बुधवार, 30 मार्च 2016

विश्व विजय करने चलें(मुक्तक)

अधूरा मुक्तक सृजन-271 मुक्तक सृजन-46 आदरणीय सुविख्यात कवि श्री विद्याभूषण जी,एडमिन वीर पटेल जी और आप सभी गुणीजनों को सादर प्रस्तुत........... """"विश्व विजय करने चले""""""" ******************************** विश्वास अटूट तुमपे ,तुमपे हमें गुरूर है लाओगे कप जीतके ,दुआएँ ये भरपूर है रोक न सकेगा कोई,कैसा भी हो तूफान विश्व विजय करने चलें,सिर्फ दो कदम दूर है ********************************* सुनिल शर्मा"नील" थान खम्हरिया,बेमेतरा (छत्तीसगढ़) 7828927284 30/03/2016

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