रविवार, 31 जनवरी 2021

हरा साग भाजी(रोला ६)

रोला-6
*हरा साग भाजी*
सुधार के बाद
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आवत हावय साग, शरद मा आनी-बानी |
खावव ताजा आप, सबो झन रे दिलजानी ||
काया होही पुष्ट,रोग सब दूर भगाही |
त्वचा दमकही तोर, रोग प्रतिरोध बढ़ाही ||
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सुनिल शर्मा"नील"

शनिवार, 30 जनवरी 2021

गौ माता(रोला 5)

*रोला ५*
*गौ माता
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महिमा हवय अपार,हरय वो सुख के दाता |
देवता सबो समाय, कहाथे गौ हर माता ||
देवय ओला पोंस ,अपन जे दाई खोवय |
तभो इहाँ गौ वंश,कलप के हरदिन रोवय ||
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सुनिल शर्मा

मैं किसान कह दूँ(घनाक्षरी)

अपने ही भाइयों का ,रक्त जो बहा *रहे* थे
कैसे ऐसे मूर्खों को,मैं सुजान कह दूँ ?

स्वयं के ही देश को जो,फूँकने को आतुर हो
कैसे ऐसे रावणों को ,हनुमान कह दूँ ?

हल वाले हाथों से जो, लहराए तलवार
कैसे उन्हें धरती का ,भगवान कह दूँ ?

निज स्वार्थ हेतु *करे*, तिरंगे का अपमान
कैसे ऐसे गद्दारों को, मैं किसान कह दूँ??

तिरँगा(रोला -४)


*तिरंगा*
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खा भारत के अन्न, देश के गुन ना गावै |
दाई ला दुत्कार, पड़ोसी ला सहरावै  |
अइसन सब गद्दार, देश बर बोझा आवय |
खेदव उनला आज,तिरंगा जे नइ भावय ||
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सुनिल शर्मा"नील"

गाँधी(रोला 3)

*रोला-३ गाँधी*
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बापू के ले नाम, सियासी रोटी सेंकय |
भाषण मा कर याद,वोंट कुरसी बर छेंकय||
गांधी तोर दिखाय, राह ना रेंगय कोनो |
रोवत हावय आज,देश अउ जनता दोनों ||
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सुनिल शर्मा"नील"

जन्मदिन आशीष(रोला 2)


*जन्मदिन आशीष*
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जुग-जुग जीयव आप, मान-धन खूब कमावव |
कुलगौरव बन आप, देशके महिमा
गावव ||
इही हवय आशीष,जनमदिन मा जी
तोला |
परमारथ के काज,काम आवय ये 
चोला ||
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सुनिल शर्मा"नील"

झंडा(रोला 1)

*रोला अभ्यास-१*
*झंडा*
(सुधार के बाद)
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ले के आड़ किसान, देश के मान गिरावय |
द्रोही ओला जान, सदा गद्दार कहावय ||
खालिस्तानी आय, जेन तलवार दिखावय |
धरती के भगवान , अन्न दे प्राण बचावय ||
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सुनिल शर्मा

गुरुवार, 28 जनवरी 2021

बुधवार, 27 जनवरी 2021

उल्लाला-21(दया धरम के भाव)

लिख पढके रोशन करव,हमर देश के नाव ला |
अंतस मा राखव सदा, दया धरम के भाव ला ||

उल्लाला 20(बेटी)

उल्लाला 20
*बेटी*
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जे बेटा मूड चढ़ाय हस, देही गारी मार रे |
जे बेटी ला पर तैं कहे ,ओ करही उद्धार रे ||
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सुनिल शर्मा

उल्लाला 19"तिरंगा"

उल्लाला-6
*तिरंगा*
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तैं कपड़ा भर झन जानबे ,  हमर हरय अभिमान रे |
ये झंडा खातिर होय हे, कतको झन कुर्बान रे ||
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सुनिल शर्मा

उल्लाला 18(संघर्ष)

उल्लाला-5
*संघर्ष*
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बिन कूटे चंदन हा कभू, नइ तो देवय रंग ला |
बिन मिहनत कोनो हा कभू , जीत सकय ना जंग ला ||
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सुनिल शर्मा"नील"

शनिवार, 16 जनवरी 2021

मया(उल्लाला 17)

बाँटव मया
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मया बिना संसार हा, हावय ये निस्सार जी |
कहिथे सब्बो ग्रंथ मन, बाँटव मया दुलार जी ||
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सुनिल शर्मा"नील"

इरखा(उल्लाला-16)


*इरखा*
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अँगना सबो खड़ाय हे, खड़े हवय दीवाल रे |
रिश्ता नाता मा चढ़त, इरखा के अब जाल रे ||
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सुनिल शर्मा"नील"

पीरा(उल्लाला-15)


*पीरा*
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दुख पीरा कतका सहव, जिनगी हा जंजाल रे |
जीना अब बिरथा लगय, किरपा कर नंदलाल रे ||
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सुनिल शर्मा"नील"

