बुधवार, 9 दिसंबर 2015

जेन घर सियान तउन सरग कहाथे

कोचराय हे देहे ,पेचके हे गाल
निहरे हे कनिहा, पाका हे बाल
मइलहा हे पटकू,चिरहा हे धोती
बबा रिसायहे जाने काखर सेती
बड़ देर होगे आज बडबड़ात हे
कोंटा म बइठके आँसू बोहात हे
लागथे बेटा ह फेर खिसियाय हे
धुन बहु कुछु नाव ले बगियाय हे
पाछु पंदरही बहू कतका सुनाइसे
तसमा का टुटगे नगत झरराइसे
भूखे पियासे तालाबेली दे रहिसे
जुड़ म बपरा परछी म सोय रहिसे
बहू-बेटा कोनो दया नइ खाइस
बपरा सोगे भीतर नइ बलाइस
नाती ल खेला खुस हो लेत रहिसे
अपन छाती ल जुड़ो लेत रहिसे
नाती ल  खेलाय बर बरज दिस
जीए के ओखी म पथरा चपक दिस
रही-रही बबा ल बीते दिन सुरता आथे
डोकरी के सुरता म मन कलप जाथे
अपन भाग ऊपर बिचारा बड़ पछताथे
जब-जब रोथे तब डोकरी ल गोहराथे
काबर लईका आज सियान ल रोवाथे
जेन रुख छाव देथे उही ल काट गिराथे
जेन घर सियान तउन सरग कहाथे
एला दुःख देवइया कहाँ सुख पाथे|
रचना-
सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा
7828927284
दिनाँक-09/12/2015
CR

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