बुधवार, 23 दिसंबर 2015

"त्याग में तू पृथ्वी"

आज फिर कुछ प्यारी "माँ" पर.. 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 त्याग में तू पृथ्वी,स्नेह में आसमाँ है तेरे गोद सा अहसास बोल माँ कहाँ है? 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 📝सुनिल शर्मा "नील" थान खम्हरिया,बेमेतरा CR 7828927284 24/12/2015

मंगलवार, 22 दिसंबर 2015

"ना लटकता जुवेनाइल"

नाबालिगों को भी जघन्य अपराधों में सजा दिए जाने के कानून बनने मे हुए इतनी देरी और नेताओं के लापरवाही पर एक "मुक्तक"
       """ना लटकता जुवेनाइल""""
📚📚📚📚📚📚📚📚📚📚📚
काश संसद मे हंगामेबाजी से नेता बाज
आ पाते
जनता के प्रति कर्तव्यों को सही ढंग से
निभाते
ना लटकता जुवेनाइल कानून 16 बार
संसद में
और ना 'अफरोज' जैसे शैतान खुली हवा में
साँस ले पाते|
📚📚📚📚📚📚📚📚📚📚📚
✒ सुनिल शर्मा 'नील'
थान खम्हरिया,बेमेतरा
7828927284 CR
23/12/2015

सोमवार, 21 दिसंबर 2015

सच्चा प्रेम

""सच्चा प्रेम""
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼
सच्चा प्रेम वही है जो साया बनकर
साथ निभाए
दुख के घने अंधेरों में भी दिनकर
बनकर राह दिखाए
कम हो जाए भले रोशनी इन आँखों
की वक़्त के साथ
पर न आए कभी वो पल जब ये
सामने तुझे न पाए|
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼
सुनिल शर्मा "नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा
7828927284
CR
22/12/2015

बुधवार, 9 दिसंबर 2015

जेन घर सियान तउन सरग कहाथे

कोचराय हे देहे ,पेचके हे गाल
निहरे हे कनिहा, पाका हे बाल
मइलहा हे पटकू,चिरहा हे धोती
बबा रिसायहे जाने काखर सेती
बड़ देर होगे आज बडबड़ात हे
कोंटा म बइठके आँसू बोहात हे
लागथे बेटा ह फेर खिसियाय हे
धुन बहु कुछु नाव ले बगियाय हे
पाछु पंदरही बहू कतका सुनाइसे
तसमा का टुटगे नगत झरराइसे
भूखे पियासे तालाबेली दे रहिसे
जुड़ म बपरा परछी म सोय रहिसे
बहू-बेटा कोनो दया नइ खाइस
बपरा सोगे भीतर नइ बलाइस
नाती ल खेला खुस हो लेत रहिसे
अपन छाती ल जुड़ो लेत रहिसे
नाती ल  खेलाय बर बरज दिस
जीए के ओखी म पथरा चपक दिस
रही-रही बबा ल बीते दिन सुरता आथे
डोकरी के सुरता म मन कलप जाथे
अपन भाग ऊपर बिचारा बड़ पछताथे
जब-जब रोथे तब डोकरी ल गोहराथे
काबर लईका आज सियान ल रोवाथे
जेन रुख छाव देथे उही ल काट गिराथे
जेन घर सियान तउन सरग कहाथे
एला दुःख देवइया कहाँ सुख पाथे|
रचना-
सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा
7828927284
दिनाँक-09/12/2015
CR

सोमवार, 7 दिसंबर 2015

""माटी बर जीबो""

       """"माटी बर जीबो"""
माटी बर जीबो हमन, मरबो माटी पार ।
माटी के महिमा गजब, कहिथे सबो अपार ।।

जे माटी जनमेस तै, मया जेखरे पाय ।
उडानूक तै होय के, ओही ला बिसराय ।।

दू आखर पढ़के भला ,गजब आज इतराय ।
बोले बर भाखा अपन, कइसे आज लजाय ।।

जेने भाख दिस मया, जेने दिस पहिचान ।
बेटा राहत ले उही ,सहत हवय अपमान ।।

दाई कस माटी हरे, पावन गंगा जान ।
राखव ऐखर लाज ला, बाते मोरे मान ।।

बीरनरायन अउ भगत ,फाँसी झूले हास ।
रानी झांसी के घला,माटी करे उजास ।।

माटी बर जीबो हमन,  रखबो एखर मान ।
ये माटी के नाव ला, करबो सबो जहांन ।।

सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
रचना-06/12/2015
7828927284
CR

