रेल दुर्घटना पर
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देते रहे सन्देश सब,पर टालते ही
रह गए
अपने किये पर पर्दा ,वे डालते ही
रह गए
ये भूल मानव की कहूँ या काल की
मैं क्रूरता
हर पल सफर में मौत को वे पालते
ही रह गए
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सुनिल शर्मा"नील"
थांनखम्हरिया(छ. ग.)
7828927284
22/11/2016
Cr
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