बुधवार, 28 दिसंबर 2016

स्वागत करें नववर्ष का


*********************************
जो हुआ वह भूलकर,अब मन्त्र ले संघर्ष का
आ जरा हम यत्न से,छूलें शिखर उत्कर्ष का
काम हो हर हाथ में ,ऐसा नया भारत गढ़े
दो विदा गतवर्ष को,स्वागत करें नववर्ष का
***********************************
सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छ. ग.)
28/12/2016
Copyright

शनिवार, 24 दिसंबर 2016

इन्हें भाता है तैमूर

       
*****************************
माफ़ करना "महाराणा" हम
शर्मिंदा है
तेरे देश में आज भी जयचंद
जिन्दा है
कलाम,हमीद नही इन्हें भाता
है तैमूर
वतन से नमकहरामी इनका पुराना धंधा है|
*****************************
सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
7828927284
25/12/2016
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मंगलवार, 13 दिसंबर 2016

मुहब्बत की नही रेखा


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वफ़ा जिससे किया मैंने दिया धोखा मुझे यारो
मुझे समझा खिलौने सा सदा खेला किया यारो
उसे कातिल भला खुद का कहूँ मैं कैसे बोलो जब
हथेली में मुहब्बत की नही रेखा मेरे यारो|
*********************************
सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छ.ग.)
7828927284
Copyright
13/12/2016

नोटबंदी का कैसा ये प्रहार


*********************************
एक तरफ सूखा तो दूसरी तरफ बहार है
भ्रष्टाचारी गुलाबी और गरीबो की कतार है
हर शख्स कर रहा बस यही सवाल है
कालाधन पे नोटबंदी का कैसा ये प्रहार है?
*********************************
सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
7828927284
9755554470
13/12/2016
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सोमवार, 12 दिसंबर 2016

नोटबंदी का कैसा ये प्रहार

*********************************
एक तरफ सूखा तो दूसरी तरफ बहार है
भ्रष्टाचारी गुलाबी औ गरीबों की कतार है
यही प्रश्न उठ रहा भारत के जनमानस में
कालाधन पे नोटबंदी का कैसा ये प्रहार है
*********************************
सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छ. ग.)
7828927284
9755554470
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निराला साहित्य समिति के सदस्य धर्मेंद्र निर्मल के द्वितीय कृति व्यंग्य संग्रह "तुंहर जउहर होवय"का विमोचन 12/12/2016 को संयुक्त रूप से दुर्ग जिला हिंदी साहित्य समिति एवम निराला साहित्य समिति थान खम्हरिया द्वारा AIM भवन दुर्ग में हुआ जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में व्यंग्यकार विनोद साव जी,अध्यक्षता रवि श्रीवास्तव जी एवम वरिष्ठ अतिथिगण के रूप में संजीव तिवारी जी(संपादक गुरतुर गोठ),राजकमल सिंह राजपूत जी(अध्यक्ष निराला साहित्य समिति थान खम्हरिया),एवम डॉक्टर संजय दानी जी(अध्यक्ष दुर्ग जिला हिंदी साहित्य समिति)रहे!किताब के समीक्षा के रूप में सभी ने अपने विचार रखे!इस कार्यक्रम में बहुत से वरिष्ठ साहित्यकार शकुन्तला शर्मा जी,छंदविद अरुण नॉम जी,रमेश चौहान जी,सूर्यकांत गुप्ता जी,गजलकार गिरिराज भंडारी जी,गिरधारी देवांगन जी,संदीप साहू जी सहित आप सबका यह मित्र सुनिल शर्मा"नील"भी रहा!कार्यक्रम का सफल संचालन छंदविद रमेश चौहान ने किया!

बुधवार, 7 दिसंबर 2016

कच्चे घर की तरह

कच्चे घर की तरह ********************************* मौसम के सारे प्रहार हँसकर सहती है
सर पे मेरे वह छाँव बनकर रहती है
जब भी थकता हूँ बड़ा सुकून देती है
किसी घर की तरह मुहब्बत मुझे गती है ********************************* सुनिल शर्मा"नील" थान खम्हरिया(छ.ग.) 7828927284 07/12/2016💐

शनिवार, 3 दिसंबर 2016

चले थे बंद जो करने

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चले थे बन्द जो करने,हुए मुँह
बंद है उनके
मल रहे हाथ अब केवल,हुए सुर
मंद है उनके
विपक्षी द्वेष में पागल,हुए कितने
न पूछो तुम
देशबंद के समर्थन में,समर्थक
चंद है उनके
*****************************
सुनिल शर्मा नील
थान खम्हरिया(छ. ग.)
7828927284
03/12/2016

मंगलवार, 22 नवंबर 2016

रेल दुर्घटना पर

रेल दुर्घटना पर ****************************** देते रहे सन्देश सब,पर टालते ही रह गए अपने किये पर पर्दा ,वे डालते ही रह गए ये भूल मानव की कहूँ या काल की मैं क्रूरता हर पल सफर में मौत को वे पालते ही रह गए ********************************* सुनिल शर्मा"नील" थांनखम्हरिया(छ. ग.) 7828927284 22/11/2016 Cr

शनिवार, 19 नवंबर 2016

निराला साहित्य समिति,थान खम्हरिया की गोष्ठी संपन्न,विमुद्रीकरण का किया कवियों ने समर्थन

