रविवार, 29 सितंबर 2019

नील के सजल-2


  विधा - सजल
✍समांत - *आर*
✍पदांत - जगदम्बे
मात्राभार-

आए तेरे दर पे सवाली बेड़ापार करो जगदम्बे
बिन तेरे न कोई अपना सबका उद्धार करो जगदम्बे

आतंकी करतूतों से कितनी त्रस्त है देखोभारत भू
भारमुक्त करने इसे दुष्टों का संहार करो जगदम्बे

भूखों को भोजन मिल पाए और वंचित को सम्मान मिले
भेदभाव का नाश हो भू से वह संसार करो जगदम्बे

सुरभित हो खुशियों से हर घर और गिरे द्वेष की दीवारें
भ्रष्टाचारमुक्त देश बने वह चमत्कार करो जगदम्बे

केवल नौ दिन पूजी जाए क्यों जब नारी हैशक्तिरूपा
नारी हेतु सब नयनों में शुचिता संस्कार
भरो जगदम्बे

सारे चारागाह सिमट गए गौ भटक रही है
सड़को पर
हित में गौ माता की फिरसे पुनः अवतार धरो जगदम्बे

विश्वगुरु हम पुनः बनें ध्वज चहुदिशी अपना फिर लहराए
भारत के जनमन की यही विनती स्वीकार करो जगदम्बे!!

  

शनिवार, 28 सितंबर 2019

मैं तो दिनमान हूँ,,,,

ये अंधेरें मुझे रोक पाएँगे क्या !
कर्मपथ से मुझे ये डिगाएँगे क्या !
मैं तो दिनमान हूँ न रुकूँगा कभी,
बनके बादल मुझे ये छिपाएँगे क्या !!

शुक्रवार, 27 सितंबर 2019

परिस्थितियों के अनुकूल,,,,

बैरियों के लिए शूल बनना सीख लो !
अपनों के लिए फूल बनना सीख लो!
बड़ी कठिन होगी यह जीवन की डगर ,
परिस्थितियों के अनुकूल बनना सीख लो!

बुधवार, 25 सितंबर 2019

सोचकर ये वफ़ा,,,,

अश्रु छुप छुप सदा हम बहाते रहें !
चोंट खाकर सदा मुस्कुरातें रहें !
साथ छोडूंगा न ये था वादा मेरा ,
सोचकर ये वफ़ा हम निभातें रहें !!
                          

नील के सजल-1

भारत माँ की सेवा में जीवन अर्पित करना होगा
राष्ट्रवाद के सुप्तभाव को फिर जीवित करना होगा!

कार्य करें ऐसा जिससे भारत माँ का सम्मान बढ़ें
भगत-शिवा के आदर्शों को अंगीकृत करना होगा !

भेदभाव व जात,रंग के द्वेष न हो कोई जिसमें
ऐसी फूलों की वरमाला हमें सृजित करना होगा

प्रदूषण से विनष्ट हो रही सुन्दरता इस धरती की
इसके संरक्षण से भूमि को आल्हादित करना होगा!

ताप से पश्चिम की कोई न पौध बाग के मुरझाए
संस्कारों से "नील"हमें उसको सिंचित करना होगा!!

सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)

सोमवार, 23 सितंबर 2019

सच को सदा

राजदरबारों के कभी प्रशस्ति गान नही
लिखूंगा !
कलम से जयचंदों का सम्मान नही
लिखूंगा !
चाहे चुनवा दिया जाऊं सच को सदा
सच लिखूंगा मैं,
भूलकर भी अकबर को मैं महान नही
लिखूंगा!!

जो बाहर से सुखी

जो बाहर से सुखी,सम्पन्न व सम्भ्रान्त रहतें है !
वो अंदर से बड़े मायूस और एकांत रहतें है !
निकल जाती है उनकी जिंदगी कागज कमाने में ,
अंत में कोसतें खुद को व अक्सर शांत रहतें है !!

सोमवार, 16 सितंबर 2019

कुण्डलियाँ-नोकझोंक

नोकझोक है जिंदगी,का आवश्यक अंग
जीवन में भरता यही,है सतरंगी रंग
है सतरंगी रंग,इसे जो मन में लेता
करता खुद की हानि,खुद को कष्ट है देता
कहे नील कविराय,न तिल को ताड़ बनाओ
जीवन एक उत्सव,इसे तुम रोज मनाओ!!

कुंडलियाँ-नोकझोंक

नोंकझोंक है जिंदगी,का आवश्यक अंग
इससे जीवन चित्र में,है सतरंगी रंग
है सतरंगी रंग,इसे जो मन में लेता
करता खुद की हानि,खुद को कष्ट है देता
कहे नील कविराय,न तिल को ताड़ बनाओ
जीवन एक उत्सव,इसे तुम रोज मनाओ !!

शनिवार, 14 सितंबर 2019

बोकर बबूलों को नही कोई आम पाएगा,,,,

बिना मतलब किसी का दिल कभी जो भी दुखाएगा !
सदा जीवन में वह खुद भी यहाँ आँसू बहाएगा !
नियम कुदरत का है बाँटोगे जो वह लौट आता है,
कभी बोकर बबूलों को नही कोई आम पाएगा !!