बुधवार, 2 दिसंबर 2015

बेटी पढ़ाएँगे-बेटी बचाएँगे

   "बेटी पढ़ाएँगे-बेटी बचाएँगे"
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
मिलकर बेटियों को उनका हक़
दिलाएँगे
भेद से रहित सुंदर वातावरण
बनाएँगे
साकार होगा विकास जब छुएंगी
ये आसमान
आओ मिलकर बेटी पढ़ाएँगे-बेटी
बचाएँगे|
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
02/12/2015
CR

मंगलवार, 1 दिसंबर 2015

मुक्तक

आलिंगन कर पीड़ा पाई हमने हरदम
खंजर की
अमन के बदले मिली वेदना कारगिलों
के मंजर की
क्यों शान्ति की पुनः अपेक्षा आतंकवाद
के पोषक से
जिसका सिर्फ हरा झंडा पर फितरत
है बंजर की|

सुनिल शर्मा ""नील""
थानखम्हरिया,बेमेतरा
7828927284
01/12/2015
CR

शनिवार, 28 नवंबर 2015

मुक्तक(28/11/2015)

             राजभासा
ईमानदार मनखे ल जइसे गरब हे
ईमान म
इज्जतदार मनखे ल जइसे गरब हे
मान म
मोर तो सरबस मोर गुरतुर भाखा
छत्तीसगढ़ी
जतका बोलिहव कम हे ए भाखा
के बखान म|

सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया
28/11/2015
CR









गुरुवार, 26 नवंबर 2015

"असहिष्णुता पर"

(भारतभूमि को असहिष्णु कहकर अपमानित करने वाले बॉलीवुड के एक अभिनेता के बयान पर आक्रोश प्रकट करती थान खम्हरिया,छत्तीसगढ़ के कवि सुनिल शर्मा"नील" की रचना)
like his fb page(id)-सुनिल शर्मा नील

जब तुमने सत्यमेव जयते का नारा गाया
था
इसी देश ने तुमको अपने सर आँखों पे बिठाया था
हर अभिनय पे देश ने मेंरे जीभर तुमको प्यार दिया
देश का बेटा मानके अपना तुमपे सब कुछ वार दिया
पर तुमने बातों के आग से देश का झंडा फूँक दिया
जिस जनता ने मान दिया उनके ऊपर ही थूक दिया
स्वार्थ हुआ पूरा जैसे ही देश असहिष्णु लगने लगा
इनक्रेडिबल भारत में तुमको बोलो भय क्यों लगने लगा
माना "गजनी"हो तुम तुमको भूलने की बीमारी
है
लेकिन बोलो स्वार्थ तुम्हारा क्या मातृभूमि से भारी है
शारदापुत्र कहता हूँ "नायक" कतई नही हो सकते तुम
जिस माटी ने तुम्हे बनाया उसके कर्णधार नही हो सकते तुम
आड़ लुगाई का लेकर के आग लगाने निकले
हो
बोलो आखिर किस आका का नमक चुकाने निकले हो
जो भारत का नहीं उसके हम कैसे हो सकते
है
जाओ पाक,ईराक-सीरिया तुमको ना ढो सकते है
जब देखोगे वहाँ रक्त तब याद करोगे भारत
को
इस मिट्टी के कण-कण में बसते लोगो की शराफत को
याद करोगे असल सहिष्णु भारत को ही कहते
है
रंगबिरंगे फूल जहाँ पर माला बनकर रहते
है|
(ईमानदार और माँ भारती के लाल बिना काट-छाँट के शेयर करें)
सुनिल शर्मा नील-
7828927284
रचना दिनाँक-25/11/2015
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मंगलवार, 24 नवंबर 2015

"""प्यार न छीन जाए"""


      ""प्यार न छीन जाए""
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
माली के हाथों बहार छीन न
जाए
फूलो से गंध का अधिकार छीन न
जाए
पिस न पाए बचपन कहीं वैचारीक
संघर्षों में
माँ-पिता से ही बच्चों का संसार
न छीन जाए|
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
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सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा
७८२८९२७२८४
CR
25/12/2015

शुक्रवार, 20 नवंबर 2015

नन्हे पौधे से

भूत से ,वर्तमान से, आज से ,कल से बेवफाई तले बीते हर एक पल से नफरत है मुझे
घृणा है उन सभी से जिन्होंने मुझे सिर्फ सताया है अपने जिद के लिए
वेदना देकर बनाया है मुझे पाषाण

