शुक्रवार, 29 अप्रैल 2016

वीर रस के प्रसिद्ध कवि भाई देवेन्द्र परिहार जी के छोटे सुपुत्र "प्रखर"के जन्मदिवस पर आशीषस्वरूप हृदय से निकली कुछ पंक्तियाँ उन्हें जन्मदिवस पर समर्पित है..........
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भारती का बेटा है तू,तेज है प्रखर तेरा
यही है आशीष दुनिया में तेरा नाम हो
कर्म ऐसे हो कि माता-पिता का सम्मान बढ़े
संस्कारों से तू दशरथ नंदन राम हो|
वीरता प्रताप की ले रिपुओ का नाश करे
देशधर्म तेरे लिए सर्वोंपरी काम हो
इरादे हो दृढ़ जैसे अडीग हिमालय है
हर लक्ष्य तेरे लिए चुटकी का काम हो|
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मंगलवार, 26 अप्रैल 2016

मुक्तक(26/04/2016)

"उनके किस्से मशहूर होतें है" ********************************* मंजिलें अक्सर उनसे बहुत दूर होते है
किस्मत के भरोसे जो मजबूर होते है
लकीरों पे नही यकीं बाजुओं पे करतें है जो हमेशा दुनिया में उनके किस्से मशहूर होते है ********************************* सुनिल शर्मा "नील" थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़) 7828927284 9755554470 26/04/2016 Copyright

शनिवार, 23 अप्रैल 2016

प्रेम दिवाने

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प्रेम दिवाने भी क्या-क्या हरकत करते
तन से,मन से,दिल से ये कसरत करते

तन्हाई में अक्सर खुद से बातें करते
उसे पाने को खुदा से इबादत करते

रुठने पे उसकेे दुनिया लगती सूनी
मुस्कान को उसकी शोहरत समझते

लगता नही अच्छा एक उसके सिवा
हर धड़कन में उसी की हसरत करते

कहाँ करते परवाह रस्म-रिवाजों की
इश्कवाले हर बंदिश से नफरत करते

जाने कहाँ से आती है ताकत उनमें
टकराने की जमाने से हिम्मत करते| ********************************* सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छ.ग.)
रचना-02/04/2016
7828927284
copyright

वक्त गुजर जाएगा(मुक्तक)

"वक्त गुजर जाएगा"
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विपरीत कितना भी हो"वक्त"
गुजर जाएगा
जख्म गहरा सही एक दिन
भर जाएगा
खेना बंद न करना कभी धैर्य
की पतवार
खूनी समन्दरों से तू महफूज़
निकल जाएगा|
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सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
9755554470
22/04/2016
copyright

गुरुवार, 21 अप्रैल 2016

पानी जिनगानी हरय

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बूँद-बूँद पानी बर होवत हे मारामारी
कहना हे मोर अब तो चेत जावव जी
तड़फत सबो जीव देवत हे तालाबेली
पानी जिनगानी हरय एला बचाव जी|
पाटव झन कभू रे कुआँ अउ तरिया ल
तहुमन पुरखा कस पेड़ लगाव जी
रहीके पियासी खुद तोला कहा दय पानी जुरमिल भुइयां के पियास बुताव जी|

कई कोस रेंग पानी एक गुंडी पाथे जेन
थोकुन उखरोबर सोग तो देखाव जी
दुए घूंट पीना अउ गिलास भर फेकना
बेवकूफी कर तुम झन इतराव जी|
ताक झन मुहु पहली खुद ला सुधाररे
नाननान बात ले बदलाव लावव जी
बउरव वतके कि जतका जरूरत हो
सदउपयोग के आदत ल डारव जी|

परकिरती हे तब तक मनखे घलो हे
जीयो-जीयन दव के मंत्र अपनाव जी
दयाबिन मनखे के जीना तो अभिरथा हे
रहवास कखरो झन तो उजारव जी |
करनी के फल ले तो सुनामी-भूकम होथे परकिरती देबी ल झन रिसवावव जी
कल के सुराज बर छोरबो सुवारथ ल
गाँव-गाँव ए संदेशा ल बगरावव जी| ********************************* सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया(छ.ग.)
7828927284
रचना-18/04/2016
copyright

रविवार, 17 अप्रैल 2016

रोटी मेहनत की

********************************  किस्मत पे पछताता हूँ न कभी हाथ
फैलाता हूँ
एक जून ही सही रोटी "मेहनत" की
खाता हूँ ********************************* सुनिल शर्मा"नील" थानखम्हरिया,बेमेतरा 7828927284 17/04/2016

गुरुवार, 7 अप्रैल 2016

nit कश्मीर की बर्बर घटना पर मेरी ताजा रचना

( NIT कश्मीर में शांतिपूर्ण तरीके से तिरंगा फहराने वाले देशभक्त छात्रों पर जम्मू-कश्मीर पुलिस की बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज पर आक्रोश प्रकट करती मेरी ताजा रचना)
रचनाकार-सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,छत्तीसगढ़
7828927284

कौन भला सह सकता है जब माँ को गाली दी जाए
देशविरोधी नारो पर जब खुलके ताली दी जाए

खुलेआम कश्मीर में जब पाकी झंडे लहराते हो
जब स्वदेेशी टीम की हार पे जश्न मनाये जाते हो

देखके मंजर ये सब बोलो किसका खून न खौलेगा
बात देश के आन की हो तो कौन भला न बोलेगा

इन गतिविधियों के खिलाफ विरोध जताने निकले थे
सरजमीं पर अपने ही तिरंगा लहराने निकले थे

न थे कोई देशद्रोही न ही अफजल के चेले थे
भारतभूमि के बेटे थे वन्देमातरम बोले थे

शर्म न आई पुलिस को नादानों के रक्त बहाने में
राष्ट्रभक्ति पर बर्बरता का गंदा खेल दिखाने में

