tag:blogger.com,1999:blog-27974883238895992882024-02-19T18:39:40.124-08:00मोर पंखकवि सुनिल शर्मा "नील"http://www.blogger.com/profile/07594776493915089089noreply@blogger.comBlogger741125tag:blogger.com,1999:blog-2797488323889599288.post-66820056687001544552023-03-08T04:45:00.001-08:002023-03-08T04:45:15.559-08:00वरना न अबकी बार<div>देखो मैं होली में न कुछ मलाल करूँगा |</div><div>रोकर नही मैं खुद का बुरा हाल करूँगा |</div><div>ली है कसम तेरे ही हाथ से रंगूंगा मैं |</div><div>वरना न अबकी बार गाल लाल करूँगा ।।</div>कवि सुनिल शर्मा "नील"http://www.blogger.com/profile/07594776493915089089noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2797488323889599288.post-31703329084348555652023-02-09T21:55:00.001-08:002023-02-09T21:55:54.980-08:00टेडीबियर <div>जो रुलाकर तुम्हे करती खुद को चीयर |</div><div>चीट करके तुम्हे कहती जानू डियर |</div><div>आप रहना नही उनके हरगिज नीयर |</div><div>आपको मान खेले जो टेडी बियर ||</div><div><br></div><div>सुनिलशर्मा </div><div><br></div>कवि सुनिल शर्मा "नील"http://www.blogger.com/profile/07594776493915089089noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2797488323889599288.post-55826093418319365742023-02-08T00:15:00.001-08:002023-02-08T00:15:20.497-08:00जय जय श्री बागेश्वरधाम की-(बागेश्वर सरकार पर शानदार कविता)<div>जय बागेश्वर सरकार</div><div><br></div><div>एक ही अकेला सबसे है लड़ता</div><div>हिंदुओ के हित दानवों से भीड़ता</div><div><br></div><div>सीताराम हनुमान जाप करता</div><div>पीर रामभक्तों के नित्य हरता</div><div><br></div><div>तेज मुखड़े पे शौर्य है ललाट पे</div><div>चमके है सूर्य जैसे शैलराट पे</div><div><br></div><div>हिन्दुशेर जब कभी भी गर्जना करे</div><div>वामियों के दल का ये साहस हरे</div><div><br></div><div>देशभक्ति भाव वाणी से जगा रहा</div><div>देश के बिधर्मियों को है कँपा रहा</div><div><br></div><div>जय-जय ऐसे कर्ता व काम की</div><div>जय जय श्री बागेश्वरधाम की ||</div><div><br></div><div>क्रमशः....</div><div><br></div><div>कवि सुनिल शर्मा नील</div><div>छत्तीसगढ़</div><div>8839740208</div><div>7828927284</div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div>कवि सुनिल शर्मा "नील"http://www.blogger.com/profile/07594776493915089089noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2797488323889599288.post-2476811124823989732023-01-11T21:42:00.001-08:002023-01-11T21:42:18.045-08:00विवेकानंद-मुक्तक<div><br></div><div>धर्मध्वजा भारत का जिसने दुनियाभर में फहराया |</div><div>यश स्वदेश के मिट्टी का जिसके प्रयत्न से बढ़ पाया |</div><div>जिस विवेक के दम पर हमने आनंद तक की यात्रा की |</div><div>नमन उन्हें जिसने जग को भारत का दर्शन समझाया ||</div>कवि सुनिल शर्मा "नील"http://www.blogger.com/profile/07594776493915089089noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2797488323889599288.post-48899013111887127752022-11-12T02:22:00.001-08:002022-11-12T02:22:56.138-08:00राम बोले शबरी के बेर जैसा<div>एक बार सीता जी ने प्रश्न किया राघव से</div><div>आचरण आपका ये समझ न आया है |</div><div><br></div><div>गृहभोज गुरु मुनि मात ने खिलाया किन्तु</div><div>श्रेष्ठ स्वाद शबरी के बेर का बताया है |</div><div><br></div><div>मायापति आपकी ये