पाषाण जो निष्प्राण है,प्राण होकर भी!जो न बन पाएगा कभी सुघड़ मूर्ति और
किया है तप्त कोयले की तरह जो दग्ध है पीड़ा से

जिसके भाग्य में लिखा है जलकर अंततोगत्वा राख हो जाना
जिसके हृदय को निचोड़ा गया है इतना कि नयन संपुट भी शुष्क है

बना दिया है मरुभूमि सा जो हर घुमड़ते बादल से पूछता है पता खुशियों की
खुशियों के बारिश की जिसमे मिली हो वफ़ा की सौंधी गन्ध

जिससे सुख मिल सके मरूभूमि को अपने नन्हे नवोद्भिद को देखने का
अपने वक्ष में विकसित होता ,हवा के झोंको में हिलते देखने का

बस इसीआस में पसरा हुआ है बाहों में गर्म रेत लिए
ताकि एक दिन तरस आये उस विधाता को उसकी तपन पर
और भीगा दे उसे अपने अनगिनत जलबूंदों से मिलाने उस नन्हे "पौधे से"|

सुनिल शर्मा "नील"
थान खम्हरिया,बेेमेतरा
7828927284
रचना-21/11/2015
CR

क्यों नही दिखता वह शख्स:हिंदी कविता

मैं वह फूल हूँ जो रौंदा गया हूँ किसी के पैरो तले निर्दयता से
लगाया गया हूँ ठप्पा अपराधी का
जला हूँ किसी के व्यर्थ क्रोधानल में
पाया हूँ तिरष्कार की अनंत पीड़ा
डाला गया हूँ चिंतन के अँधेरे कूप में
चला हूँ परीक्षा के अंगारो पर सौ बार
उड़ा हूँ खुद की खोज में सूने आकाश में
उस कारण की खोज में जिसमे खुद के अकेलेपन का हेतु उपस्थित है
नजरियों के और नजरों के बदलने का उत्तर निहित है
जीया हूँ एक-एक पल में सदियों के समय को तड़पाया गया हूँ हर पल के द्वारा किसी अपराधी की तरह
पूछा गया हूँ गाँव के गलियो,तालाब,वृक्षों,साथियों से
कि अब क्यों तू चुप-चुप रहता है
खुद में घुलता हुआ सा
मोम सा पिघलता हुआ सा,
क्यों नहीं दिखता वो शख्स जो कभी तुझमे होता था
अल्हड़ सा मासूम,रमता और बिलकुल ही बेफिक्र|
सुनिल शर्मा "नील" थान खम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
9755554470
रचना-09/07/2015

"""आतंकवाद""""

आतंकवाद के सेती देखव भुइया लाल होत हे एखर सेती मनखेपन सुसक-सुसक के रोत हे
नाननान लईका ल लुढहार आतँकी बनात हे कोंवर-कोंवर हाथ म मउत के समान धरात हे अ,आ,इ के जघा लईकामन जेहाद सीखत हे खेले खाय के उमर म आँखी म लहू दिखत हे
७० हूर ,जन्नत के लालच म आतंकी बनजात हे बिन बिचारे दूसर ल मारे बर खुद ल उड़ात हे बगदादी,दाऊद,हाफिज इखर आका के नाव हे कतको दाई के कोरा म इखर पाप के दे घाव हे दाई ले बेटा,बहिनी ले भाई,लईका ले बापलूटत हे दुनियाभर म इखर चेला मउत बाँटत घूमत हे जाने कहा ले पाथे पइसा आतंक फइलायबर सिधवा मनखे ल मास के लोथड़ा बनाय बर जम्मों आँखी म डर हे मनखे निकले म डर्रात हे फटाका घलो फुटत हे तेन म सब काँप जात हे आतंकवाद हरय अमरबेल पोसइया ल खात हे पाकिस्तान, सीरिया सांप पोस के पछतात हे इस्लाम ल घलो हत्यारा मन बदनाम करत हे दुनियाभर म मजहबी दंगा के जहर ल घोरतहे अब समय आगेहे सब मिलके कमर कसबो हत्यारामन के नास करेबर मिलके आघु बढ़बो कुलूप अंधियार हारही जब सुरूज कस बरबो चैन के सांस नइलन एखर जड़मूल नास करबो| सुनिल शर्मा "नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा
7828927284
9755554470
CR
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गुरुवार, 19 नवंबर 2015

