सोमवार, 26 अक्तूबर 2015

तड़फत छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढ़िया

कौशिल्या दाई अउ सृंगी रिसि के पउरानिक भुइया अउ सिरीराम के करमभूइया रेहे छत्तीसगढ़ ह अपन बहिनी राज मधपरदेस संग चौरालीस बछर संग रेहे के बाद १ नवमबर सन् २००० के देस के छब्बीसवा राज के रूप म अलग होइस|देस के खनिज के ३८ परतिसत भाग,४.१४ परतिसत भुइया अउ जंगल,नदिया,पराकरीतिक सनपदा लेके धन,कला-संसकीरति,धरम जम्मों म समरीध हमर छत्तीसगढ़ ह जब अलग राज बनिस त छत्तीसगढ़िया मन ल अड़बड़ आस रहीस,सबो आखी म हजारों ठन सपना रहीस|नाननान काम बर अब भोपाल के मुहु देखे बर नइ परय,अपन राज म चारोमुडा बिकास होही अइसे लगिस|अपार संसाधन के फइदा छत्तीसगढ़ीया ल मिलही अइसे लागिस| छत्तीसगढ़ी भाखा जेला मध्यप्रदेश संग रेहे के अड़बड़ नकसान उठाय बर परिस ,संग म रेहे के सेती ओखर सनमान नइ मिलत रहिसे येला एक बोली भर माने जात रहिसे|अब छत्तीसगढ़ी भाखा ल वाजिब सनमान मिलही अइसे लागिस|बड़े-बड़े उदयोग मन म छत्तीसगढ़ के युवा मन ल रोजगार मिलही लागिस|अड़बड़ अकन सिक्षाकरमी अउ दूसर पद निकलिस घलो फेर जेन पइमाना म बेरोजगारी हे समसिया अउ बिकराल होवत जात हे| मध्यपरदेस ले अलग होय पनदरा बछर होगे फेर आज ले छत्तीसगढ़ महतारी अउ छत्तीसगढ़िया मन अपन सनमान अउ हक बर तड़फत हे|छत्तीसगढ़ के मनखेमन ल न तो ओ लाभ मिलिस जेन बिचार ल लेके छत्तीसगढ़ के निरमान होय रहीस अउ न तो ओ बिकास होइस जेन होना रहिसे|आदिवासी मन के हालत आज घलो उहीच हे जउन पहिली रहिसे|सिक्षा अउ सुवास्थ के सुविधा बाढ़िस फेर ओखर बिस्तार सहरी जघा म जादा हे|खनिज लेगे बर करोडो के रेल लाइन बिछिस फेर आदिवासी मनखे आज घलो रोजमररा के जररत अउ सुवास्थ बर तना-नना होत हे|किसान अउ आदिवासी मनखेमन ल आज घलो अपन बिकास के अगोरा हे|बने दिन के बाट जोहत आज उखरो आँखी पखरा हो गेहे| ये कहिना गलत नइ होही कि एक राज म दू ठन छत्तीसगढ़ दिखत हे|पहिली वो जिहा एक डाहन ओमन रहिथे जीहां जम्मों सुख-सुविधा ,बिजली,पानी,चमचमावत सड़क अउ स्वास्थ के सुविधा हे अउ जम्मों संसाधन हे, दूसर डाहर छत्तीसगढ़ के दूसर रूप जेनमा आदिवासी अउ किसान जेन सुविधा अउ दू बखत के रोटी बर आज घलो बाट जोहत हे|बिजली,पानी अउ सुवास्थ जेखर बर सपना बन के री गेहे|सुख अउ सुबिधा ह आज मुठा भर मनखे के हाथ म हावय|जेनला सबले जादा एखर जररत हे ओहा आज ले आदम जुग म जिनगी जियत हे|एखर पाछु अड़बड़ अकन कारन हे जेन छत्तीसगढ़ महतारी ल रोय बर मजबूर करथे|एखर एके ठन हल हे बिकास|बिकास होना जरूरी हे फेर कोनो भी बिकास अभिरथा हे जब तक जेन ला ओखर सबले जादा जरूरत हे ओला ओ लाभ ह नइ मिलही|बिकास के सुरुज ओ आख़री कोंटा म रहइया गरीब मनखे के छानी ऊपर घलो पहुच के अंजोर कर सकय तब तो एखर मयने हे| नकसली समसिया- छत्तीसगढ़ महतारी के सबले बड़का पीरा आय बस्तर अउ छत्तीसगढ़ के आधा ले जादा जिला मन म फइले नक्सल गतिबिधि के आय दिन नक्सली हिनसा म सैंकड़ों जीव जात हे|एखर सबले जादा सिकार हमर बपरा आदिवासी जनतामन ल होवत हे|न तो उहा इस्कूल हे ,न रद्दा अउ न असपताल |एखर सेती चारो मुड़ा खंडहर हे,डर हे अउ आतंक हे|आदिवासी इलाका