रविवार, 26 जून 2022

मुक्तक-नारी

वही बहना,वही तो माँ,वही बिटिया 
दुलारी है |
उसी से है सभी रिश्तें उसी से सृष्टि 
सारी है |
सदा वह बाँटकर खुशियाँ,दुःखों को 
झेलती आई,
करे जो त्याग हर युग में उसी का नाम 
नारी है ||

कवि सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया

सोमवार, 13 जून 2022

कुंडलिया-बलवा जो करवा रहे हर जुम्मे के रोज

बलवा जो करवा रहें, हर जुम्मे के रोज |
घर-घर जाकर कीजिये, उन गुंडों की खोज ||
उन गुंडों की खोज, छीन सुविधा सरकारी |
पृष्ठ भाग कर लाल, दंड दो उनको भारी |
घर उनके दो तोड़, दिखा योगी सा जलवा |
बाबर की औलाद, बने जो करते बलवा ||

सुनिल शर्मा 'नील'
थानखम्हरिया
8839740208

शनिवार, 11 जून 2022

केवड़े को हेय से न देखिएगा

केवड़े को हेय से न देखिएगा यूँ जनाब
सोंचके कि देता नही गुल जैसा गंध है |

एक पलड़े में दोनों को ना तौलिएगा कभी 
दोनों है कुसुम मात्र एक ही सम्बन्ध है |

तुलना किसी की किसी से नही उचित कभी
दोनों है प्रभावी कविता हो या निबंध है |

अनुपम है सभी जगदीश्वर की सृष्टि में
परमपिता का श्रेष्ठ यही तो प्रबंध है ||

सुनिल शर्मा 'नील'
8839740208
(छत्तीसगढ़)
सर्वाधिकार सुरक्षित

मंगलवार, 7 जून 2022

नारी अस्मिता पे घात जो यहाँ लगाता है

कीचक रावण दुशासन जयद्रथ बाली
नारी अस्मिता पे घात जो यहाँ लगाता है |

करता शोणित से स्नान स्वयं के सदा वो
प्राण पद मान वंश स्वयं का गँवाता है |

नारी स्वाभिमान पर मौन रहकर भीष्म
अंत का समय बाण शैय्या पे बिताता है |

नारी लज्जा हेतु निज प्राण को गँवाता गिद्ध 
मृत्यु के समय गोद राम जी का पाता है ||


सुनिल शर्मा 'नील'
4 /06/2022

शनिवार, 4 जून 2022

इतिहास आदरेय है,,,,

इतिहास आदरेय है बड़ा ये मानो किन्तु
जैसे का तैसा न उसे कभी भी स्वीकारिये |

मान के आदर्श धर्मराज को न खेल द्युत
भाईयों के संग निज नार को न हारिये |

दृष्टांत द्रौपदी को मान कन्या ब्याह करे
होगा क्या उचित वर्तमान में विचारिये |

करके अतीत का मूल्यांकन चुनिए मार्ग
भूल क्या-क्या हमसे हुई थी वो सुधारिये ||

सुनिल शर्मा नील
4/6/2022