"देवउठनी एकादसी ले सुरु होथे मंगल काम"

"देवउठनी"जइसे कि नाव ले पता चलत हे,अइसन एकादसी जेन दिन देव मन नींद ले उठथे देवउठनी एकादसी कहाथे|आज के दिन बिस्नु जी अउ जम्मों देवतामन अपन नींद ले उठथे|सास्त्र म अउ सनातनी हिन्दू परमपरा म देवउठनी एकादसी के अड़बड़ महत्व हे|आजे के दिन ले जम्मों मंगल काम(बर-बिहाव,घर पूजा,पचिस्था ,झालर उतारना जम्मों)होय बर चालु होथे|एखर ले पहिली देव मन के सुते के सेती मंगल काम नइ करे जाय|

"सालिग्राम अउ तुलसी माता के होथे बिहाव"

आजे के दिन भगवान् सालीग्राम अउ तुलसी माता के बिहाव होथे|जम्मों मनखे तुलसी चौरा ल गन्ना डांग म सजा के अउ गन्ना के मँढ़प बनाके सुग्घर लाइट, झालर,दीया म सजा के घर म रखे किसन कन्हैया के छोटकन मूरति ल लान के तुलसी चौरा म बिहाव कराथे|पान,फूल,नरियर अउ मउसमी फल चढ़ाथे,सुग्घर बिधि बिधान ले जोड़ी संग आरती उतारे जाथे अउ घर परवार के सुख सांति बर असीस माँगथे|हमर संस्कीरति म तुलसी ल सबले पबरीत देबी माने गेहे|
                              हर छत्तीसगढ़िया मनखे अउ हिन्दू भाई बहिनी मन के अंगना म एखर बास रहिथे|बिन तुलसी घर ल मरघटी माने गेहे|अड़बड़ अकन देवता मन म तुलसी बिन भोग नइ लगय|बिन तुलसी बिन कलजुग के डोंगा पार नइ होवय अइसन केहे गे हे| "तुलसी बिहाव के कथा" भागवत के अनसार तुलसी ह जालंधर राक्षत के गोसइन रिहिसे|भगवान् बिस्नु ह अपन जोगमाया म करके ओखर वध करीस|पति के वध के बाद तुलसी जउन पतिबरता अउ सती रहिसे अपन आप ल भसम कर लिस |ओखर भस्में ह तुलसी के झाड़ बनिस अइसे कहे जाथे|भगवान् बिसनु ह ओखर पतिवरता धरम ले अड़बड़ परसन होइस अउ अपन अरधानगनी रूप म ओला सिवकार करीस|बिसनू जी ह वरदान दिस की जेन मनखे मोर गोपाल जी(लड्डू गोपाल )म तुलसी चढ़ाही अउ मोर बिहाव तुलसी संग जेठवनी के दिन कराही ओला बैकुंठ मिलही तेखरे सेती आज के दिन तुलसी अउ सालिग्राम के बिहाव करे जाथे|

"गन्ना(कुसियार)के रहिथे बिसेस मांग"

आज के दिन पूजा म कुसियार के बिसेस मांग रहिथे|तुलसी दाई के मंडप ल कुसियार म सजाय जाथे|आज के दिन कुसियार चारो मुड़ा बजार म देखे बर मिलतेहे|मनखे मन पूजा म एखर महतव देखके आज के दिन कुसियार बिसाथे| लईका मन पूजा के बिहान दिन रसदार कुसियार ल चुहक-चुहक के सवाद लेथे|

"हमर संस्कीरति सिखोथे परियावरण बर मया"

तुलसी बिहाव भर नहीं ढंगलगहा सोचे जाय त हमर संस्कीरति हमला परियावरण ल मया करे अउ मिलके रेहे के संदेस देथे|चाहे तुलसी पूजा होवय,बर पूजा,पीपर पूजा,कि चाहे पूजा म आमा पेड़ के पत्ता ,छाल अउ डारा के हवन बर उपियोग|जम्मों म एके संदेस हे कि मनखे जीव-जंतु अउ परियावरन सब जुरमिल के रहय तभे परकीरती के चालन ठीक रहही|ये सब तिहार के बैज्ञानिक अउ आधयात्मिक दुनो महतव हे|हरेली अउ जम्मों छत्तीसगढ़ी तिहार घलो मनखे के आपसी परेम अउ जीव-जंतु,परियावरन संग मिलके रेहे के संदेस देथे|अइसन संसकीरति के भाग होना सिरतोन म गरब ले भर देथे|

