा झंडा पर फितरत
है बंजर की|

सुनिल शर्मा ""नील""
थानखम्हरिया,बेमेतरा
7828927284
01/12/2015
CR