शुक्रवार, 25 दिसंबर 2020

जगत को जो करे कल्याण(विधाता-गीता जी )

सकल पृथ्वी करे पावन सुखद ऐसी पुनीता है |
करें संदेश से जो तृप्त ऐसी एक सरिता है |
नही है प्रश्न कोई हल नही जिसका निहित इसमें,
जगत का जो करें कल्याण ऐसा ग्रंथ गीता है ||

अटल बिहारी अटल रहे


अमेरिकी प्रतिबंधों के आगे जो बिल्कुल
अचल रहे |
लगा नही कोई दाग जिन्हें व्यक्तित्व से बिल्कुल विमल रहे |
कविकुल भूषण,हिंदी पुत्र, व्यवहार से जो प्रतिमान रहें ,
कई बार थी मौत भी हारी अटल बिहारी अटल रहें ||

मंगलवार, 22 दिसंबर 2020

मुक्तक-विधाता( क्रमांक 1)

कभी प्रेमी जनों के मध्य में बिष घोलना मत तुम |
बिना समझे किसी को राज अपने खोलना मत तुम |
इसी से शांति होती है इसी से युद्ध होता है,
बिना तोलें कभी भी शब्द अपनें बोलना मत तुम ||

गुरुवार, 17 दिसंबर 2020

अकड़ वाले तरु तूफान(मुक्तक़ विधाता)

बिना मूरत बनें पत्थर नही कीमत में बिकते है !
सदा जो दें बड़ों को मान वें  इतिहास लिखतें है! 
नवाकर तृण सदा सिर को बचें रहतें है विप्लव में,
अकड़ वाले तरु तूफान के आगे न टिकते है !

बुधवार, 16 दिसंबर 2020

मुक्तक-किसान(विधाता छंद)


सड़क पर देश के निकले हुए हैं देश के हलधर |
शरद में भी डटें हैं वो सड़क को ही बनाकर घर  |
कुपित है वें नए कानून से आता समझ है पर,
खिलाफत में वहाँ पर तख्तियाँ है देश के क्योंकर ||

मंगलवार, 8 दिसंबर 2020

विधाता छंद -1(किसान)

कलम जो हाथ ना पकड़ा सको शमशीर तो मत दो |
हँसा सकते नही हमको अगर तुम नीरतो मत दो |
नही करना किसानों की मदद तो गालियाँ ना दो,
दवा जब दे नहीं सकते हमें तुम पीर तो मत दो  ||

गुरुवार, 3 दिसंबर 2020

समय-छंद पादाकुलक

आज का छंद
पद पादाकुलक
विधान-१६ मात्राएं,४ चरण
सादर समीक्षार्थ
***************
बीते ना नाहक समय कभी
जो करना है कर आज अभी
निश्चित जीवन की रेखा है
कल बोलो किसने देखा है
*************
सुनिल शर्मा

शनिवार, 14 नवंबर 2020

दोहा-२३,,,,

दोहा -२३
●●●●●●●●●●
सदा रहय दियना असन,जगमग जिनगी तोर |
इही हवय शुभकामना,देवारी मा 
मोर ||
●●●●●●●●●●
सुनिल शर्मा "नील"

हमें दे दी दिवाली खून से जो खेलकर होली-मुक्तक(विधाता छंद)


लगाया भारती के भाल पर है रक्त की रोली|
किया सीमा सुरक्षित वक्ष पर खातें रहें गोली |
जलाना एक दीपक नाम से ना भूलना उनके,
हमें दे दी दिवाली खून से जो खेलकर होली ||

गुरुवार, 12 नवंबर 2020

कुंडलियाँ-कार्य से पहले सोंचो

कार्य से पहले सोंचों-कुंडलियाँ


सोंचों पहले तब करो,जग में कोई काम
हो जाओगे मीत रे,वरना तुम बदनाम
वरना तुम बदनाम,नही कुछ तुम पाओगे
खोदोगे सर्वस्व, बाद में पछताओगे
कहे नील कविराय,बाद मत खम्भा नोचों
क्या ,क्यों और कैसे,कार्य से पहले सोंचों ||

दिवस शरद के आ गए-कुंडलियां

धरती फिर सजने लगी,पल-पल बदले रूप
दिवस शरद के आ गए,भाए सबको धूप
भाए सबको धूप, लताएँ है इठलाती
मंद-मंद मुस्कान, कुसुम हर्षित शरमाती
कंपित रजनी-भोर,हवाएँ ठंडी करती
स्वर्णिम बूँदें ओस,सजाने आती धरती||

शब्द सम्पदा-अन्न,सन्न,आसन्न

शब्द सम्पदा

अन्न
===
जितना खाना अन्न है,लो उतना ही आप |
आधा खाकर छोड़ना,समझा जाता पाप ||

सन्न
==
बेटा मारे बाप को,सुनकर लगता सन्न
संस्कारों से हो रहा,कितना मनुज विपन्न

आसन्न
==
जीवन में संकट कभी,जब-जब था आसन्न|
मुझमें आकर कर गया,अनुभव इक उत्पन्न||

सुनिल शर्मा

बुधवार, 11 नवंबर 2020

करो ना तानाशाही

तानाशाही को मिला,तगड़ा एक जवाब
करने चुकता आ गया,अर्णव सभी हिसाब
अर्णव सभी हिसाब,कोर्ट ने है फरमाया
कहो भला सरकार,क्यों सुनना सच न भाया
कहे नील कविराय,आपको यही मनाही
करिए आप विकास,करो ना तानाशाही||

सुनिल शर्मा नील




मंगलवार, 10 नवंबर 2020

लक्ष्मण जनक जी संवाद(स्वयंवर)

मूली कदली के जैसे हाल करूँ सृष्टि का मैं
पर्वतों में गुरु ये सुमेरु फोड़ डालूँ मैं |

सूर्य और चन्द्र तारे जिनके अधीन सारे
करें वे इशारे तो इन्हें निचोड़ डालूँ मैं|

मही कह वीरहीन,नृप करें न तौहीन 
राम जी आदेश दें पवन मोड़ डालूँ मैं

छत्रक के दंड जैसे,करूँ मैं कोदण्ड खंड
कच्चे घट जैसा ये,ब्रम्हांड तोड़ डालूं मैं |

