शुक्रवार, 3 जनवरी 2020

मुक्तक-धन से रिश्ता

बंधा था नेह डोरी से वो बंधन छोड़ डाला है !
किया वादा जो मुझसे था उसे भी तोड़ डाला है
उसे जब होश आएगा बड़ा पछताएगा उसदिन,
भुलाकर प्यार जिसने धन से रिश्ता जोड़ डाला है!

   

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