"निराला साहित्य समिति,थान खम्हरिया(छ. ग.) की काव्य गोष्ठी संपन्न,विमुद्रीकरण का किया कवियों ने समर्थन"
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
नगर की सबसे पुरानी और सक्रिय साहित्यिक समिति निराला साहित्य समिति थानखम्हरिया(छ. ग.) की काव्यगोष्ठी कल दिनाँक 18/11/2016 को फाइन फिनिश टेलर्स प्रतिष्ठान में संपन्न हुई!गोष्ठी का प्रारंभ अध्यक्ष राजकमल जी एवम अनिल तिवारी(कोषाध्यक्ष) के द्वारा माँ शारदे के पूजन के साथ प्रारम्भ हुआ|आयोजित गोष्ठी में सभी कवियों ने नवरसों की वर्षा अपने रचनाओं के माध्यम से की!विमुद्रीकरण, सर्जिकल स्ट्राइक,देशभक्ति और छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ में शराब से हो रही दुर्गति पर कवियों ने अपनी रचनाएँ पढ़ी!गजलकारों के गजलों और ओज कवियों के देशभक्ति रचनाओं ने समा बाँध दिया!गोष्ठी का सफल संचालन कवि रामस्नेही नामदेव ने किया!इस गोष्ठी में समिति के राजकमल राजपूत,अनिल तिवारी,गिरधारी देवांगन,सुनिल शर्मा नील,रामस्नेही नामदेव,चैतन्य जितेंद्र तिवारी,मूलचंद निर्मलकर,श्रवण साहू,संदीप साहू आदि कवि उपस्थित रहे!कार्यक्रम का आभारप्रदर्शन सचिव गिरधारी देवांगन ने किया|
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆

अधूरा मुक्तक

****अधूरा मुक्तक-404******** के अंतर्गत नवमुक्तक समारोह 87* ससम्मान अध्यक्ष महोदया अमिता मिश्रा जी संचालक आदरणीय वीर पटेल जी एवम सम्माननीय मंच को सादर समर्पित....... प्रेरक कवि-स्वप्रेरित ■■■■■■■■■■■■■■■■■■ "सिम" के लिए भूख भूलाने वालों "नेता" के लिए डंडे खाने वालों कुछ दिन का कष्ट सहलो "राष्ट्रहित" में ----------------------------- ---------- ■■■■■■■■■■■■■■■■■■ सुनिल शर्मा"नील"

मंगलवार, 15 नवंबर 2016

मुस्कुराई "भारती"

खेलते थे आजतक जो देश के
सम्मान से
हाथ कीचड़ से सने सजते धवल
परिधान से
देख तड़पन आज उनकी अवनि को
राहत मिली
मुस्कुराई ""भारती""मोदी के इस
अभियान से | ******************************** सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया(छ. ग.)
7828927284
16/11/2016 CR

मुस्कुराई भारती

मुस्कुराई भारती
*********************************
आजतक खेला किए,जो राष्ट्र के
सम्मान से
जो सदा कुतरा किए,माँ की चुनर
जीजान से
देख तड़पन आज उनकी,है मुझे
राहत मिली
मुस्कुराई भारती मोदी के इस
अभियान से
*********************************
सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा(छ. ग.)
7828927284
15/11/2016
Cr

रविवार, 13 नवंबर 2016

दो धककेँ


लाइन लगना"जियो"के लिए
अखरता नहीं
भीड़ से "मयखाने"के कभी
बिफरता नही
दो धक्के देश के लिए खाकर
तिलमिला गया





शुक्रवार, 11 नवंबर 2016

राम राज्य आ रहा है

*********************************
न नींद है ,न हलक में निवाला
जा रहा है
समूह कालाबाजारी का शोकगीत
गा रहा है
"ईमानदारी"कुछ दिनों से खुश है
बहुत
लगता है फिर से "रामराज्य" आ
रहा है *********************************
सुनिल शर्मा"नील"
थांनखम्हरिया(छत्तीसगढ़)
7828927284
11/11/2016
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गुरुवार, 10 नवंबर 2016

रात पूनम की

*************************
गगन पर खेलते तारे,मिले सौगात
पूनम की
नहाती ओस से धरती ,करे क्या बात
पूनम की
लगे है दूध की धारा, बहे है नील
अम्बर में
ठिठुरकर चाँद ने देखो ,गुजारी रात
पूनम की|
***********************
सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा(छ. ग.)
7828927284 Copyright
10/11/2016

मंगलवार, 8 नवंबर 2016

कालाधन माटी हुआ.....

■■■■■■■■■◆■■■■■■◆◆ मोदी तेरे वार से भ्रष्टाचारी पस्त कालाधन माटी हुआ अर्थव्यवस्था मस्त ■■◆◆◆◆◆◆◆●●●◆◆◆●●●●● सुनिल शर्मा"नील" थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.) 7828927284 09/11/2016 CR

सोमवार, 7 नवंबर 2016

अपने साथ देने लगे अधर्म को

■■■■■■■■■■■■■■■■■■
"अपने" साथ देने लगे अधर्म को
भूलकर मानवता के मर्म को
जरूरी होता है उठाना गांडीव
दिखाए पाप आँखें जब धर्म को ■■■■■■■■■■■■■■■■■■
सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा
7828927284
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07/11/2016 "

