कुण्डलिया- १
*गणराज*
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पूजा पहिली आप के, करत हवव गणराज |
सुग्घर कविता लिख सकव, अइसन वर दव आज ||
अइसन वर दव आज, देश के महिमा गाँवव |
मया दया आशीष, बड़े मन के मैं पाँवव ||
कलम लिखय सत मोर, नही कुछ माँगव दूजा |
रखव मूड़ मा हाथ, करत हव पहिली पूजा ||
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सुनिल शर्मा"नील"
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