कौन सी है माया कहो</div><div>शिष्टाचार नाथ कैसा आपने निभाया है |</div><div><br></div><div>राम बोले प्रिये मैंने शबरी सा प्रेम भाव</div><div>व्यंजनों में किसी के न आजतक पाया है ||</div><div><br></div><div>सुनिल शर्मा 'नील'</div><div>छत्तीसगढ़</div><div>8839740208</div>कवि सुनिल शर्मा "नील"http://www.blogger.com/profile/07594776493915089089noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2797488323889599288.post-56717441340161402022-09-10T21:05:00.001-07:002022-09-10T21:05:24.175-07:00हिन्दी दिवस पर मुक्तक<div><br></div><div>कही खोई हुई है जो उसे अब ढूँढ़</div><div>लाए हम |</div><div>चलो अब मान हिंदी का उसे फिर से </div><div>दिलाए हम |</div><div>अधूरा है लगे श्रृंगार इस हिन्दी के बिंदी </div><div>बिन |</div><div>चलो माथे पे भारत माँ के इसको फिर </div><div>सजाए हम ||</div><div><br></div><div><br></div><div>सुनिल शर्मा "नील"</div><div><br></div><div><br></div><div><br></div>कवि सुनिल शर्मा "नील"http://www.blogger.com/profile/07594776493915089089noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2797488323889599288.post-24901959359978485652022-08-28T11:45:00.001-07:002022-08-28T11:45:53.064-07:00बागीश्वरी सवैया-रिसाये हवै फुलकैना<div>वागीश्वरी सवैया</div><div>प्रयास-पहिली</div><div><br></div><div>हरौं दीयना मैं हरै तेल ओहा मया डोर मा हे बंँधे ये नता |</div><div>उही मोर आशा उही मोर साँसा उही मोर मुस्कान के ये पता |</div><div>लगै ना कुछू काम मा मोर जी हा करौ का समाधान देवौ बता |</div><div>रिसाये हवै फूलकैना सुबे ले भला मोर ले होय हे का खता ||</div><div><br></div><div>सुनिल शर्मा 'नील'</div>कवि सुनिल शर्मा "नील"http://www.blogger.com/profile/07594776493915089089noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2797488323889599288.post-28264743177919333182022-08-19T11:35:00.001-07:002022-08-19T11:35:03.227-07:00महाभारत के चित्र लगाइए<div>मात्र वेश कान्हा सा बनाओ नही बालकों का</div><div>हरि अवतारतें क्यों भेद भी बताइए |</div><div><br></div><div>कंश संग दैत्य वंश कैसे वधा माधव ने</div><div>कालिया के मर्दन के दृश्य भी दिखाइए |</div><div><br></div><div>दुविधा में बहनों के काम कैसे आए भाई</div><div>प्रेम-मित्रता हो कैसी पाठ भी पढ़ाइए |</div><div><br></div><div>लड्डू के गोपाल वाली छवियाँ लगाओ किंतु</div><div>संग महाभारत के चित्र भी लगाइए ||</div><div><br></div><div> ©️सुनिल शर्मा नील</div><div> छत्तीसगढ़</div><div> 8839740208</div>कवि सुनिल शर्मा "नील"http://www.blogger.com/profile/07594776493915089089noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2797488323889599288.post-76621278487722090472022-08-06T05:03:00.001-07:002022-08-06T05:03:02.695-07:00तुम इसकी प्रस्तावना<div><br></div><div>जीवन सागर है अगर,तुम उसकी पतवार|</div><div>तुम मेरी प्रस्तावना,तुम ही उपसंहार ||</div>कवि सुनिल शर्मा "नील"http://www.blogger.com/profile/07594776493915089089noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2797488323889599288.post-33071280767890506882022-07-26T21:45:00.001-07:002022-07-26T21:45:41.736-07:00रणवीर ऐसा क्यों<div>क्यों किया ऐसा रणवीर??