शनिवार, 11 दिसंबर 2021

चमकता इक सितारा

चमकता इक सितारा टूटकर फिर खो गया देखो |
समय यह घाव कैसा फिर दिलों में बों गया देखो |
भरोसा चैन से सोने की जो देता रहा हमको,
तिरंगा ओढ़कर वह नींद गहरी सो गया देखो ||

बुधवार, 1 दिसंबर 2021

मेहनत कर (रूपमाला छंद)

रूपमाला छंद 
प्रयास- दूसरैया
विषय- मेहनत कर
सुधार के बाद


शोर होही तोर जग मा, धीर मन मा राख |
मेहनत कर तैं कलेचुप, बाढ़ही तब साख ||
*रोक पाये हे भला कब*, कोन प्रतिभा यार |
काट देथे डोंगरी ला, जब *गिरत* जलधार ||

कवि सुनिल शर्मा "नील"