गुरुवार, 10 सितंबर 2020

शब्द सम्पदा-दोहे चक्षु, प्रशिक्षु,मुमुक्षु

"चक्षु"
चक्षु देख पहचान लें,नारी हर इंसान!
ईश्वर ने उनकों दिया,यह अद्भुत वरदान!!


"प्रशिक्षु"
बन जाता उस्ताद वह,होता उसका नाम
दिनभर जो जीतोड़कर ,करे प्रशिक्षु काम!

"मुमुक्षु"
वही मुमुक्षु मोक्ष का,पाता जग में ज्ञान
जिसको अपने स्वयं का,हो जाता संज्ञान!!

कवि सुनिल शर्मा"नील"
7828927284
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)





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