</div><div>(रणवीर के न्यूड फोटोशूट पर त्वरित सृजन)</div><div><br></div><div>बेंच चित्र अश्लील, देश का नाम घटाया |</div><div>कला किया बदनाम, शर्म ना किंचित आया ||</div><div>तू लज्जा से हीन, किया भारत में ऐसा |</div><div>करना था क्या काम, किया रणवीर है कैसा ||</div><div><br></div><div>बच्चें इसको देख ,सोंच क्या ज्ञान पाएंगे |</div><div>मान तुम्हें आदर्श, छले सारे जाएंगे ||</div><div>भारत पावन देश, गुरु जो है कहलाया |</div><div>इसमें पाकर जन्म,ये कैसा कर्ज निभाया ||</div><div><br></div><div>नारी सीता रूप, यहाँ नर राम कहाते |</div><div>नौ कन्या नौ रूप, देश में पूजे जाते ||</div><div>नारी बच्चें आज, सभी तुझसे शर्मिंदा |</div><div>पढा लिखा तू मूर्ख, कृत्य तेरा यह गंदा ||</div><div><br></div><div>दुर्योधन से सीख, मातु ने जब बुलवाया |</div><div>दूँगी मैं आशीष, मगर जो अंग छुपाया ||</div><div>तू उससे है नीच, मानसिक कचरा पाले |</div><div>चमड़ी से है गौर, मगर भीतर से काले ||</div><div><br></div><div>करता है यह 'नील', क्रोध उनपर भी भारी |</div><div>पथ से जो हो भ्रष्ट, बढाते ये महामारी ||</div><div>जो 'सैनिक' को छोंड़, सरआखो इन्हें बिठाते |</div><div>चंदन को जो छोंड़, माथ पर पंक लगाते ||</div><div><br></div><div>कवि सुनिल शर्मा 'नील'</div><div>थान्खम्हरिया(छत्तीसगढ़)</div><div>8839740208</div>कवि सुनिल शर्मा "नील"http://www.blogger.com/profile/07594776493915089089noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2797488323889599288.post-49288650790267677002022-07-13T01:31:00.001-07:002022-07-13T01:31:20.622-07:00मत्तगयन्द सवैया-परमारथ<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgVWbq7p5cKQUC-vjFg8z97B-gqdWG4KSutub_ZBR4MA0qQCqCuMEBR8gzACI-8N8u33LSYc5hQj0jEbZgp33bUVYkBSA0cM_gS049hYy6ZI13oZxQLMjlCBzVVjk0cWFWTADsHglJW07eu/s1600/1657701012307800-0.png" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;">
<img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgVWbq7p5cKQUC-vjFg8z97B-gqdWG4KSutub_ZBR4MA0qQCqCuMEBR8gzACI-8N8u33LSYc5hQj0jEbZgp33bUVYkBSA0cM_gS049hYy6ZI13oZxQLMjlCBzVVjk0cWFWTADsHglJW07eu/s1600/1657701012307800-0.png" width="400">
</a>
</div><div>मत्तगयन्द सवैया</div><div>प्रयास-1</div><div>विषय-परमारथ</div><div><br></div><div>पीयय ना जल ला नदिया अपने फल रूख कभू नइ खावै |</div><div>सूरज रोज उवै तबले गुनगान कभू अपने नइ गावै |</div><div>ताप हरे बरखा सबके खुद खातिर बादर हा नइ छावै |</div><div>सज्जन के धन लाख लगै परमारथ मा नइ नाम बतावै ||</div><div><br></div><div><br></div><div>सुनिल शर्मा'नील'</div><div>थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)</div>कवि सुनिल शर्मा "नील"http://www.blogger.com/profile/07594776493915089089noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2797488323889599288.post-56480028676210005542022-06-26T06:29:00.001-07:002022-06-26T06:29:09.032-07:00मुक्तक-नारी<div>वही बहना,वही तो माँ,वही बिटिया </div><div>दुलारी है |</div><div>उसी से है सभी रिश्तें उसी से सृष्टि </div><div>सारी है |</div><div>सदा वह बाँटकर खुशियाँ,दुःखों को </div><div>झेलती आई,</div><div>करे जो त्याग हर युग में उसी का नाम </div><div>नारी है ||</div><div><br></div><div>कवि सुनिल शर्मा"नील"</div><div>थान खम्हरिया</div><div><br></div>कवि सुनिल शर्मा "नील"http://www.blogger.com/profile/07594776493915089089noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2797488323889599288.post-84844765249449367252022-06-13T23:54:00.001-07:002022-06-13T23:54:36.362-07:00कुंडलिया-बलवा