रविवार, 6 नवंबर 2016

तकें है राह भाई की

एक फौजी के बहन की स्थिति का चित्र देखें,,,,,,,,,,,, ■■■■■■■■■■■■■■■■■■ जलाये आस का दीपक ,तकें है राह भाई की पता है वो गया रण पर ,मगर है चाह भाई की नयन से धार है बहती,निहारती चित्र को अपलक सभी बहनें हमेशा ही,करे परवाह भाई की| ■■■■■■■■■■■■■■■■■■ सुनिल शर्मा"नील" थान खम्हरिया,बेमेतरा(छ. ग.) 7828927284 06/11/2016 Copyright

बहन रोती है भाई की

**********************************
जलाये आस का दीपक  ,तकें है राह भाई की
पता है वो गया रण पर ,मगर है चाह भाई जी
नयन से धार है बहता निहारे चित्र को अपलक
टिकाकर गोद मैया की ,बहन रोती है भाई की|
***********************************
सुनिल शर्मा"नील"
7828927284
07/11/2016
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निहारे राह भाई की


भाई दूज पर एक जवान के घर का चित्र,,,,,,,,,,
*********************************
जलाकर आस का दीपक,निहारे राह
भाई की
जानती है वो रण भू पर ,है फिर भी चाह
भाई की
अश्रू की धाराएँ बहती,देखती चित्र को
अपलक
टिकाकर सिर को गोदी में,बहन रोती है
माई की|
*********************************
सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ. ग.)
7828927284
9755554470
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07/11/2016

शनिवार, 29 अक्तूबर 2016

एक दीप भारतीय फ़ौज के लिए

""एक दीप भारतीय फ़ौज के लिए "" ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● जिनके बलिदानों से ही शांति का दीया जगमगाता है जलाना एक दीप उनके लिए भी जिनसे भारत मुस्कुराता है| ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● सुनिल शर्मा"नील" थान खम्हरिया,बेमेतरा 7828927284 30/10/2016 Copyright

शुक्रवार, 28 अक्तूबर 2016

एक कदम उजाले की ओर

"एक कदम उजाले की ओर" ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
"तम" को "श्रम" से हराकर,तिरंगा लहर-लहर लहराते है
"उद्यम" के महामंत्र से,भारत को पुनः
विश्वगुरु बनाते है
असीमित ऊर्जा निहित है हममें,आओ
पहचाने इसे
उजाले की ओर चलो एक कदम
बढ़ाते है

कहीं बर्बाद होता भोजन,कहीं लोग भूखे सो जाते है
ऐसे असमानता के रहते भला,किस
विकास पर इतराते है
इस दीवाली शांत कर भूखों की
क्षुधा को
प्रकाश में दीए के चलो "भूख" को
जलाते है

"बेटियाँ" आज भी भीड़ में निकलने से
घबराती है
कितनी बेटियों की अस्मत हर रोज लूटी
जाती है
करके दुशासनों का वध,हराकर कौरव
सेना को
समाज में नारी को निर्भयतापूर्वक जीना
सिखातें है

स्वार्थ में अंधे होकर हमने स्वयं पर ही
वार किया
नष्ट किया जल,जंगल और जमीन को
जीवों का संहार किया
इससे पहले पूर्णतः नष्ट हो जाए प्यारी
प्रकृति
चलो नारा "सहअस्तित्व" का जन-जन को सिखातें है

किस बात की डिग्रियाँ जब तक देश में अशिक्षा का नाम है
अंध्विश्वास और कुरीतियों के कारण राष्ट्र होता बदनाम है
हर कोने तक प्रकाशित हो शिक्षा का दिव्य प्रकाश
परस्पर मिलकर चलो एक ऐसा "दिनकर"
उगाते है

हमारे सुकून की खातिर जो सीमा पर प्राण गंवातें है
देश के कुछ आस्तीन फिर भी जिनका हौंसला गिराते है
बनकर संबल ऐसे माँ भारती के
सपूतों का
आतंकवादियों को चलो उनकी औकात
बताते है

स्वच्छता का भारत के हर घर में
संस्कार हो
स्वस्थ रहे समाज मेरा न कोई इसमें
विकार हो
भाव ये प्रतिबद्ध होकर दौड़े हर
भारतवासी  में
चलो मिलकर एक नया "स्वच्छ भारत
बनाते है| ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा(छ. ग.)
7828927284
28/10/2016
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बुधवार, 26 अक्तूबर 2016

है रीत यहाँ बिलकुल उल्टी

●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
सूना-सूना मंदिर दिखता,पर मदिरालय
में चहल-पहल
कलयुग तो पापों का कीचड़,पर बनना
चाहे कौन "कमल"
है रीत यहाँ बिल्कुल उल्टी,मुर्दों को
पूजा जाता है
जीते जी मिलता प्यार नहीं ,मरने पर बनते ताजमहल  ।
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
सुनिल शर्मा "नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ. ग.)
7828927284
26/10/2016
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मंगलवार, 25 अक्तूबर 2016

हो सार तुम

मेरे जीवन के वीणा की हो तार तुम
मेरे साँसों के सरगम की झंकार तुम
कितनी रचना रची है तुम्हे देखकर
मैं कवि मेरी कविता की हो सार तुम|
★★★★★★★★★★★★★★★★★★
सुनिल शर्मा"नील"
थांनखम्हरिया,बेमेतरा(छ. ग.)
7828927284

