शनिवार, 31 अक्तूबर 2015

जबर गोहार लगाबो


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छत्तीसगढ़ दाई के बेटा रतन कहाबो
अपन भाखा ल ओखर मान देवाबो
नइ सहय छत्तीसगढ़िया सोशन कखरो
चलव संगी हक बर जबर-गोहार लगाबो|
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सुनिल शर्मा नील
थान खम्हरिया,बेमेतरा
31/10/2015
7828927284
CR

बुधवार, 28 अक्तूबर 2015

मुक्तक(29/10/2015)

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घर कमरें बने रिश्ते कहीं खो गए
स्वार्थ के युग में कितने अंधे हो गए
भूख से तड़पते रहे रातभर माँ-बाप
बेटे और बहु घोड़े बेंचकर सो गए|
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सुनिल शर्मा नील
थान खम्हरिया,बेमेतरा
7828927284
CR

मंगलवार, 27 अक्तूबर 2015

मुक्तक

एक फ़ौजी का अपने पत्नी को दीवाली पे सन्देश..........
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भूलकर भी कहीं आँसू न बहाना
हर कोने में हँसकर दीया जलाना
तुम्हारी तपस्या से देश की दीवाली है
अपेक्षाओं को देश से बड़ा न बनाना|
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सुनिल शर्मा नील
थान खम्हरिया,बेमेतरा
7828927284
CR