ममत्व की है यह भाषा

हिंदी से पहचान है,हिंदी से सम्मान
हिंदी से संस्कार है,हिंदी पर अभिमान!
हिंदी पर अभिमान,ममत्व की है यह भाषा
अक्षर अक्षर है मंत्र,प्रेम की यह परिभाषा
कहे "नील"कविराय,करे न कोई दिखावा
आओ धरातल पर इसे मिल दें बढ़ावा !!

मंगलवार, 10 सितंबर 2019

गणराज काज आप ऐसा वर दीजिए,,,,

कलह व क्लेश परिवेश में न देश के हो
गणराज काज आप ऐसा कर दीजिए !

राष्ट्र के लिए जिए व राष्ट्र के लिए ही मरें
ऐसा सबमें पवित्र भाव भर दीजिए !

भूख से मरे न कोई ,बेटियाँ न डरें कोई
भारतभूमि से सारे दुःख हर लीजिए !

किसानों को स्वाभिमान,नारी को मिले सम्मान
ऐसा हो स्वदेश मेरा ऐसा वर दीजिये !!

कवि सुनिल शर्मा"नील"
8839740208




शनिवार, 7 सितंबर 2019

परिश्रम जो किया इसरो ने एकदिन रंग लाएगा,,,,

हमें विश्वास है यह तप कभी न व्यर्थ जाएगा !
परिश्रम जो किया इसरो ने एकदिन रंग लाएगा!
अरे ये चंद्र क्या सूरज भी एकदिन नाप लेंगे हम,
हमारी जीत पर यह विश्व तब ताली बजाएगा !!

शुक्रवार, 6 सितंबर 2019

जहाँ गुरु देशहित बलिदान देतें है,,,

शौर्य से भरी हुई है भारत की पुण्यभूमि
जहाँ गुरु देशहित बलिदान देतें है !

कभी गुरु गोविंद सा पुत्रों की आहुति देतें
और कभी बंदा जैसा देहदान देतें है !

कभी रामदास और कभी वे चाणक्य बन शिवा,चंद्रगुप्त जैसे बलवान देते है !

भारती का देश यह भारत कहाता क्योंकि
लाखो गुरु मिल इसे स्वाभिमान देतें है !!

केशव बन जातें हैं,,,,

रज जिनके चंदन है
ऐसे चरणों में
मेरा शत शत वंदन है!!

गुरुदेव कहातें हैं
नैया जब भी फंसे
वही पार लगाते है!!

इतिहास बनाते है
नन्ही चिड़िया को
वें बाज बनाते है !!

सद्मार्ग दिखाते है
भटके राही को
वही लक्ष्य बताते है!

केशव बन जातें है
सत्य की रक्षा को
वे लीला रचातें है !!

गुरुवार, 5 सितंबर 2019

मुक्तक-गुरु वो है जो श्यापपट्ट से सूरज उगाया करते है

कभी शिवा,कभी अर्जुन,कभी चंद्रगुप्त बनाया करते है !
हमारी छिपी शक्तियों से हमें अवगत कराया करते है!
सिर्फ मनुष्य न जानों देवों से भी कद ऊँचा है इनका ,
गुरु वो है जो श्यामपट्ट से सूरज उगाया करते है !!

बुधवार, 4 सितंबर 2019

जयचंदों का उपचार करो

जो भारत में रहकर हरदम गीत पड़ोसी
गातें हो !
सेना को गाली देते पर अन्न हमारा
खाते हो !

भारत तेरे टुकड़े होंगे नारे जिनको
भाते है !
देशद्रोहियों के संग अक्सर खड़े नजर
जो आते है !

काश्मीर की शांत फिजा भी जिनको
यहाँ अखरता है !
जिनके दम पर बुजदिल पाकिस्तान
सदा दम भरता है !

दुश्मन की औकात ही क्या है उस पर
बाद में वार करो
पहले चुन-चुनकर ऐसे जयचंदों का 
उपचार करो !!

मुक्तक-हिंदुस्तान नही बेंचा करते,,,

भूखे रहकर भी हरगिज ईमान नही बेचा करते !
भारत के वासी अपना सम्मान नही बेंचा करते!
आदर्शों की खातिर भूखे ही सूली चढ़ जाते है,
किंतु कभी वो अपना हिंदुस्तान नही बेंचा करते !!

सोमवार, 2 सितंबर 2019

रविवार, 1 सितंबर 2019

इन दिनों

फूल भी अब "खार" में बदलने लगा है इन दिनों !
"प्यार" भी अब व्यापार लगने लगा है इन दिनों !
नकली मुस्कान,नकली खुशी,नकली अपनापन,
सिर्फ दिखावे का चलन चलने लगा है इन दिनों !!

कवि सुनिल शर्मा"नील"
7828927284
 

सपनों का महल बिखर गया,,,,

वादा करके कोई अपना मुकर गया आज फिर !
इन आंखों को समंदर वो कर गया आज फिर !
मिन्नतें लाख की हमने उनसे मुहब्बत की खातिर ,
अफ़सोस सपनों का महल बिखर गया आज
फिर !!