सोमवार, 24 अक्तूबर 2016

दोहा-संसार

इस पापी संसार में,ना कर भल की चाह
भटके कितने ही पथिक,जिसने पूछी राह
24/10/2016

शनिवार, 10 सितंबर 2016

मुक्तक-कर बैरी के नाश

मुक्तक-कर बैरी के नाश
*********************************
अमन चैन के देश मोर बरत हवय ग आज
111 /212/ 21 21 /111112/21
"भारतमाता"ला चिथत हे आतंकी बाज
111/212/2121/111112/21
कर बैरी के नाश आके माँ के दुख हरव
111/212/ 2121/111112/21 
करत हवव मैं प्राथना हे गणपति-गणराज
111/212/2121/111 112/21
********************************
सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
10/09/2016
7828927284
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मुक्तक-गिरिजानंदन

मुक्तक-"गिरिजानंदन"
********************************
सबले बड़े "दाई-ददा" हे जग ला जेन
11212/22122/2221/
सिखाए हे
1222
"बचन"रखे खातिर जेन अपन मुड़ी ल
11212/22122/2221
घलो कटाए हे
1222
झन करव पूजा भर जी गुन ला घलो
11212/22122/2221
सबो ओखर धरव
1222
देखव संगी फेर मयारू "गिरिजानंदन"
11212/22122/2221/
आए हे|
1222
*********************************
सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
10/9/2016
7828927284
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गुरुवार, 18 अगस्त 2016

फना

********************************* "हमारे सुकून की खातिर सीमा पर फना हो जाते है कद्र करों उन कलाइयों की जो बहनों से जुदा हो जाते है" salute to indian army ********************************* सुनिल शर्मा"नील" थान खम्हरिया(छ.ग.) 7828927284 18/08/2016

शनिवार, 13 अगस्त 2016

वन्दे मातरम्

"वन्दे मातरम्" ********************************* भगत,बोस,आजाद,सभी का प्राण वन्देमातरम् भारत के जनजीवन की पहचान वन्देमातरम् स्वतंत्रता के संघर्षों में बिजली बनकर जो टूटे ऐसे अमर शहीदो का है गान वन्देमातरम् ********************************* सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
14/08/2016

शनिवार, 25 जून 2016

झन काटव जी रूख ल

"झन काटव जी रूख ल" (विधा-दोहा) ********************************* होके अंधरा स्वार्थ म,कइसे तोरे काम काटे सइघो रूख ला,तँय बिकास के नाम जीयत भर तो रूख हा,देथे तोला सांस देथे ममता दाइ कस ,करथस ओखर नास जरी-बूटि,फल-फूल के,देथे वो उपहार रेंगावत आरा हवस,सुने बिना गोहार गावत झूलय झूलना,बइठ चिरइमन साख खोंदरा उखर उजारके,दिए काट तँय पाँख तड़फत सब्बो जीवमन ,देवत हवय सराप करही तोरे नाश रे,मनखे तोरे पाप गरमी लगही जाड़ कस,सावन पानी ताक रौरव नरक ल भोगबे,मिल जाबे तैं खाक घूरही जिनगी म जहर,परदूसन के मार भोगेबर करनी के फल ,रह मनखे तइयार भुइयां नोहय तोर भर,सबके हे अधिकार जीयन दे सबो जीव ल,सबला दे ग पियार रूख बिना हे काय रे,मनखे तोर औकात रुख हवय त तय हवस,सार इही हे बात झन काटव जी रूख ल,"नील" कहत करजोर रुख लगा हरियर करव बारी,अगना,खोर| ******************************** सुनिल शर्मा"नील" थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.) 7828927284 24/06/2016 copyright

झन काटव जी रुख ल

"झन काटव जी रूख ल" (विधा-दोहा) ********************************* होके अंधरा स्वार्थ म,कइसे तोरे काम काटके सइघो रूख ल,देत "बिकासे" नाम "रूख"जउन ह जीयत भर,दिस तोला तो सांस ममता दिसे दाई कस ,करत ओखरे नास जरी-बुटी,फल-फूल के,दिसे जेन उपहार काबर आरा ले कटत,पारत हे गोहार गावत झूलय झूलना,जेन चिरइमन साख उजारे खोंदरा उखर,काटे उखरो पाँख तड़फत सब्बो जीवमन ,देवत हवय सराप करही तोरे नाश रे,मनखे तोरे पाप गरमी लगही जाड़ कस,सावन ह पानी बिन रौरव नरक ल भोगबे,आही ग अइसे दिन घूरही जिनगी म जहर,परही परदूसन मार भोगेबर करनी के फल ,रह मनखे तइयार भुइयां नोहय तोर भर,सबके हे अधिकार जीयन दे सबो जीव ल,सबला दे ग पियार रूख बिना हे काय रे,मनखे तोर औकात रुख हवय त तय हवस,सार इही हे बात झन काटव जी रूख ल,"नील" कहत करजोर रुख लगाके कर हरियर, बारी,अगना,खोर| ******************************** सुनिल शर्मा"नील" थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.) 7828927284 24/06/2016 copyright