जो करवा रहे हर जुम्मे के रोज<div>बलवा जो करवा रहें, हर जुम्मे के रोज |</div><div>घर-घर जाकर कीजिये, उन गुंडों की खोज ||</div><div>उन गुंडों की खोज, छीन सुविधा सरकारी |</div><div>पृष्ठ भाग कर लाल, दंड दो उनको भारी |</div><div>घर उनके दो तोड़, दिखा योगी सा जलवा |</div><div>बाबर की औलाद, बने जो करते बलवा ||</div><div><br></div><div>सुनिल शर्मा 'नील'</div><div>थानखम्हरिया</div><div>8839740208</div>कवि सुनिल शर्मा "नील"http://www.blogger.com/profile/07594776493915089089noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2797488323889599288.post-53721498592015508122022-06-11T20:51:00.001-07:002022-06-11T20:51:50.278-07:00केवड़े को हेय से न देखिएगा<div>केवड़े को हेय से न देखिएगा यूँ जनाब</div><div>सोंचके कि देता नही गुल जैसा गंध है |</div><div><br></div><div>एक पलड़े में दोनों को ना तौलिएगा कभी </div><div>दोनों है कुसुम मात्र एक ही सम्बन्ध है |</div><div><br></div><div>तुलना किसी की किसी से नही उचित कभी</div><div>दोनों है प्रभावी कविता हो या निबंध है |</div><div><br></div><div>अनुपम है सभी जगदीश्वर की सृष्टि में</div><div>परमपिता का श्रेष्ठ यही तो प्रबंध है ||</div><div><br></div><div>सुनिल शर्मा 'नील'</div><div>8839740208</div><div>(छत्तीसगढ़)</div><div>सर्वाधिकार सुरक्षित</div>कवि सुनिल शर्मा "नील"http://www.blogger.com/profile/07594776493915089089noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2797488323889599288.post-84114501530857365482022-06-07T20:31:00.001-07:002022-06-07T20:31:40.262-07:00नारी अस्मिता पे घात जो यहाँ लगाता है<div>कीचक रावण दुशासन जयद्रथ बाली</div><div>नारी अस्मिता पे घात जो यहाँ लगाता है |</div><div><br></div><div>करता शोणित से स्नान स्वयं के सदा वो</div><div>प्राण पद मान वंश स्वयं का गँवाता है |</div><div><br></div><div>नारी स्वाभिमान पर मौन रहकर भीष्म</div><div>अंत का समय बाण शैय्या पे बिताता है |</div><div><br></div><div>नारी लज्जा हेतु निज प्राण को गँवाता गिद्ध </div><div>मृत्यु के समय गोद राम जी का पाता है ||</div><div><br></div><div><br></div><div>सुनिल शर्मा 'नील'</div><div>4 /06/2022</div><div><br></div>कवि सुनिल शर्मा "नील"http://www.blogger.com/profile/07594776493915089089noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2797488323889599288.post-80985312648167767262022-06-04T20:34:00.001-07:002022-06-04T20:34:38.546-07:00इतिहास आदरेय है,,,,<div>इतिहास आदरेय है बड़ा ये मानो किन्तु</div><div>जैसे का तैसा न उसे कभी भी स्वीकारिये |</div><div><br></div><div>मान के आदर्श धर्मराज को न खेल द्युत</div><div>भाईयों के संग निज नार को न हारिये |</div><div><br></div><div>दृष्टांत द्रौपदी को मान कन्या ब्याह करे</div><div>होगा क्या उचित वर्तमान में विचारिये |</div><div><br></div><div>करके अतीत का मूल्यांकन चुनिए मार्ग</div><div>भूल क्या-क्या हमसे हुई थी वो सुधारिये ||</div><div><br></div><div>सुनिल शर्मा नील</div><div>4/6/2022</div>कवि सुनिल शर्मा "नील"http://www.blogger.com/profile/07594776493915089089noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2797488323889599288.post-19922278250717486752022-05-13T01:24:00.003-07:002022-05-13T01:24:30.346-07:00कुण्डलिया-मानव<div><br></div><div>कुण्डलिया-मानव</div><div><br></div><div>मानव