शुक्रवार, 27 मार्च 2020

मिला तेरा सहारा,

फटी चादर दुःखों से थी उसे सीने
लगी हूँ मैं !
गमों के आंसूओं को हँसके अब पीने
लगी हूँ मैं !
मिला तेरा सहारा जिंदगी को जबसे
हे प्रियतम ,
तुझे पाकर के दुगुना देखना जीने
लगी हूँ मैं !!

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