सुनिल शर्मा"नील"

सोमवार, 9 नवंबर 2020

दोहा १८

दोहा क्रमांक-१८
●●●●●●●●●●●
बाधा आए ले घलो,रूकव कभू झन बीच |
फूलव जइसे खोखमा,फूलय सहिके कीच||
●●●●●●●●●●●
सुनिल शर्मा

दोहा 15

दोहा-१५
●●●●●●●●●●●●●
चौंरा हवय सियान बिन,बर के नइहे छाँव|
कहाँ गँवागे खोजथव,अइसन सुग्घर गाँव||
●●●●●●●●●●●●●●
सुनिल शर्मा

दोहा 14 जीवजंतु ला मारके

दोहा क्रमांक- १४
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
जीवजंतु ला मारके, झनकर अतियाचार |
खाये बर तोर हे बने, जग मा जिनिस हजार||
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
सुनिल शर्मा

दोहा -१६ बनके आगी

दोहा क्रमांक-१६
■■■■■■■■■■■
बनके आगी तुम बरव,ऊखर मनबर आज|
लूटत हावय जेनमन,बेटी मनके लाज||
■■■■■■■■■■■■
सुनिल शर्मा "नील"

दोहा -१७

दोहा क्रमांक-१७
■■■■■■■■■■■
ठेला पेलत बापहे,दू पइसा बर रोज |
बेटा इंटरनेट बर,मारत हावय पोज ||
■■■■■■■■■■■■
सुनिल शर्मा "नील"

रविवार, 8 नवंबर 2020

महावर देख सके पाँव के,,,

महावर देख उसके पाँव को दिनकर लजा जाए।
जरा वह मुस्कुरा दे तो धवल चंदा भी शरमाए
मयूरा मन थिरक जाए कभी जब केश खोले तो
दृगों से बाण जिसको मार दे हरगिज न बच पाए।

शुक्रवार, 6 नवंबर 2020

दोहा 13


************************
आलू बादर छुवत हे,रोवावत हे प्याज |
कइसे जीयन गरीबमन,सोंचत हावय आज||
*************************
सुनिल शर्मा

गुरुवार, 5 नवंबर 2020

कुंडलियां-शरद

पाँव पसारा है शरद,सूर्य ताप है मंद
नही सुहाया धूप जो,देता अब आनंद
देता अब आनंद,है निकले साल-रजाई
त्वचा हुई है शुष्क ,नहाना मुश्किल भाई
करें नित्य व्यायाम,शहर के हो या गाँव
 रखिये अपना ख्याल,शरद ने रखा है पाँव ||

 


दोहा
●●●●●●●●●●
लिखके चिटकुन जेनहा,फुग्गा फूले जाय|
पावय नही अगास ला,माथा धर पछताय||
●●●●●●●●●●●
सुनिल शर्मा नील

मंगलवार, 27 अक्तूबर 2020

तुझे मैं जान से बढ़कर स्वयं से,,,

नही जब बात हो पाती कभी तुमसे मैं डरता हूँ !
तुझे मैं खो न दूँ यह सोंचकर सावन सा झरता हूँ !
मुझे जीना सिखाकर हाथ मेरा छोड़ 
ना देना,
तुझे मैं जान से बढ़कर स्वयं से प्यार
करता हूँ !! 

शनिवार, 24 अक्तूबर 2020

तब राम ,राम से श्रीराम बन पाता है,,,,

दुःख को भी सुख जैसे करें आप शिरोधार्य
आया है जो एकदिन लौटकर जाता है!

पावस में सूर्य भी तो छुप जाता बादलों में 
किन्तु उन्हें चीरकर बाद मुस्काता है!

अंधियारा लिखता उजाले की है पटकथा
चक्र यह दिनरात का हमें बताता है !

सहकें सहस्त्र कष्ट वन के न खोते धैर्य
तब राम,राम से "श्रीराम" बन पाता है !! 

गुरुवार, 15 अक्तूबर 2020

गंगाजल होती नारियाँ


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जिन विपदाओं से पुरुष भी है हार जातें         
उन कठिनाइयों का हल होती नारियाँ!

नारियाँ दया व प्रेम,ममता की होती खान
सृष्टि का आज और कल होती नारियाँ!

नारियाँ ही जन्म देती भगत-शेखर-शिवा
राष्ट्रों का सदा आत्मबल होती नारियाँ!

जिस घर भी ये जन्म लेती वो पवित्र होता
तार देने वाली गंगाजल होती नारियाँ!!

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सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
8839740208
सर्वाधिकार सुरक्षित

सोमवार, 12 अक्तूबर 2020

एकमामले में मौन

एक मामलें में मौन,दूसरे में बोलतें है
रोतें है वहाँ पे जहाँ दिखे इन्हें वोंट है!

दर्द हाथरस वाला दिखता इन्हें परंतु
करौली के न दिख रहें कोई इन्हें चोंट है!

दोहरेपन वाली जाने कैसी ये सियासत है
जिसमें स्वार्थ का ये कर रहें विस्फोट है!

आप न बताये पर देश ये समझता है
आपके चरित्र में नेताजी बड़ा खोट है!!

सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)

शनिवार, 10 अक्तूबर 2020

बजरंग बली का चरित्र,,,,,

करना प्रसन्न आप चाहतें है राम जी को
मातपिता के चरण धाम मान लीजिए!

चाहतें पहुंचना जो  बैकुंठ के द्वार तक
भक्ति और प्रेमवाला ,आप यान लीजिए!

जानने से पहले चरित्र राम जी का मित्र
बजरंगबली का चरित्र जान लीजिए!

राम जी मिलेंगे तुम्हे इतना सुनिश्चित है
पहले हनुमान जैसा होना ठान लीजिए!!

कवि सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया(छत्तीसगढ़)
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सर्वाधिकार सुरक्षित

शनिवार, 3 अक्तूबर 2020

लाल लाल कर आँखें,,,,,

लाल-लाल कर आंखें,कहा हनुमान जी ने
आज इस जलधि को,पल में सूखा दूं मैं!

पीकर समूचा जल,पथ को बना दूं और
सेना को श्रीराम जी के,पार पहुंचा दूं मैं!