झन काटव जी रुख ल-कबिता

************************************ होके अंधरा स्वार्थ म,कइसे तोरे काम
काटके सइघो रूख ल,देत "बिकासे" नाम

"रूख"जउन ह जीयत भर,दिस तोला तो सांस ममता दिसे दाई कस ,करत ओखरे नास

जरी-बुटी,फल-फूल के,दिसे जेन उपहार
काबर आरा ले कटत,पारत हे गोहार

गावत झूलय झूलना,जेन चिरइमन साख
उजारे खोंदरा उखर,काटे उखरो पाँख

तड़फत सब्बो जीवमन ,देवत हवय सराप
करही तोरे नाश रे,मनखे तोरे पाप

गरमी लगही जाड़ कस,सावन ह पानी बिन
रौरव नरक ल भोगबे,आही ग अइसे दिन

घूरही जिनगी म जहर,परही परदूसन मार भोगेबर करनी के फल ,रह मनखे तइयार

भुइयां नोहय तोर भर,सबके हे अधिकार
जीयन दे सबो जीव ल,सबला दे ग पियार

रूख बिना हे काय रे,मनखे तोर औकात
रुख हवय त तय हवस,सार इही हे बात

झन काटव जी रूख ल,"नील" कहत करजोर रुख लगाके कर हरियर, बारी,अगना,खोर| ******************************** सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
24/06/2016
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गुरुवार, 23 जून 2016

पता अखबारों के

छत्तीसगढ़ी साहित्य ल पढ़हव
अऊ अपन रचना विभिन्न
पत्र-पत्रिका म प्रकाशित करव
---------------------------------------------
छमाही पत्रिका
1) "सगुन चिरईया"
संपादक - मनी मनेश्वर ध्येय
dhyeymani@gmail.com
-------------------------------------------
तिमाही पत्रिका
2) "नारी का संबल"
संपादक - शकुंतला तरार
shakuntalatarar7@gmail.com
3) "हमर चिन्हारी"
संपादक -
hamarchinhari@gmail.com
----------------------------------------------
पाक्षिक १५ दिनो मे
4) "चौपाल" हरिभूमि समाचार पत्र
संपादक - दीनदयाल साहू
हर 15 दिन मे गुरूवार के।
choupalharibhoomi@gmail.com
----------------------------------------------
मासिक पत्रिका
5) "अंजोर" छत्तीसगढ़ी मासिक पत्रिका
संपादक - जयंत साहू डूंडा रायपुर
हर महिना 27 तारिख के।
anjore.cg@gmail.com
6) "अस्मिता और स्वाभिमान"
संपादक - भूवन वर्मा बिलासपुर।
ashmitanews@gmail.com
7) "राजिम टाईम्स"
संपादक - तुकाराम कंसारी
tukaramkansari@gmail.com
---------------------------------------------
साप्ताहिक पत्रिका
8) "ईतवारी" अखबार रायपुर
संपादक - डेली छत्तीसगढ़
सिर्फ लेख - (छत्तीसगढ़ी हिन्दी)
प्रत्येक रविवार परकाशन।
itwari@gmail.com
9) "राहगीर संदेश" रायगढ़
संपादक -
rahgirsandesh@gmail.com
10) "संगवारी" दैनिक भास्कर
संपादक - बिलासपुर समुह
प्रत्येक बुधवार के परकाशन।
sangwari2010@gmail.com
11) "मडई" देशबंधु
संपादक - सुधा वर्मा
प्रत्येक रविवार पुरा प्रदेश मे।
sudhaverma55@gmail.com
12) "पहट" पत्रिका पेपर
संपादक - गुलाल वर्मा
प्रत्येक सोमवार रायपुर से।
editor.raipur@epatrika.com
13) "अपन डेरा" अमृत संदेश
संम्पादक - अमृत संदेश मंडल
प्रत्येक शनिवार रायपुर से।
amritsandeshraipur@yahoo.in
14) छत्तीसगढ़ शब्द
क्षेत्रीय समाचार पत्र राजिम
cgshabd@gmail.com
15) छत्तीसगढ़ी साहित्य संग्रह
ब्लाग - देव हीरा लहरी
प्रत्येक मंगलवार,गुरूवार,शुक्रवार।
cgkavitaa@gmail.com
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प्रतिदिन साहित्यिक पेज
16) किरण दूत रायगढ़
संपादक - चंद्रा मौर्य
प्रतिदिन पेज नंबर 06
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संग्रहणकर्ता
@ देव हीरा लहरी
चंदखुरी फार्म रायपुर
devlahari.blogspot.com

बुधवार, 22 जून 2016

नील के दोहे


नील के दोहे
***********************************
"रूप"
1)चंदा घलो लजा जथे ,अइसन तोरे रूप
मीठ मंदरस के हरस,गोरी तै तो कूप

"नाक"
2)काम कर अइसे जेमा,ऊंचा होवय नाक
अपजश ले होथे बने,हो जाना जी खाक

"ज्ञान"
3)देवत रहीस मंच मा ,शाकाहारी ज्ञान
रात दिन उही मांस ले,करत हवे असनान

"पाँव"
4)तीरथ ले बढ़के हवय,मातपिता के पाँव
भूलव झन ओला कभू,जेन मया के छाँव

"हाथ"
5)किरिया खावय जेनहा,दुहू जनमभर साथ
रद्दा बीचे मा उही,छोड़त हे अब हाथ
************************************
सुनिल शर्मा "नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा
7828927284
copyright

सोमवार, 20 जून 2016

मुक्तक-किस मुँह से

(मूक जीवों की हत्या अपने मजे के लिए करने वालों पर......) किस मुँह से.......... ********************************* किस शिक्षा और विकास पर इतना इतराते हम उजाड़कर प्रकृति को पीठ अपना थपथपाते हम स्वाद और मजे के लिए मूक जीवों का लहू बहाने वाले आखिर किस मुँह से खुद को "इंसान" बतलाते हम ********************************* सुनिल शर्मा"नील" थान खम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.) 7828927284 copyright 20/06/2016

