बुधवार, 2 मार्च 2016

"पवन "हो बहना कहाँ भूल पाओगे?

छत्तीसगढ़ महतारी के बेटे प्यारे थे
संत,कवि "पवन" सबके दुलारे थे
'राजिम' जन्मभूमि,भगवा परिधान था
सरस्वती का जिन्हें असीम वरदान था
भागवत अमृत गाँव-गाँव बहाते थे
ओजस्वी वाणी से सबको जगाते थे
धीर थे,वीर थे किन्तु बड़े गंभीर थे
छत्तीसगढ़ी अस्मिता के प्रतीक थे
वाणी से छत्तीसगढ़ प्रेम टपकता था
"महतारी" प्रेम बातो से झलकता था
छत्तीसगढ़ निर्माण के प्रमुख आधार थे
शोषण के विरुद्ध एक कड़ा प्रतिकार थे
उन्मुक्त मुस्कान से हृदय जीत जाते थे
कविता से सबके अंतस को छु जाते थे
ऊँचाई पाकर भी तुम सदा सरल रहे
जैसे महानदी की धारा अविरल बहे
"पवन"हो बहना कहाँ भूल भुलाओगे
फिजाओं में मिल छत्तीसगढ़ महकाओगे|
सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
9755554470
03/03/2016
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