चलो अधरों पे हम अपने,यह पावन गीत सजाते है गिरा नफरत की दीवारें,"प्यार की रीत" चलाते है जलाकर नेह का दीपक,मिटाके मन के अंधियारे चलो अब की दीवाली में,शत्रु को मीत बनाते है!
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