सुनिल शर्मा "नील"
थान खम्हरिया ,बेमेतरा
7828927284
19/11/2015

बुधवार, 18 नवंबर 2015

"लहुटा दे वो"

👉👉👉👉👉👉👉👉👉👉
मोर मुसकान ,मोर कल ल लहुटा दे वो
संग पहाय जम्मों पल ल लहुटा दे वो
तय नही त तोर सुरता भरोसा जी लुहू
ओ कोंवर हाथ के छुवन ल लहुटा दे वो|
👈🏿👈🏿👈🏿👈🏿👈🏿👈🏿👈🏿👈🏿
📝 सुनिल शर्मा "नील"
     थान खम्हरिया(छ.ग.)
     7828927284
      18/11/2015
      ©®

मंगलवार, 17 नवंबर 2015

परछाई की तरह संग चलता है

💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘
      परछाई की तरह संग-संग चलता है
     कभी मौन ,कभी चिड़ियों सा चहकता है
     एक एहसास जिसकी अनुभूति जुदा है
     "मुहब्बत"है तेरा जो मुझमें कहीं रहता है|
💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘
        सुनिल शर्मा "नील"
        थान खम्हरिया,छत्तीसगढ़
         7828927284
          CR
         17/11/2015
    
    
     

रविवार, 15 नवंबर 2015

"आतंकवाद मिटाएंगे"

💥💥💥💥💥💥💥
घाव बने नासूर कहीं न जड़ से
इसे मिटायेंगे
क्रूर आतंकियों को इनकी भाषा
में समझायेंगे
आतंकवाद का घुन कहीं मानवता
चट न कर जाए
भेद मिटाकर आपस के चलो मिलकर
इसे हराएंगे|
💥💥💥💥💥💥💥💥
📝सुनिल शर्मा"नील"
     थान खम्हरिया,बेमेतरा
     7828927284
        CR
     16/11/2015

शनिवार, 14 नवंबर 2015

"लईका मन हरय देस के भविस"

जिनगी के सबले सुग्घर समे होथे नानपन|नानपन यानी न चिंता अउ न फिकर कुछु नहीं|बस दिनभर खेलना,बाबू ल घोड़ा बनाना,दाई ल पदोना,बबा अउ डोकरी दाई करा कहिनी सुनना,फुरफनदी अउ तितली पकड़ेबर पाछु-पाछु धउड़ना,पानी म काजत के डोंगा तहुराना ,अउ रात कन थकके सो जाना|हर मनखे ल अपन नानपन जिनगी के सबले सुग्घर समे लगथे|तब न जिनगी म कोनो संसो रहय अउ न कमाय-धमाय के कोनो फिकर| तिहार-बहार के असल मजा घलो नानपन म आथे|जइसे-जइसे बड़े होबे जिममेदारी अउ संसों-फिकर बाढ़त जाथे,सब तिहार फिक्का लगेबर धर लेथे|हमर देस म अड़बड़ झन महापुरुस अउ बड़का नेता होइस जेन मन लईका मन ल अड़बड़ मया करय|देस के पहिली परधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी,भारत के सबले लोकपिरीय रास्टपति सवरगीय अब्दुल कलाम जी,अटल बिहारी जी,विवेकानंद जी जम्मों झन ह लईकामन ल देस के भविस केहे हे|हर लईका बिसेस हे ये बात ल उमन समझइन |इखर कहना रहय कि लईका खुस रही त देस घलो खुस रही|हमला लईकामन के खुसीबर जउन बन पड़े तेन करना चाही|धियान देना चाही कि हम अइसन कोनो काम झन करन जेखर ले लईका के नानपन बरबाद होवय|

