बुधवार, 18 नवंबर 2015

"लहुटा दे वो"

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मोर मुसकान ,मोर कल ल लहुटा दे वो
संग पहाय जम्मों पल ल लहुटा दे वो
तय नही त तोर सुरता भरोसा जी लुहू
ओ कोंवर हाथ के छुवन ल लहुटा दे वो|
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📝 सुनिल शर्मा "नील"
     थान खम्हरिया(छ.ग.)
     7828927284
      18/11/2015
      ©®

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