जीवन है वही, जिसमें हो परमार्थ |</div><div>पशु सम जीवन जानिए, जिसमें केवल स्वार्थ ||</div><div>जिसमें केवल स्वार्थ, न समझे पर की पीड़ा |</div><div>केवल खुद का ध्यान, जानिए उसको कीड़ा ||</div><div>धरती पर है बोझ, मनुज तन में है दानव |</div><div>आये सबके काम, वही है सच्चा मानव ||</div><div><br></div><div>सुनिल शर्मा नील</div><div><br></div>कवि सुनिल शर्मा "नील"http://www.blogger.com/profile/07594776493915089089noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2797488323889599288.post-36694944280229227472022-05-13T01:24:00.001-07:002022-05-13T01:24:23.790-07:00वो मलेच्छ नयनों का डर शिवराय था(शिवाजी पर मनहरण घनाक्षरी)<div><b>काँपे अरिदल जिन्हें देखकर थरथर</b></div><div><b>सिंह के समान ऐसा नर शिवराय था |</b></div><div><b><br></b></div><div><b>नर गरजन कर रण भू में हर-हर</b></div><div><b>जीत लेता आधा वो समर शिवराय था|</b></div><div><b><br></b></div><div><b>समर लड़ा जो भगवा को निज शीश धर</b></div><div><b>पीर भारती का लेने हर शिवराय था |</b></div><div><b><br></b></div><div><b>हरता था आत्मा चलाये बिना तलवार</b></div><div><b>वो मलेच्छ नयनों का डर शिवराय था ||</b></div><div><b><br></b></div><div><b><br></b></div><div><b><br></b></div><div><b><br></b></div><div><b><br></b></div><div><b><br></b></div><div><b><br></b></div><div><b> </b></div><div><b><br></b></div><div><b><br></b></div><div><b><br></b></div><div><br></div>कवि सुनिल शर्मा "नील"http://www.blogger.com/profile/07594776493915089089noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2797488323889599288.post-23514386837680616072022-04-28T05:42:00.001-07:002022-04-28T05:42:12.298-07:00सुंदरी सवैया-एकता<div><br></div><div><br></div><div>अँगरी धरके सुख मा दुख मा हम संग सबो मिलके बढ़बो जी |</div><div>तजबो मन ले इरखा अउ भेद मया सदभाव </div><div>चलो पढ़बो जी |</div><div>खँचवा डबरा सब पाट हमू यश के फुलगी मिलके चढ़बो जी |</div><div>सब ला अधिकार मिले अइसे हम भारत एक नवा गढ़बो जी ||</div><div><br></div><div>सुनिल शर्मा नील</div><div>थानखम्हरिया</div>कवि सुनिल शर्मा "नील"http://www.blogger.com/profile/07594776493915089089noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2797488323889599288.post-23037136129281759232022-04-23T22:11:00.001-07:002022-04-23T22:11:32.279-07:00सुंदरी सवैया 1- जल<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>हर बूँद हवै अनमोल कहै कवि नील सुनौ जल हे जिनगानी |</div><div>बिरथा बरबाद करौ झन आप तजौ अभिमान तजौ मनमानी |</div><div>बिन एखर शून्य हवै धरती मिलके सब आप बचावव पानी |</div><div>तड़पे भुइयाँ कहिथे सुन लौ मनखे मत आप बनौ अगियानी ||</div><div><br></div><div>*सुनिल शर्मा*</div><div>*थान खम्हरिया*</div>कवि सुनिल शर्मा "नील"http://www.blogger.com/profile/07594776493915089089noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2797488323889599288.post-34181904555321006652022-04-21T03:10:00.001-07:002022-04-21T03:10:40.449-07:00कमलेश,नारंग<div>कमलेश नारंग के मौत पे रहेंगे मौन</div><div>अख़लाक़ पर किंतु आँसू ये बहाएँगे |</div><div><br></div><div>कभी सैनिकों के शौर्य का प्रमाण माँगेंगे तो</div><div>कभी कश्मीर को ये पाक का