शनिवार, 10 सितंबर 2022

हिन्दी दिवस पर मुक्तक


कही खोई हुई है जो उसे अब ढूँढ़
लाए हम |
चलो अब मान हिंदी का उसे फिर से 
दिलाए हम |
अधूरा है लगे श्रृंगार इस हिन्दी के बिंदी 
बिन |
चलो माथे पे भारत माँ के इसको फिर 
सजाए हम ||


सुनिल शर्मा "नील"