बलवा जो करवा रहें, हर जुम्मे के रोज |
घर-घर जाकर कीजिये, उन गुंडों की खोज ||
उन गुंडों की खोज, छीन सुविधा सरकारी |
पृष्ठ भाग कर लाल, दंड दो उनको भारी |
घर उनके दो तोड़, दिखा योगी सा जलवा |
बाबर की औलाद, बने जो करते बलवा ||
सुनिल शर्मा 'नील'
थानखम्हरिया
8839740208
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