सोमवार, 30 अक्तूबर 2017

लहर की ये रवानी जब

                          

लहर की ये रवानी जब,तटों से चोट खाएँगे
मिटेगी सारी ही गर्मी,हाथ से नोट जाएँगे
थकेंगे जब जमाने से,करेंगे याद घर को ही
ढलेगी शाम,शाखों पर,परिन्दे लौट आयेंगे।

सोमवार, 23 अक्तूबर 2017

किसने घर को बाँट दिया है,,,,

होते नही इकट्ठा भाई,पहले सा त्यौहारों में
ग्रहण लगाया जाने किसने,इन हँसते परिवारों में
कहने को तो संग है रहते,पर सारे एकाकी है
किसने घर को बाँट दिया है,अलग अलग दीवारों में।

बुधवार, 18 अक्तूबर 2017

चलो अब की दीवाली में

चलो अधरों पे हम अपने,यह पावन गीत सजाते है
गिरा नफरत की दीवारें,"प्यार की रीत" चलाते है
जलाकर नेह का दीपक,मिटाके मन के अंधियारे
चलो अब की दीवाली में,शत्रु को मीत बनाते है!


मंगलवार, 17 अक्तूबर 2017

किसी के घर अंधेरा है,,,,


किसी को है मयस्सर सब,किसी के भाग्य जाला है
जमाने में भला किसने,अजब ये रीत डाला है
अमीरी औ गरीबी की,भला क्यों है यहाँ खाई
किसी के घर अंधेरा है,किसी के घर उजाला है!

सोमवार, 16 अक्तूबर 2017

वो जिस थाली में,,,

दया के मामले में भी,मजहबी भेद करता है
कभी पंडित के आँसू पे,नही यह खेद करता है
जिन्हें खतरा कहा दुनिया ने,उनको भाई कहता है
वो जिस थाली में खाता है,उसी में छेद करता है!

जलाकर दीप देहरी पर


हुई गल्ती थी क्या मुझसे,समीक्षा कर रहा हूँ मैं
स्वयं के आचरण की अब,परीक्षा कर रहा हूँ मैं
ढल रहा सूर्य जीवन का,चले आओ न तड़पाओ
जलाकर दीप देहरी पर,प्रतीक्षा कर रहा हूँ मैं!

रविवार, 15 अक्तूबर 2017

कुंदन कर लिया

खुद को कुंदन कर लिया,,,,,,
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जिसने भी संकटों से,गठबंधन है कर लिया
जीवन उसने अपना,चंदन है कर लिया
भस्म हो गया वह,जो तपिश सह नही पाया
जिसने सहा इसे,खुद को कुंदन है कर लिया!
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सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ. ग.)
7828927284
9755554470

कुंदन

खुद को कुंदन कर लिया,,,,,,
***********************************
जिसने भी संकटों से,गठबंधन है कर लिया
जीवन उसने अपना,चंदन है कर लिया
भस्म हो गया वह,जो तपिश सह नही पाया
जिसने सहा उसने खुद को, कुंदन है कर लिया!
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सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ. ग.)
7828927284
9755554470

शनिवार, 14 अक्तूबर 2017

नदी कोई भी हो जाकर समंदर,,,,,


कली यह प्यार की दिल में,मुकद्दर से ही खिलती है
हमें एक सीख जीवन में,कलंदर से ये मिलती है
जो होता भाग्य में अपने,वो चलकर पास आता है
नदी कोई भी हो जाकर,समंदर से ही मिलती है!

मंगलवार, 10 अक्तूबर 2017

अंतर्मन में दीप


सबके अधरों पर मिलकर,आओ हम ये गीत सजाए
भेदभाव की पाटे खाई,प्रेमप्यार की रीत चलाए
इस दीवाली में प्रण ले ,छूटे न कोई भी कोना
अंतर्मन में दीप जला हम,दुश्मन को भी मीत बनाए!

मंगलवार, 3 अक्तूबर 2017

पाखंडियों पर चंद पंक्तियाँ,,,

पाखंडियों पर चंद पंक्तियाँ,,,,
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धरम सनातन की,इस गंगधार में जो
नालियों का अपवित्र,नीर घोलते है जी

भगवा बाना पहन,और कंठहार धर
खुद को यहाँ जो बाबा,पीर बोलते है जी

दास-दास बोलते जो,स्वयं भगवान बन 
"काम"के अधीन हो,अधीर डोलते है जी

ऐसे दुःशासनों के मुंड,काटके संहार करो
आस्था के नाम पर जो,चीर खोलते है जी!
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सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया
7828927284
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