" पं.जवाहरलाल नेहरू के जनमदिन कहाथे बालदिवस"
हमर देस के पहिली परधानमनतरी नेहरू जी ह लईका मन ल अतका मया करय कि ओखर जनमदिन(14 नवम्बर) ल बालदिवस रूप म मनाय जाथे|बालदिवस माने लईकामन के दिन|एक झन कबि सुग्घर केहे हे-लईकामन ल चाँद-तारा ल छुवन दव ,चार ठन किताब पढ़ के उहू मन हमरे कस हो जही|एखर मतलब लईका मन ल बड़े तो एक न एक दिन होनाच हे ओखर सेती उखर नानपन ल बरबाद करना ठीक नइहे|दूसर बात जइसे कोनो मकान के मजबूती ओखर नेहे ले जाने जाथे ,जतका मजबूत नेहे होही मकान घलो वइसने सुग्घर बनही|अइस्नेहे लईकामन हमर देस के नेहे(अधार) हरे|एमन ल जतका बने संसकार अउ सिछा मिलही देस वतके आघु बाढ़ही|लईकामन नेहरू जी ल अड़बड़ मया करय |नेहरू जी ल परेम से लईका मन 'चाचा नेहरू'कहय|नेहरू जी जिहां भी जावय लईकामन के भीड़ लग जाय|नेहरू जी ह घलो लईका बन के उखर संग गोठ करय न कि परधानमंत्री बनके|लईकामन म चाचा नेहरू अतका परसिद्ध रिहिस कि लईकामन घलो ओखर सदरी-पइजामा अउ लाल गुलाब के नकल करय|आज के दिन इस्कूल मन म 'बाल दिवस' म लइका मन के अड़बड़ अकन कारिकरम होथे|जेमा लईका मन निबंध ,गीत-कबिता,देशभक्ति नाटक केे परसतुती देथे|लईका मन आज अड़बड़ खुस रहिथे|नेहरू जी के कहना रहय की जतका सुग्घर लईकामन ल संस्कार मिलही वतके सुग्घर उमन मनखे बनही|दाई ददा लईका मन ल लाड करय फेर संस्कार संग कोनो समझउता झन करय|मसीन म लइकामन बचपन झन गवावय|जइसे कि आज देखब मआवत हे|लईकामन आज मोबाईल अउ टीबी म खुसरे रहिथे|लईकामन के गतिबिधि मन म धियान देवय|संस्कार धीरे-धीरे सिखोवय न कि थोपय|नेहरू जी अपन बेटी इंदिरा ल अड़बड़ मया करय इतना मया कि ओखर बर कई ठन चिट्ठी पतरी लिखय|एखर ऊपर एकठन किताब घलो लिखे गे हवय|जम्मों चिट्ठी म नाननान बात ल अउ गियान-बिगयान के बात ल नेहरू जी अपन बेटी ल बताय हे|

"लईकामन देखय सपना"
हमर देस के सबले परसिध रास्टपति मिसाइलमैन कलाम जी के कहना रहिसे कि लईका मन ल बचपन ले सपना देखे बर सीखोवय|सपना देखना भर नइहे ओला पूरा करेबर मिहनत करना घलो हे|सपना ओ नोहय जेन ल हमन सोवत सपनाथन सपना तो ओ हरे जेन हमन ला सोवन नइ दय|गरीब परवार म जनम धर के अपन सपना देखके अउ ओला पूरा करके ओहा खुद सबले बड़े उदहारण बनिस|कलाम जी जिहा जावय लईका मन ल सपना देखे अउ ओला जीए बर कहय|बड़े बड़े कॉलेज अउ आई आई आई टी के लईका मन ओला सुने बर ललाय रहय|लईकामन बर कलाम जी रोल माडल रिहिसे अउ रिही|एक देस ल बाढ़े बर उहा के लईकामन ल सपना देखना जररी हे ये कलाम जी के कहना रहिसे|

"झन होवय बरबाद कखरो नानपन"
लईका मन बर सिच्छा खच्चित जररी हे फेर ओखर बदला म उखर नानपन झन नगाय जाय|आजकल देखथन जतका जड़ लईका नइ राहय ओखर ले गरू बस्ता ह रहिथे|घर अउ इस्कूल दुनो म सिरिफ पढ़ई अउ एको कन नइ खेलइ म उखर कोंवर मन ह अइलावत हे|का काम के अइसन पढई जेन बपरा लईका मन के नानपन ल बरबाद कर दय|हमन ल सिक्षा देना हे न कि थोपना हे|हमन ल लईका मन के रहन सहन,सुवास्थ अउ कोरा मन के बिसेस खियाल करना चाही| अपन सपना ल लईकामन ऊपर गरू झन बनावय,उखर बचपना के हतिया झन करय|