बिकास ले कतको दूरिहा हे|नक्सली-पुलिस के आपसी मुटभेड़ म आय दिन खून म भुइया लाल होवत हे|छत्तीसगढ़ के छबि एक नक्सल भुइया के देसभर म बन गेहे|इहा के मनखे कहूँ बाहिर परदेस जाथे त ओला अजीब नजर ले देखे जाथे|एखर समाधान बर सबला उदीम करे के जरूरत हे|एखर बिन राजनीति के अउ बिन सुवारथ के बीच के रद्दा निकालना जरूरी हे ताकि जम्मों राजभर के मनखे ल बिकास के ,सिक्षा के,सुवास्थ के लाभ मिल सकय| कोनो भी दाई के बेटा मरय छत्तीसगढ़ महतारी ल अड़बड़ पीरा होथे|एखर हल निकलना खच्चित जररी हे|नकसली मन अपन बात ल बन्दूक ले नहीं बातचीत के माधियम ले रखय|अउ परसासन घलो कोनो रस्ता बातचीत के निकालय|ये बात ल समझे के अउ एखर जल्दी हल निकाले के जररत हे|छत्तीसगढ़ दाई ल ये पीरा ह अड़बड़ ब्यापथे| छत्तीसगढ़ी भाखा के पीरा- कोनो भी राज के मुख पहिचान होथे उहा के भासा|जेन भाखा ल हम अपन महतारी ले सीकथन ,जेमा सपनाथन,जेमा खेलथन उही हमर महतारी भासा कहाथे| कोनो भी परदेस के पहिचान उहा के भासा अउ संस्कीरति ले होथे|जइसे महाराष्ट् के मराठी,गुजरात के गुजराती,उड़ीसा के उड़िया,पस्चिम बंगाल के बंगाली अउ कर्नाटक के कन्नड़ फेर बड़ दुःख के बात हे कि राजभासा के दरजा तो छतयिसगढ़ी ल दे दे गेहे|फेर न तो एमा सरकारी कामकाज होवय अउ ना ही बिधानसभा म कोनो करवाही अउ न ही पराथमिक सिक्षा के माधयम |थोड़ दिन तक खानापूरति होइस घलो फेर एला बिसरा दे गेहे|अउ तो अउ सबले बड़े दुःख के बात हे भारत के जम्मों राज मन म पराथमिक पाठकरम के माधियम उहा के राजभासा रहिथे फेर इहा के माधियम हिंदी हे| एक दू ठन छत्तीसगढ़ी पाठ मन ल भले बीच-बीच म डार दे गेहे|एम.ए.छत्तीसगढ़ी होवत हे फेर प्राथमिक म सिक्षा के माध्यम अउ अलग बिषय छत्तीसगढ़ी नइहे|जब तक बिज्ञान के भासा म केहे जाय त इहा के डी.एन.ए(पराथमिक सिक्षा)म छत्तीसगढ़ी नइ आही तब तक सबो काम अभिरथा हे|ये बात म धियान देना चाही कि छत्तीसगढ़ म लइका जब हमर पहिली कक्षा म आथे त ओखर करा छत्तीसगढ़ी के सबदसक्ति रहिथे न कि हिंदी के|आज छत्तीसगढ़ीया के लईका मन घलो अइसे सिक्षा(दाईभाखा के जघा हिंदी ले) ल पाके छत्तीसगढ़ी ल छोटे समझत हे|बड़े होके छत्तीसगढ़ी बोलइया लईका ल अड़हा अउ हिंदी बोलइया ल हुसियार समझे जात हे|ए बात ल समझे ल परही अउ राज्य अउ केंद्र सरकार ल एला(छत्तीसगढ़ी भासा ल) आठवा अनसुची म इस्थान दे के काम करना चाही|तरीउपर एके पारटी के सरकार हावय त एमा कोनो बड़े उदीम करेबर घलो नइ परय|छत्तीसगढ़ म हाल म नवा अउ जुन्ना साहितकार मन मिलके ए दिसा म अड़बड़ सुग्घर बुता करत हे अउ अपन दाइभाखा छत्तीसगढ़ी म आनी-बानी के रचना करत हे |समाचार पेपर मन घलो छत्तीसगढ़ी परिसिस्ट निकालत हे जेन ये बात के गंभीरता ल दिखात ह कि छत्तीसगढीया मनखे के मन म अपन भाखा बर कतका परेम हे|फेर ये बात ल समझे अउ छत्तीसगढ़ी बर भिड़े के जिम्मेदारी हम सबो झन के हरे|छत्तीसगढ़ीया अउ छत्तीसगढ़ महतारी के ये हक हरे कि ओखर संस्कीरति,ओखर मूल रहइया के,उखर भासा ल सनमान मिलय उखर हक मिलय|बाहिर ले आय मनखे ये बात ल नइ समझ सकय| किसान अउ मजदूर के गिरत इस्तर-छत्तीसगढ़ ह गंवई-गांव के परदेस हरे |किसानी ह इहा