सोमवार, 29 फ़रवरी 2016

जिंदगी नेमत है

जिंदगी नेमत है
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जिंदगी नेमत है खुदा की इसे
कभी न मिटाना
नाकामयाबी मिले भी तो कभी
न जान गँवाना
फिर भी मन हो 'खुदकुशी' का
तो देखना बूढ़ी आँखों में
अपनी नादानी से जीते जी रुलाकर
उन्हें न पत्थर बनाना"
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सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
29/02/2016
CR

रविवार, 21 फ़रवरी 2016

कतरा कतरा

रगो में मौजूद कतरा-कतरा बहा दूँगा
इस पर आए हर संकट को मिटा दूँगा
गर पूछे कोई जान किसमे बसती है तेरी
गर्व से उँगली "तिरंगे"की ओर दिखा दूँगा|

सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छ.ग.)
7828927284
9755554470
CR
21/02/2016

गुरुवार, 4 फ़रवरी 2016

बुजुर्गों के पास

🌻🌸🌻🌸🌻🌸🌻🌸🌻🌸🌻
लाख किताबे न पढ़ ये नुस्खा
आजमाकर देख
"जिंदगी'' को समझना है तो बुजुर्गों
के पास जाकर बैठ
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📝सुनिल शर्मा"नील" थान खम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.) 7828927284 04/02/2016 CR

बुधवार, 3 फ़रवरी 2016

मुक्तक(03/02/2016)

🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀
जुनून से जिनके "हिमालय"
बौना बन जाता है
"अक्षम" तो वह है जो खुद
से हार जाता है|
🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀

📝सुनिल शर्मा "नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
03/02/2016
CR

गण काला कहीथे?

साहित्य म गण 10 होथे
जेला रटे अउ सुरता रखे बर विद्वान मन अनुसार "यमाताराजभानसलगा"सूत्र बताये हे.....
आखर के बाद वाले दु आखर ल मिलाके गण होथे....
यमाता
मातारा
ताराज
राजभा
जभान
भानस
नसल
सलग
दीर्घ और लघु के तीन तीन अक्षर के सेट बनाये जायें तो कुल 8 सेट बनते हैं । इन्हें ही गण कहा जाता है । इसे याद रखने के लिए साहित्य मनीषियों ने एक सूत्र बनाया है "यमाताराजभानसलगा"
जिस अक्षर से आप गिनना शुरू करेंगे, वह गण का नाम होगा और इन्हीं तीनों अक्षरों की मात्राएँ उस गण की मात्राएँ होंगी ।
उदहारण के तौर पर य से क्रमशः 3 अक्षर लें ।तो पहला अक्षर य है, अतः यगण कहलायेगा । क्रमशः 3 अक्षर होंगे यमाता । यमाता में य लघु है, मा और ता दीर्घ हैं ।तो यगण की मात्राओं का क्रम होगा लघु, दीर्घ, दीर्घ अर्थात् 1,2,2
आप रगण जानना चाहते हैं
तो रा से गिनना शुरू करें ।
राजभा
रा दीर्घ है, ज लघु है और भा दीर्घ है
अतः रगण की मात्राएँ दीर्घ,लघु,दीर्घ
अर्थात् 212 होंगी ।
रगण के शब्द ऐसी ही मात्राओं वाले शब्द होंगे ।जैसे यातना, पालना, बावरा, साँवरा आदि । इन सभी शब्दों में दीर्घ,लघु,दीर्घ याने 212 का मात्रा क्रम है ।
यमाता के उदाहरण बनाना, खिलाना, जमाना, समाना, बुलावा, छलावा, सुशीला आदि हैं। इनमें मात्र क्रम लघु, दीर्घ, दीर्घ माने 1,2,2, है। ऐसे ही अन्य गण भी पहचाने जायेंगे।

