शनिवार, 11 जून 2016

नया कश्मीर

(यूपी के कैराना में 246 हिन्दू परिवारों के तथाकथित शांतिवादी लोगो के डर से अपने घर छोड़ने प्रशासन के नाकामी पर आक्रोश प्रकट करती रचना...... रचनाकार-सुनिल शर्मा"नील" थानखम्हरिया,छत्तीसगढ़,7828927284) फिर कश्मीर नया है जन्मा तुष्टीकरण की नीति से "हिन्दू" निर्वासित है देखो अपनी प्यारी धरती से तब कश्मीर थी अब "कैराना" लाल दिखाई देता है गुंडागर्दी से जनता बेहाल दिखाई देता है रंगदारी,हत्या,बलात्कार का खेल चरम पर जारी है कानून है चुप ऐसे जैसे कोई लकवा की बीमारी है पहलवान नेताजी के तरकश दावपेच से खाली है होली है कैराना में खून की ,सैफई में रोज दीवाली है "सुविधा के समाजवाद" से बाज भला कब आओगे एक वर्ग को छोड़के कब तुम सबको गले लगाओगे गौभक्षी अखलाक का ही क्यो दर्द दिखाई देता है जब रोता है हिन्दू तब सत्ता क्यों खुदगर्ज दिखाई देता है कहाँ गए कैंडलगैंग जो सिर्फ स्वार्थ में निकला करते है जेएनयु,रोहित के नाम पे जो वोटों की खेती करते है कहाँ गए "सरजी"जो देशद्रोही के खातिर ट्वीटीयाते है पर हिन्दू की बात हो तब अपना सर मफलर से छुपाते है क्या हिन्दू मानव नही है इनके मानवता की परिभाषा में क्यों रोते है फिर वे चौखट पे न्याय की आशा में राजा हो तो राजा सा कोई कार्य भी करके दिखाओ जी दंश झेलते पलायन का जो उनको अधिकार दिलाओ जी क्या हिन्दू होना गुनाह है रामचन्द्र की भूमि पर नही है तो फिर लटके है क्यों निर्वासन की सूली पर समय है सुधरो वर्ना अपनी करनी पर पाछे पछताओगे निकलेगी जब यूपी की गद्दी और हाथ मलते रह जाओगे| ********************************* (कृपया कविता रचनाकार के नाम के साथ ही share करें .रचना या कवि के नाम के साथ कोई काँट-छाँट न करे) copyright 11/06/2016

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