सोमवार, 26 अक्तूबर 2015

तड़फत छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढ़िया

कौशिल्या दाई अउ सृंगी रिसि के पउरानिक भुइया अउ सिरीराम के करमभूइया रेहे छत्तीसगढ़ ह अपन बहिनी राज मधपरदेस संग चौरालीस बछर संग रेहे के बाद १ नवमबर सन् २००० के देस के छब्बीसवा राज के रूप म अलग होइस|देस के खनिज के ३८ परतिसत भाग,४.१४ परतिसत भुइया अउ जंगल,नदिया,पराकरीतिक सनपदा लेके धन,कला-संसकीरति,धरम जम्मों म समरीध हमर छत्तीसगढ़ ह जब अलग राज बनिस त छत्तीसगढ़िया मन ल अड़बड़ आस रहीस,सबो आखी म हजारों ठन सपना रहीस|नाननान काम बर अब भोपाल के मुहु देखे बर नइ परय,अपन राज म चारोमुडा बिकास होही अइसे लगिस|अपार संसाधन के फइदा छत्तीसगढ़ीया ल मिलही अइसे लागिस| छत्तीसगढ़ी भाखा जेला मध्यप्रदेश संग रेहे के अड़बड़ नकसान उठाय बर परिस ,संग म रेहे के सेती ओखर सनमान नइ मिलत रहिसे येला एक बोली भर माने जात रहिसे|अब छत्तीसगढ़ी भाखा ल वाजिब सनमान मिलही अइसे लागिस|बड़े-बड़े उदयोग मन म छत्तीसगढ़ के युवा मन ल रोजगार मिलही लागिस|अड़बड़ अकन सिक्षाकरमी अउ दूसर पद निकलिस घलो फेर जेन पइमाना म बेरोजगारी हे समसिया अउ बिकराल होवत जात हे| मध्यपरदेस ले अलग होय पनदरा बछर होगे फेर आज ले छत्तीसगढ़ महतारी अउ छत्तीसगढ़िया मन अपन सनमान अउ हक बर तड़फत हे|छत्तीसगढ़ के मनखेमन ल न तो ओ लाभ मिलिस जेन बिचार ल लेके छत्तीसगढ़ के निरमान होय रहीस अउ न तो ओ बिकास होइस जेन होना रहिसे|आदिवासी मन के हालत आज घलो उहीच हे जउन पहिली रहिसे|सिक्षा अउ सुवास्थ के सुविधा बाढ़िस फेर ओखर बिस्तार सहरी जघा म जादा हे|खनिज लेगे बर करोडो के रेल लाइन बिछिस फेर आदिवासी मनखे आज घलो रोजमररा के जररत अउ सुवास्थ बर तना-नना होत हे|किसान अउ आदिवासी मनखेमन ल आज घलो अपन बिकास के अगोरा हे|बने दिन के बाट जोहत आज उखरो आँखी पखरा हो गेहे| ये कहिना गलत नइ होही कि एक राज म दू ठन छत्तीसगढ़ दिखत हे|पहिली वो जिहा एक डाहन ओमन रहिथे जीहां जम्मों सुख-सुविधा ,बिजली,पानी,चमचमावत सड़क अउ स्वास्थ के सुविधा हे अउ जम्मों संसाधन हे, दूसर डाहर छत्तीसगढ़ के दूसर रूप जेनमा आदिवासी अउ किसान जेन सुविधा अउ दू बखत के रोटी बर आज घलो बाट जोहत हे|बिजली,पानी अउ सुवास्थ जेखर बर सपना बन के री गेहे|सुख अउ सुबिधा ह आज मुठा भर मनखे के हाथ म हावय|जेनला सबले जादा एखर जररत हे ओहा आज ले आदम जुग म जिनगी जियत हे|एखर पाछु अड़बड़ अकन कारन हे जेन छत्तीसगढ़ महतारी ल रोय बर मजबूर करथे|एखर एके ठन हल हे बिकास|बिकास होना जरूरी हे फेर कोनो भी बिकास अभिरथा हे जब तक जेन ला ओखर सबले जादा जरूरत हे ओला ओ लाभ ह नइ मिलही|बिकास के सुरुज ओ आख़री कोंटा म रहइया गरीब मनखे के छानी ऊपर घलो पहुच के अंजोर कर सकय तब तो एखर मयने हे| नकसली समसिया- छत्तीसगढ़ महतारी के सबले बड़का पीरा आय बस्तर अउ छत्तीसगढ़ के आधा ले जादा जिला मन म फइले नक्सल गतिबिधि के आय दिन नक्सली हिनसा म सैंकड़ों जीव जात हे|एखर सबले जादा सिकार हमर बपरा आदिवासी जनतामन ल होवत हे|न तो उहा इस्कूल हे ,न रद्दा अउ न असपताल |एखर सेती चारो मुड़ा खंडहर हे,डर हे अउ आतंक हे|आदिवासी इलाका बिकास ले कतको दूरिहा हे|नक्सली-पुलिस के आपसी मुटभेड़ म आय दिन खून म भुइया लाल होवत हे|छत्तीसगढ़ के छबि एक नक्सल भुइया के देसभर म बन गेहे|इहा के मनखे कहूँ बाहिर परदेस जाथे त ओला अजीब नजर ले देखे जाथे|एखर समाधान बर सबला उदीम करे के जरूरत हे|एखर बिन राजनीति के अउ बिन सुवारथ के बीच के रद्दा निकालना जरूरी हे ताकि जम्मों राजभर के मनखे ल बिकास के ,सिक्षा के,सुवास्थ के लाभ मिल सकय| कोनो भी दाई के बेटा मरय छत्तीसगढ़ महतारी ल अड़बड़ पीरा होथे|एखर हल निकलना खच्चित जररी हे|नकसली मन अपन बात ल बन्दूक ले नहीं बातचीत के माधियम ले रखय|अउ परसासन घलो कोनो रस्ता बातचीत के निकालय|ये बात ल समझे के अउ एखर जल्दी हल निकाले के जररत हे|छत्तीसगढ़ दाई ल ये पीरा ह अड़बड़ ब्यापथे| छत्तीसगढ़ी भाखा के पीरा- कोनो भी राज के मुख पहिचान होथे उहा के भासा|जेन भाखा ल हम अपन महतारी ले सीकथन ,जेमा सपनाथन,जेमा खेलथन उही हमर महतारी भासा कहाथे| कोनो भी परदेस के पहिचान उहा के भासा अउ संस्कीरति ले होथे|जइसे महाराष्ट् के मराठी,गुजरात के गुजराती,उड़ीसा के उड़िया,पस्चिम बंगाल के बंगाली अउ कर्नाटक के कन्नड़ फेर बड़ दुःख के बात हे कि राजभासा के दरजा तो छतयिसगढ़ी ल दे दे गेहे|फेर न तो एमा सरकारी कामकाज होवय अउ ना ही बिधानसभा म कोनो करवाही अउ न ही पराथमिक सिक्षा के माधयम |थोड़ दिन तक खानापूरति होइस घलो फेर एला बिसरा दे गेहे|अउ तो अउ सबले बड़े दुःख के बात हे भारत के जम्मों राज मन म पराथमिक पाठकरम के माधियम उहा के राजभासा रहिथे फेर इहा के माधियम हिंदी हे| एक दू ठन छत्तीसगढ़ी पाठ मन ल भले बीच-बीच म डार दे गेहे|एम.