मंगलवार, 28 फ़रवरी 2017

मुक्तक-इरादे

मुक्तक-इरादा
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जमाने की सुनकर घबराना नही
जो हुआ उसपे आँसू बहाना नही
इरादों से आधी जंग जीती जाती है
बिना लड़े कंधे कभी गिराना नही!
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सुनिल शर्मा नील
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ. ग.)
7828927284


इरादा

मुक्तक-इरादा
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जमाने की सुनकर घबराना नही
जो हुआ उसपे आँसू बहाना नही
इरादों हो तो आसमाँ भी झुकते है
चाहे जो हो कभी कंधे गिराना नही!
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सुनिल शर्मा नील
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ. ग.)
7828927284


आजाद

आजाद"
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तूफ़ान में आज़ादी का खेता रहा वो नाव,
चुन चुनके अंग्रेजो को भी देता रहा वो घाव।
छू न पाई कभी गुलामी उनको जीते जी
आज़ाद था मूछों पे ही देता रहा वो ताव।
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सोमवार, 27 फ़रवरी 2017

आजाद


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तूफानों में आजादी की नाव खेता रहा
क्रांतिवीर फिरंगियों से लोहा लेता रहा
"आजाद"था गुलामी छू न पाई  जीते जी
जब तक जिया मूँछों पे ताव देता रहा |
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सुनिल शर्मा"नील"
7828927284
CR

रविवार, 26 फ़रवरी 2017

बेटा बेटी एक है

बेटा-बेटी एक है,कब समझेंगे लोग
मन में अपने व्यर्थ का,पाले बैठे रोग!

बनके रहना तू "कमल"

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माना जमाने की हवा खराब है
यहाँ सबके चेहरों पे नकाब है
फिर भी बनके रहना तू "कमल"
उसके खाते में सबका हिसाब है|
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सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
CR

गुरुवार, 23 फ़रवरी 2017

नाम महाकाल तेरा

नाम महाकाल तेरा,,,,,,,,,
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कालों के भी काल तुम,नाम महाकाल तेरा
सत्य तुम्ही,शिव तुम्ही,सुंदर कहाते हो
अंग में भभूति और,सर्पों का श्रृंगार किए
हिय राम नाम लिए,धुनि को रमाते हो
पापन के नाश हेतु,रूप हनुमान लेते
सीता माँ की सुध लेते,लंका को जलाते हो
संकट में होती सृष्टि,तब विषपान कर
भोले मेरे "नीलकंठ",तुम बन जाते हो!
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सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
24/02/2017
CR

गुरुवार, 16 फ़रवरी 2017

छत्तीसगढ़ म बेंचही सरकार ह दारु,,,,,

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राजा ह प्रजा के टोटा मसकत हे
नियाव के भीतिया कइसे भसकत हे
छत्तीसगढ़ म बेचही सरकार ह दारु
कोन सोझ रेंगय जब सियाने भटकत हे
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मंगलवार, 14 फ़रवरी 2017

विष पीकर शंकर ,,,

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शब्दों को धरातल पर लाता क्यों नहीं
अपने हिस्से का दीया जलाता क्यों नहीं
बहुत आसाँ है उठाना दूसरों पे उंगली
विष पीकर शंकर बन जाता क्यों नही?
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सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया(छ. ग.)
7828927284

मत करो पागल

2122 2122 212
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मत करो घायल नजर के तीर से
मत करो पागल मुझे तुम पीर से
टूटता आया सदा हूँ इश्क में
मत भरो अब इन दृगों को नीर से
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अपने हिस्से का "दीया"

अपने हिस्से का दीया.......
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मानव होकर मानवता निभाता क्यों नही
किसी रोते हुए को कभी हँसाता क्यों नही
वैसे तो बड़ी शिकायते है जमाने से
अपने हिस्से का दीया खुद जलाता क्यों नही?
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सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
9755554470
रचना-14/02/2017

बुधवार, 8 फ़रवरी 2017

जिंदगी का साथ

2122 122,2122 122
टूटा चश्मा भी इनसे बनवाया नही जाता
खाना भरपेट दो वक्त का  खिलाया नही
सर दर्द हो गया है,अपने ही घर में रहना
जिंदगी का साथ अब निभाया नही जाता


सोमवार, 6 फ़रवरी 2017

बसंत

              ""बसंत""
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अलसाई धरती में उमंग छाया है
ऋतुराज बसन्त वापस आया है
सर्दी सरक करके गायब हुई है
दिनकर के होठों लाली खिली है
धरती ने ओढ़ी पीली चुनर है
कलियों पे झूमे देखो भ्रमर है
आम के तरू बौरों से सजे है
कोयल कूंको से पी को भजे है
प्रीत की बयार चले चहुओर है
मिलन को आतुर पोर-पोर है
मौसम को कैसे खुमार आया है
पुष्पों के सुगंध ने चमन महकाया है
बागों में बहार नजर आने लगी है
तितलियाँ झुंडों में मंडराने लगी है
मोहल्ले में फाग के गीत सुनाते है
प्रेयसी को होली के दिन याद आते है
राधा भी लगाए है मिलन की आस
साँवरिया से मिलादे रे पावन मधुमास!
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सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया(छत्तीसगढ़)
7828927284
CR
रचना-06/02/2017







गुलाम मशीनों का......


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मैदान सूना है कोई खेल दिखाई नही देता
पहले सा आपस में मेल दिखाई नही देता
गुलाम मशीनों का कुछ ऐसा बना मानव
ननिहालो के बालों में तेल दिखाई नही देता|
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सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया(छत्तीसगढ़)
7828927284
रचना-06/02/2017
CR

शनिवार, 4 फ़रवरी 2017

खुशी की "मातु"वह डाली

सुबह के सर्द मौसम में,लिये जब चाय की प्याली
जगाती है मुझे हरदम,बजाकर कान में ताली
दरश उनके करूँ जब भी,मुकम्मल तीर्थ होते है
दुआ के फूल बाँटे जो,खुशी की "मातु"वह डाली!