सेना भी जरूरी नही,राम जी करें आदेश
स्वयं के ही दम पर,लंका को उड़ा दूं मैं!

किंतु मेरे राम जी का,रोक देता प्रण मुझे
नही तो रावण मार,सीता माँ को ला दूं मैं!!

सोमवार, 28 सितंबर 2020

कृपाण घनाक्षरी-भगतसिंह

बेड़ियाँ को दासता की,भारती की देख-देख
रातों को न कई बार,सोतें थे भगतसिंह

देख के फिरंगियों के,आतताई कदमों को
ज्वालामुखी जैसे तप्त,होते थे भगतसिंह

प्रेयसी के लिए नही,सदा मातृभूमि हेतु
मन ही मन अक्सर,रोतें थे भगत सिंह

भाया नही खेल कोई,बचपन में भी उन्हें
खेतों में बंदूक -गोलें,बोंतें थे भगतसिंह!!

कवि सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
8839740208
सर्वाधिकार सुरक्षित



शुक्रवार, 25 सितंबर 2020

तुम ही तो आधार बनी हो,,,,

तूफानों में मुझे सम्हाला तुम ही तो
पतवार बनी हो
विमुख हुआ जग जब जब मुझसे तुम 
ही तो आधार बनी हो

कहने को कितने ही जन है जिनसे
जीवन यह जीवन है
गिनती के है जिनसे मिलकर अनुभूति
होती पावन है
अंतःपुर के गोकुल को जब दुःख का इंद्र
जब लगे डूबाने
प्रेम गोवर्धन लेकर तब-तब तुम ही 
तारणहार बनी हो
विमुख हुआ जग जब-जब मुझसे तुम ही तो आधार बनी हो

घोर अंधेरों में मैं जब-जब लगा भटकने पथ दिखलाया
प्रेम,शांति,सहयोग,स्वास्थ्य और धैर्य का तुमने अर्थ बताया
क्रोध से बनते काम बिगड़ते तुमने ही तो कहा है मुझसे
संकट के अरिदल जब आए सदा मेरी तलवार बनी हो
विमुख हुआ जग जब-जब मुझसे तुम ही तो आधार बनी हो

मनमंदिर के सूनेपन में तुमने आकर ज्योत जलाया
जाने क्या देखा,क्या पाया जो मुझ पागल को अपनाया
मुझ पाहन की प्राणप्रतिष्ठा तुमने प्रेम के मंत्रों से की
एक नयापन गढ़कर मुझमें तुमही  सिरजनहार बनी हो
विमुख हुआ जग जब-जब मुझसे तुम ही तो आधार बनी हो !!





गुरुवार, 10 सितंबर 2020

कुंडलियां-तपता जो संसार में

तपता जो संसार में,संघर्षों से जीत 
जीवन में भरपूर वह,यश पाता है मीत
यश पाता है मीत,सदा ही पूजा जाता
तपकर भुट्टा ताप,उचित कीमत दे पाता
दिनकर से लो पूछ,यहाँ कितना है खपता
करता जगत प्रणाम,उसे जब दिनभर तपता!!

 सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
8839740208

शब्द संपदा-पट,कपट,लपट


पट
*****
दरबारी विस्मित हुए,पट का हुआ न अंत
द्रुपदसुता के मान हित,प्रकट हुए भगवंत!!

कपट
*****
सम्बन्धों में कपट का,करतें जो व्यवहार
जीवन में उनको कभी,सुलभ न होता प्यार!!

लपट 
*****
देशभक्ति का इसतरह,गजब निभाया रस्म
कितनी पद्मिनियाँ हुई ,लपट बीच में भस्म!!

सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)

दोहा-प्रातकाल की हवा

प्रातकाल की वायु को,लेते जो भरपूर
उनसे सारे रोग है,रहतें कोसो दूर!!

शब्द सम्पदा-दोहे चक्षु, प्रशिक्षु,मुमुक्षु

"चक्षु"
चक्षु देख पहचान लें,नारी हर इंसान!
ईश्वर ने उनकों दिया,यह अद्भुत वरदान!!


"प्रशिक्षु"
बन जाता उस्ताद वह,होता उसका नाम
दिनभर जो जीतोड़कर ,करे प्रशिक्षु काम!

"मुमुक्षु"
वही मुमुक्षु मोक्ष का,पाता जग में ज्ञान
जिसको अपने स्वयं का,हो जाता संज्ञान!!

कवि सुनिल शर्मा"नील"
7828927284
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)





बुधवार, 9 सितंबर 2020

शब्द सम्पदा-व्यथा,कथा,प्रथा

"व्यथा"
कभी किसी के व्यथा का,करना मत 
उपहास
जो बाँटोगे एकदिन,वापस आये 
पास !!

"कथा"
कथा राम की जो सुनें,बनते उनके काम
दो अक्षर के नाम में,निहीत सब सुखधाम!

"प्रथा"
देशप्रेम की वह प्रथा,जबसे हुई विलुप्त
गद्दारों के बढ़ गए,तबसे हमलें गुप्त!!

कवि सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया(छत्तीसगढ़)
7828927284
Copyright


शब्द सम्पदा-यान, ध्यान,म्यान

"यान"
दुनियाभर में बढ़ गया,भारत का सम्मान
जब मंगल के पृष्ठ पर,पहुचा मंगल यान

"ध्यान"
करतें है वें क्रोध कम,जो नित करतें ध्यान
कहतें सारे शोध यह,कहतें है विद्वान !

"म्यान"
गुण की पूजा ही सदा,होती है लो जान
शमशीरों को छोड़कर,नही पूजते म्यान!!

कवि सुनिल शर्मा "नील"
थान खम्हरिया

सोमवार, 7 सितंबर 2020

घनाक्षरी-रिया

रिया रिया रिया रिया, रिया रिया रिया रिया
जिसे देखो बस यही ,बात कर रिया है!

कोई कहता है वह,हत्यारी सुशांत की है
इसने नागिन बन ,उसे डस लिया है!

कहती है रिया पर,मैं हूँ प्रेयसी आदर्श
मैंने खून नही दर्द,उसका ही पीया है!

