(मूक जीवों की हत्या अपने मजे के लिए करने वालों पर......)
किस मुँह से..........
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किस शिक्षा और विकास पर इतना
इतराते हम
उजाड़कर प्रकृति को पीठ अपना
थपथपाते हम
स्वाद और मजे के लिए मूक जीवों
का लहू बहाने वाले
आखिर किस मुँह से खुद को "इंसान" बतलाते हम
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सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
copyright
20/06/2016
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