बुधवार, 15 जून 2016

बेटी ल पढ़ाव जी

            बेटी ल पढ़ाव जी
           ~विधा-घनाक्षरी~ ********************************* जिनगी के अधार बेटी,घर के बहार बेटी
आवय गंगा धार बेटी,बेटी ल बचाव जी
बेटी चिरईया आय,आँसू पोछैया आय
बेटा-बेटी बरोबर ,भेद ल मिटाव जी
बेटी छुही अगास,लाही नवा उजास
बेटी ल ओखर अधिकार देवाव जी
समाज म पाही मान ,लाही नवा बिहान
देके सुग्घर संस्कार ,बेटी ल पढ़ाव जी

हिरदे म सपना के ,गठरी बंधाय हे
कहत हे का नोनी के,हिरदे सुनव जी
पिंजरा के मिट्ठू ह ,उड़ना चाहे अगास
सुवना के थोरकुन, सपना ल गुनव जी
उचहा उड़ावन दे,गीत ल गावन दे
रद्दा के ओखर काटा,खुटी ल बिनव जी
आधा अबादी बिन हे,अभिरथा बिकास
बेटी के बिकास बर ,रद्दा ल गढ़व जी

नव दिन पूजे जाथे,"बेटी" देबी कहाथे
तभो ले काबर ओहा,दुख बोलोपाथे जी
कहु होथे बलत्कार,कहु पाथे दुत्कार
काबर ओहा भोग के,चीज माने जाथे जी
बेटी-बहनी-सुवारी, बनके महतारी
जीवन ल अपन सेवा म बिताथे जी
बदला म कभू कुछू,बपरी मांगे नही
तभो ले काबर बेटी,"गरुच"कहाथे जी| ********************************* सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
9755554470
रचना 15/6/2016
copyright

शनिवार, 11 जून 2016

नया कश्मीर

(यूपी के कैराना में 246 हिन्दू परिवारों के तथाकथित शांतिवादी लोगो के डर से अपने घर छोड़ने प्रशासन के नाकामी पर आक्रोश प्रकट करती रचना...... रचनाकार-सुनिल शर्मा"नील" थानखम्हरिया,छत्तीसगढ़,7828927284) फिर कश्मीर नया है जन्मा तुष्टीकरण की नीति से "हिन्दू" निर्वासित है देखो अपनी प्यारी धरती से तब कश्मीर थी अब "कैराना" लाल दिखाई देता है गुंडागर्दी से जनता बेहाल दिखाई देता है रंगदारी,हत्या,बलात्कार का खेल चरम पर जारी है कानून है चुप ऐसे जैसे कोई लकवा की बीमारी है पहलवान नेताजी के तरकश दावपेच से खाली है होली है कैराना में खून की ,सैफई में रोज दीवाली है "सुविधा के समाजवाद" से बाज भला कब आओगे एक वर्ग को छोड़के कब तुम सबको गले लगाओगे गौभक्षी अखलाक का ही क्यो दर्द दिखाई देता है जब रोता है हिन्दू तब सत्ता क्यों खुदगर्ज दिखाई देता है कहाँ गए कैंडलगैंग जो सिर्फ स्वार्थ में निकला करते है जेएनयु,रोहित के नाम पे जो वोटों की खेती करते है कहाँ गए "सरजी"जो देशद्रोही के खातिर ट्वीटीयाते है पर हिन्दू की बात हो तब अपना सर मफलर से छुपाते है क्या हिन्दू मानव नही है इनके मानवता की परिभाषा में क्यों रोते है फिर वे चौखट पे न्याय की आशा में राजा हो तो राजा सा कोई कार्य भी करके दिखाओ जी दंश झेलते पलायन का जो उनको अधिकार दिलाओ जी क्या हिन्दू होना गुनाह है रामचन्द्र की भूमि पर नही है तो फिर लटके है क्यों निर्वासन की सूली पर समय है सुधरो वर्ना अपनी करनी पर पाछे पछताओगे निकलेगी जब यूपी की गद्दी और हाथ मलते रह जाओगे| ********************************* (कृपया कविता रचनाकार के नाम के साथ ही share करें .रचना या कवि के नाम के साथ कोई काँट-छाँट न करे) copyright 11/06/2016

गुरुवार, 9 जून 2016

तरक्की-गजल

****************************
चाँद घर छोड़कर चाँद पर जा रहा
आज सूरज तरक्की पे इतरा रहा

भीतर से शैतान और बाहर से साधु
हर शख्स चेहरे पे मुखौटा लगा रहा

समाज सुधारक बेटे के घर देखो
बाप रोटी के लिए आँसू बहा रहा

नारी को 'वस्तु' समझने वाला यहाँ
मंच पर 'बेटी बचाओ'चिल्ला रहा

दीमक भी हैरान है येमंजर देखकर
आदमी कैसे आदमी को खा रहा

मौन भारत माता औ शर्मिंदा तिरंगा है
सियासत कैसे-कैसे 'रामवृक्ष'उगा रहा

गीदड़ बताता परिभाषा शाकाहार की
देशद्रोही "आजादी" का अर्थ सीखा रहा

सिर्फ चेहरे बदले तासीर अब भी वही है
सियासत गधों को घोड़ो से उम्दा बता रहा

किस कामयाबी का ढोल पीटता 'नील'
जब इंसानियत कोने में आँसू बहा रहा| ********************************* सुनिल शर्मा "नील" थान खम्हरिया(छ.ग.) 7828927284 09/06/2016 CR