के पहिचान हरे|इहा के ८० परतिसत जनता किसानी अउ मजदूरी करथे अउ अपन दू बखत के रोटी के जुगत करथे|तभो ले आज ओखर बिकास नइ होय हे| ओखर जिनगी के इस्तर आज ले करलइ हवय|अनदाता ह अपन मिहनत अउ जम्मों पइसा कउड़ी जेन सेठ-साहूकार ले ले रहिथे जम्मो ल खेती म लगा देथे|तभो ले जब पानी-कांजी नइ गिरय त ओला संसो होयबर धरते कि अब कइसे करजा ल छुटहव|ये दिसा म सोंचे के जरूरत ,सिंचइ अउ सुविधा के बिस्तार जरूरी हे|जतका जादा हो सके सुविधा देना चाही ताकि फेर हमर छत्तीसगढ़ धान के कटोरा कहाय |देस बर अपन सरबस देवइया किसान कभू आत्महत्या झन करय|ओहा अपन आप ल अकेल्ला झन समझय|किसानी ल हिन बुता झन समझय एखर बर समाज ल सोंचे बर अउ काम करे बर परही|किसान कभु किसानी करेबर अपन हाथ ल झन तीरय एखर परयास अउ बेवस्था होना चाही|काबर लईका के आँखी म आंसू देख के दाई ह कभु खुस नइ हो सकय|जेन देस के किसान दुखी रहिथे ओखर बिकास कभु नै हो सकय अइसे बिद्वान मन के कहना हे| सहरीकरन अउ अउद्योगीकरन लीलत हे खेत-खार- जेन छत्तीसगढ़ के चिन्हारी ओखर धान-पान ले होवय आज फसल नइ होय ले चारो डाहर सुन्नापन हे|कई बछर ले खेती म घाटा ल देख के किसानमन अपन खेत ल बेच के आन बुता करत हे|सरकार अपन इस्तर म मुआवजा देवत हे फेर उहू ऊँट के मुहु म जीरा कस होवत हे|करजा बोडी म डूबे किसान के हालत अड़बड़ खराब हे|का करे का नै करे कस हो गेहे|ऊपर ले बाढ़त अउद्योगिकरन अउ जनसंख्या ह खेत खार ल लिलत हे|पइसावाले मन के चक्कर म आके बपरा किसानमन अपन भुइया अउ खेतखार ल बेचत-भाजत हे|पहिली जेन जघा म हरियर-हरियर खेत खार दिखय अब ओ जघा म धुवाँ उड़ावत उद्योग अउ बड़े-बड़े माल अउ फ्लेट,कलोनी दिखत हे|खेत-खार मन अब कंकरीट के जंगल हो गेहे|सहरिकरन अउ उदयोग वाले मन गुनान ल करय जब खेत नै रही त उमन काय खाही अउ काय बनाही|छत्तीसगढ़ दाइ के एकठन बड़े संसों इहु हे| पलायन अउ नसा- छत्तीसगढ़ महतारी के बेटामन जब किसानी म अपन नकसान ल देख के अंते जाथे त दाई ल अड़बड़ दुःख होथे|हमर भुइया के अउ हमर पेट के भूक बर उदीम करइया के ये हालत अउ मोटरा ले के लखनऊर,चांदागढ़,आगरा अउ सुरात जाथे त अपन लईका ल कोरा छोड़ के जात दाई के खून छउक जथे| एकठन अउ सबले बड़े पीरा हवय गाँव-गाँव अउ गली मन म फैले नसा के कारोबार जेन|नान-नान इस्कूल के लईका मन म फइल के हमर जवान पीढी ल खोकला करत जावत हे|घर-घर अउ इस्कूल मन म एखर बर जागरूकता फैलना चाही कि नसा ह नास के जड़ हे| हर घर अउ ग्राम पंचायत इस्तर म नसा के खिलाफ अभियान चलना चाही|रोज पेपर मन म नसा के सेती मनखे मन म दूरघटना अउ लड़ई-झगरा के खबर आत हवय|जब घर-घर म दारु अउ झगरा होही त छत्तीसगढ़ महतारी के कलपना वाजिब हवय|ये जम्मों बात ल सोंचे अउ ओखर बर भिड़े के काम ल हम जम्मों ल मिलके करना हे |एक मनखे के करे ले ये हा नइ होवय|जम्मों छत्तीसगढ़िया चाहे ओ राजा होवय कि परजा ल अपन भुइया बर सोंचना हे अउ नवा छत्तीसगढ़ गढ़ना हे| "चल न भाई चल न दीदी नवा छत्तीसगढ़ गढ़बो मिरजुल के सब मिहनत करबो बिकास के रद्दा म बढ़बो" सुनिल शर्मा नील थान खम्हरिया,बेमेतरा 7828927284

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