गुरुवार, 26 नवंबर 2015

"असहिष्णुता पर"

(भारतभूमि को असहिष्णु कहकर अपमानित करने वाले बॉलीवुड के एक अभिनेता के बयान पर आक्रोश प्रकट करती थान खम्हरिया,छत्तीसगढ़ के कवि सुनिल शर्मा"नील" की रचना)
like his fb page(id)-सुनिल शर्मा नील

जब तुमने सत्यमेव जयते का नारा गाया
था
इसी देश ने तुमको अपने सर आँखों पे बिठाया था
हर अभिनय पे देश ने मेंरे जीभर तुमको प्यार दिया
देश का बेटा मानके अपना तुमपे सब कुछ वार दिया
पर तुमने बातों के आग से देश का झंडा फूँक दिया
जिस जनता ने मान दिया उनके ऊपर ही थूक दिया
स्वार्थ हुआ पूरा जैसे ही देश असहिष्णु लगने लगा
इनक्रेडिबल भारत में तुमको बोलो भय क्यों लगने लगा
माना "गजनी"हो तुम तुमको भूलने की बीमारी
है
लेकिन बोलो स्वार्थ तुम्हारा क्या मातृभूमि से भारी है
शारदापुत्र कहता हूँ "नायक" कतई नही हो सकते तुम
जिस माटी ने तुम्हे बनाया उसके कर्णधार नही हो सकते तुम
आड़ लुगाई का लेकर के आग लगाने निकले
हो
बोलो आखिर किस आका का नमक चुकाने निकले हो
जो भारत का नहीं उसके हम कैसे हो सकते
है
जाओ पाक,ईराक-सीरिया तुमको ना ढो सकते है
जब देखोगे वहाँ रक्त तब याद करोगे भारत
को
इस मिट्टी के कण-कण में बसते लोगो की शराफत को
याद करोगे असल सहिष्णु भारत को ही कहते
है
रंगबिरंगे फूल जहाँ पर माला बनकर रहते
है|
(ईमानदार और माँ भारती के लाल बिना काट-छाँट के शेयर करें)
सुनिल शर्मा नील-
7828927284
रचना दिनाँक-25/11/2015
ये रचना कॉपीराइट है इसका अपने नाम के साथ प्रकाशित करना अपराध है......कानूनी कार्यवाही हो सकती है

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