मंगलवार, 23 फ़रवरी 2021

सगा(कुंडलियां 5)

कुंडलिया-5
*सगा*
सुधार के बाद
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पहुना ये भगवान कस, देवव उनला मान |
सुग्घर स्वागत ला करव,करवावव जलपान ||
करवावव जलपान, शास्त्र सब इही सिखाथे |
धरे सगा के रूप, नरायण घर मा आथे |
सेवा करके आप,सफल जीवन कर लेवव|
सदा अतिथि ला मान,देवता जइसे देवव||
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सुनिल शर्मा"नील"

शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2021

कुण्डलिय 4(बउरव देशी चीज)

कुंडलिया-4
*बउरव देशी चीज*
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बउरव कोई आप झन, कोनो चीनी माल |
नइ तो बनही देश के, ओ जी के जंजाल ||
ओ जी के जंजाल, देश ले हमर कमाही |
ओखर ले बंदूक ,रार वो इहाँ मचाही ||
बउरव देशी चीज,देश के जय तब होही |
भारत होही पोठ, चीन माथा धर रोही ||
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सुनिल शर्मा"नील"

गुरुवार, 18 फ़रवरी 2021

कुंडलिया छत्तीशगढ़ी 3(करजा)

कुंडलिया-3
*करजा*
सुधार के बाद
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चादर जतका बड़ हवय, वतके पाँव पसार |
नइ तो तोला बाद मा, मिलही कष्ट हजार ||
मिलही कष्ट हजार, मान ला अपन गँवाबे |
सरबस जाही तोर ,मूड़ ला धर पछताबे ||
*करजा* करना छोड़, सदा कर धन के आदर |
रख तैं खच्चित ध्यान,हवय कतका बड़ चादर ||
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सुनिल शर्मा"नील"

कुंडलिया(बसंत)

कुण्डलिया-2
*बसंत*
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गावत कोयल रूख मा, हवा सुघर ममहात |
झरगे जुन्ना पान सब, नवा पान हे आत ||
नवा पान हे आत, फूल हे आनी -बानी |
लहरावत हे खेत, चुनर ला पहिरे धानी ||
आमा मउरे देख, सबो के मन ला भावत |
आगे हवय बसंत, धरा के मन हर गावत ||
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सुनिल शर्मा"नील"

कुंडलिया(गणराज)

कुण्डलिया- १
*गणराज*
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पूजा पहिली आप के, करत हवव गणराज | 
सुग्घर कविता लिख सकव, अइसन वर दव आज || 
अइसन वर दव आज, देश के महिमा गाँवव |
मया दया आशीष, बड़े मन के मैं पाँवव ||
कलम लिखय सत मोर, नही कुछ माँगव दूजा | 
रखव मूड़ मा हाथ, करत हव पहिली पूजा ||
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सुनिल शर्मा"नील"

बुधवार, 17 फ़रवरी 2021

भारत(रोला 15)

रोला 15
*भारत*
सुधार के बाद
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हिमगिरि हे रखवार,नदी गंगा हे पावन |
सुग्घर खेती खार,लागथे बड़ मनभावन | |
दया मया सहयोग,जिहाँ के हे परिपाटी |
धन्य धन्य हे धन्य,हमर भारत के माटी ||
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सुनिल शर्मा

मंगलवार, 16 फ़रवरी 2021

खेतिखार(रोला 14)

रोला-१४
*खेती खार*
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बेटा पढ़ लिख आज , बाप के मान गिरावत |
पहिने टाई कोट, ज्ञान पा के अटियावत ||
बाबू मोर किसान, कहे बर आज लजावय |
बूता खेती खार ,नहीं अब ओ हर भावय ||
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सुनिल शर्मा

नदिया(रोला 13)

रोला -1३
विषय-*नदिया*
सुधार के बाद
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नदिया तरिया पाट, बनावत हें घर जब ले |
झेलत विपदा लाख, जगत हर संगी तब ले ||
मचगे हाहाकार, कहाँ ले आही पानी |
तरसत जम्मों जीव,होत मुश्किल जिनगानी ||
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सुनिल शर्मा"नील"