ए.छत्तीसगढ़ी होवत हे फेर प्राथमिक म सिक्षा के माध्यम अउ अलग बिषय छत्तीसगढ़ी नइहे|जब तक बिज्ञान के भासा म केहे जाय त इहा के डी.एन.ए(पराथमिक सिक्षा)म छत्तीसगढ़ी नइ आही तब तक सबो काम अभिरथा हे|ये बात म धियान देना चाही कि छत्तीसगढ़ म लइका जब हमर पहिली कक्षा म आथे त ओखर करा छत्तीसगढ़ी के सबदसक्ति रहिथे न कि हिंदी के|आज छत्तीसगढ़ीया के लईका मन घलो अइसे सिक्षा(दाईभाखा के जघा हिंदी ले) ल पाके छत्तीसगढ़ी ल छोटे समझत हे|बड़े होके छत्तीसगढ़ी बोलइया लईका ल अड़हा अउ हिंदी बोलइया ल हुसियार समझे जात हे|ए बात ल समझे ल परही अउ राज्य अउ केंद्र सरकार ल एला(छत्तीसगढ़ी भासा ल) आठवा अनसुची म इस्थान दे के काम करना चाही|तरीउपर एके पारटी के सरकार हावय त एमा कोनो बड़े उदीम करेबर घलो नइ परय|छत्तीसगढ़ म हाल म नवा अउ जुन्ना साहितकार मन मिलके ए दिसा म अड़बड़ सुग्घर बुता करत हे अउ अपन दाइभाखा छत्तीसगढ़ी म आनी-बानी के रचना करत हे |समाचार पेपर मन घलो छत्तीसगढ़ी परिसिस्ट निकालत हे जेन ये बात के गंभीरता ल दिखात ह कि छत्तीसगढीया मनखे के मन म अपन भाखा बर कतका परेम हे|फेर ये बात ल समझे अउ छत्तीसगढ़ी बर भिड़े के जिम्मेदारी हम सबो झन के हरे|छत्तीसगढ़ीया अउ छत्तीसगढ़ महतारी के ये हक हरे कि ओखर संस्कीरति,ओखर मूल रहइया के,उखर भासा ल सनमान मिलय उखर हक मिलय|बाहिर ले आय मनखे ये बात ल नइ समझ सकय| किसान अउ मजदूर के गिरत इस्तर-छत्तीसगढ़ ह गंवई-गांव के परदेस हरे |किसानी ह इहा के पहिचान हरे|इहा के ८० परतिसत जनता किसानी अउ मजदूरी करथे अउ अपन दू बखत के रोटी के जुगत करथे|तभो ले आज ओखर बिकास नइ होय हे| ओखर जिनगी के इस्तर आज ले करलइ हवय|अनदाता ह अपन मिहनत अउ जम्मों पइसा कउड़ी जेन सेठ-साहूकार ले ले रहिथे जम्मो ल खेती म लगा देथे|तभो ले जब पानी-कांजी नइ गिरय त ओला संसो होयबर धरते कि अब कइसे करजा ल छुटहव|ये दिसा म सोंचे के जरूरत ,सिंचइ अउ सुविधा के बिस्तार जरूरी हे|जतका जादा हो सके सुविधा देना चाही ताकि फेर हमर छत्तीसगढ़ धान के कटोरा कहाय |देस बर अपन सरबस देवइया किसान कभू आत्महत्या झन करय|ओहा अपन आप ल अकेल्ला झन समझय|किसानी ल हिन बुता झन समझय एखर बर समाज ल सोंचे बर अउ काम करे बर परही|किसान कभु किसानी करेबर अपन हाथ ल झन तीरय एखर परयास अउ बेवस्था होना चाही|काबर लईका के आँखी म आंसू देख के दाई ह कभु खुस नइ हो सकय|जेन देस के किसान दुखी रहिथे ओखर बिकास कभु नै हो सकय अइसे बिद्वान मन के कहना हे| सहरीकरन अउ अउद्योगीकरन लीलत हे खेत-खार- जेन छत्तीसगढ़ के चिन्हारी ओखर धान-पान ले होवय आज फसल नइ होय ले चारो डाहर सुन्नापन हे|कई बछर ले खेती म घाटा ल देख के किसानमन अपन खेत ल बेच के आन बुता करत हे|सरकार अपन इस्तर म मुआवजा देवत हे फेर उहू ऊँट के मुहु म जीरा कस होवत हे|करजा बोडी म डूबे किसान के हालत अड़बड़ खराब हे|का करे का नै करे कस हो गेहे|ऊपर ले बाढ़त अउद्योगिकरन अउ जनसंख्या ह खेत खार ल लिलत हे|पइसावाले मन के चक्कर म आके बपरा किसानमन अपन भुइया अउ खेतखार ल बेचत-भाजत हे|पहिली जेन जघा म हरियर-हरियर खेत खार दिखय अब ओ जघा म धुवाँ उड़ावत उद्योग अउ बड़े-बड़े माल अउ फ्लेट,कलोनी दिखत हे|खेत-खार मन अब कंकरीट के जंगल हो गेहे|सहरिकरन अउ उदयोग वाले मन गुनान ल करय जब खेत नै रही त उमन काय खाही अउ काय बनाही|छत्तीसगढ़ दाइ के एकठन बड़े संसों इहु हे| पलायन अउ नसा- छत्तीसगढ़ महतारी के बेटामन जब किसानी म अपन नकसान ल देख के अंते जाथे त दाई ल अड़बड़ दुःख होथे|हमर भुइया के अउ हमर पेट के भूक बर उदीम करइया के ये हालत अउ मोटरा ले के लखनऊर,चांदागढ़,आगरा अउ सुरात जाथे त अपन लईका ल कोरा छोड़ के जात दाई के खून छउक जथे| एकठन अउ सबले बड़े पीरा हवय गाँव-गाँव अउ गली मन म फैले नसा के कारोबार जेन|नान-नान इस्कूल के लईका मन म फइल के हमर जवान पीढी ल खोकला करत जावत हे|घर-घर अउ इस्कूल मन म एखर बर जागरूकता फैलना चाही कि नसा ह नास के जड़ हे| हर घर अउ ग्राम पंचायत इस्तर म नसा के खिलाफ अभियान चलना चाही|रोज पेपर मन म नसा के सेती मनखे मन म दूरघटना अउ लड़ई-झगरा के खबर आत हवय|जब घर-घर म दारु अउ झगरा होही त छत्तीसगढ़ महतारी के कलपना वाजिब हवय|ये जम्मों बात ल सोंचे अउ ओखर बर भिड़े के काम ल हम जम्मों ल मिलके करना हे |एक मनखे के करे ले ये हा नइ होवय|जम्मों छत्तीसगढ़िया चाहे ओ राजा होवय कि परजा ल अपन भुइया बर सोंचना हे अउ नवा छत्तीसगढ़ गढ़ना हे| "चल न भाई चल न दीदी नवा छत्तीसगढ़ गढ़बो मिरजुल के सब मिहनत करबो बिकास के रद्दा म बढ़बो" सुनिल शर्मा नील थान खम्हरिया,बेमेतरा 7828927284

