शनिवार, 11 जून 2022

केवड़े को हेय से न देखिएगा

केवड़े को हेय से न देखिएगा यूँ जनाब
सोंचके कि देता नही गुल जैसा गंध है |

एक पलड़े में दोनों को ना तौलिएगा कभी 
दोनों है कुसुम मात्र एक ही सम्बन्ध है |

तुलना किसी की किसी से नही उचित कभी
दोनों है प्रभावी कविता हो या निबंध है |

अनुपम है सभी जगदीश्वर की सृष्टि में
परमपिता का श्रेष्ठ यही तो प्रबंध है ||

सुनिल शर्मा 'नील'
8839740208
(छत्तीसगढ़)
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