"बाल श्रम कानून के कड़इ से होवय पालन"
आज घलो नाननान लईका मन ल होटल, बासा ,दूकान अउ रेती-गारा डोहारत बनिहारी के बुता करत देखे जाथे|कानून म एखर बर काम करवइया बर सजा के नियम हे तभो ले कहाँ बाल श्रम ह रूकत हे|न सिरिफ एमा रोक लगाना भलकि दूसर कोती वो लईका मन के पढई लिखाई के बेवस्था घलो करना जररी हे|अइसन लईकामन के घरेलू हालत ऊपर अउ उखर गरीबी दूर करे बर सोंचे बर परही|कोनो लईका जूठा गिलास धोवत अउ बनिहारी करत झन दिखय |सरकार के संग-संग समाज घलो अइसन लईका मनबर सोंचय ताकि कोनो लईका के भविस बरबाद झन होवय|बाल अयोग के गठन के कामे इही हरय कि कोनो लईका के बचपन काम के गरू म झन मरय|इखर मन बर रतिहा इस्कूल के बेवस्था करे जा सकत हे ,अइसे इस्कूल जिहां रेहे अउ खाय दुनो के बेवस्था रहय|कई जघा अइसन इस्कूल चलत घला हे|जब तक गरीब लइकामन इस्कूल ले दूरिहा रही तब तक हमर बिकास अभिरथा हे |महापुरुस मन के सपना तभे पूरा होही जब सब लईका सुग्घर इस्कूल पहुचके अपन भविस गढ़ही| हम जम्मो नागरिक मन ल घलो अपन करतब्य समझ के अइसन लईका मन के भविस बनाय बर उदीम करना चाही|
सुनिल शर्मा 'नील'
थान खम्हरिया,बेमेतरा
7828927284
CR

शुक्रवार, 13 नवंबर 2015

इनका बाल दिवस कब?


🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸
ये देखकर कि घर मेरे भरोसे
टिका है
जाने मासूम बचपन कितने बार
बिका है|
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📝सुनिल शर्मा'नील'
    थान खम्हरिया,बेमेतरा
    7828927284

भाई दूज के तिहार

              भाईदूज के तिहार
जब कुमकुम के रंग म ,बहनी मया के
रंग मिलाथे
अउ माथ म भाई के चाउर संग म तिलक
लगाथे
हवा घलो मीठ लगथे जब भाई-बहनी संग मुस्काथे
इही मया के मुसकान ,तब संगी 'भाई-दूज' कहाथे|

आरती उतार भाई के बहनी सुग्घर आसीस मांगथे
भाई घलो कुछु न कुछु बहनी के हाथ आज मढ़ाथे
करथे अपन बचन के सुरता जउन दे रिहिस राखी म
जिनगी भर संग दुहु कहिके बहनी ल बिसवास देवाथे|

एक दिन अइसन आथे बहिनी मइके छोड़
चले जाथे
चिरई कस जिहां कूदय अंगना ल वो सुन्ना
कर जाथे
फेर हिरदे के मया कहाँ रुकथे देस-परदेस
ले संगी
कोनो कोंटा रहय दूनो झन फेर दू दिन संग
म बीताथे|

सुनिल शर्मा 'नील'
थान खम्हरिया,बेमेतरा
7828927284
13/11/2015
Copyright


गुरुवार, 12 नवंबर 2015

गर्व न आता काम(गोवर्धन पूजा पर#12/11/2015#)

गर्व न आता काम
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उस 'गोवर्धन-गिरधारी' ने
हमको यह सिखलाया है
गर्व न आता काम कभी
इसने सिर सदा झुकाया है
हो बलिष्ठ कितना संकट
एक दिन हार ही जाएगा
प्रेम के आगे नफरत कब
जीता है जो जीत जाएगा|
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
📝सुनिल शर्मा 'नील'
     थान खम्हरिया,बेमेतरा
     7828927284
       CR
       

मंगलवार, 10 नवंबर 2015

रूप चौदस में-कविता(10/11/2015)

तन की सुंदरता न देना पर मन की
दे देना तुम
रूप चौदस के उत्सव में एक कृपा
प्रभु करना तुम

ऐसी सुंदरता किस काम की जो एक
दिन ढल जाती है
मन की सुंदरता जबकि मरने पर भी
रह जाती है

सुंदरता के दम पर देखो व्यक्ति कैसे
इठलाता है
जब झुर्रीमय देह होता है तब पीछे
पछताता है

तन के आकर्षण में देखो कितने इंसान
बर्बाद हुए
जो मन को सुन्दर रखते थे जीते जी
भगवान हुए

जिसमे सुंदरता संग मानवता के गुण
भी होते है
ऐसे महामानव जीवन में बस बिरले ही
होते है

नानक,तुलसी और कबीर सारे हमको
सिखलाते है
सुंदरता आकर्षण है व्यक्ति मेहनत से
पूजे जाते है