कहता हूँ सबसे मैं,अटकलें बन्द करो
आएगा पकड़ कृत्य जिसने ये किया है!!

सुनिल शर्मा"नील"

रविवार, 6 सितंबर 2020

सिंहावलोकन -कोरोना

समय विकट आया बादल दुःखों का छाया
चहुँओर दिख रहे, मौत के निशान है!

मौत के निशान है जी, पथ हुए सुनसान
कोरोना के चोंट से हुए लहूलुहान है!

हुए लहूलुहान है, दिखे न कोई उपाय
इस महामारी का न कोई समाधान है!

कोई समाधान है जी मानव ने मानी हार
अब एकमात्र आस आप भगवान है!!

शनिवार, 5 सितंबर 2020

शनिवार, 29 अगस्त 2020

मज़्ज़ा

अस्थिमज्जा अरु रूधिर, होंगे सभी निरोग
प्रतिदिन प्रातः काल मे,अगर करेंगे योग

बुधवार, 26 अगस्त 2020

बुद्ध दिया है-छंद

आवाजें आएंगी उनके घर में केवल 
क्रंदन की  !
कंकड़ भी ना लेने देंगे हम इस धरती
पावन की!
बुद्ध दिया है युद्ध पड़ोसी चाहे तो दे 
देंगे हम,
सेना को राफेल मिला है खैर नही अब दुश्मन की !

कवि सुनिल शर्मा "नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)

मंगलवार, 25 अगस्त 2020

शिखर पर भी,-मुक्तक

हवाओं के इशारे पर कभी मचला नही 
करतें !
चलें लाखो डगर लेकिन कभी फिसला नही 
करतें !
जमाने में बहुत कम लोग होतें है यहाँ 
पर जो,
शिखर पर भी पहुँचकर जो कभी बदला
नही करतें !!

(उक्ट 4 पंक्तियाँ समर्पित है ऐसे ही व्यक्तित्व के धनी व राष्ट्रीय साहित्य  मंच के वटवृक्ष, संरक्षक दद्दू दिनेश जी Dinesh Raghuvanshi जी को उनके जन्मदिन पर दीर्घायु हो,चिरंजीवी हो आप दद्दू,)
कवि सुनिल शर्मा "नील"
प्रदेश महामंत्री
राष्ट्रीय साहित्य मंच(छत्तीसगढ़)

दोहा-बातचीत

रूठों अपनों से मगर, बंद न हो संवाद
बातचीत से ही मिले, सम्बन्धों को खाद!!

कुंडलियाँ-जिन पर उसे घमंड था

जिन पर उसे घमंड था,कोई दिए न साथ
आज दुःखी है सोंचकर,रख माथे पर हाथ
रख माथे पर हाथ,मुसीबत ने सिखलाया
उसका अपना कौन,और है कौन पराया
कहे नील कविराय,पड़े बिस्तर जब पापा
असली सच्चाई,है क्या उसने ये भाँपा!!

कवि सुनिल शर्मा नील
थान खम्हरिया


न्यायालय में राम के,,,



पापों का घट एकदिन,जाता ही है फूट
न्यायालय में राम के,नही पाप की छूट!!


सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया(छत्तीसगढ़)

रविवार, 23 अगस्त 2020

शनिवार, 22 अगस्त 2020

कोरोना

विपत पड़ी भारी प्रभो,जग में मची पुकार
कोरोना के दैत्य का,करिए अब संहार!!

कवि सुनिल शर्मा नील

शुक्रवार, 21 अगस्त 2020

दोहा-ईश्वर का न्याय

सृजन सरोवर
22/08/2020

काटें बोकर कोई न,पाता यहाँ रसाल
क्यों ईश्वर के न्याय पर,करता मनुज सवाल!!

कवि सुनिल नील
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)

पति पत्नि-कुंडलियां

गाड़ी जीवन की तभी,चलती है निर्बाध
पति-पत्नी के मध्य में,जब हो प्रेम अगाध
जब हो प्रेम अगाध,परस्पर समझ हो गहरी
फिर कैसी चिंता,देहाती हो या शहरी
रिश्तें मांगें विश्वास,नही पैसे और साड़ी
बात रखो जो ध्यान,चलेगी शान से गाड़ी!!

 

कुंडलियां-चक्की

चक्की है जीवन अगर,पति-पत्नी है हाथ
चलती यह चक्की तभी,जब हों दोनो साथ
जब हो दोनों साथ,पीसेगा बारिक आटा
सहेंगे सुख दुख को,लाभ हो चाहे घाटा
कहे नील कविराय,बात मैं कहता पक्की
रखें परस्पर प्रेम,चलेगी बरसों चक्की!!

सुनिल शर्मा नील
थान खम्हरिया

गुरुवार, 20 अगस्त 2020

संगत में,,,,दोहा

संगत में जी आपके,लागा ऐसा रोग
दोहा सृजन बिना किए,स्वाद न  आए भोग

दोहा

21/08/2020,,,
सृजन सरोवर

जप पूजा करतें मगर,नही बड़ों का मान
ऐसे पूजा जाप का,अर्थ नही श्रीमान !!

कवि सुनिल नील
बेमेतरा(छत्तीसगढ़)

सोमवार, 10 अगस्त 2020

हर माइक वाले को

गली के गुंडे को सरकार मत समझना !
साहिल को भूलके मझधार मत समझना !
माइक होते है दलालों के भी हाथों में,
हर माइकवाले को पत्रकार मत समझना!!

बौने


सिंह समझ बैठा मृगछौने निकले तुम !
चाबी से चलने वाले खिलौने निकले तुम !
हमारे कत्ल को तुम खंजर छुपाए रहे 
बड़ा समझा तुम्हे किरदार से बौने निकले तुम!!

रविवार, 9 अगस्त 2020

सीमाएं है घाव

मानवता के वक्ष पर,सीमाएं है घाव
यहाँ युद्ध के खेल के,खेले जाते दाव
खेले जाते दाव, लाभ किसको है होता
खोते दोनो पक्ष,सदा दुःख ही यह बोता
खींचो नही लकीर,मनुज करके दानवता
स्वजनों को ले छीन,रौंदकर जो मानवता!!

