गुरुवार, 9 जून 2016

तरक्की-गजल

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चाँद घर छोड़कर चाँद पर जा रहा
आज सूरज तरक्की पे इतरा रहा

भीतर से शैतान और बाहर से साधु
हर शख्स चेहरे पे मुखौटा लगा रहा

समाज सुधारक बेटे के घर देखो
बाप रोटी के लिए आँसू बहा रहा

नारी को 'वस्तु' समझने वाला यहाँ
मंच पर 'बेटी बचाओ'चिल्ला रहा

दीमक भी हैरान है येमंजर देखकर
आदमी कैसे आदमी को खा रहा

मौन भारत माता औ शर्मिंदा तिरंगा है
सियासत कैसे-कैसे 'रामवृक्ष'उगा रहा

गीदड़ बताता परिभाषा शाकाहार की
देशद्रोही "आजादी" का अर्थ सीखा रहा

सिर्फ चेहरे बदले तासीर अब भी वही है
सियासत गधों को घोड़ो से उम्दा बता रहा

किस कामयाबी का ढोल पीटता 'नील'
जब इंसानियत कोने में आँसू बहा रहा| ********************************* सुनिल शर्मा "नील" थान खम्हरिया(छ.ग.) 7828927284 09/06/2016 CR

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