सोमवार, 20 अप्रैल 2020

सिंह वाली छाप है

हैवानों के ताप से है,भारत संतप्त आज
किंतु मौन कैसे बैठे,सीएम जी आप है !

कानून भी हाथ बांध,भूला हुआ है कर्तव्य
सड़कों पे नाच रहे,शैतानों के बाप है!

हिन्दू शेर की धरा पे,साधुओं का हुआ कत्ल
और आप कुरसी का,ले रहे जी नाप है

न्याय कीजिये हे राजा,और ये बताइये कि
आप में पिता के जैसे,सिंह वाली छाप है!!

कवि सुनिल शर्मा नील
थानखम्हरिया
7828927284
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