कवि सुनिल शर्मा "नील"
7828927284

शुक्रवार, 7 अगस्त 2020

प्रेम दोहा

चितवन में जबसे बसा,परदेशी मनमीत
मनभावन मुझको लगे,प्रेम प्यार के गीत!!

बहन से वादा

बहन से वादा
*************
कड़ी ये प्यार की हरगिज ,नही मैं टूटने दूँगा
कभी भी एक पल तुझको ,नही मैं रूठने दूँगा
निभाऊंगा वचन बहना मैं अपने प्राण देकर भी
कभी राखी के बंधन को, नही मैं छूटने दूँगा!
                                    
                   सुनिल शर्मा नील

बुधवार, 5 अगस्त 2020

रघुवीर ऐसी युक्ति तुम

मिले पढ़कर सदा उद्धार सबको
ऐसी सूक्ति तुम !
छुअनभर से अहिल्या को मिली थी
ऐसी मुक्ति तुम !
जटायु हो या शबरी हो या केवट सबने 
ये माना,
बनादे सबके बिगड़े काम "रघुवर" 
ऐसी युक्ति तुम !!

मंगलवार, 4 अगस्त 2020

रामराम रांममय पूरा देश हो गया

साधारण या विशेष,बीजेपी या कांग्रेस
लग रहा देश का सम्पूर्ण क्लेश खो गया !

पिछले बरस अनुच्छेद टूटा आज ही था
आज का दिवस फिर से विशेष हो गया!

रामलला वनवास काटकर लौट रहे
हर्षित पुलकित परिवेश हो गया

भगवा के रंग में रंगा है जमीं आसमान
राम राम राममय पूरा देश हो गया !!


सोमवार, 3 अगस्त 2020

महत्ता रेशमी डोरी की हरगिज,,

करो वादा किसी बहना की आँखें नम न हो पाए !
तेरे कारण किसी को इस जहाँ में गम न हो पाए !
मैं राखी पर मेरे भैया यही बस मांगती तुझसे,
"महत्ता" रेशमी डोरी की हरगिज कम न हो पाए !!

रविवार, 2 अगस्त 2020

राममंदिर बनेगा अब न्यारा है,,,

जिस रामनाम से मिली थी आपको ये सत्ता
उस रामनाम को न आपने बिसारा है !
सवा सौ करोड़ लोग आशा पाल रखें थे जो
उन आशाओं पे खरा स्वयं को उतारा है !
बात मन की सुनाने वाला देश का प्रधान
जनता के नयनों का बना प्राण प्यारा है !
वर्षों से बैठे हुए तिरपाल में थे प्रभो
भव्य राममंदिर बनेगा अब न्यारा है !!

कवि सुनिल शर्मा "नील"
थानखम्हरिया(छत्तीसगढ़)
8839740208

शनिवार, 1 अगस्त 2020

दमदार दिल्ली

गिदड़भभकी वाले सब,बंद हुए है खेल
जबसे रण में आ गया,भारत का राफेल
भारत का राफेल,जिसे लड़ना है आए
किसमें कितनी शक्ति,जगत को आज दिखाए
बनते थे जो शेर,पड़ोसी बने है बिल्ली
कितने बरसो बाद,लगी दमदार है दिल्ली!!


मंगलवार, 21 जुलाई 2020

मौन की भाषा समझती हो,,,

नदी हो तुम समंदर मन पिपासा को 
समझती हो!
किसी स्वाति सी चातक मन की आशा 
को समझती हो!
मुझे ऐसा किया है प्रेम तुमने टूटकर
जानम,
रहूँ चुप भी अगर तो मौन की भाषा 
समझती हो !!

माँ पिता के पाँव

दुःखों के ताप मिट जाए सदा वह 
छाँव  देतें है  !
दुआ के मरहमो से वें मिटा सब घाव 
देतें है  !
कभी तीरथ गया और न कभी गंगा 
नहाया है ,
मुझे सब धाम के फल माँ पिता के पाँव 
देतें है!!

सोमवार, 15 जून 2020

अमित भाई को जन्मदिन की बधाई

गरीबी देख तूने घर का बचपन
अपना खोया है !
सुलाया मुझको फूलों में स्वयं कांटों में
सोया है!
मुझे डाँटा किया हरदम मेरी गलती पे
भाई तू,
फिर उसके बाद कोने में तू जाकर
स्वयं रोया है !!

सुनिल शर्मा "नील"

मंगलवार, 2 जून 2020

2 जून

करे जो न्याय सबके साथ वह कानून तो दे दो !
मिटाए रूह की जो प्यास वह मानसून तो दे दो !
गई सरकार कितनी भूख यह लेकिन न मिट पाई,
जरा इन ताकती आंखों को रोटी 2 जून तो दे दो !!

सोमवार, 1 जून 2020

धरती के भगवान

कतको के खाले संगी,होटल के पिजादोसा
दाई के ओ भात कस,नई तो मिठाय जी

सुनले संगीत चाहे,दुनिया के कतको तै
दाई के ओ लोरी कस,कभू नही भाय जी!

खुद भूखे रहिके अपन कौरा ल खवाथे
अइसन दाई के कभू आंसू झन आय जी

धरती के भगवान,दाई हरे पहिचान
जेखर ममता बर, देव भी ललाय जी!!

सुनिल नील

गुरुवार, 21 मई 2020

राम जी के होने का प्रमाण

राम जी के होने का जो मांग रहे थे प्रमाण
सारे पापी आँखें फाड़-फाड़कर देख लें !

जिनके दिमाग में थी वर्षों से धूल जमी
गर्द सारे अपनें वे झाड़कर देख लें !

मंदिर के अवशेष कह रहे चीख-चीख
शंकाओं को सत्य से पछाड़कर देख लें!

कण कण में रमें है अवध में राम मेरे
पत्थरों को चाहे तो उखाड़कर देख लें !!

कवि सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छतीसगढ़)
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मंगलवार, 12 मई 2020

सत्ता में जो खुद किये,,,,,

रहता पक्ष विपक्ष में आपस में अनुबंध !
राजनीति गंदी हुई,उठती अब दुर्गंध!
जनता से ये नेह की,करते दोनों बात,
सत्ता में जो खुद किये,अब माँगें प्रतिबंध !

