मंगलवार, 15 सितंबर 2015

बेटीमन के मान के तिहार 'तीजा'-लेख

हमर छत्तीसगढ़ के संस्कीरति अड़बड़ पोठ हे|इहा के तिहार इहा के संस्कीरति के पहिचान हरय|छत्तीसगढ़ के अइसने लोकपिरिय तिहार हरय तीजा जउन बेटी मन के तिहार कहे जाथे|बिहाव होय के बाद बेटी मन अपन मइके ल जीयत नइ भुलावय उमन ल साल भर ले अगोरा रहिथे कि कब तीजा आवय अउ कब बाबू नहीं ते भाई उमन ल लेवा के तीजा बर मइके लेगय|

"मइके म होथे तीजा"-
तीजा के कुछ दिन पाछु ले छत्तीसगढ़ म अपन बेटी अउ बहनी मन ल ससुराल ले तीजा लेवा के मइके लाने के परथा हे|भाई/बाबू मन तीजा के पाछु बहनी/बेटी मन ल लेवा के लानथे ये दिन म बस,टरेन,जम्मों अड़बड़ भीड़ रहिथे|तइहा भाई मन बहनी ल लाने बर साइकिल नहीं ते बस म जावय,अब तो मोटरसाइकिल अउ चार चकिया म तको जाथे| बेटी ह मइके म तीजा के उपास रहिथे अउ अपन सुहाग के अखन्ड रहे के असीस मांगथे|मइके म दाई-ददा,भाई-भौजई अउ नानपन के सखी-सहेली संग मेलजोल होथे अउ सुख-दुःख के गोठ होथे|छत्तीसगढ़ के अलावा ये तिहार ह राजस्थान,उतरपरदेस,बिहार अउ मधपरदेस म घलो मनाय जाथे फेर एखर जेन रंग हमर छत्तीसगढ़ म देखे बर मिलथे वइसन दूसर जघा नइ मिलय|

"करू-भात खाना"-
तीजा के उपास ले एक दिन पहली बहनी मन करू भात खाथे|करेला के साग अउ भात के खवइ ल करू भात खवइ कहिथे|बजार म आज के दिन करेला के भाव ह बादर ल छुथे|तीजहारीन मन आजे के दिन हाथ म मेहंदी रचाथे अउ ठेठरी,खुरमी,कुसली अउ आनी-बानी के जिनिस ल बनाथे|

"फुलहेरा बाँधना"
तीजा के दिन बहनी मन के कठीन निरजला उपास चालु हो जथे|बिन पानी पीये अउ सोए चोबीस घन्टा उपास रहना कोनो सरल काम नोहय|बहनी मन रतिहा के पूजा बर डोरी म करके पर्रा(फुलहेरा)बाँधथे अउ ओला नवा लुगरा अउ पेड़ पतउआ म करके सजाथे| इही फुलहेरा के नीचे म शंकर-पारवती के माटी के मूरति बना के ओला आनी-बानी के डारा पाना ले सजाथे|

"तीजा के उपास अउ कथा सुनना"
नहा-धोके सुग्घर नवा लुगरा,नवा चूरी पहिर के, सिंगार करके बहनी मन उपास रहिथे आज के दिन खवइ त दूर एक बून्द पानी ल घलो नै पीयय |फुलहेरा तरी पारबती मइया अउ शंकर भगवान ल इस्नान करा के चाउर,चनदन,रोली,गुलाल,नवा कपड़ा,खेलवना,फूल-पान,दूबी चढ़ा के पूजा करथे अउ सुहाग के लंबा उमर बर भगवान ले बरदान माँगथे|पूजा के आखिर म कथा सुनथे कि कइसे पारबती मइया ह कठिन उपास रहिके शंकर भगवान ल वर के रूप म पाइस|कथा हवय कि कइसे परबतराज हिमांचल के बेटी पारबती ह अड़बड़ कठीन तपसिया करके अउ रुख के पत्ता ल खाके भोलेनाथ ल अपन पति रूप म पाईसे|जब पारवती मइया ह तपसिया करत रिहिसे तब नारद ह बिष्नु जी के बिहाव के रिशता लेके हिमाचलराज इहा गिस अउ हिमाचलराज ह तइयार घला होगे जब पारबती ल ये बात के जानबा होइस त अड़बड़ दुख होइस अउ भोलेनाथ के रेती के लिंग बना के पूजा करे लागिस|शंकर भगवान ह परसन होइस अउ पारबती मइया ल अपन अर्धांगनी रूप म सिवकार करिस|इही दिन ले अइसन केहे जाथे कि तीजा उपास के नेहे परिस |मनचाहा बर पाय बर कुवारी मन घलो ये उपास ल रखथे|

