बुधवार, 28 अगस्त 2019

पाक पड़ोसी हवा दे रहा


गजब जवाब मिला है अबकी,आतंकी व्यापारी को !
नफरत बोंता था घाटी में,ऐसे अत्याचारी को !
खाया है हर बार मात पर,युद्ध की धमकी फिर देकर,
पाक पड़ोसी हवा दे रहा,नफरत की चिंगारी को !!

रविवार, 25 अगस्त 2019

नाज है सिंधु


तेरी उपलब्धियों पर देश गदगद आज है सिंधु !
बनाया है लगन से खुद को तूने ताज है सिंधु !
किया प्रेरित है लाखों बेटियों को तूने मेहनत से,
तेरी इस जीत पर  हिन्दुस्ता को नाज है सिंधु !!

शुक्रवार, 23 अगस्त 2019

चक्रधारी आइए,,,

मार रहे कंश आज गर्भ में ही शिशुओं को
कंशों को मिटाने फिर अवतारी आइए !

लूट रही कितनी ही द्रौपदी के चीर यहाँ
चीर को बचाने फिर गिरधारी आइए !

कलयुगी वासना से प्रेम हुआ कलुषित
प्रेम को सीखाने फिर बनवारी आइए,

दुष्टों के दल हानि धर्म की है कर रहे
धर्म स्थापना को फिर चक्रधारी आइए !!

सुनिल शर्मा"नील"
7828927284

चक्रधारी आइए,,,

मार रहे कंश आज गर्भ में ही शिशुओं को
कंशों को मिटाने फिर अवतारी आइए !

लूट रही कितनी ही द्रौपदी के चीर यहाँ
चीर को बचाने फिर गिरधारी आइए !

कलयुगी वासना से प्रेम हुआ कलुषित
प्रेम को सीखाने फिर बनवारी आइए,

दुष्टों के दल हानि धर्म की है कर रहे
धर्म स्थापना को फिर चक्रधारी आइए !!

गुरुवार, 22 अगस्त 2019

मुक्तक-अंतिम पथ तक साथ चले,,,,,

मेरे गुण अवगुण संग मुझको दिल से अंगीकार करे !
साथ रहे जो हर सुख-दुख में,साए सा व्यवहार करें !
हाथ पकड़कर सम्बल दे जो,जब मैं गिरने लग जाऊँ
अंतिम पथ तक साथ चले जो,वह ही मुझसे प्यार करे !!
16-14

बुधवार, 21 अगस्त 2019

छंद-जननी जनक भूला दें

उन्नति की शिखर पे चढ़ते रहिए किंतु
जमीं से कभी भी जुड़ा रिश्ता मत तोड़ना!

तेरी नींद के लिए जो जागे सारी रात प्यारे
उन बागबानों से कभी न मुख मोड़ना !

स्वार्थ के लिए भूला दे जननी जनक दोनों
ऐसी कामिनी से तार प्यार के न जोड़ना !

उंगली पकड़के जिन्होंने चलना सिखाया
जिंदगी में उनका तू हाथ नही छोड़ना !!

मंगलवार, 20 अगस्त 2019

माँ पिता का हाथ नही छोड़ना,,,,

उन्नति की शिखर पे चढ़ते रहिए किंतु
जमीं से कभी भी जुड़ा रिश्ता न तोड़ना !
तेरी नींद के लिए जो जागा किये रातभर
उन बागबानों से कभी न मुख मोड़ना !
स्वार्थ के लिए भूला दे रिश्तें माँ बाप के जो
ऐसी कामिनी से तार प्यार के न जोड़ना !
उंगली पकड़के जिन्होंने चलना सिखाया,
ऐसे माँ पिता का कभी हाथ नही छोड़ना !!

रविवार, 18 अगस्त 2019

जमीं से कभी भी जुड़ा रिश्ता न तोड़ना,,,,

प्राप्तकर आसमां की लाख तू ऊँचाई पर जमीं से कभी भी जुड़ा रिश्ता न तोड़ना ! तेरे मुखड़े पे खुशी लाने खुदको भूलाया देख ऐसे मुखड़ों को मुख नही मोड़ना ! प्यार के लिए भूला दे रिश्ते मां बाप के जो ऐसे प्यार के कभी भी तार नही जोड़ना! उंगली पकड़के जिन्होंने चलना सिखाया, बुढापे में उनको वृद्धाश्रम न छोड़ना !!

तुमको इससे क्या?

मैं रोऊँ या मुस्कुराऊँ
तन्हा आँसू बहाऊँ
गीत विरह के गाऊँ
अपनी पलकें भिगाउँ
अपनी भावनाएं जाहिर करूँ
या दुनिया से छिपाऊँ
तुमको इससे क्या?