रविवार, 10 मई 2020

दिखावे की मिली है,,,

न धोने ही पड़े कपड़े न कोई
डांट खाई है  !
सुबह से आज क्यों उसकी सभी को
याद आई है !
पढ़ी कुछ भी नही है माँ मगर सबकुछ
समझती है,
दिखावे के दिवस की आज यह
उसको बधाई है !!

रविवार, 3 मई 2020

जो अधिकारी है फूलों के,,,


देश के खातिर जीना मरना,सब कुछ है स्वीकार किया !
अपने प्राणों पर खेलें है,सबका है उपचार किया !
पर कुछ घर के गद्दारों ने,नीचों वाला काम किया,
जो अधिकारी है फूलों के ,उनपे पत्थर वार किया!!

सोमवार, 20 अप्रैल 2020

नील के दोहें-1

अंक
*****
जबसे गोरी लग गई,आकर मेरे अंक
मैं अमीर तबसे हुआ,रहा नही अब रंक!

कंक
*****
रखना मन में धैर्य को,जैसे रखता कंक
कार्य सिद्ध होंगे तेरे,निश्चित और निशंक

पंक
****
जो मन में रखते सदा,ईर्ष्या का है पंक
उनसे दूरी ही भली,जाने कब दे डंक!!

सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया

सिंह वाली छाप है

हैवानों के ताप से है,भारत संतप्त आज
किंतु मौन कैसे बैठे,सीएम जी आप है !

कानून भी हाथ बांध,भूला हुआ है कर्तव्य
सड़कों पे नाच रहे,शैतानों के बाप है!

हिन्दू शेर की धरा पे,साधुओं का हुआ कत्ल
और आप कुरसी का,ले रहे जी नाप है

न्याय कीजिये हे राजा,और ये बताइये कि
आप में पिता के जैसे,सिंह वाली छाप है!!

कवि सुनिल शर्मा नील
थानखम्हरिया
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गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

घाव यह बन जाए नासूर,,,,

कडवें पर सच्चे दोहें
..........

पत्थरबाजो का हुआ,चरम देश में पाप
इनको ऐसा दंड दो,रूह भी जाए काँप !

नर्सों पर जो थूककर,करतें पापाचार
गिरेबान उनके पकड़,भेजो कारागार

कोरोना से भी बुरा,यह मकरजी जमात
पृष्ठभाग पर दीजिए,इनके जमकर लात!

जो कलाम को छोड़के,पूजे अफजल चित्र
वे कैसे होंगे भला,भारत के जी मित्र

चुप रहकर जो शत्रु को,शह देतें दिनरात
उनके असली चाल को,समझो सारे भ्रात

मंजिल में थे हम मगर,जीत न पाए पाँव
जिसका डर था वो हुआ,मिला हमें फिर घाव

इससे पहले घाव यह,बन जाए नासूर
इनके सारे  हौसलें,मिलकर करिए चूर!

कवि सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया(छत्तीसगढ़)
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सोमवार, 13 अप्रैल 2020

हिंदी सजल

🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸
   *हिन्दी सजल विधा*
हिन्दी गजल के समकक्ष हिन्दी *सजल* एक नयी काव्य विधा है । इसको उर्दू के वह्रों से मुक्त रखा गया है । गजल के व्याकरण की जटिलताओं से मुक्त रखा गया है । सजल, शिल्प के अपने मानकों पर सृजन का मार्ग प्रशस्त करती है । इसके शिल्प में तीन बातें ही मान्य की गयी हैं -
1.समान मीटर अर्थात सभी पंक्तियों का मात्रा भार समान हो ।
2.सभी पदिकों की कोई भी निश्चित लय की एक रूपता हो ।
3.कहन मुक्तक वाली एवं कसावट पूर्ण हो, गीत वाली न हो ।
         ❣❣❣
हिन्दी गजल से सजल का कोई विरोध नहीं है । सजल में उर्दू के दुरूह शब्दों का प्रयोग अमान्य है । सिर्फ बोलचाल के सरल उर्दू शब्द मान्य हैं ।
         ❣❣❣
सजल के अंगों को  हिन्दी में बोलने के लिए नामकरण इस प्रकार किया गया है -

गजल            = सजल
गजलकार      = सजलकार
शेर               = पदिक
काफिया       = समांत
रदीफ           = पदांत
मुरद्दिफ        = सपदांत
गैर मुरद्दिफ   = अपदांत
मतला          = आदिक
मक्ता          = अंतिक
मिसरा        = पल्लव(पंक्ति)
वज्न          = मात्रा भार
        ❣❣❣
🌷जय हिन्द🌷जय हिन्दी🌷

नील के सजल-हो पवित्र गंगा सी पावन

सजल सादर प्रस्तुत-
समांत - ईल
पदांत- कहूँ मैं
मात्राभार-16
🙏🙏
    
सागर तुमको नील लिखूँ मैं
संस्कारी सुशील लिखूं मैं!

हो पवित्र गंगा सी बिल्कुल
आंखों को क्या झील कहूँ मैं।

मैं पतंग सा प्रियतम तेरा
मत दो मुझको ढील कहूँ मैं।

कोई ताकें पथ में तुमको
उन सबको क्या कील कहूँ मैं!

अंधेरे राहों का सहारा
क्या तुमको कंदील कहूँ मैं!

सुनिल नील

रविवार, 12 अप्रैल 2020

जो श्रम करके स्वयं के श्रेय को

जो श्रम करके स्वयं के श्रेय को औरों को देता है !
फंसे नैया किसी की जब भी तब आकर के खेता है !
धड़कता है हृदय जिनका सदा परमार्थ की खातिर ,
वो मर जातें है पर यह जग सदा नाम उनका लेता है!!

कोरोना वाहक

कोरोना वाहक बनें,किया साजिशन वार
उनसे क्या संवेदना,उनका क्या उपचार!

रविवार, 5 अप्रैल 2020

आओ दीप हम जलायें आज द्वार द्वार पे,,,

हार जाएगा अंधेरा एकता के वार से
आओ दीप हम जलाए आज द्वार-द्वार पे !