"घर-घर फरहार करना"-
तीजा के बिहान दिन बहनी मन घरो घर जाथे अउ फल-फूल,सिंघाड़ा,तीखुर,ठेठरी-खुरमी,अहिरसा खाके अपन उपास ल टोरथे अउ दूसर बहनी मन ल फरहार करे बर अपन घर नेवता देथे| "बेटी मन के मान के तिहार"- उपास के बिहान दिन भाई/बाबू मन बेटी ल ओखर मान (नवा लुगरा अउ सुहाग के जिनिस )देथे अउ सुहागिन रहे के अशीष देथे|बहनी मन तीजा के तिहार ल अउ दूसर तिहार ले थोरकुन जादा ओखरे सेती मानथे काबर कि एमा मइके के मया अउ छइंहा दुनो के रंग मिलथे|तीजा बर कहे गे हे........
"कउवा रे कउवा जाना बाबू ल भेज लेवाय बर, तीजा आवत हे|
दाई-ददा के अशीष ,सहेली के संग पाबो मइके म ,हिरदे गावत हे||
सुनिल शर्मा "नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
9755554470
रचना-17/08/2015
(पत्रिका एव राहगीर सन्देश में(14 सितम्बर 2015),ईतवारी अखबार में 13/09/2015 अउ दैनिक भास्कर बिलासपुर म (16 सितम्बर 2015 )म परकासित

शुक्रवार, 11 सितंबर 2015

बच्छर म एक बेर आथस रे तीजा

बच्छर म एक बेर आथस रे तीजा
सालभर ले अगोरवाथस रे तीजा
का जानबे कतका तोला सोरियाथन
गिन-गिन दिन हमन तोला बलाथन
मइके ले तीजा लेगेबर आथे भाई
अड़बड़ दुलार करथे बाबू अउ दाई
नानपन के संगी-सहेली ल पाथन
सुख-दुःख के गोठ जीभर गोठियाथन
बनथे कतरा,खुरमी,मुठिया अउ ठेठरी
खाथन सबोझन छोकरी अउ डोकरी
एक दिन पाछु खाथन करू भात
तीजा के दिनभर रहिथन उपास
भोले अउ उमा ल हमन मनाथन
अपन चुड़ी के अमरता ल पाथन
बिहान दिन घूम-घूम फरहार खाथन
नवा-नवा लुगरा के मान ल पाथन
लईका मन घलो पाथे कपड़ा-मिठइ
पूछत रहिथे तीजा कब आही दाई
रहय अमर ए छत्तीसगढ़िया संस्कीरति
मिलाथे ददा ले जउन ओखर दुलौरी बेटी|
सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
9755554470
रचना-11/09/2015
समय-11 बजे रतिहा

गुरुवार, 10 सितंबर 2015

नामोनिशान मिट जाएगा

शर्म नही आती तुमको जब युद्ध की बाते करते हो
ऐ गीदड़ पाक तुम्हें जब सिंह को धमकी देते
हो
भूल गए सन् पैसठ-करगिल तुमने मुँह की खाई थी
आतंकी कुत्तों संग मिल जब तुमने लड़ी लड़ाई थी
जब हमने लाहौर में तेरे अपना तिरंगा गाड़ा
था
तेरी ही धरती पे खड़े हो वंदे मातरम् गाया
था
भूल गए जब टाइगर हिल को नामर्दों से छुड़ाया था
लड़ते थे तुम चोंटी से फिर भी तुमको हराया
था
फिर किस मुँह से परमाणु देश की बातें करते
हो
दाने नही खाने को और मिटाने की बाते करते
हो
इतना न कर शैतानी की धैर्य हमारा टूट
जाए
तेरे कर्मों का घड़ा एक दिन तेरे हाथों फुट
जाए
तब न फिर अमेरिका होगा न बाप तुम्हारा
चाइना
तब न कोई बातें होंगी और न कोई होगा
आइना
पूरी दुनिया मिलकर भी तब तुझको बचा न पायेगा
कश्मीर के कातिल एकदिन जब काल तुम्हारा आएगा
बम्बई और संसद हमले का सब हिसाब कर देंगे हम
काश्मीर के हर जख्मों का पूरा जवाब दे देंगे
हम
हफीज सईद और न कोई दाऊद काम तुम्हारे आएगा
दुनिया के नक़्शे से जब तेरा नामोंनिशान मिट जाएगा|
सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
दिनाँक-10/09/2015
समय-प्रातः 7 बजे

