गुरुवार, 12 नवंबर 2020

दिवस शरद के आ गए-कुंडलियां

धरती फिर सजने लगी,पल-पल बदले रूप
दिवस शरद के आ गए,भाए सबको धूप
भाए सबको धूप, लताएँ है इठलाती
मंद-मंद मुस्कान, कुसुम हर्षित शरमाती
कंपित रजनी-भोर,हवाएँ ठंडी करती
स्वर्णिम बूँदें ओस,सजाने आती धरती||

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