मुक्तक

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इस बुरे को अच्छा बना दे
हो सके इंसान सच्चा बना दे
बहुत नीरस है जीवन मेरा ये
माँ फिर मुझे तू बच्चा बना दे|
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📝सुनिल शर्मा नील
     थान खम्हरिया,बेमेतरा
     26/10/2015
         CR

शनिवार, 24 अक्तूबर 2015

मुक्तक

दुनिया वालों ये किसान मरा कहाँ मारा गया है साहूकारों के घरों से कई बार निकाला गया है कबका मर चूका है अपनी अनदेखी से बेचारा अभी तो बस खुद को सूली पर चढ़ाया हुआ है|
सुनिल शर्मा नील
थान खम्हरिया,बेमेतरा
7828927284

मुक्तक

🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 कतको बिद्वान होवय गरब माटी म मिला देथे पर नारी उपर नजर उठइया के दीया बूता देथे हर बच्छर रावन मरइया आज ले नइ समझेस बुरइ के एकठन लूक बड़े-बड़े लंका जला देथे| 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 📝 सुनिल शर्मा नील थान खम्हरिया,बेमेतरा 7828927284

मुक्तक

🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 हर सीपी अंदर कोई मोती होगा तुझमें भी कोई फन छुपा होगा ढूँढ़ अंदर और पहचान खुद को बेवजह तो मानुष तन न मिला होगा| 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 📝सुनिल शर्मा नील थान खम्हरिया,बेमेतरा 7828927284

तुमसा कहाँ कोई आज दिखता है..

(क्रिकेट के अपने नायक विरेंदर सहवाग को उनके सन्यास पर समर्पित यह कविता|कृपा कर मूल रूप में ही शेयर करे)
(रचनाकार-सुनिल शर्मा नील)
तुमसा कहाँ कोई आज दिखता है

न वो जज्बा ,न बेख़ौफ़ अंदाज दिखता है
खिलाड़ी तुमसा कहॉ आज दिखता है

आँधी बनकर टूटा करता था बोलर्स पे
विश्व में कहाँ ऐसा 'सहवाग' दिखता है

दिग्गजों ने मानी जिसके बल्ले की धाक
कहॉ कोई ऐसा सूरमा-सरताज दिखता है

जिसे कहती है दुनिया क्रिकेट काभगवान
उन आँखों में भी तेरे लिए नाज दिखता है

तिहरे शतक ,मेंडिस से भिड़ंत कैसे भूलें
हर भारतीय को तुझमें खास दिखता है

छक्के और चौकों के तो जादूगर हो तुम
पाकीयों में आज भी खौफ साफ दिखता है

कहे "नील"लाखों आएँगे क्रिकेट में देखना
पर अजूबा तुमसा न होगा दिल कहता है|

सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा
7828927284

सोमवार, 19 अक्तूबर 2015

अंतस म बइठे रावन ल मारे के संदेस देथे दसेरा

दसेरा हमर देस के बिसेसकर हिन्दू समाज के परमुख तिहार हरय|दसेरा हर बछर कुवार महीना म नवरात के दसवा दिन(दसमी तिथि )म मनाय जाथे|आजे के दिन सतयुग म भगवान राम ह रावन के बध करके दुनिया ल ओखर जुलुम ले मुकति देवाय रहिसे|ओखर सेती दसेरा ल असत उपर सत के जीत के तिहार घलो केहे जाथे| आज के दिन सस्त्रमन के घलो पूजा होथे तेखर सेती येला बिजय परब या बिजयदसमी नाव दे गे हवय|आजे के दिन भगवान राम के रावन उपर जीत के खुसी म गाँव-गाँव अउ सहर मन म मेला भराथे अउ रामलीला के अयोजन होथे|कथा हे कि दुरगा दाई के नव दिन पूजा करके परसन करे के बाद राम भगवान आजे के दिन दाई के असीस ले रावन के बध करे रिहिसे|गाँव-गाँव ले मनखेमन आज मेला घुमे बर आथे|नान-नान लईकामन राम-लखन,बजरंगबली,जामवन के रूप धरके टेकटर म चढ़के झाकी निकलथे|इही राम के सेना ह मइदान(खार)म रखे बुरइ के परतीक रावन के बध करथे|झाकी के आघु-आघु भगवान के निसान(राम-लखन-हनमान अउ सीता के परतीक) ह बाजा संग निकलथे जेखर जघा-जघा लहुटती बेरा पूजा होथे|संगेसंग बाजागाजा संग कई मनखे करतब देखावत कलाबाजी करत रेंगथे अउ अपन ताकत देखाथे|कोनो गदा,कोनो तलवारबाजी त कोनो आगी संग खेल करके अपन करतब ल देखाथे|आनी-बानी के रूप धरे बहरूपिया मन घलो आज घूमत रहिथे|आनी-बानी के झुलना,रचुलीमन लईका अउ बड़ेमन के मन मोहथे|आनी बानी के खउ-खजानी,मिठइ,समोसा,जलेबी,चाट-गुपचुप,पान के ठेला ,फुग्गा,खेलवना के दूकानमन सबके मन ल ललचा डरथे|भीड़ म गोड़ रखे के घलो जघा नइ राहय|रामजी ह सेना संग रावन,मेघनाथ अउ कुम्भकरन के बध ल करथे अउ जम्मों समाज ल अपन अन्तस म बइठे काम,मोह,गुस्सा,गरब,आलस,चोरी,नसा,लालच,झूठ अउ जलनखोरी के दसो रावन रूपी बुरई ल मारे के सन्देस देथे|आज कस पबरीत दिन म घलो कई मनखे गलत काम करथे जेन बने बात नोहय|

