शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2018

मुल्क को मीत लिखता हूँ,,,,

नही सजनी व साजन के,कभी मैं गीत लिखता हूँ !
नही लैला व मजनू की,कभी मैं प्रीत लिखता हूँ !
वतन ही आन है मेरी,वतन ही जान है मेरा ,
सदा मैं मुल्क को अपने,हृदय का मीत लिखता हूँ!!

बुधवार, 10 अक्तूबर 2018

न बहकूँ धर्मपथ से भी,,,,

मिटा दुःख के अंधेरों को,तू सुख जीवन में भर
दे माँ !
है संकट जो भी जीवन में,उसे तू दूर कर
दे माँ !
शिखर पर जब कभी पहुँचूँ,तनिक न दर्प
छू पाए,
न बहकूँ धर्म पथ से भी,मुझे तू ऐसा वर
दे माँ !!
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-सुनिल शर्मा"नील"
   CR

न काँपें हाथ सच लिखने से

मिटा दुःख के अंधेरों को,तू सुख जीवन में भर दे माँ !
है संकट जो भी जीवन में,उसे तू दूर कर दे माँ !
शिखर पर जब कभी पहुँचूँ,तनिक न दर्प छू पाए,
न काँपे हाथ सच लिखने से,तू मुझको ऐसा वर दे माँ !!