शुक्रवार, 3 जून 2016

श्रम के मंत्र से

"श्रम के मंत्र "से ********************************* 'लक्ष्य' बना कोई और उसकी धारा में
बहता चल
बाधाएँ लाख आए इरादे हो तेरे बिल्कुल
अटल
चाहता है जो भी देंगे 'बनवारी' उससे ज्यादा देखना
"श्रम के मंत्र"से तू उलाहनाओं को प्रशंसा में
बदल
******************************
सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
03/06/2016
कोपीरीघत

बुधवार, 1 जून 2016

काश तेरे

*******************************
काश तेरे नाम से कोई
कानून हो जाए
हर भूखे को नसीब रोटी
"2 जून"हो जाए
*********************************
सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया(छ.ग.)
02 जून 2016

मंगलवार, 31 मई 2016

मुक्तक
********************************
चराचर जगत का होता इससे
कल्याण है
समस्या कैसी भी हो मिलता
समाधान है
किंचित मंत्र नही युक्ति है
मुक्ति की
गायत्री के हर अक्षर में ज्ञान
और विज्ञान है|
*********************************
सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा
7828927284
31/05/2016

रविवार, 22 मई 2016

मुक्तक

"जीना व्यर्थ है उसका"
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जनम लेकर के 'मानव' का किसी
के काम न आए
है जीना व्यर्थ ही उसका जिसे पर-
हित नही भाए
भला किस काम की दौलत और
किस काम की शोहरत
जो व्याकुल भूख से मरते को
भोजन दे नही पाए|
*********************************
सुनिल शर्मा"नील"
थान खमहरिया(छ.ग.)
7828927284
22/05/20162
CR

मंगलवार, 17 मई 2016

सच्चा इश्क मिले तो

सच्चा इश्क मिले तो
********************************
जीता नही जाता शमशीर से
होता है नसीब यह तकदीर से
सच्चा इश्क मिले तो कद्र करना
बाँध लेना जुल्फ की जंजीर से"
********************************
सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया(छ.ग.)
7828927284

सोमवार, 9 मई 2016

श्री परशुराम जी पर मेरी कविता

(आज विष्णु जी के 6वें आवेशावतार भगवान परशुराम जी के प्राकट्य दिवस पर लिखी ताजा रचना)
रचनाकार-सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया(छत्तीसगढ़)
7828927284
*********************************
दूषित हुई जब मातृभूमि सत्ता के अत्याचारों से
रोया था गुरुकुल जब पापी
आतंकी व्यवहारों से

तब विष्णु ने जन्म लिया धरती को
मुक्त कराने को
'विद्युदभी फरसे' का धारक परशुराम
कहलाने को

जमदग्नि-रेणुका पुत्र भृगुवंश से
जिसका नाता था
विष्णु का "आवेशावतार"शास्त्र-
शस्त्र का ज्ञाता था

जटाजूट ऋषिवीर अनोखा,अद्भुत
तेज का धारक था
था अभेद चट्टानों सा जो रिपुओं का संहारक था

शिव से परशु पाकर 'राम' से परशुराम कहलाया था
अद्वीतिय योद्धा था जिससे हर दुश्मन थर्राया था

प्रकृतिप्रेमी,ओजस्वी,मात-पिता का आज्ञाकारी था
एक सिंह होकर भी जो लाखो सेना
पर भारी था

ध्यानमग्न पिता को जब हैहय कार्तवीर्य
ने काट दिया
प्रण लेकर दुष्टों के शव से धरनी 21 बार था पाट दिया

आतताइयों के रक्त से जिसने पंचझील
तैयार किया
कण-कण ने भारतभूमि का तब उनका आभार किया

मुक्त कराया कामधेनु को,धरती को
उसका मान दिया
ऋषि कश्यप को सप्तद्वीप भूमण्डल
का दान किया

भीष्म,कर्ण,और द्रोण ने जिनसे शस्त्रों
का ज्ञान लिया
कल्पकाल तक रहने का जिनको विष्णु जी से वरदान मिला

पक्षधर थे स्त्री स्वातंत्र्य के बहुपत्नीवाद पर वार किया
हर मानव को अपनी क्षमता पर जीने तैयार किया

'नील' कहे खुद के 'परशुराम'को हरगिज न सोने देना
अपनी क्षमता पर जीना या खुद को न जीवित कहना|
*********************************
(कृपया मूलरूप में ही share करें ,कवि के नाम/कविता के साथ काटछाँट न करें
रचनाकार-7828927284)

रविवार, 8 मई 2016

कविता-माँ

कविता- माँ (मातृ दिवस पर प्यारी माँ को समर्पित) ********************************* प्रेम का है कुंज और आशीषों का पूंज वही धरती में जीवन का 'स्रोत' कहलाती है विपदा भी घबराते जिसके उच्चारण से शक्ति का वह ऐसा 'स्त्रोत' कहलाती है| जिसका सानिध्य पाने देवता तरसते है शीतल"ममत्व"का वह कूप कहलाती है जिसके निकलने से मिट जाती कालिमा है "माता"वह संस्कारों का धूप कहलाती है ********************************* सुनिल शर्मा"नील" थानखम्हरिया(छत्तीसगढ़) 7828927284 08/05/2016 Copyright

