सोमवार, 28 सितंबर 2020

कृपाण घनाक्षरी-भगतसिंह

बेड़ियाँ को दासता की,भारती की देख-देख
रातों को न कई बार,सोतें थे भगतसिंह

देख के फिरंगियों के,आतताई कदमों को
ज्वालामुखी जैसे तप्त,होते थे भगतसिंह

प्रेयसी के लिए नही,सदा मातृभूमि हेतु
मन ही मन अक्सर,रोतें थे भगत सिंह

भाया नही खेल कोई,बचपन में भी उन्हें
खेतों में बंदूक -गोलें,बोंतें थे भगतसिंह!!

कवि सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
8839740208
सर्वाधिकार सुरक्षित



शुक्रवार, 25 सितंबर 2020

तुम ही तो आधार बनी हो,,,,

तूफानों में मुझे सम्हाला तुम ही तो
पतवार बनी हो
विमुख हुआ जग जब जब मुझसे तुम 
ही तो आधार बनी हो

कहने को कितने ही जन है जिनसे
जीवन यह जीवन है
गिनती के है जिनसे मिलकर अनुभूति
होती पावन है
अंतःपुर के गोकुल को जब दुःख का इंद्र
जब लगे डूबाने
प्रेम गोवर्धन लेकर तब-तब तुम ही 
तारणहार बनी हो
विमुख हुआ जग जब-जब मुझसे तुम ही तो आधार बनी हो

घोर अंधेरों में मैं जब-जब लगा भटकने पथ दिखलाया
प्रेम,शांति,सहयोग,स्वास्थ्य और धैर्य का तुमने अर्थ बताया
क्रोध से बनते काम बिगड़ते तुमने ही तो कहा है मुझसे
संकट के अरिदल जब आए सदा मेरी तलवार बनी हो
विमुख हुआ जग जब-जब मुझसे तुम ही तो आधार बनी हो

मनमंदिर के सूनेपन में तुमने आकर ज्योत जलाया
जाने क्या देखा,क्या पाया जो मुझ पागल को अपनाया
मुझ पाहन की प्राणप्रतिष्ठा तुमने प्रेम के मंत्रों से की
एक नयापन गढ़कर मुझमें तुमही  सिरजनहार बनी हो
विमुख हुआ जग जब-जब मुझसे तुम ही तो आधार बनी हो !!





गुरुवार, 10 सितंबर 2020

कुंडलियां-तपता जो संसार में

तपता जो संसार में,संघर्षों से जीत 
जीवन में भरपूर वह,यश पाता है मीत
यश पाता है मीत,सदा ही पूजा जाता
तपकर भुट्टा ताप,उचित कीमत दे पाता
दिनकर से लो पूछ,यहाँ कितना है खपता
करता जगत प्रणाम,उसे जब दिनभर तपता!!

 सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
8839740208

शब्द संपदा-पट,कपट,लपट


पट
*****
दरबारी विस्मित हुए,पट का हुआ न अंत
द्रुपदसुता के मान हित,प्रकट हुए भगवंत!!

कपट
*****
सम्बन्धों में कपट का,करतें जो व्यवहार
जीवन में उनको कभी,सुलभ न होता प्यार!!

लपट 
*****
देशभक्ति का इसतरह,गजब निभाया रस्म
कितनी पद्मिनियाँ हुई ,लपट बीच में भस्म!!

सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)

दोहा-प्रातकाल की हवा

प्रातकाल की वायु को,लेते जो भरपूर
उनसे सारे रोग है,रहतें कोसो दूर!!

शब्द सम्पदा-दोहे चक्षु, प्रशिक्षु,मुमुक्षु

"चक्षु"
चक्षु देख पहचान लें,नारी हर इंसान!
ईश्वर ने उनकों दिया,यह अद्भुत वरदान!!


"प्रशिक्षु"
बन जाता उस्ताद वह,होता उसका नाम
दिनभर जो जीतोड़कर ,करे प्रशिक्षु काम!

"मुमुक्षु"
वही मुमुक्षु मोक्ष का,पाता जग में ज्ञान
जिसको अपने स्वयं का,हो जाता संज्ञान!!

कवि सुनिल शर्मा"नील"
7828927284
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)





बुधवार, 9 सितंबर 2020

शब्द सम्पदा-व्यथा,कथा,प्रथा

"व्यथा"
कभी किसी के व्यथा का,करना मत 
उपहास
जो बाँटोगे एकदिन,वापस आये 
पास !!

"कथा"
कथा राम की जो सुनें,बनते उनके काम
दो अक्षर के नाम में,निहीत सब सुखधाम!

"प्रथा"
देशप्रेम की वह प्रथा,जबसे हुई विलुप्त
गद्दारों के बढ़ गए,तबसे हमलें गुप्त!!

कवि सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया(छत्तीसगढ़)
7828927284
Copyright


शब्द सम्पदा-यान, ध्यान,म्यान

"यान"
दुनियाभर में बढ़ गया,भारत का सम्मान
जब मंगल के पृष्ठ पर,पहुचा मंगल यान

"ध्यान"
करतें है वें क्रोध कम,जो नित करतें ध्यान
कहतें सारे शोध यह,कहतें है विद्वान !

"म्यान"
गुण की पूजा ही सदा,होती है लो जान
शमशीरों को छोड़कर,नही पूजते म्यान!!

कवि सुनिल शर्मा "नील"
थान खम्हरिया

सोमवार, 7 सितंबर 2020

घनाक्षरी-रिया

रिया रिया रिया रिया, रिया रिया रिया रिया
जिसे देखो बस यही ,बात कर रिया है!

कोई कहता है वह,हत्यारी सुशांत की है
इसने नागिन बन ,उसे डस लिया है!

कहती है रिया पर,मैं हूँ प्रेयसी आदर्श
मैंने खून नही दर्द,उसका ही पीया है!

कहता हूँ सबसे मैं,अटकलें बन्द करो
आएगा पकड़ कृत्य जिसने ये किया है!!

सुनिल शर्मा"नील"

रविवार, 6 सितंबर 2020

सिंहावलोकन -कोरोना

समय विकट आया बादल दुःखों का छाया
चहुँओर दिख रहे, मौत के निशान है!

मौत के निशान है जी, पथ हुए सुनसान
कोरोना के चोंट से हुए लहूलुहान है!

हुए लहूलुहान है, दिखे न कोई उपाय
इस महामारी का न कोई समाधान है!

कोई समाधान है जी मानव ने मानी हार
अब एकमात्र आस आप भगवान है!!

शनिवार, 5 सितंबर 2020