तेरी बेवफाई सहकर जियूँ
या तड़पकर मर जाऊँ
तेरा नाम लिख हथेली में
दुनियाभर से छिपाऊं
दुनिया से व्हाट्सएप्प स्टेटस छुपा
सिर्फ एक तुझे दिखाऊँ
तुमको इससे क्या?

बीते पलों में खो जाऊँ
सुधबुध सारी बिसराऊँ
घुट-घुटकर बेवफाई में
मछली सी प्राण गवाऊँ
यह अंधेरा जो तेरा ही दिया है
इसे अंतिम श्वास तक गले लगाऊँ!
तुमको इससे क्या?










एक दिन आराम का,,,

नाहक चिंता क्यों करता है विश्राम का !
कर्म कर बंदे न सोंच तू अंजाम का !
कुछ ऐसा कर कि जमाना याद रखे तुझे,
आखिर में आना है एक दिन आराम का !!

सुनिल शर्मा"नील"

मंगलवार, 13 अगस्त 2019

राखी का सम्मान करेंगे,,,,


सारी खुशियाँ दे बहनों को,पूरे हम अरमान करेंगे !
काल बनेंगे उनका हम जो नारी काअपमान करेंगे !
बहन डरें न सड़क पे कोई,देश बनाकर ऐसा हम
शपथ उठाएं भाई सारे,राखी का म्मान करेंगे !!

सोमवार, 12 अगस्त 2019

जो कहते थे गंवारा एक पल तुम बिन नही साथी,,,,,

हुआ करतें थे हमसाया वही अब दूर बैठें है  !
बने किसी और की आंखों के अब वो नूर बैठें है !
जो कहते थे गंवारा एकपल तुबिन नही साथी ,
वफ़ा ठुकरा मेरी किसी और संग मगरूर बैठें है !!

रविवार, 11 अगस्त 2019

परिवारवाद,,,

आउट होता नही है यह सदा नाबाद रहता है !
आँधियाँ आये या तूफ़ा सदा आबाद रहता है !
देश के मूड से इसको नही कोई फर्क पड़ता है ,
सियासत में सदा परिवारवाद जिंदाबाद रहता है !!

उस रोज,,,

काश वादा निभा पाता मैं उस रोज !
हिम्मत थोड़ी सी दिखाता मैं उस रोज!
जमाना न कहता बेवफा कभी मुझे,
काश तुम्हें अपना बनाता मैं उस रोज !!

शनिवार, 10 अगस्त 2019

कभी भूलकर न रूठना मुझसे

मुझ डूबते तिनके का सहारा हो तुम !
मेरे जीवन कश्ती का किनारा हो तुम !
कभी भूलकर भी दूर न जाना मुझसे,
हर हाल में मुझे अब गंवारा हो तुम!

बहुत दिनों के बाद आज भारतमाता मुस्काई है,,,,

घोर अंधेरी रात है बीती सुबह सुनहरी आई है !
कश्मीर में तीन सौ सत्तर की पट गई देखो खाई है !
गंध छंटी है बारूदी जो जमी थी केसर क्यारी में,
बहुत दिनों के बाद पुनः भारत माता मुस्काई है !!

शुक्रवार, 9 अगस्त 2019

बहुत दिनों के बाद आज भारतमाता मुस्काई है,,,,

घोर अंधेरी रात है बीती सुबह सुनहरी
आई है !
कश्मीर से तीन सौ सत्तर की पट गई
देखो खाई है !
गंध छटी है बारूदी जो जमी थी केशर
घाटी में ,
बहुत दिनों के बाद आज भारत माता
मुस्काई है !!

बनी देश का अभिमान-सुषमा स्वराज जी को समर्पित

बनी देश का अभिमान

एक आवाज थी जग में पहचान जो ।
अलविदा कह चली देश की शान जो।
                                 
माँ बनकर कितनों की जिंदगी बचाकर
विश्वपटल पर बढाई स्वदेश का मान जो!!

राजदूत रही विश्व में भारत के संस्कृति की
अंतिम श्वास तक गाती रही राष्ट्र का गान जो!

दुर्गा तो कभी सरस्वती के दर्शन हुए उनमें
सौम्यता का देती रही आजीवन ज्ञान जो !

मातृ शक्ति का प्रतीक प्रेरणा रही सबकी
माँ भारती की बेटी बनी जनजन का अभिमान जो

स्वहित पर सदा देश को रखा किया ऊपर
कृतित्व से अपने बनी देश की आन जो!

-सुनिल शर्मा "नील"



मापनी : 212  212  212  212

काफ़िया : आन ।
रदीफ़ :  जो ।
  आन,कान,गान,दान,धान,भान,यान,ज्ञान

बुधवार, 7 अगस्त 2019

पूरा वतन रो दिया,,,,,

फूल जब डाली से जुदा हुआ तो चमन रो दिया !
अर्थी जब सजाई गई उसकी तो कफ़न रो दिया !
घर-घर से भारत के ऐसा नाता जोड़ गई वह बेटी ,
हुई जब उसकी विदाई तो पूरा वतन रो दिया !!

