बुधवार, 25 मार्च 2020

मैं स्वाति हूँ

मैं स्वाति है तू चातक हूँ तेरे बिन रह न पाऊँगा !
मोहब्बत है मुझे तुमसे किसी से कह न पाऊंगा !
कभी गुस्से में भी कह दूं अकेला छोड़दो मुझको,
नही तुम छोड़ना ये हाथ तुमबिन रह न पाऊँगा !!

कवि सुनिल नील

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