"नीलकंठ के दरसन हे सुभ"
दसेरा के दिन नीलकंठ चिरई के दरसन अड़बड़ सुभ माने गेहे|नीलकण्ठ ल पबरीत अउ सुखदायक माने गेहे काबर कि नीलकंठ भगवान भोलेनाथ के घलो नाव हे अउ नीलकंठ ल संकर भगवान के मयारू चिरई केहे गेहे|

"माटी के रावन मारे के हे परथा"
रावन,मेघनाथ अउ कुम्भकरन के बड़का पुतरा तीर म एकठन माटी के अउ रावन बनाय जाथे जेला रावन के बध के बाद मनखे मन ओखर देहे के नाननान माटी ल लाथे ये माटी ल अपन घर के तिजोरी अउ दूकान के गल्ला म रखथे|रावन अंदर लाखो बुरइ होय के बाद घलो ओहा परकान्ड बिद्वान अउ रिसी के रकत रहिसे|राम ह घलो लखनलाल ल रावन करा ले आख़िरी सिक्षा ले बर ओखरे सेती भेजे रहिसे|ओखर इही गुन के सेती ओखर देहे के माटी ल लाने जाथे| एखर से हमला सीख मिलथे कि मनखे ल कोनो मेर ले होवय बने गुन ल धरना चाही|

"बस्तर म होथे पचहत्तर दिन के दसेरा"
भारत म अलग-अलग परदेस म अलग-अलग ढंग ले दसेरा मनाय के परथा हे|कोनो जघा येला देबी ल त कोनो जघा राम भगवान ल समरपित करे गेहे|हमर छत्तीसगढ़ म बस्तर म दसेरा ल दंतेसरी दाई ल समरपित करे गेहे|दंतेसरी ह बस्तर के आराध्य देबी हरय|इहा पचहत्तर दिन के बिस्वपरसिध दसेरा होथे|पहिली दिन ल काछिन गादी कहिथे|दसेरा बर काछिन गादी करा ले आदेस ले जाथे|काछिन गादी एकझन इस्थानी कनिया होथे|काछिन गादी ले राजपरिवार ह आदेस लेथे|ये परथा ह पन्दरही सताब्दी ले चालु होय हे| ओखर बाद जोगी बइठइ,भीतर रैनी(दसेरा)अउ बाहिर रैनी मुरिया दरबार म होथे|अइस्नेहे भारत के दूसर राजमन म उड़ीसा,असम,करनाटक,गुजरात,तमिलनाडु अउ मइसुर म अलग-अलग ढंग ले दसेरा ल मनाथे|

"पीढ़वा म खड़े करके आरती उतारना"
दसेरा मेला ले आय के पाछू घर के माई लोगिन मन बेटा जात मन ल |चउक पुरके पीढ़वा रख के ओखर ऊपर खड़े करवाके आरती उतारथे अउ पइसा धराथे|आरती उतारे के पाछु ये कारन हे कि ओमन ल राम-लखन के सरूप माने जाथे अउ रावन के बध कर के आय के खुसी म उमन ल राम-लखन मान के आरती उतारे जाथे|पूजा के बाद आज पान खाय के घलो बिसेस महतव हे| सुनिल शर्मा"नील" थान खम्हरिया, बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
9755554470 (CR)
12 अक्टूबर

सक्ति के अराधना के परब "नवरात"

हमर छत्तीसगढ़ अउ जम्मों भारत देस म नारी ल दाई कहे गेहे|अइसे कहे जाथे कि नारी(दाई)ह जग म जिनगी के गंगोतरी हरय|अइसन पावन दाई(पुरान अनसार भगवती दाई)जेनला सक्ति कहे जाथे के अराधना के परब 'नवरात'रूप म मनाय जाथे|भगवती दाई के पूजा अउ अराधना बर नवरात ल अड़बड़ सुभ माने जाथे|देवता-धामी ,गन्धरव अउ मनखे सबो नवरात म दाई के पूजा करके ओखर अशीष पाय बर ललाय रहिथे|हिनदू पनचांग अनसार दाई के अराधना के परब नवरात ह बछर म दू बेर आथे|पहिली बेर के नवरात जउन चइत म परथे तउन चइत नवरात अउ दूसर नवरात जउन कुवाँर महीना म परथे तउन कुंवार नवरात या सारदे नवरात(जुड़ म आथे तेखर सेती एक नाव)कहाथे| कुवार के नवरात म संगे-संग राम भगवान के पूजा अउ रामलीला होथे जबकि चइत नवरात म सिरिफ दाई के पूजा होथे|नवरात परब म दाई अराधना ले परसन होके अपन भगत के जम्मों दुःख ल हरलेथे अउ सुख अउ समरीद्धि के अशीष देथे|बरम्हा,बिस्नु अउ महादेव भर ल नहीं अखिल बिस्व के चर-अचर,जर अउ चेतन के रचइया सक्ति दाई(भगवती) हरे|

