कुंडलिया-3
*करजा*
सुधार के बाद
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चादर जतका बड़ हवय, वतके पाँव पसार |
नइ तो तोला बाद मा, मिलही कष्ट हजार ||
मिलही कष्ट हजार, मान ला अपन गँवाबे |
सरबस जाही तोर ,मूड़ ला धर पछताबे ||
*करजा* करना छोड़, सदा कर धन के आदर |
रख तैं खच्चित ध्यान,हवय कतका बड़ चादर ||
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सुनिल शर्मा"नील"
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