गुरुवार, 7 अप्रैल 2016

NIT कश्मीर के बर्बर घटना पर मेरी ताजा कविता

( NIT कश्मीर में शांतिपूर्ण तरीके से तिरंगा फहराने वाले देशभक्त छात्रों पर जम्मू-कश्मीर पुलिस की बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज पर आक्रोश प्रकट करती मेरी ताजा रचना) रचनाकार-सुनिल शर्मा"नील" थानखम्हरिया,छत्तीसगढ़ 7828927284 ********************************* कौन भला सह सकता है जब माँ को गाली
दी जाए
देशविरोधी नारो पर भी खुलके ताली
दी जाए
खुलेआम कश्मीर में जब पाकी झंडे
लहराते हो
जब स्वदेेशी टीम की हार पे जश्न मनाये
जाते हो
देखके मंजर ये सब बोलो किसका खून न खौलेगा
बात देश के आन की हो तो कौन भला
न बोलेगा
इन गतिविधियों के खिलाफ विरोध जताने निकले थे
सरजमीं पर अपने ही तिरंगा लहराने
निकले थे
न थे कोई देशद्रोही न ही अफजल के
चेले थे
भारतभूमि के बेटे थे वन्देमातरम
बोले थे
शर्म न आई पुलिस को नादानों के रक्त
बहाने में
राष्ट्रभक्ति पर बर्बरता का गंदा खेल
दिखाने में
जेएनयू के आरोपी को दो दिन तक छू न
पाते है
वन्देमातरम बोले जो उनपर दमनचक्र
चलाते है
देश को गालीदेने वाले क्योंकर हीरो बन
जाते है
कुछ अक्ल के अंधे तो उनको भगत सिंह बतलाते है
शर्म नही आती जब नेता चाय पे इन्हें
बुलाते है
जिसको अपने गोद बिठाकर नेता नही
अघाते है
जयचंदों को लाइव दिखाने कितनो चैनल
लग जाते है
पर ऐसी घटनाओं पे मुँह उनके ताले लग
जाते है
देशद्रोह के आरोपी को सर आँख बिठाने
वाले
कहाँ गए अभिव्यक्ति के नाम पे मुल्क जलाने वाले
पुरस्कार लौटाने वाले लोग नही क्यों
दिखते है
देशप्रेम पीटा जाता है तब मुँह अपने सी
लेते है
देश पूछता है क्या उनमे बची नही खुद्दारी
है
या उनको भी लाइलाज देशद्रोह की बीमारी
है
गर गुनाह है अपनी भूमि को अपना बतलाने
में
देशप्रेम के नारो संग तिरंगा फहराने
में
"नील" कहे ऐसे गुनाह सूली चढ़कर कर
जाएँगे
लेकिन भारतमाता की जय मरते दम तक के गाएँगे
पार्टीवाद से ऊपर उठकर ऐसा माहौल बनाओ जी
भूल गए वन्दे मातरम् जो उनको जरा सीखाओ जी
गठबंधन को भूलो अपना राष्ट्रधर्म दिखलाओ
जी
पाकपरस्त लोगो को कोई कड़ा सबक सीखलाओ जी
बंद करो यह 370 जो भारत को बर्बाद
करे
तिरंगे को फाड़े नित और आतंकी तैयार
करे
एक देश में दो विधान अब देश नही सह
पायेगा
अपनी माँ को रोता देखे हमसे न हो
पायेगा
इन बच्चों ने किया अब हमको करके
दिखाना है
कश्मीर भारत से अलग नही यह सबको हमें बताना है| ********************************* सुनिल शर्मा "नील" 7828927284 (कृपाकर कविता को मूलरूप में ही शेयर करें ..काटछांट कर एक कवि के मेहनत पर पानी न फेरें)
रचना-07/04/2016

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