मेरे जीवन के वीणा की हो तार तुम मेरे साँसों के सरगम की झंकार तुम कितनी रचना रची है तुम्हे देखकर मैं कवि मेरी कविता की हो सार तुम| ★★★★★★★★★★★★★★★★★★ सुनिल शर्मा"नील" थांनखम्हरिया,बेमेतरा(छ. ग.) 7828927284
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