"गाँव-गाँव जलथे दाई के जोत"
जोत ल दाई के सक्षात सरूप माने गेहे|नवरात म गाँव-गाँव मातादेवाला मन म दाई के दरबार म भगत मन मनकामना जोत जलवाथे| नव दिन-नव रात माता के खूब सेवा गीत अउ भजन गा के दाई ल परसन करे जाथे|नवरात के पाछु ले जोत जलइया मन के दउड़-भाग मन्दिर देवाला म चालू हो जथे|मातदेवाला के साफ़-सफई,पोतई नवरात के तय्यारी म पाछु ले चालू हो जथे|जघा-जघा पारा अउ चउक मन म पंडाल म दाई के मूरति बिराजथे अउ आनी-बानी के झाकी ह मन ल मोहथे|दाई के सोला सिंगार ह अउ पंडाल मन के सजावट ह,चमक-धमक ह भगत मन ल अड़बड़ निक लागथे|एकम के पाछु दिन बिरही(गहू)फिलोय जाथे जेला पूजा के बाद दाई के दरबार म माटी म बोय जाथे|हमर छत्तीसगढ़ राज म दाई के अड़बड़ अकन सिध सक्तिपीठ हे जेमा परमुख रूप म डोंगरगढ़ के बमलाई,रतनपुर के महमाई,दंतेवाड़ा के दन्तेसरी,कोरबा के सर्वमनगला दाई,बेमेतरा के भद्रकाली अउ रायपुर के बंजारी प्रमुख हे|नव दिन तक इहा दुनो नवरात म खूब भीड़ रहिथे|मनखे मन दरसन पाय बर मनौती लेके लाखो के सनखिया म पहुचथे|कतको मनखे रेंगत हजारो के सनखिया म दाई के जयकारा लगावत मनदिर पहुचथे|नव दिन तक तिहार कस लागथे|नव दिन ले सरधालू मनखे मन फल-फूल खाके उपास रहिथे अउ सादापन म नव दिन ल बीताथे|

"दाई के नवरूप के होथे पूजा"
गाँव-गाँव मातादेवाला अउ पनडाल मन म दुरगा दाई के अलग-अलग नव रूप के पूजा होथे|नवरात के बिषय म कहे गेहे- "प्रथममशैलपुत्री च द्वितीयं ब्रम्ह्चारिणी| तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्|| पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यानीति च| सप्तमं कालरात्रिति महागौरीति चाष्टमम्|| नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिताः| उक्तान्येति नामानि ब्रम्हनैव महात्मनाः|| नवरात के पहिली दिन दाई के पहिली रूप सैलपुत्री के पूजा होथे| सैलपुत्री ल जर जिनिस मन के देबी कहे गेहे|दाई ह अपन पहिली रूप म सनदेसा देथे कि हम अपन भगवान ल जर म घलो देखन|दूसर दिन दाई के ब्रम्ह्चारिणी रूप के पूजा होथे|ब्रम्ह्चारिणी माने जर म चेतन के होना|तीसर दिन तीसरा रूप चन्द्रघण्टा दाई के अराधना करे जाथे|एला बुद्धि के सरूप कहे जाथे|चउथा दिन चउथा सरूप कुष्मांडा के पूजा होथे|कुष्मांडा माने अंडा ल धारन करइया माने अइसन देबी जेन मनखे(नर-नारी )ल सनतान बर गरभधारन के सक्ति देथे|पांचवा दिन स्कंदमाता माने लईका के दाई-ददा के सरूप,छठवा दिन कत्यायनी अरथात भगवती के दाई-ददा के सरूप,सातवा दिन दाई के सातवा सरूप कालरात्रि माने काली माता के पूजा होथे|अइसे कहे जाथे कि जम्मों जर-चेतन ल मरत बेरा काली माता के सक्षात दरसन होथे|दाई के आठवा सरूप महागौरी यानी गोरा रंग अउ रूप वाली,अउ नौवा सरूप सिद्धिदात्री यानी सिद्धि के देवइया के पूजा होथे|ये नव दिन मनखे ह फलफूल भर खाके भक्तिभाव अउ सादगी ले जियत उपास रहिथे|