है समय बड़ा विकट,अंधेरा ये बलवान है
पथ बड़े विरान है,गली भी सुनसान है
क्या धनिक कि क्या विपन्न सारे परेशान है
कोरोना बना रहा धरा को शमशान है
राजनीति छोड़कर करें ये काम प्यार से
आओ दीप हम जलाएं आज द्वार द्वार पे!

मौत को हरा रहे जो यह जले उनके लिए
जो फँसे हुए कहीँ है यह जले उनके लिए
कर्मवीर जो लगे है यह जले उनके लिए
जो खड़ें है सरहदों पे यह जले उनके लिये
न झुकें थें न झुकेंगे कहेंगे ये संसार से
आओ दीप हम जलाए आज द्वार द्वार पे!

यह दीया प्रतीक है अकेलेपन के नाश का
जीत की सुगंध का व हर्ष के आभास का
यह दीया सनातन में आस्था का अंग है
इसमें श्रद्धा,आशा,संकल्प के भी रंग है
दुःख के पलों में बनें हम खुशियों के बौछार से
आओ दीप हम जलाए आज द्वार द्वार पे!!

कवि सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
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शनिवार, 4 अप्रैल 2020

कलयुग ये दैत्य

मानवता के दूत पर,थूक रहे जो लोग
इनको मृत्युदंड मिले,धरती के ये रोग !
धरती के ये रोग,मिले उपचार न इनको
वे सारे गद्दार,पसन्द भारत न जिनको
कहें नील कविराय,भरी इनमें दानवता
कलयुग के ये दैत्य,नही भाएँ मानवता!!

गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

कोरोना का ग्राफ

सोंची समझी चाल है,नियत न इनकी साफ
तीन दिनों में क्यों बढ़ा,कोरोना का ग्राफ!!

तू तब भी जागता है

बिताए संग जो पल थे,उन्हें अक्सर सँजोती हूँ !
तेरी जब याद आती है,मैं पलकों को भिगोती हूँ !
मेरी साँसों में,मेरी रूह में ऐसा बसा है तू ,
तू तब भी जागता है मुझमें जब रातों को सोती हूँ !!

बुधवार, 1 अप्रैल 2020

तू तब भी जागता है

बिताए संग जो पल थे,उन्हें अक्सर सँजोती हूँ !
तेरी जब याद आती है,मैं पलकों को भिगोती हूँ !
मेरी साँसों में,मेरी रूह में ऐसा बसा है तू ,
तू तब भी जागता है मुझमें जब रातों को सोती हूँ !!

मंगलवार, 31 मार्च 2020

सोमवार, 30 मार्च 2020

बीतेगी यह काली रात(आल्हा)

"बीतेगी यह काली रात"
    (आल्हा छंद में प्रयास)

कोरोना है बड़ा भयंकर,नही निकलिए घर से आप-!
निकलेंगे तो होगा खतरा,भूल से न करिए यह पाप !!

हाथ जोड़कर करे नमस्ते,नही मिलाए कोई हाथ !
बार-बार धोएँ हाथों को,रहें प्रशासन के हम साथ !!

रखिए सादा खान-पान को,मानव होकर बनो न काग !
जबसे पशुता को अपनाया,जग में लगी तभी से आग !!

कोई भूखा हो पड़ोस में,उनकी क्षुधा करें हम शांत !
मजदूरों की भी हो चिंता,फँसे हुए जो दूजे प्रांत !!

जो विदेश से होकर आए,नही छुपाए कोई बात !
रहे पृथक खुद को जो घर में,फैल न पाएगा यह भ्रात !!

दुनिया ने है टेके घुटने,पर हम न खाएंगे मात !
जीतेगा भारत निश्चित ही,बीतेगी यह काली रात !!

कवि सुनिल शर्मा "नील"
थानखम्हरिया(छत्तीसगढ़)
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रविवार, 29 मार्च 2020

मंदिरों का हिसाब

जिन्हें पढ़ना नही आता किताब मांग रहे है!
जिन्हें प्रश्न पूछने का सलीका नही  जवाब मांग रहे!
कभी कौड़ी न चढ़ाई जिन्होंने मंदिर की दानपेटी में,
ऐसे भीखमंगे मंदिरों का हिसाब मांग रहे है!!

सुनिल नील

शनिवार, 28 मार्च 2020

अनंग हो गया हूँ मैं

अंग-अंग में लगन प्रेम की लगाई ऐसी
रति हो गई है तू अनंग हो गया हूँ मैं !

देकर उमंग नवप्राण है प्रदान किया
शांत झील का जैसे तरंग हो गया हूँ मैं

हृदय हिरण पाके भरता कुलांचे अब
मिल गई जबसे मलंग हो गया हूँ मैं

रंग लेके आसमा में उड़ता हूँ खुशियों के
डोर हो गई है तू पतंग हो गया हूँ मैं

संग,जंग,रंग,ढंग,पतंग,मलंग,तुरंग,तंग,ल
संग संग रहती हो जीवन में रंग बन

शुक्रवार, 27 मार्च 2020

मिला तेरा सहारा,

फटी चादर दुःखों से थी उसे सीने
लगी हूँ मैं !
गमों के आंसूओं को हँसके अब पीने
लगी हूँ मैं !
मिला तेरा सहारा जिंदगी को जबसे
हे प्रियतम ,
तुझे पाकर के दुगुना देखना जीने
लगी हूँ मैं !!

बुधवार, 25 मार्च 2020

तू स्वाति और मैं चातक हूँ जग से,,,,,

तू स्वाति और मैं चातक हूँ जग से कह न पाऊँगा !
विरह का दुख तुम्हारा मैं कभी भी सह न पाऊंगा !
कभी गुस्से में भी कह दूं अकेला छोड़ दो मुझको ,
न तन्हा छोड़ना मुझको मैं तुमबिन रह न पाऊँगा !!

कवि सुनिल नील

मैं स्वाति हूँ

मैं स्वाति है तू चातक हूँ तेरे बिन रह न पाऊँगा !
मोहब्बत है मुझे तुमसे किसी से कह न पाऊंगा !
कभी गुस्से में भी कह दूं अकेला छोड़दो मुझको,
नही तुम छोड़ना ये हाथ तुमबिन रह न पाऊँगा !!