चौपाल(रोला 12)

रोला 12
*चौपाल*(गुड़ी)
*सुधार के बाद*
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लगै नहीं चौपाल, हवय सब घर मा खुसरे |
मया पिरित के गोठ,नहीं कोनो ला उसरे ||
फ़िक़्क़ा लगत तिहार, गली हर हावय सुन्ना |
पूछत हे चौपाल, कभू आही दिन जुन्ना ||
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सुनिल शर्मा"नील"

गाय(रोला 16)

रोला 16
*गाय*
*सुधार के बाद*
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दही-मही अउ दूध, गाय के हे गुणकारी |
करथे ये उद्धार, मनुज बर हे उपकारी ||
सबो देव के वास, गाय के अंतस करथे |
करथे जेन प्रणाम,सदा भव पार उतरथे ||
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सुनिल शर्मा"नील"

शनिवार, 13 फ़रवरी 2021

गुरुवार, 11 फ़रवरी 2021

नदिया(रोला 13)

रोला -1३
विषय-*नदिया*
सुधार के बाद
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नदिया तरिया पाट,बनावत हें घर जब ले |
झेलत विपदा लाख,जगत हर संगी तबले ||
मचगे हाहाकार, कहाँ ले आही पानी |
तरसत जम्मों जीव,होत मुश्किल जिनगानी ||
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सुनिल शर्मा"नील"

पागा(रोला 14)

रोला-14
*पागा*
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बँधही पागा मूड़, कमर कस कर तैयारी |
आज नही ता काल, तोर  आही रे पारी ||
करय जेन संघर्ष ,मान तेने हर पाथे |
खाके पथरा चोंट, एकदिन पूजे जाथे ||

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सुनिल शर्मा

सोमवार, 8 फ़रवरी 2021

मेला(कुंडलियां)

मेला
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आना जाना है लगा, जीवन मेला जान |
मृत्यु अंतिम सत्य है,क्यों करता अभिमान|
क्यों करता अभिमान, पालता द्वेष है मन में |
जीवन के दिन चार,प्रेम करले जीवन में |
कहे नील कविराय, अमर  मर कर  हो पाते |
कर के जो परमार्थ,यहां से जो भी जातें ||
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सुनिल शर्मा"नील"
छत्तीसगढ़

शनिवार, 6 फ़रवरी 2021

ददा के सूरता(रोला)

रोला-12
*ददा के सूरता*
सुधार के बाद
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बेटी करके याद, बाप ला रोवत हावय |
जब ले गे परलोक, नही कुछु ओला भावय |
बीते जम्मों बात, बाप के सुरता आथे |
फोटू ओखर देख, बिकट बेटी पछताथे ||
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सुनिल शर्मा

सोमवार, 1 फ़रवरी 2021

माया ला तैं छोड़(रोला 9)

रोला-९
*माया छोंड़*
सुधार के बाद
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आथे खाली हाथ, जनम जब कोनो पाथे |
नइ लेगय कुछ संग, जेन हर मर के जाथे ||
माया ला तैं छोंड़, हवस काबर भरमाये |
मीठा जग मा बोल, रहे कर झन अँटियाये  ||
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सुनिल शर्मा"नील"

कर लव शाकाहार(रोला ८)

*रोला-८*
*कर लव शाकाहार*
सुधार के बाद
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देंह अपन शमशान, बनाथव काबर बोलव |
जीए के अधिकार, बरोबर सब ला तोलव ||
कर लव शाकाहार, माँस अउ दारू त्यागव |
हाथ जोड़ के नील, कहत हे अब तो जागव ||
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सुनिल शर्मा"नील"

मीठ बानी(रोला ७)

*रोला ७*
*मीठा बानी*
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मीठा बानी बोल, सबो के मन ला भाथे |
सुनथे तेखर संग, कहइया हर सुख पाथे |
अमरित जइसे जान, बिपत मा काम बनावय|
बोलय जे हर मीठ, मान जग मा वो पावय ||
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सुनिल शर्मा"नील"