#कनिया भोजन#
असटमी के दिन हूमहवन के बाद नाननान देबीसरूप नोनी मन ल सुग्घर गोड़ धोवा के महूर लगा के उखर पूजा कर के खीर,सोहारी अउ कलेवा खवाय जाथे|अउ पाव परे जाथे|बिन कनिया भोजन नवरात के पूजा के पूरा फल नई मिलय| #नवरात अउ दसेरा मनाय के पाछु पौरानिक कथा# नवरात मनाय के पाछु एक ठन कथा हे कि महिसासुर नाव के अड़बड़ बलसाली राक्षत रहिसे जेला बरमहा,बिस्नु अउ महादेव तीनो ले नइ हारे के बरदान रहिसे ओखर पाप ल देखके तीनो देव के सक्ति ले दुरगा दाई के जनम होइस जेन राक्षत महिसासुर ल मारके ओखर पाप ले धरती ल बचाइस| दूसर कथा रमायन म निकलथे कि भगवान राम ह रावण ऊपर बिजय पाय खातिर नव दिन तक चण्डी दाई के पूजा करीस अउ दसवा दिन ओखर किरपा ले रावन के बध करीस तेखर सेती नवरात के बाद दसमी के दिन ल दसेरा के रूप म मनाय जाथे ये परब ल असत ऊपर सत के जीत के परब कहे गए हे|

#परब मन म डीजे संस्कीरति के गरहन#
हमर छत्तीसगढ़ म जसगीत ल ढोलक अउ मंजीरा म सुग्घर सकला के गा के सेवा करे अउ दाई ल परसन करे के परथा हे|फेर पाछु कुछ बच्छर ले डीजे के संसकीरटी ल नवा लईका मन अपनावत जात हे जेन आस्था कम अउ देखावा,हल्ला-गुल्ला,तमासा जादा लगथे|हमर नवा पीढी ल ये बात ल समझे ल परही कि दाई ह परेम अउ भक्ति म परसन होथे न कि बिदेशी आनी-बानी के कान के परदा ल फोरैया डीजे म|जम्मों छत्तीसगढ़ के नवा लईकामन ह येला खतम कर सकत हे|हमर छत्तीसगढ़ के चिन्हारी हमर पोठ संस्कीरति ले हे न कि डीजे ले एक्खर सेती परब मन म एखर बिरोध होना चाही अउ बने सादा तरीका ले दाई के नवरात ल मनाना चाही अउ ये गरहन ले हमर छत्तीसगढ़िया संस्कीरति ल बचाना चाही|
सुनिल शर्मा "नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा
(छत्तीसगढ़)
7828927284
9755554470

सक्ति के अराधना के परब "नवरात"

हमर छत्तीसगढ़ अउ जम्मों भारत देस म नारी ल दाई कहे गेहे|अइसे कहे जाथे कि नारी(दाई)ह जग म जिनगी के गंगोतरी हरय|अइसन पावन दाई(पुरान अनसार भगवती दाई)जेनला सक्ति कहे जाथे के अराधना के परब 'नवरात'रूप म मनाय जाथे|भगवती दाई के पूजा अउ अराधना बर नवरात ल अड़बड़ सुभ माने जाथे|देवता-धामी ,गन्धरव अउ मनखे सबो नवरात म दाई के पूजा करके ओखर अशीष पाय बर ललाय रहिथे|हिनदू पनचांग अनसार दाई के अराधना के परब नवरात ह बछर म दू बेर आथे|पहिली बेर के नवरात जउन चइत म परथे तउन चइत नवरात अउ दूसर नवरात जउन कुवाँर महीना म परथे तउन कुंवार नवरात या सारदे नवरात(जुड़ म आथे तेखर सेती एक नाव)कहाथे| कुवार के नवरात म संगे-संग राम भगवान के पूजा अउ रामलीला होथे जबकि चइत नवरात म सिरिफ दाई के पूजा होथे|नवरात परब म दाई अराधना ले परसन होके अपन भगत के जम्मों दुःख ल हरलेथे अउ सुख अउ समरीद्धि के अशीष देथे|बरम्हा,बिस्नु अउ महादेव भर ल नहीं अखिल बिस्व के चर-अचर,जर अउ चेतन के रचइया सक्ति दाई(भगवती) हरे|

"गाँव-गाँव जलथे दाई के जोत"
जोत ल दाई के सक्षात सरूप माने गेहे|नवरात म गाँव-गाँव मातादेवाला मन म दाई के दरबार म भगत मन मनकामना जोत जलवाथे| नव दिन-नव रात माता के खूब सेवा गीत अउ भजन गा के दाई ल परसन करे जाथे|नवरात के पाछु ले जोत जलइया मन के दउड़-भाग मन्दिर देवाला म चालू हो जथे|मातदेवाला के साफ़-सफई,पोतई नवरात के तय्यारी म पाछु ले चालू हो जथे|जघा-जघा पारा अउ चउक मन म पंडाल म दाई के मूरति बिराजथे अउ आनी-बानी के झाकी ह मन ल मोहथे|दाई के सोला सिंगार ह अउ पंडाल मन के सजावट ह,चमक-धमक ह भगत मन ल अड़बड़ निक लागथे|एकम के पाछु दिन बिरही(गहू)फिलोय जाथे जेला पूजा के बाद दाई के दरबार म माटी म बोय जाथे|हमर छत्तीसगढ़ राज म दाई के अड़बड़ अकन सिध सक्तिपीठ हे जेमा परमुख रूप म डोंगरगढ़ के बमलाई,रतनपुर के महमाई,दंतेवाड़ा के दन्तेसरी,कोरबा के सर्वमनगला दाई,बेमेतरा के भद्रकाली अउ रायपुर के बंजारी प्रमुख हे|नव दिन तक इहा दुनो नवरात म खूब भीड़ रहिथे|मनखे मन दरसन पाय बर मनौती लेके लाखो के सनखिया म पहुचथे|कतको मनखे रेंगत हजारो के सनखिया म दाई के जयकारा लगावत मनदिर पहुचथे|नव दिन तक तिहार कस लागथे|नव दिन ले सरधालू मनखे मन फल-फूल खाके उपास रहिथे अउ सादापन म नव दिन ल बीताथे|

