सोमवार, 30 मार्च 2020

बीतेगी यह काली रात(आल्हा)

"बीतेगी यह काली रात"
    (आल्हा छंद में प्रयास)

कोरोना है बड़ा भयंकर,नही निकलिए घर से आप-!
निकलेंगे तो होगा खतरा,भूल से न करिए यह पाप !!

हाथ जोड़कर करे नमस्ते,नही मिलाए कोई हाथ !
बार-बार धोएँ हाथों को,रहें प्रशासन के हम साथ !!

रखिए सादा खान-पान को,मानव होकर बनो न काग !
जबसे पशुता को अपनाया,जग में लगी तभी से आग !!

कोई भूखा हो पड़ोस में,उनकी क्षुधा करें हम शांत !
मजदूरों की भी हो चिंता,फँसे हुए जो दूजे प्रांत !!

जो विदेश से होकर आए,नही छुपाए कोई बात !
रहे पृथक खुद को जो घर में,फैल न पाएगा यह भ्रात !!

दुनिया ने है टेके घुटने,पर हम न खाएंगे मात !
जीतेगा भारत निश्चित ही,बीतेगी यह काली रात !!

कवि सुनिल शर्मा "नील"
थानखम्हरिया(छत्तीसगढ़)
7828927284
सर्वाधिकार सुरक्षित

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