सोमवार, 7 सितंबर 2015

मोला काबर टोनही कहिथे

महू आवव दाई नानकुन लईका के
मोरो छाती भीतरी हिरदे धड़कथे
जब-जब मारथे पथरा कोनो तव
पीरा म मोरो अंग-अंग ह तड़पथे
महुला अपन परिवार ले मया हे
देहे ले ममता के अमरित पझरथे
फेर काबर अनियाव होथे मोर ऊपर काबर दुनिया अतका जुलुम करथे?
दुनिया काबर मोला टोनही कहिथे?

गारी देथे गाँव के जम्मों मनखे मन
मोला देख अपन रेंगत रद्दा बदलथे
कोनो राक्षसिन ,कोनो मनहूस किथे
कान तीपथे तभो मुहीला आँखी तरेरथे
कभू चुन्दि हपाट के रद्दा म घिरलाथे
कभु बिन कपड़ा के गाँव भर घुमाथे
कभु रुख म बाँधके मोला कोहा मारथे
पढ़े-लिखे जमाना काबर तमाशा देखथे?
दुनिया काबर मोला टोनही कहिथे?

का तिरिया जनम लेना कोनो पाप हे
का अपन जिनगी ल जीना शराप हे
का इही बिकास आवय ज़माना के
जउन ससकतिरण के गोठ करथे
दूसर डाहर नारी ल लात-जूता मारथे
जम्मो बिकास मनखे के अभिरथा हे
जब तक टोनही नाव के लेवइया हे
ए सोंच ल समाज काबर पन्दौली देथे?
दुनिया काबर मोला टोनही कहिथे?

सुनिल शर्मा "नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
9755554470
(प्रकाशित)

शनिवार, 5 सितंबर 2015

कान्हा तुम आ जाओ

प्रेम की राह जग को दिखाने आ जाओ
कान्हा तुम सबके कष्ट मिटाने आ जाओ|

तुमने यमुना के लिए मारा था कालिया को
यहाँ हर नदियाँ प्रदूषित बचाने आ जाओ|

मित्रता भी होती है हैसियत देखकर यहाँ
पाठ सच्ची मित्रता का पढ़ाने आ जाओ|

तेरी प्यारी लाखो गउऐं कटती है हर रोज प्राण उनके काल से छुड़ाने आ जाओ|

लूटती है अस्मत रोज बहनों की चौक पर
लाज दुशासनों से उनकी बचाने आजाओ|

पुरुषत्व मौन है हर अर्जुन के अंदर आज
उपदेश गीता का फिर सुनाने आ जाओ|

मौजूद हर घर पापाचारी शिशुपाल यहाँ
धार सुदर्शन की इन्हें दिखाने आ जाओ|

परिभाषा बदल दी प्रेम की कामकीड़ों ने
अर्थ सच्चे प्रेम का इन्हें बताने आ जाओ|

मारा था द्वापर में तुमने हत्यारे कंश को
भ्रूण के हत्यारो को भी चेताने आ जाओ|

कौरव ताकतवर सही इस कलयुग में
सचरुपी पांडवों को जिताने आ जाओ|

सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा
(छत्तीसगढ़)
7828927284
9755554470
रचना-05/09/2015
©®







बुधवार, 2 सितंबर 2015

पहिली कमरछठ

चना,लाई,महुवा महू बिसाय हव
दोना अउ पतरी घलो मंगाए हव
लाने हव घी ,दूध-दही भईस के
पहली कमरछठ के थारी सजायहव|

देबी-देवता ल मेहा कतका मनाएव
उखरे अशीष बाबू चन्दाकस पाएव
झन लगय नजर कखरो करेजा ल
नानकुन ओखरबर पोतनी बनायहव|

लाइ-चना,महुवा,फूल-पान ल चढाहु
सगरी के देबी-देवता के आरती गाहू
सुनहु कथा मय कमरछठ के आज
परसाद पसहर-मिंझराभाजी बनायहव|

घरभर मनखेमन परसाद ल खाबो
दुःख के भोंभरा ले लइकन ल बचाबो
बनबो छानही हमन जिनगी भर उखर
भविस बर ओखर सुग्घर सपना सजायहव|

सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा
7828927284
9755554470 (cr)