माँसाहार(उल्लाला-14)


*मांसाहार*
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जीव मार के खात हस, होके मानुष जात रे |
का दूसर के दरद हा, तोला नहीं जनात रे ||
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सुनिल शर्मा

शक(उल्लाला 13)

*शक*
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शक करथे घर नाश रे, बात मोर तै मान जा |
सुने सुनाए छोड़ अउ, सत ला पहिली जान जा ||
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सुनिल शर्मा"नील"

लइका के अंतस(उल्लाला-12)


*लइका के अंतस*
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कभू फूल के डोहरू, निरदय बन मत टोरबे |
लइका के अंतस कभू, जहर  कभू झन घोरबे ||
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सुनिल शर्मा"नील"

पाखंड(उल्लाला-10)

उल्लाला-८
*पाखंड*
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कलपत मरगे प्यास मा, दाई जब घर तोर रे |
बिरथा हावय बाँटना, शरबत पाछू घोर रे ||
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सुनिल शर्मा

विवेकानंद(उल्लाला-9)


*विवेकानंद*
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गीत गजल मुक्तक सजल, युवा बनव सब छंद कस |
देश नवा गढ़ना हवय, बनव विवेकानंद कस ||
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सुनिल शर्मा

*बात बहादुर*(उल्लाला-8)


*बात बहादुर*
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बात सदा करथे बड़े, लानय नइ ब्यवहार मा  |
अइसन मनखे थोक मा, मिलथे ये संसार मा ||
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सुनिल शर्मा"नील"

इंसान(उल्लाला 7)


*इंसान*
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सबके अंतस भीतरी, देखय जे भगवान रे |
ओला तैं हर जान ले, सिरतो मा इन्सान रे ||
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सुनिल शर्मा"नील"

परमारथ(उल्लाला-6)

उल्लाला-6
*परमारथ*
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जिनगी के दिन चार रे, झन खोवव बेकार रे |
आवय कखरो काम मा, परमारथ के नाम मा ||
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सुनिल शर्मा"नील"

लिख अइसन कुछ(उल्लाला 5)

उल्लाला-5
*लिख अइसन कुछ*
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लंदर-फंदर छोड़के, लिख अइसन कुछ बात ला |
सूरुज बनके चीर दय,  अंधेरी जे रात ला ||
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सुनिल शर्मा

आवव देश के काम(उल्लाला-4)

उल्लाला -१३
*आवव देश के काम*
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लंद-फंद ला छोड़के, करलव अइसन काम रे |
जेमा होवय तुँहर संग, हमर देश के नाव रे||
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सुनिल शर्मा

मन कोयल(उल्लाला 3)

उल्लाला-
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रुनझुन पैरी ला अपन, कोनो जब छनकाय वो |
फुलकैना मोला बिकट, सुरता तोरे आय वो ||
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सुनिल शर्मा

गुरुवार, 14 जनवरी 2021

इंसान(उल्लाला-2)

उल्लाला-१०
*इंसान*
("सुधार के बाद")
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सबके अंतस भीतरी, देखय जे भगवान रे |
ओला तैं हर जान ले, सिरतो मा इन्सान रे ||
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सुनिल शर्मा"नील"

शनिवार, 9 जनवरी 2021

उल्लाला -1 "मया"

उल्लाला प्रयास -१
(सादर समीक्षा बर)

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मया बिना संसार हा, हावय ये निस्सार जी |
कहिथे सब्बो ग्रंथ मन, बाँटव मया दुलार जी ||
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सुनिल शर्मा"नील"

गुरुवार, 7 जनवरी 2021

गरीबी(विधाता छंद)

नही वे जानते मस्जिद न जाने है शिवालें को |
न जाने रेशमी कपड़ें न जाने है दुशालें को |
महल की चाह ना उनको ,न दौलत और जेवर की,
गरीबी जानती है सिर्फ इक भाषा निवाले की ||

सुनिल शर्मा"नील"

रविवार, 3 जनवरी 2021

नील के 5 दोहें

नील के 5 दोहे

दोहा १
*स्वदेशी*
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देशी सबो समान के, करहू जब उपयोग |
होही पोठ स्वदेश हर, सुख पाहीं सब लोग ||
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दोहा २
*संस्कार*
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बिगन ज्ञान संस्कार ला, धूर्रा कस तैं जान |
जइसे मनखे के बिना, कोनो महल विरान ||
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(३)दोहा -३
*पानी*
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जिनगी के आधार ए, पानी हर लव जान |
संरक्षण एखर करव, मिलके सब इंसान ||
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(४)
दोहा-४
*अपर-डिपर*
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अपर-डिपर के करव रे, रतिहा मा उपयोग |
दुर्घटना मा मरत हे, रोज सैंकड़ो लोग ||
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((5)
दोहा-५
*सियान के गोठ*
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सुनके गोठ सियान के, करथे जे हर काम |
बूता ला ओखर सफल, करथे प्रभु श्रीराम
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सुनिल शर्मा"नील"