कवि सुनिल नील

शनिवार, 21 मार्च 2020

तोड़ना मिलकर हमें है कोरोना की यह लड़ी

तोड़ना मिलकर हमें है "कोरोना"की यह लड़ी !
रौंदकर दुनिया को आकर सामने है यह खड़ी  !
"जनता कर्फ्यू"के समर्थन से ये निश्चित हारेगा ,
धैर्य से गर काम लें बीतेगी संकट की घड़ी !!

कवि सुनिल शर्मा"नील"
7828927284
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गुरुवार, 19 मार्च 2020

जीतेगा हिंदुस्तान कोरोना से जंग

जीतेगा हिंदुस्तान,कोरोना से जंग
अगर प्रशासन संग में,जनता होगी संग
जनता होगी संग,करेगी समस्त उपाय
जो बचाव के लिए,गए है हमें सुझाए
ना फैले अफवाह,समय यह भी बीतेगा
सूझबूझ से आपके,हिंदुस्तान जीतेगा !

शनिवार, 14 मार्च 2020

प्रभु का क्रोध कोरोना,,,,

"कोरोना"रोना बना,जग इससे भयभीत
अपने कर्मों की सजा,भोग रहे हम मीत
भोग रहे हम मीत,मूक जीवों को खाया
है पवित्र यह देह,इसे है नर्क बनाया
कर दानव सा काम,किया दूषित हर कोना
समझो तुम संकेत,प्रभु का क्रोध कोरोना!!

मंगलवार, 10 मार्च 2020

प्रेमरंग

माना मजबूर है हम नही पास है !
पर सदा तेरे होने का अहसास है !
रंग जितने चढ़ें सब ही भाए मगर,
प्रेमरंग तेरा उनमें लगा खास है !!

बीजेपी के हुए ग्वालियर के महाराज

महाराज के दांव से,कमलनाथ है दंग !
सत्ता के इस कूप में,आज पड़ गया भंग!
आज पड़ गया भंग,समझ न किसी को आया!
जीता हुआ प्रदेश,राहुल ने है गंवाया !
तज कांग्रेसी रंग,होली में देखो आज
बीजेपी के हुए,ग्वालियर के महाराज!!

शुक्रवार, 6 मार्च 2020

हम वंशज राणा

गजराज जीवन श्वानों का कभी जीया नही करते !
चातक जल धरती का कभी पीया नही करतें !
मिट जाया करतें है हसंते हँसते मातृभूमि के लिए,
हम वंशज राणा के स्वाभिमान से  समझौता किया नही करतें !!

रविवार, 23 फ़रवरी 2020

शनिवार, 22 फ़रवरी 2020

हमें ट्रम्प जैसा मूर्ख

माता भारती का चित्र बना हुआ हो विचित्र
हमें कोई ऐसा कभी चित्र नही चाहिए !

जिस इत्र को लगाके हो जाए बीमार हम
हमको कभी भी ऐसा इत्र नही चाहिए !

जिस सूत्र के प्रयोग से न मिले कोई हल
ऐसा हमें कभी कोई सूत्र नही चाहिए ,

दोस्त कह दोस्त के ही,माँ को अपशब्द कहे
हमें ट्रंप जैसा मूर्ख मित्र नही चाहिए !!

शनिवार, 15 फ़रवरी 2020

पतित था मैं बहुत तुमने मुझे,,,,,

कुरूपता को मिटा मुझको है मनभावन बना डाला !
मेरे जीवन को तपते जेठ से सावन बना डाला !
उठाकर पथ से इस पत्थर को देकर प्रीत को अपने ,
पतित था मैं बहुत तुमने मुझे पावन बना डाला !

कभी कोई बाँटकर नफरत,,,

अंधेरे के सहारे न कोई कभी जीत
पाएगा !

रखेगा भेद जो मन में नही वह मीत
पाएगा!

जो बांटोगे यहाँ पर प्रेम राज उसका
सदा होगा,

कभी कोई बाँटकर नफरत नही यहाँ  प्रीत
पाएगा !!

कभी पुलवामा की कहानी मत भूलना

खण्ड खण्ड हो गए जो,भारती के रक्षाहेतु
भूलके भी उनकी निशानी नही भूलना!

जिन परिवारों के बुझे चिराग राष्ट्र हेतु
कभी उन नयनों के पानी मत भूलना !

प्रेयसी के केश नही,देश हेतु जिए सदा
ऐसे रणवीरों की जवानी नही भूलना!

सबकुछ भूलजाना तुम मेरे मित्र पर
कभी पुलवामा की कहानी नही भूलना!!

शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2020

खण्ड खण्ड हो गए जो,भारती के रक्षाहेतु
भूलके भी उनकी निशानी नही भूलना
वीरता की तुम वो कहानी नही भूलना !

जिन परिवारों के बुझे चिराग राष्ट्र हेतु
कभी उन नयनों के पानी मत भूलना !

प्रेयसी के केश नही,देश हेतु जिए सदा
ऐसे रणवीरों की जवानी नही भूलना!

सबकुछ भूलजाना तुम मेरे मित्र पर
कभी पुलवामा की कहानी नही भूलना

गुरुवार, 9 जनवरी 2020

मगर कश्मीर फ्री के तख्तियों से

जिसे देखो लगा है दाल वो अपनी गलाने में !
कोई पिकचर चलाने औरकोई सियासत बचाने में !
मगर फ्री काश्मीर की तख्तियों से देश ने जाना,
लगे साजिश में है कुछलोग भारत को जलाने मे !!

शुक्रवार, 3 जनवरी 2020

मुक्तक-धन से रिश्ता

बंधा था नेह डोरी से वो बंधन छोड़ डाला है !
किया वादा जो मुझसे था उसे भी तोड़ डाला है
उसे जब होश आएगा बड़ा पछताएगा उसदिन,
भुलाकर प्यार जिसने धन से रिश्ता जोड़ डाला है!

   

व्यसन,,,,,

जवानी को चढ़ा जाने अजब सा कैसा ये धुन है !
कोई गांजा,चरस कोई,कोई सड़को पे ही टून है !
दिशा देते जो भारत को वही भटकें स्वयं देखों ,
युवा पीढ़ी को करता खोखला ये व्यसन का घुन है !!