बताएँगे |</div><div><br></div><div>पंडितों के दर्द पर करेंगे ये अट्टहास</div><div>राम जी के मंदिर पे प्रश्न ये उठाएँगे |</div><div><br></div><div>नेताजी के चेहरे में पन्नू के ये मोहरे है </div><div>स्वार्थ की सुनामी में ये देश डूबा जाएँगे ||</div><div><br></div><div>सुनिल शर्मा नील</div>कवि सुनिल शर्मा "नील"http://www.blogger.com/profile/07594776493915089089noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2797488323889599288.post-42109688644965495862022-04-10T19:51:00.001-07:002022-04-10T19:51:55.656-07:00दुर्मिल सवैया-1<div>दुर्मिल सवैया प्रयास-1</div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>मनखे तन ला तँय पाय कभू, बिरथा करबे झन काम कका |</div><div>कुछ जाय नही परलोक कभू, पइसा गहना अउ चाम कका |</div><div>करथे जस तेखर हा रहिथे मरके जग मा बड़ नाम कका |</div><div>क्षणभंगुर देंह मिले जप ले, तँय सुग्घर पावन राम कका ||</div><div><br></div><div>सुनिल शर्मा 'नील'</div>कवि सुनिल शर्मा "नील"http://www.blogger.com/profile/07594776493915089089noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2797488323889599288.post-51863196638613117712022-03-31T18:25:00.001-07:002022-03-31T18:25:24.674-07:00कमलेश,नारंग<div>कमलेश नारंग के मौत पे रहेंगे मौन</div><div>अख़लाक़ पर किंतु आँसू ये बहाएँगे |</div><div><br></div><div>कभी सैनिकों के शौर्य का प्रमाण माँगेंगे तो</div><div>कभी कश्मीर को ये पाक का बताएँगे |</div><div><br></div><div>पंडितों के दर्द पर करेंगे ये अट्टहास</div><div>राम जी के मंदिर पे प्रश्न ये उठाएँगे |</div><div><br></div><div>नेताजी के चेहरे में पन्नू के ये मोहरे है </div><div>स्वार्थ की सुनामी में ये देश डूबा जाएँगे ||</div><div><br></div><div>सुनिल शर्मा नील</div>कवि सुनिल शर्मा "नील"http://www.blogger.com/profile/07594776493915089089noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2797488323889599288.post-63315840054382085832022-03-12T20:50:00.001-08:002022-03-12T20:50:39.123-08:00चुनाव के बाद<div>जीत जो मिलेगी तब बल्लियों उछलकर</div><div>स्वयं के चरित्र का प्रभाव ये बताएंगे |</div><div><br></div><div>लोकतंत्र और संविधान पे करेंगे गर्व</div><div>तोहमत किसी पे न कोई भी लगाएंगे |</div><div><br></div><div>हार जो मिलेगी तब देंगे व्यवस्था को दोष</div><div>चुनाव आयोग को भी खूब गरियाएंगे |</div><div><br></div><div>सरकार पर फोड़ ठीकरा पराजय का</div><div>दाग ईवीएम के चरित्र पे लगाएंगे ||</div><div><br></div><div><br></div><div>सुनिल शर्मा "नील"</div><div>थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)</div><div><br></div>कवि सुनिल शर्मा "नील"http://www.blogger.com/profile/07594776493915089089noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2797488323889599288.post-67564429229735136312022-03-01T01:36:00.001-08:002022-03-01T01:36:24.576-08:00सवैया-सदाशिव<div>शीश धरे तुम गंग प्रभो अरु मस्तक सुंदर चंद्र सजाते |</div><div>पीयत भंग शिवा गण संग भुजंग गले पर हो</div><div>लटकाते | </div><div>हार कपाल गले पहिरे तन छाल सुशोभित भस्म रमाते | </div><div>पर्वत बैठ धरे डमरू तिरशूल सदाशिव ध्यान लगाते ||</div><div><br></div><div>सुनिल शर्मा नील</div><div>थान खम्हरिया</div>कवि सुनिल शर्मा "नील"http://www.blogger.com/profile/07594776493915089089noreply@blogger.com0