आखिर के दो गणों के उपयोग साहित्य में  नही होते

"दोहा का अउ कइसे अरुण जी के जुबानी"
दोहा ह एक अरधसममात्रिक छंद आवय| दोहा म 4 चरण होथे|पहलि अउ तीसर चरण(विसम चरन) मन म 13 मात्रा अउ दूसर अउ आखरी पद(सम)मन म 11-11 मात्रा होथे|विषम चरण ह "जगण"ले चालु नई होवय|विषम के आखिर म 212 या 111 मात्रा होना चाही(जइसे-संगी,जाना) अइसने सम चरण के आखिर म गुरु-लघु(2-1)होना चाही जइसे- नार ,मार आय ,जाय आदि उदाहरण- झन कर कपट तय संगी कपट काम नइ आय एकदिन हे चले जाना सदाबर कोन हे आय| #वर्ण/अक्षर# वर्ण ल अक्षर कहीथे|वर्ण 2 परकार के होथे|पहली स्वर वाले अक्षर जइसे अ,इ,उ,ऋ,क,कि,कु,कृ अउ दूसर दीर्घ स्वर वाले वर्ण जइसे(आ,ई,ऊ,ए,ऐ,ओ,औ,का,की,कू,के,कै,को,कौ आदि| "मात्रा के गणना" हृस्व के उच्चारन म जेन समय लगथे तेन एक मात्रा अउ दीर्घ के उच्चारण म समय लगथे तेन ल दु मात्रा गिने जाथे.. एमन ल लघु अउ गुरु घलो कहे जाथे| लघु अक्षर-अ,इ,उ,ऋ,क,कि,कु,कृ,चंद्रबिंदु वाले,इया,संजुक्त वर्ण जैसे त्य,म्य गुरु अक्षर-आ,ई,ऊ,ऐ,ओ,औ,का,की,कू,के,कै,को,इं,तः,नः,(अनुस्वार अउ विसर्ग वाले आखर) अग्र के अ(संयुक्त के पहिली आखर) अउ राजन् (म हलंत के पहिली आखर), आधा अक्षर सुरु म आय म ओला नई गीनय जइसे-स्तर म (स्-,त-1,र-1 कुल 2),जब आधा अक्षर बीच म आथे त आधा अक्षर के पहली वाला शब्द लघु हे त एहा अपन पहली वाले अक्षर ल दीर्घ कर देथे(जइसे बस्तर म ब-2,त-1,र-1) अउ अगर आधा अक्षर के पहिली वाला अक्षर गुरु हे त आधा अक्षर गिनती म नई आवय)जइसे दोस्त म(दो-2,त-1),संयुताक्षर(क्ष,त्र,ज्ञ)जब शबद के पहली आथे त एला एक गीनथे ,बीच म आथे त पहली वाले अक्षर ल दीर्घ कर देथे(जइसे क्षर म1+1=2,अउ अक्षर म-2+1+1=4) दोहा म घाव करे वाले बात होना चाही यानि जॉन बात कहना हे दु लाइन म कहींना हे|

मंगलवार, 2 फ़रवरी 2016

मुक्तक

आज कुछ घर के आधार स्तम्भ "पिता"पर............................
🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃
जिनके पावन चरणों में तीर्थ साक्षात
बसते हो
पाने को जिनका दुलार "नारायण"भी
तरसते हो
कभी न आने पाए आँसू दशरथ के उन
नयनों में
जिनमे अपने राम के खातिर नए स्वप्न नित पलते हो|
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सुनिल शर्मा 'नील'
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छत्तीसगढ़)
7828927284
02/02/2016
Copyright
morepankh.blogspot.com

एक मुक्तक "पिता"पर......

आज कुछ घर के आधार स्तम्भ "पिता"पर............................ 🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃 जिनके पावन चरणों में साक्षात तीर्थ बसते हो पाने को जिनका दुलार "नारायण"भी तरसते हो कभी न आने पाए आँसू दशरथ के उन नयनों में जिनमे सदा राम के हित अनगिनत स्वप्न पलते हो| 🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃 सुनिल शर्मा 'नील' थानखम्हरिया,बेमेतरा(छत्तीसगढ़) 7828927284 02/02/2016 Copyright morepankh.blogspot.com