"दाई के नवरूप के होथे पूजा"
गाँव-गाँव मातादेवाला अउ पनडाल मन म दुरगा दाई के अलग-अलग नव रूप के पूजा होथे|नवरात के बिषय म कहे गेहे- "प्रथममशैलपुत्री च द्वितीयं ब्रम्ह्चारिणी| तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्|| पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यानीति च| सप्तमं कालरात्रिति महागौरीति चाष्टमम्|| नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिताः| उक्तान्येति नामानि ब्रम्हनैव महात्मनाः|| नवरात के पहिली दिन दाई के पहिली रूप सैलपुत्री के पूजा होथे| सैलपुत्री ल जर जिनिस मन के देबी कहे गेहे|दाई ह अपन पहिली रूप म सनदेसा देथे कि हम अपन भगवान ल जर म घलो देखन|दूसर दिन दाई के ब्रम्ह्चारिणी रूप के पूजा होथे|ब्रम्ह्चारिणी माने जर म चेतन के होना|तीसर दिन तीसरा रूप चन्द्रघण्टा दाई के अराधना करे जाथे|एला बुद्धि के सरूप कहे जाथे|चउथा दिन चउथा सरूप कुष्मांडा के पूजा होथे|कुष्मांडा माने अंडा ल धारन करइया माने अइसन देबी जेन मनखे(नर-नारी )ल सनतान बर गरभधारन के सक्ति देथे|पांचवा दिन स्कंदमाता माने लईका के दाई-ददा के सरूप,छठवा दिन कत्यायनी अरथात भगवती के दाई-ददा के सरूप,सातवा दिन दाई के सातवा सरूप कालरात्रि माने काली माता के पूजा होथे|अइसे कहे जाथे कि जम्मों जर-चेतन ल मरत बेरा काली माता के सक्षात दरसन होथे|दाई के आठवा सरूप महागौरी यानी गोरा रंग अउ रूप वाली,अउ नौवा सरूप सिद्धिदात्री यानी सिद्धि के देवइया के पूजा होथे|ये नव दिन मनखे ह फलफूल भर खाके भक्तिभाव अउ सादगी ले जियत उपास रहिथे|

#कनिया भोजन#
असटमी के दिन हूमहवन के बाद नाननान देबीसरूप नोनी मन ल सुग्घर गोड़ धोवा के महूर लगा के उखर पूजा कर के खीर,सोहारी अउ कलेवा खवाय जाथे|अउ पाव परे जाथे|बिन कनिया भोजन नवरात के पूजा के पूरा फल नई मिलय| #नवरात अउ दसेरा मनाय के पाछु पौरानिक कथा# नवरात मनाय के पाछु एक ठन कथा हे कि महिसासुर नाव के अड़बड़ बलसाली राक्षत रहिसे जेला बरमहा,बिस्नु अउ महादेव तीनो ले नइ हारे के बरदान रहिसे ओखर पाप ल देखके तीनो देव के सक्ति ले दुरगा दाई के जनम होइस जेन राक्षत महिसासुर ल मारके ओखर पाप ले धरती ल बचाइस| दूसर कथा रमायन म निकलथे कि भगवान राम ह रावण ऊपर बिजय पाय खातिर नव दिन तक चण्डी दाई के पूजा करीस अउ दसवा दिन ओखर किरपा ले रावन के बध करीस तेखर सेती नवरात के बाद दसमी के दिन ल दसेरा के रूप म मनाय जाथे ये परब ल असत ऊपर सत के जीत के परब कहे गए हे|

#परब मन म डीजे संस्कीरति के गरहन#
हमर छत्तीसगढ़ म जसगीत ल ढोलक अउ मंजीरा म सुग्घर सकला के गा के सेवा करे अउ दाई ल परसन करे के परथा हे|फेर पाछु कुछ बच्छर ले डीजे के संसकीरटी ल नवा लईका मन अपनावत जात हे जेन आस्था कम अउ देखावा,हल्ला-गुल्ला,तमासा जादा लगथे|हमर नवा पीढी ल ये बात ल समझे ल परही कि दाई ह परेम अउ भक्ति म परसन होथे न कि बिदेशी आनी-बानी के कान के परदा ल फोरैया डीजे म|जम्मों छत्तीसगढ़ के नवा लईकामन ह येला खतम कर सकत हे|हमर छत्तीसगढ़ के चिन्हारी हमर पोठ संस्कीरति ले हे न कि डीजे ले एक्खर सेती परब मन म एखर बिरोध होना चाही अउ बने सादा तरीका ले दाई के नवरात ल मनाना चाही अउ ये गरहन ले हमर छत्तीसगढ़िया संस्कीरति ल बचाना चाही|
सुनिल शर्मा "नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा
(छत्तीसगढ़)
7828927284
9755554470