जीवन क्षणिक बुलबुला है एक दिन फट
ही जाना है
हर पल में प्रेम भर दे एक दिन सबको जाना है|
सुनिल शर्मा 'नील'
थान खम्हरिया,बेमेतरा
7828927284




सोमवार, 9 नवंबर 2015

ए देवारी ल कुछ अइसन मनाबो - कबिता

"ए देवारी ल कुछ अइसन मनाबो"

ए देवारी ल कुछ अइसन मनाबो
कोनो गरीब के अंधियारी हटाबो
रोवत ल देबो मुसकान चल संगी
जिनगी म ओखर अंजोर बगराबो

दूसर के घर करथे पोतके पररी
खुदके घर ह रहिथे छररी-दररी
चिरहा फटहा पहीनथे लईकामन
उखर लईकाबर कपड़ा बिसाबो

रद्दा म जरे फटाका ल उठाथे
हर बछर कतको मनेमन ललाथे
पछताथे अपन गरीबी के ऊपर
अइसन लईका ल फटाका देवाबो

चाइना लाइट म कइसन तिहार
जा के देख बाट जोहतहे कुम्हार
नइ करन मोल अउ भाव ओखरकर
परन लव माटी के दीयना जलाबो

छत्तीसगढ़िया के हक ल देवाबो
छत्तीसगढ़ी म बोलबो-गोठियाबो
तब मनही सबझन के सुग्घर देवारी
छत्तीसगढ़ के संस्कीरति ल बगराबो

तिहार उही जेन सबला मिलाथे
घर-घर म जेन खुसी ल फ़इलाथे
पत्ती ल झन बाटव तुमन जुवा के
दुःख बाँट कखरो मनखे कहाबो|

📝सुनिल शर्मा नील
थान खम्हरिया,बेमेतरा
7828927284
09/11/2015
  ©®

शनिवार, 7 नवंबर 2015

असहिष्णुता पर मेरी कविता

(देश में नकली माहौल बनाने और अपने निजी स्वार्थ - (देश में नकली माहौल बनाने और अपने निजी स्वार्थ हेतु देश की छवि विश्वपटल में ख़राब करने हेतु सम्मान लौटाने वालों पर कटाक्ष करती हमारे मित्र कवि सुनिल शर्मा 'नील',थान खम्हरिया की ताजा रचना,कृपा कर मूल रूप में ही शेयर करें ..कवि के नाम या रचनाकार के नाम के साथ छेड़छाड़ न करें|)
रचनाकार-सुनिल शर्मा 'नील'
7828927284

चाटुकारों की फ़ौज निकली देखो माहौल
बनाने को|
जो पाये थे चाँट के तलवे सब पुरस्कार
लौटाने को||
इतनी हिंसा हुई वतन में पहले भी तब क्यों
सोए थे|
सोया था क्यों जमीर सबका तब क्यों न तुम
रोए थे||
कटता था सर हेमराज का जब आतंकी
तलवारो से|
कत्लेआम हुए सिक्खों के जब गलियों -
चौबारों पे||
बोलो तब क्या मानवता अलमारी में रख  भूल गए|
तब क्यों बोलो कलम तुम्हारे ये सब लिखना
भूल गए||
तब क्यों न स्मरण हुआ अपना सम्मान
लौटाने की|
एक आदर्श नागरिक,साहित्यकार धरम निभाने की||
साहित्यकार नहीं लगते ये सारे लगते
पिट्ठू है|
जो वो बोले ये बोलेंगे अपने आका के
मिट्ठू है||
जब लौटेंगे चक्र परम और शौर्य ,देश के
वीरों के|
तब मानेगा देश जल रहा असहिष्णुता के
तीरों से||
दुनिया नहीं अबोध भइए सारी चालाकी
समझती है|
ये दुनिया है जहाँ ईमान लिफाफों में बंद
बिकती है||
कलमकार हो कलम से क्रान्ति शंखनाद कर
देते तुम|
रचनाओं के माध्यम से जनता का दर्द लिख
देते तुम||
या फिर अभिनय से अपने कोई सन्देश
ही दे देते|
जिस जनता ने मान दिया कभी उसकी सुध
भी ले लेते||
क्यों उन्मादी बातों से देश की यूँ बदनामी
करते हो|
दर्द लिखो देश का सारा क्यों मनमानी
करते हो||
(रचनाकार-सुनिल शर्मा 'नील')
morepankh.blogspot.com
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suneel.sharama.56808
05/11/2015