जेएनयू के आरोपी को दो दिन तक न छू पाते है
वन्देमातरम बोले जो उनपर दमनचक्र चलाते है

देश को गालीदेने वाले क्योंकर हीरो बन जाते है
शर्म नही आती क्यों उनको जो चाय पे इन्हें बुलाते है

जयचंदों को लाइव दिखाने कितने चैनल लग जाते है
पर ऐसी घटनाओं पे उनके मुँह ताले लग जाते है

देशद्रोह के आरोपी को सर  आँख बिठाने वाले
कहाँ गए अभिव्यक्ति के नाम पे मुल्क जलाने वाले

गर गुनाह  है अपनी भूमि को अपना बतलाने में
देशप्रेम के नारो संग तिरंगा फहराने में

"नील" कहे ऐसे गुनाह सूली चढ़कर कर जाएँगे
लेकिन भारतमाता की जय मरते दम तक के गाएँगे

पार्टीवाद से ऊपर उठकर ऐसा माहौल बनाओ जी
भूल गए वन्दे मातरम् जो उनको जरा सीखाओ जी

गठबंधन को भूलो अपना राष्ट्रधर्म दिखलाओ जी
पाकपरस्त लोगो को कोई कड़ा सबक सीखलाओ जी

बंद करो यह 370 जो भारत को बर्बाद करे
तिरंगे को फाड़े नित और आतंकी तैयार करे

एक देश में दो विधान अब देश नही सह पायेगा
अपनी माँ को रोता देखे हमसे न हो पायेगा

इन बच्चों ने किया वही अब करके हमें दिखाना है
जहाँ तिरंगा शान से फहरे वह कश्मीर बनाना है|
(कृपाकर कविता को मूल स्वरूप में ही शेयर करें.....काटछांट करके एक कवि के मेहनत पर पानी न फेरें)
रचनाकार-सुनिल शर्मा"नील"
              7828927284

NIT कश्मीर के बर्बर घटना पर मेरी ताजा कविता

( NIT कश्मीर में शांतिपूर्ण तरीके से तिरंगा फहराने वाले देशभक्त छात्रों पर जम्मू-कश्मीर पुलिस की बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज पर आक्रोश प्रकट करती मेरी ताजा रचना) रचनाकार-सुनिल शर्मा"नील" थानखम्हरिया,छत्तीसगढ़ 7828927284 ********************************* कौन भला सह सकता है जब माँ को गाली
दी जाए
देशविरोधी नारो पर भी खुलके ताली
दी जाए
खुलेआम कश्मीर में जब पाकी झंडे
लहराते हो
जब स्वदेेशी टीम की हार पे जश्न मनाये
जाते हो
देखके मंजर ये सब बोलो किसका खून न खौलेगा
बात देश के आन की हो तो कौन भला
न बोलेगा
इन गतिविधियों के खिलाफ विरोध जताने निकले थे
सरजमीं पर अपने ही तिरंगा लहराने
निकले थे
न थे कोई देशद्रोही न ही अफजल के
चेले थे
भारतभूमि के बेटे थे वन्देमातरम
बोले थे
शर्म न आई पुलिस को नादानों के रक्त
बहाने में
राष्ट्रभक्ति पर बर्बरता का गंदा खेल
दिखाने में
जेएनयू के आरोपी को दो दिन तक छू न
पाते है
वन्देमातरम बोले जो उनपर दमनचक्र
चलाते है
देश को गालीदेने वाले क्योंकर हीरो बन
जाते है
कुछ अक्ल के अंधे तो उनको भगत सिंह बतलाते है
शर्म नही आती जब नेता चाय पे इन्हें
बुलाते है
जिसको अपने गोद बिठाकर नेता नही
अघाते है
जयचंदों को लाइव दिखाने कितनो चैनल
लग जाते है
पर ऐसी घटनाओं पे मुँह उनके ताले लग
जाते है
देशद्रोह के आरोपी को सर आँख बिठाने
वाले
कहाँ गए अभिव्यक्ति के नाम पे मुल्क जलाने वाले
पुरस्कार लौटाने वाले लोग नही क्यों
दिखते है
देशप्रेम पीटा जाता है तब मुँह अपने सी
लेते है
देश पूछता है क्या उनमे बची नही खुद्दारी
है
या उनको भी लाइलाज देशद्रोह की बीमारी
है
गर गुनाह है अपनी भूमि को अपना बतलाने
में
देशप्रेम के नारो संग तिरंगा फहराने
में
"नील" कहे ऐसे गुनाह सूली चढ़कर कर
जाएँगे
लेकिन भारतमाता की जय मरते दम तक के गाएँगे
पार्टीवाद से ऊपर उठकर ऐसा माहौल बनाओ जी
भूल गए वन्दे मातरम् जो उनको जरा सीखाओ जी
गठबंधन को भूलो अपना राष्ट्रधर्म दिखलाओ
जी
पाकपरस्त लोगो को कोई कड़ा सबक सीखलाओ जी
बंद करो यह 370 जो भारत को बर्बाद
करे
तिरंगे को फाड़े नित और आतंकी तैयार
करे
एक देश में दो विधान अब देश नही सह
पायेगा
अपनी माँ को रोता देखे हमसे न हो
पायेगा
इन बच्चों ने किया अब हमको करके
दिखाना है
कश्मीर भारत से अलग नही यह सबको हमें बताना है| ********************************* सुनिल शर्मा "नील" 7828927284 (कृपाकर कविता को मूलरूप में ही शेयर करें ..काटछांट कर एक कवि के मेहनत पर पानी न फेरें)
रचना-07/04/2016