रविवार, 8 नवंबर 2020

महावर देख सके पाँव के,,,

महावर देख उसके पाँव को दिनकर लजा जाए।
जरा वह मुस्कुरा दे तो धवल चंदा भी शरमाए
मयूरा मन थिरक जाए कभी जब केश खोले तो
दृगों से बाण जिसको मार दे हरगिज न बच पाए।

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