सोमवार, 5 अगस्त 2019

एक देश में दो विधान की,,,

विलय हो गयासच अर्थों में पुलकित सारी घाटी है !
एक देश में दो विधान की खत्म हुई परिपाटी है !
प्राण दिए है जिन बेटों ने लाने खातिर इस दिन को,
उन शहीद बेटों का करती धन्यवाद यह  माटी है !!

रविवार, 4 अगस्त 2019

बहुत हो चुका एक देश में दो विधान,दो संविधान

अभिन्न अंग है कश्मीर भारत का रूख इसपर कड़ा हो जाने दो !
लाल चौक पर लेकर तिरंगा देशभक्तों को खड़ा हो जाने दो !
बहुत सह चुके नियम एक देश में दो विधान और
दो संविधान का
चाहे जो हो अंजाम फैसला इसपर बड़ा हो जाने दो !!

शनिवार, 3 अगस्त 2019

वक्त से कोई बच न पाया

हौसला जब पीर को हमने बनाया।
फूल पत्थर में खिलाकर जग हँसाया।

शक्ति हो बाहों में तो दुनिया तुम्हारी
सूत्र हमको जिंदगी ने यह सिखाया !

शूल पर चलता रहा जो होकर अविचल
आसमां कदमों तले उसने झुकाया !

आफतों को गालियाँ दो इस तरह न
इसने ही हमको तपा कुंदन बनाया !

सत्य का करता रहा हूँ अनुसरण मैं
इसलिए खुदको सदा तन्हा ही पाया!

हँसने वालों चोंट पर औरों के सुनलो
"नील" कहता वक्त से कोई बच पाया !

  -सुनिल शर्मा"नील"
    7828927284

गजल-शूल पर चलता रहा,,,

1)हौसला जब पीर को हमने बनाया।
   फूल पत्थर में खिलाकर जग हँसाया।

2)शक्ति हो बाहों में तो दुनिया तुम्हारी
   सूत्र हमको जिंदगी ने यह सिखाया !

3)शूल पर चलता रहा जो होकर अविचल
   आसमां कदमों तले उसने झुकाया !

4)था भरोसा जिनपे हमको सबसे ज्यादा
   सबसे ज्यादा दिल उन्होंने ही दुखाया !

5)कौन अपना और पराया जिंदगी में
  मुफलिसी ने हमको आकर है बताया !

6)आफतों को गालियाँ दो इस तरह न
   इसने ही हमको तपा कुंदन बनाया !

7)सत्य का करता सदा जो अनुसरण है
   वह सदा रहता है तन्हा हमने पाया!

8)हँसने वालों चोंट पर औरों के सुनलो
   वक्त से कोई कहा भला बच हैं पाया !

शुक्रवार, 2 अगस्त 2019

हौसला जब पीर को-गजल

1)हौसला जब पीर को हमने बनाया।
   फूल पत्थर में खिलाकर जग हँसाया।

2)शक्ति हो बाहों में तो दुनिया तुम्हारी
   सूत्र हमको जिंदगी ने यह सिखाया !

3)कौन अपना और पराया जिंदगी में
   मुफलिसी ने हमको आकर है बताया !

4)आफतों को गालियाँ दो इस तरह न
  इसने ही हमको तपा कुंदन बनाया !

5)पथ के शूल पे चला होकर जो अविचल
   आसमा कदमों तले उसने झुकाया !

6)सत्य का करता सदा जो अनुसरण है
    वह सदा रहता अकेला हमने पाया!

7)सम रहा जो दुःख व सुख की स्थिति में
बस उसे ही जिंदगी हरक्षण है भाया !!

   

**********************
मापनी : 2122  2122  2122
काफ़िया : आया  ,
रदीफ़ : बिना रदीफ़ के
*******************************************

गुरुवार, 1 अगस्त 2019

उन्नाव रेप कांड

सत्ता हो या हो विपक्ष भेडियें तो भेड़िये है
बलात्कारी भेड़ियो से देश को बचाइए !

रक्षकों के चोलों में जो भक्षक छुपे हुए है
उन पापाचारियों को सबक सिखाइए !

बेटियाँ बचाने बिल लाइयेगा तीन तलाक
पहले मर रही बेटियों को तो बचाइए ,

कर रही गुहार बेटी उन्नाव की है आज
अपराधी उसके पहले सूली पे चढाईये !!





हरा भरा सावन भी पतझड़,,,,


*************************
पावस में जब सो जाते सब,मन मेरा यह जगता है !
दुनिया को देकर यह खुशियाँ, सिर्फ मुझे ही ठगता है!
बिन पानी ज्यों मीन तड़पती,मैं भी तरसूं पी के बिन,
'हरा-भरा सावन भी पतझर,क्यों विरहिन को लगता है ।।'
************************************************