कविता-माँ

कविता- माँ (मातृ दिवस पर प्यारी माँ को समर्पित) ********************************* प्रेम का है कुंज और आशीषों का पूंज वही धरती में जीवन का 'स्रोत' कहलाती है विपदा भी घबराते जिसके उच्चारण से शक्ति का वह ऐसा 'स्त्रोत' कहलाती है| जिसका सानिध्य पाने देवता तरसते है शीतल"ममत्व"का वह कूप कहलाती है जिसके निकलने से मिट जाती कालिमा है "माता"वह संस्कारों का धूप कहलाती है ********************************* सुनिल शर्मा"नील" थानखम्हरिया(छत्तीसगढ़) 7828927284 08/05/2016 Copyright

गुरुवार, 5 मई 2016

बचपन

"बचपन" ********************************* कुछ न होकर भी सबकुछ पास होता है इसमें बिताया हर लम्हा खास होता है न खोने का डर और न कुछ पाने की चिंता 'बचपन' जीवन का श्रेष्ठतम अहसास होता है ******************************** सुनिल शर्मा"नील" थानखम्हरिया(छ.ग.) 7828927284 05/05/2016 CR

शुक्रवार, 29 अप्रैल 2016

वीर रस के प्रसिद्ध कवि भाई देवेन्द्र परिहार जी के छोटे सुपुत्र "प्रखर"के जन्मदिवस पर आशीषस्वरूप हृदय से निकली कुछ पंक्तियाँ उन्हें जन्मदिवस पर समर्पित है..........
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भारती का बेटा है तू,तेज है प्रखर तेरा
यही है आशीष दुनिया में तेरा नाम हो
कर्म ऐसे हो कि माता-पिता का सम्मान बढ़े
संस्कारों से तू दशरथ नंदन राम हो|
वीरता प्रताप की ले रिपुओ का नाश करे
देशधर्म तेरे लिए सर्वोंपरी काम हो
इरादे हो दृढ़ जैसे अडीग हिमालय है
हर लक्ष्य तेरे लिए चुटकी का काम हो|
***********************

मंगलवार, 26 अप्रैल 2016

मुक्तक(26/04/2016)

"उनके किस्से मशहूर होतें है" ********************************* मंजिलें अक्सर उनसे बहुत दूर होते है
किस्मत के भरोसे जो मजबूर होते है
लकीरों पे नही यकीं बाजुओं पे करतें है जो हमेशा दुनिया में उनके किस्से मशहूर होते है ********************************* सुनिल शर्मा "नील" थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़) 7828927284 9755554470 26/04/2016 Copyright

शनिवार, 23 अप्रैल 2016

प्रेम दिवाने

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प्रेम दिवाने भी क्या-क्या हरकत करते
तन से,मन से,दिल से ये कसरत करते

तन्हाई में अक्सर खुद से बातें करते
उसे पाने को खुदा से इबादत करते

रुठने पे उसकेे दुनिया लगती सूनी
मुस्कान को उसकी शोहरत समझते

लगता नही अच्छा एक उसके सिवा
हर धड़कन में उसी की हसरत करते

कहाँ करते परवाह रस्म-रिवाजों की
इश्कवाले हर बंदिश से नफरत करते

जाने कहाँ से आती है ताकत उनमें
टकराने की जमाने से हिम्मत करते| ********************************* सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छ.ग.)
रचना-02/04/2016
7828927284
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वक्त गुजर जाएगा(मुक्तक)

"वक्त गुजर जाएगा"
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विपरीत कितना भी हो"वक्त"
गुजर जाएगा
जख्म गहरा सही एक दिन
भर जाएगा
खेना बंद न करना कभी धैर्य
की पतवार
खूनी समन्दरों से तू महफूज़
निकल जाएगा|
*********************************
सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
9755554470
22/04/2016
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गुरुवार, 21 अप्रैल 2016

पानी जिनगानी हरय

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बूँद-बूँद पानी बर होवत हे मारामारी
कहना हे मोर अब तो चेत जावव जी
तड़फत सबो जीव देवत हे तालाबेली
पानी जिनगानी हरय एला बचाव जी|
पाटव झन कभू रे कुआँ अउ तरिया ल
तहुमन पुरखा कस पेड़ लगाव जी
रहीके पियासी खुद तोला कहा दय पानी जुरमिल भुइयां के पियास बुताव जी|

कई कोस रेंग पानी एक गुंडी पाथे जेन
थोकुन उखरोबर सोग तो देखाव जी
दुए घूंट पीना अउ गिलास भर फेकना
बेवकूफी कर तुम झन इतराव जी|
ताक झन मुहु पहली खुद ला सुधाररे
नाननान बात ले बदलाव लावव जी
बउरव वतके कि जतका जरूरत हो
सदउपयोग के आदत ल डारव जी|

परकिरती हे तब तक मनखे घलो हे
जीयो-जीयन दव के मंत्र अपनाव जी
दयाबिन मनखे के जीना तो अभिरथा हे
रहवास कखरो झन तो उजारव जी |
करनी के फल ले तो सुनामी-भूकम होथे परकिरती देबी ल झन रिसवावव जी
कल के सुराज बर छोरबो सुवारथ ल
गाँव-गाँव ए संदेशा ल बगरावव जी| ********************************* सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया(छ.ग.)
7828927284
रचना-18/04/2016
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