मंगलवार, 1 दिसंबर 2015

मुक्तक

आलिंगन कर पीड़ा पाई हमने हरदम
खंजर की
अमन के बदले मिली वेदना कारगिलों
के मंजर की
क्यों शान्ति की पुनः अपेक्षा आतंकवाद
के पोषक से
जिसका सिर्फ हरा झंडा पर फितरत
है बंजर की|

सुनिल शर्मा ""नील""
थानखम्हरिया,बेमेतरा
7828927284
01/12/2015
CR

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